Chehlum Karne Bhaiyya ka main aayi hun | Anjuman Sipah-e-Hussaini Bhanauli Sadat

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  • Опубліковано 30 вер 2024
  • NAUHA
    Chehlum karne Bhaiyya ka main Aayi Hun
    Arbaeen, 20 Safar 1446/2024
    Bada Imambargah - Bhanauli Sadat
    Arbaeen 1443/2021
    Title- Chehlum karne Bhaiyya ka mai Ayi Hun I Noha
    1443/2021
    Originally Recited by - Anjuman Jafaria Jafrabad,
    Jalalpur
    Recited by- Anjuman Sipah-e-Hussaini Bhanauli Sadat
    Poetry - Janab Sadiq Sahab
    Location- Bada Imambargah, Bhanauli Sadat
    Posted by- Azadari Bhanauli
    Lyrics- Chehlum Karne Bhaiya ka mai aayi hun
    1.
    ...
    कर्बोबला जब हुआ अहले हरम का गुज़र
    कोहे मुसीबत गिरा बीबियों पे टूट कर
    ज़ैनबे नाशाद ने पीट लिया अपना सर
    रो रो ये कहने लगी मजाये कि क़ब्र पर
    अए भैय्या...
    किस तरह अहले मदीना को मैं मुँह दिखलाऊँगी
    शाम के ज़िन्दान से मैं आयी हूँ... छूट के
    2.
    किस तरह सोते हो तुम छोड़ कर अपना वतन
    किस तरह भाई तुम्हे भा गया सुनसान बन
    घर चलो लेने को अब आई है दुखिया बहेन
    सुनती हुँ हए हुए गज़ब पाया न तुमने कफ़न
    मजाए...
    लाश थी उरियाँ तुम्हारी जलती हुई रेत पर
    देखने और तुमसे मिलने आयी हूँ... छूट के
    3.
    मिल चुकी जब कब्र से बीबियाँ अलमुखतसर
    सुवे मदीना चली रोती हुई नौहगर
    खाक़ उड़ाती थी सब पीटती थी अपना सर
    बिन्ते अली ने कहा सुवे लहेद देख कर
    अए भैय्या...
    हो सलामे आखिरी अहले हरम का आप पर
    लुट के मदीने को मैं अब जाती हूँ... छूट
    4.
    आँखों में तारीक है भाईजाँ सारा जहाँ
    के
    बेरीदा बाज़ार में फिर चुकी शहज़ादियाँ
    किस तरह यसरब को अब जाएंगी सयदानियाँ
    मांगे हैं उजड़ी हुई खाली हैं सब गोदियाँ
    कर्बला...
    अर्ज़े बला देखना तू खेती अम्मा ज़हरा की
    बेबसी में तुमको सौंपे जाती हूँ... छूट के
    5.
    रौज़ा पयम्बर का जब दूर से आया नज़र
    ज़ैनबो कुलसूम ने पीट लिया अपना सर
    रो रो मदीने से ये कहने लगी नौहागर
    आई हूं तेरा सरफ कर्बोबला छोड़कर
    शर्म थी...
    अए मेरे जद के मदीने हम तेरे काबिल नहीं
    तुझमे तो आते हुए शर्माती हूँ... छूट के
    6.
    आए मदीने में जब इतराते शाहे ज़मन
    पूछने अहवाल सब आने लगे मर्दो जन
    सुग़रा ने पूछा फूफी क्या हुए शाहेज़मन
    सर को झुकाए थी हाए उस घड़ी शह की बहेन
    अए सुग़रा...
    किस तरह से हो बयाँ अब दास्ताने कर्बला
    भाई को जंगल में खोकर आयी हूँ... छूट
    7.
    के
    शाहे दो आलम नहीं शाह का लश्कर नहीं
    सर पे मेरे अब कोई मोनीसो यावर नहीं
    क़ासीमे मुज़्तर नहीं और अली अकबर नहीं
    ज़ुल्म की हद हो गई गोद मे असग़र नहीं
    बेख़ता
    हुर्मुला ने तीर से बेजाँ किया बेशीर को
    बेज़बां का खाली झूला लायी हूँ... छूट के
    8.
    अब नहीं सादिक़ कोई ज़प्त का यारा रहा
    क़ब्रे पयम्बर पे लो आ गया ये क़ाफेला
    नाना से कहने लगी खाहरे शाहेहोदा
    आप की उम्मत ने ये हाल हमारा किया
    अए नाना...
    सारा कुनबा कर्बला में आप का लूटा गया
    दरबदर की ठोकर खाके आयी हूँ... छूट के
    *तमाम*
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КОМЕНТАРІ • 3

  • @wariswarisali7140
    @wariswarisali7140 Місяць тому

    Ya Hussain❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ ya Ali ya Ali ❤❤❤

  • @mohammadmehndi7841
    @mohammadmehndi7841 Місяць тому

    😢😢😢😢😢

  • @TahreemFatima-rg2tv
    @TahreemFatima-rg2tv Місяць тому

    😢😢😢