बाल्मीकि रामायण रचना सत्य सनातन अनुपम घटना।। सिया राम पद पथ अनुसरिये संध्या हवन कर्म शुभ करिये।। वेद पढ़े बिन विप्र कहावै ्सपरिवार नरक में जावै।। सत्य कथा जो समझ ना पाऐ हंस नहीं वे काग कहाये।। जय श्री राम।। जय सत्य सनातन संस्कृति।।
बड़ा दुर्भाग्य है कि वैदिक आर्य धर्म के धर्माचार्य, मठाधीश , साधु-संत लोगों के रहते हुए वेदविरुद्ध मूर्ति पूजा की परम्परा कैसे चल पड़ी और स्थायी बन गई। आपका कथन सत्य है कि मूर्ति पूजा आज पंडित पुरोहितों का धन्धा बन गया है, जिसे मिटाना कठिन हो गया है।वन्देभारतमातरम।
धर्म प्रचार से केवल और केवल अधर्मी को समस्या होती है। स्वामी जी के धर्म प्रचार के विरूद्ध टिप्पणी करने वाले कहीं अधर्मी तो नहीं ? स्वामी जी ने धर्म (किसी के कर्तव्यों) का खण्डन तो नहीं किया फिर स्वामी जी के विरोध में टिप्पणी करने वाले अधर्मी की संज्ञा से कैसे बचेंगे???
इसका अर्थ तुम्हारी माता भी नहीं और पिता भी नहीं अर्थात् आपके अलावा इस विश्व में कुछ नहीं। तो तुम हि एक पदार्थ हो जिससे सारा संसार वना है, समझाओ मित्र कहना क्या चाहते हो?
कोई भी आर्य समाज मेरे सामने अगर 5 मिनट पड़ जाए तो मैं गारंटी के साथ कहता हू महेश सिद्धांत की फोटो क्यों लगाते अगर मूर्ति पूजा सही नहीं है तो उसका फोटो भी लगाना चाहिए किसी का भी नहीं लगना चाहिए
तुम्हारा धर्म कोई धर्म नहीं है वो तो पैगम्बर दयानंद के द्वारा स्थापित नव वैदिक कल्ट है, तुम्हारा नव वैदिक ईश्वर एक नल्ला ईश्वर है जो कुछ नहीं करता बस निठल्ला बैठा रहता है
महर्षि दयानंद जी ने कोई नया धर्म नहीं बनाया धर्म तो एक ही है सत्य सनातन जो आदि सृष्टि से चलता आया है उसमें संशोधन किया है सत्य का समर्थन और असत्य का खण्डन किया है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान् हमारे आदर्श है महापुरुषों मे सबका साझा होता है। सिया राम पद पथ अनुसरिये संध्या हवन कर्म शुभ करिये।। सत्य कथा जो समझ ना पाऐ हंस नहीं वे काग कहाये।। लौमश ऋण के वचन ना मानै काकभुशुण्डि भये सब जानै।। वेद पढ़े बिन विप्र कहावै ्सपरिवार नरक में जावै।। जय श्री राम।। ओउम्।।
@@HaridevSharma-rc1jv धर्म में किये गए संशोधन और सुधार के बाद धर्म धर्म नहीं रहता एक नया पंथ बन जाता है फिर वो सनातन भी नहीं रहता सनातन का एक अर्थ है जो हमेसा से ऐसा ही है फिर वो धर्म वैसा ही नहीं रहता | क्या वाल्मीकि रामायण में कागभुसुंडि का नाम है ? वेद न पढ़ने से कोई नरक कैसे जायेगा दयानंद का कहना था की स्वर्ग नरक कुछ नहीं होता और उनके अनुयाई नरक के नाम पर लोगो को मुर्ख बना रहे है ये भी कमाल ही है लोग वेद की बात करते है और दिखाते चतुर्वेद को है इसको पाखंड कहते है क्योंकि वेद एक है चार नहीं और राम और कृष्ण को दयानंद के अनुयायियों का महापुरुष मानना वैसा ही है जैसे मुस्लिमों का ईसाइयो के ईशा मसीह को एक संदेशवाहक मानना
