सत्य से भरा स्पष्ट उत्तर। चेतना को प्राथमिकता दें, शरीर को नहीं। शरीर एक माध्यम (वाहन) है जिसका उपयोग चेतना की मुक्ति तक पहुंचने के लिए किया जाना चाहिए, यही शरीर की सार्थकता है।
शारीरिक (भौतिक) सुख भोग विलाश सभी को पुरा करने मे लगे तो ये कभी पूरे होने वाले नही और पुरा करे भी तो एक अंदर ही अंदर अधूरा पन सा रहता ही है उस अधूरे पन को पूरे करने के लिए हमे अध्यात्म चाहिए और अध्यात्म मिलते ही हम पूरे होते है और उसके बाद जो भी कार्य होगा वो पूर्ण होगा
वासना में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता। जैसे आप खाना खाते हैं, वैसे ही आपके प्रजनन अंग भी कामुकता में लिप्त होते हैं, लेकिन यह जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हमें भौतिक प्रवृत्तियों में नहीं फंसना चाहिए। हमें चेतना को प्राथमिकता देनी होगी।
जब कोई व्यक्ति दुनिया से इन विषयों के बारे में यह सुनकर आया हो कि ये बुरी बात है, इन्हें दबा देना चाहिए, इनका दमन कर देना चाहिए। और फिर जब वह आचार्य जी को सुने और उसे यह पता चले, की संभोग ना अच्छा है ना बुरा है। बस इसे इसकी सही जगह दे दो और तुम अपना काम करो। सच कहूं तो इतनी आजादी महसूस होती है कि दिमाग बौखला जाता है, कि इस दबाने छुपाने वाली दुनिया में क्या इतनी आजादी की भी बात हो सकती है।
सत्य से भरा स्पष्ट उत्तर। चेतना को प्राथमिकता दें, शरीर को नहीं। शरीर एक माध्यम (वाहन) है जिसका उपयोग चेतना की मुक्ति तक पहुंचने के लिए किया जाना चाहिए, यही शरीर की सार्थकता है।
शरीर के साथ एक सम्यक संबंध बना के रखना है चेतना को ऊपर और शरीर को नीचे स्थान देके ही सही तरीके से लक्ष्य की ओर बढ़ा जाता है, प्रणाम आचार्य जी 🙏🏵️🙏
शारीरिक (भौतिक) सुख भोग विलाश सभी को पुरा करने मे लगे तो ये कभी पूरे होने वाले नही और पुरा करे भी तो एक अंदर ही अंदर अधूरा पन सा रहता ही है उस अधूरे पन को पूरे करने के लिए हमे अध्यात्म चाहिए और अध्यात्म मिलते ही हम पूरे होते है और उसके बाद जो भी कार्य होगा वो पूर्ण होगा
वासना में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता। जैसे आप खाना खाते हैं, वैसे ही आपके प्रजनन अंग भी कामुकता में लिप्त होते हैं, लेकिन यह जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हमें भौतिक प्रवृत्तियों में नहीं फंसना चाहिए। हमें चेतना को प्राथमिकता देनी होगी।
जब कोई व्यक्ति दुनिया से इन विषयों के बारे में यह सुनकर आया हो कि ये बुरी बात है, इन्हें दबा देना चाहिए, इनका दमन कर देना चाहिए।
और फिर जब वह आचार्य जी को सुने और उसे यह पता चले, की संभोग ना अच्छा है ना बुरा है। बस इसे इसकी सही जगह दे दो और तुम अपना काम करो।
सच कहूं तो इतनी आजादी महसूस होती है कि दिमाग बौखला जाता है, कि इस दबाने छुपाने वाली दुनिया में क्या इतनी आजादी की भी बात हो सकती है।
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏
न चेतना न शरीर कुछ भी नहीं।🙏
Aapki baate jeevan ko saral bana deti h dhanyavaad
Thanks you sir
Bahut sundar acharya ji
Vaasna wo abhishaap jise kaaiyde se overtake karke bana sako to bana lo maha vardaan. ☠️👽🌹😎
🌷🌄
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Pranam acharaya ji
❤❤❤
Acharya ji the bhagwan ❤️😢
🙏🙏🙏🙏💕💕💕💕🇳🇵
💐🙏
Most informative video ❤❤🙏🙏
🎯🎯
धन्यवाद आचार्य जी ❤
शरीर को महत्व कम देनी है और निचले दर पर देनी ✅💯
Pranam Acharya ji 🙏🌟✨
जय श्री कृष्णा...✨🙏
😊😊😊😊😊
🙏
Thanku guruji
आचार्य श्री सादर प्रणाम 🙏🏾
Dhanyavaad aacharya ji❤❤❤❤
❤❤❤❤