II Ravan Sita samvad II रावण सीता संवाद Ravana meets Sita in Ashok Vatika । सीता हनुमान संवाद
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- Опубліковано 11 лют 2025
- रावण का सीताजी को भयभीत करना । सीता हनुमान संवाद Ravana meets Sita in Ashok Vatika
Ravana meets Sita at Ashok Vatika in Lanka. He tries to connivence Sita to stay with him peacefully in Lanka however Sita refuses all his offers.
Ramlila, India’s most famous theatrical experience. Ramlila is the enactment of the story of Lord Rama. In Ramlila the life of Rama is shown in the form of a series of plays. This story of Rama’s life is enacted to mark his victory over Ravana and his return to his kingdom. The complete life story of Rama is covered in ten days. The 10th day is celebrated as Dussehra (Vijaya Dashami) - the day of victory when Rama defeats the Demon King Ravana.
Raavan- Sita Mata Samvad
हनुमान गुपचुप ढंग से अशोक वाटिका पहुँच जाते हैं। वे ओट से देखते हैं कि एक दुखियारी नारी गुमसुम सी वृक्ष के नीचे अपलक किसी की बाट जोहते बैठी है। हनुमान उनकी दशा देखकर समझ जाते हैं कि यही सीता मैया हैं। हनुमान लघु रूप में अन्दर प्रवेश करते हैं और प्रहरियों की दृष्टि से बचकर उसी अशोक वृक्ष के ऊपर छिप कर बैठ जाते हैं जिसके नीचे सीता हैं। तभी रावण मन्दोदरी और अपने अंगरक्षकों के साथ वहाँ आता है। सीता पुनः घास के तिनके की ओट लेती हैं। वह सीता को मनाने का अन्तिम प्रयास करता है किन्तु सीता अपने पतिव्रत पर अडिग हैं। हनुमान वृक्ष में छिपे रहकर दोनों का वार्तालाप सुनते हैं। रावण अपनी चन्द्रहास तलवार से सीता के प्राण लेने की धमकी देता है। उसे चन्द्रहास तलवार भगवान शिव ने प्रदान की थी। सीता चन्द्रहास से प्रार्थना करती हैं कि यदि वह भगवान शिव का वरदान है तो वह उनका शीश काटकर उनके पतिव्रत धर्म की रक्षा करे ताकि भगवान शिव को भी पता चले कि किसी कामुक पापी पुरुष को शक्तियाँ देने के क्या कुपरिणाम होते हैं। रावण सीता को मारने के लिये चन्द्रहास उठाता है। मन्दोदरी रावण का हाथ पकड़ लेती है और आतिथ्य में रहने वाली स्त्री की हत्या को नीति विरूद्ध बताकर उसे रोकने में सफल होती है। रावण सीता को दो मास का और समय देकर चला जाता है। राक्षसियाँ सीता को रावण से विवाह करने हेतु डराती हैं। त्रिजटा वहाँ आकर उन्हें रोकती है और बताती है कि उसने भोर का स्वप्न देखा है जिसमें राम लक्ष्मण के आगमन और लंका के विनाश के स्पष्ट संकेत थे। ये सुनकर राक्षसियाँ सीता से क्षमा माँगती हैं। सीता त्रिजटा से कहती हैं कि मृत्यु की देवी उन्हें अपनी गोद में क्यों नहीं बैठा लेती क्योंकि उनके प्रभु राम को कभी नहीं पता चलेगा कि उनकी वैदेही लंका में है। छिपकर सारा वार्तालाप सुन रहे हनुमान भावुक होते हैं। त्रिजटा सीता को ढाँढस बँधाकर चली जाती है। माता सीता को अकेला पाकर हनुमान वृक्ष में छिपे रहते हुए राम कथा का गान करते हैं। वे जानते हैं कि यदि वे एकदम से सीता के सामने गये तो वे डरकर चीख सकती हैं। हनुमान गाते हुए यह संकेत भी देते हैं कि प्रभु राम ने उन्हें दूत बनाकर भेजा है और उन्होंने निशानी के तौर पर अपनी मुद्रिका भेजी है। यह गाते हुए हनुमान सीता के समक्ष राम नाम अंकित मुद्रिका गिरा देते हैं। सीता रामदूत से सामने आने को कहती हैं। हनुमान वृक्ष से नीचे आते हैं। एक वानर को सामने देखकर सीता इसे रावण की कोई नयी माया समझती हैं। तब हनुमान कहते हैं कि यह कोई माया नहीं, वरन् उनका वास्तविक रूप है। यह मुद्रिका मायाजनित नहीं है बल्कि ये वही मुद्रिका है जो गंगापार उतराई में केवट को देने के लिये आपने प्रभु राम को दी थी। हनुमान सीता को विश्वास दिलाने के लिये रावण द्वारा हरण के समय उनके द्वारा पल्लू में बाँधकर आभूषण फेंकने की घटना भी बताते हैं और पल्लू के उस टुकड़े को देखकर राम कितना भाव विह्वल हुए थे, माता सीता को इसका वर्णन भी करते हैं। हनुमान सीता को ढाँढस देते हैं कि अब उनके द्वारा यह पता लगते ही कि सीता लंका में है, वे तनिक देर किये बिना यहाँ पहुँचेंगे।अशोक वाटिका में हनुमान जी लंका जा पहुँचे हनुमान जी
अशोक वाटिका में सीताजी
। रावण सीता की ओर बढ़ा अपना हाथ वापस खींच लेता है लेकिन दिखावा ऐसा करता है मानो वह प्रेमवश सीता के साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा है। वह सीता को एक वर्ष का समय देता है कि वह स्वयं उसकी रानी बनना स्वीकार करें अथवा फिर उसके रसोईये सीता को काटकर उसका कलेवर तैयार करेंगे। रावण सीता का आत्मसमर्पण करवाने के लिये राक्षसियों को निर्देश देकर चला जाता है। राक्षसियाँ सीता को डराने का प्रयत्न करती हैं। अशोक वाटिका की मुख्य प्रहरी राक्षसी त्रिजटा उन्हें बाहर भेजकर सीता को सांत्वना देती हैं और उनके लिये सात्विक भोजन के प्रबन्ध का आश्वासन देती हैं। रावण की पटरानी मन्दोदरी एक अन्य रानी भैरवी को अपने नये राजसी वस्त्र देती है कि वह इन्हें सीता को भेंट करे। सीता मन्दोदरी की भेंट विनयपूर्वक अस्वीकार कर देती हैं और सन्देश भिजवाती है कि वे अपने पति रावण को समझाऐं अन्यथा उसका समूल नाश हो जायेगा। रावण मन्दोदरी के कक्ष में प्रवेश करता है। मन्दोदरी रावण से सीता को लंका के लिये अमंगलकारी बताकर राम के पास वापस भेजने की मांग करती है। रावण मन्दोदरी का तिरस्कार करता है।
हनुमान जी भगवान श्री राम से आज्ञा लेकर जब माता सीता की खोज में निकले तो उन्होंने लंका की ओर प्रस्थान किया जहां उन्होंने माता सीता को खोज भी लिया। माता सीता से मिलने के बाद हनुमान जी ने माता सीता को अपना परिचय देते हुए उन्हें श्री राम जी की निशानी भी दी। माता सीता से मिलकर हनुमान जी अति प्रसन्न होते हैं और जब हनुमान जी माता सीता को कहते हैं की आप मेरे साथ श्री राम जी की पास चलिए तो माता सीता हनुमान जी को मना कर देती है और हनुमान जी को बोलती है की श्री राम ही माता सीता को लेने आए और रावण का वध करे। त
Jai ho
Wah radheshyam Ji gajab