मित्र येआर्यसमाजी भी हमारे सनातन के पाखंड व अति अंधविश्वासों के कारण ही उत्पन्न हुए,आदि शंकराचार्य जी को अद्वैत को स्वीकार करने के बाद भी संशोधन करना पड़ा, उन्होंने तो सनातन को बांधा ----वैष्णवाचार्य तो चार(व अधिक) सम्प्रदायों में बंट गये व दर्शन की एक रूपता का अभाव है----मित्र कमी हमारे सनातन में बहुत हो गई हैं और इन कमियों से ही हममें से ही , गुरू नानक देव जी, कबीर जी,जैन, बौद्ध,शैव मे भी पाशुपति,कालमुख, कापालिक व लिंगायत(इसमें भी शाखाएं)-----कुछ सुधार तो जरूरी है ज्ञान व धर्म पर कथावाचक,पुजारी, धर्माचार्य, पंडित व अंधविश्वास ये इतने हावी हो चुके जितनी कि किसी पेड़ फर अम्बरबेल 🕉️🚩🌹🇮🇳🙏 क्षमा सहित
सभी आर्यो को सादर नमस्ते 🙏🙏
दुनिया के अंदर जिंदा रहेंगे वे लोग जिनका धर्म जिंदा है और धर्म उनका जिंदा है जिनका धर्म, धर्म पर उठे हुए सवालों का जवाब देता है।
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
आर्य समाज अमर रहेगा।🙏🙏
कृण्वन्तो विश्वमार्यम। आर्यावर्त का पुनरूत्थान हो।सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का उदय हो।वैदिक ज्ञान विज्ञान का पादुर्भाव हो। वन्देभारतमातरम।
नमस्ते स्वामी जी 🙏🙏
Jay bhagavaan pir hargovandas Bapu, jay ma meladi
ओम का झण्डा ऊंचा रहे 🚩
सादर नमस्ते आचार्य जी। आप छोटी ही विडियो लेकिन बराबर डालिए । बहुत ही शिक्षा प्रद और ज्ञान वर्धक होती है आपकी विडियो धन्यवाद
वेद की ज्योति जलती रहे ।
नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा
बाल्मीकि रामायण रचना सत्य सनातन अनुपम घटना।। सिया राम पद पथ अनुसरिये संध्या हवन कर्म शुभ करिये।। वेद पढ़े बिन विप्र कहावै ्सपरिवार नरक में जावै।। सत्य कथा जो समझ ना पाऐ हंस नहीं वे काग कहाये।। जय श्री राम।। जय सत्य सनातन संस्कृति।।
आज कल देश की जो स्थिति है खण्डन मंडन नहीं करना चाहिए। आज राम के नाम पर अगर हिन्दू एकजुट हो रहा है तो क्या बुरा है
बड़ा दुर्भाग्य है कि वैदिक आर्य धर्म के धर्माचार्य, मठाधीश , साधु-संत लोगों के रहते हुए वेदविरुद्ध मूर्ति पूजा की परम्परा कैसे चल पड़ी और स्थायी बन गई। आपका कथन सत्य है कि मूर्ति पूजा आज पंडित पुरोहितों का धन्धा बन गया है, जिसे मिटाना कठिन हो गया है।वन्देभारतमातरम।
तो भैया दयानंद सरस्वती की फोटो क्यों लगाते हैं जो फोटो ही नहींलगानी तो इनको अलग ज्ञान है भा आर्य समाज में देश समाज कानाश किया है
Arya namaj
😂😂😂😂😂😂 bache hai bichare
@@satyapalyadav9537murkh malum hote ho arya samaj ne desh aur hindu dharm ko bachaya hai
@@satyapalyadav9537जी फोटो तो हम अपने घर में अपने दादा व पिता की भी लगाते हैं
अति उत्तम व्याख्यान
🎉 ओउम नाम परमात्मा का नहीं है। ओम नाम तीन गुणों से बना है। अकार उकार मकार सतोगुण रजोगुण तमोगुण। पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद तिरगुणा तीत है।🎉🎉 प्रणाम जी
Swamiji, you exposed the so called Arya Samajis in a very nice manner. I salute you.
धर्म प्रचार से केवल और केवल अधर्मी को समस्या होती है। स्वामी जी के धर्म प्रचार के विरूद्ध टिप्पणी करने वाले कहीं अधर्मी तो नहीं ? स्वामी जी ने धर्म (किसी के कर्तव्यों) का खण्डन तो नहीं किया फिर स्वामी जी के विरोध में टिप्पणी करने वाले अधर्मी की संज्ञा से कैसे बचेंगे???
🎉🙏🙏
badiya ji
Hlo😊
Suraj apna km kare
Jalore ke peer shantinathjee se bada koi sant nahi huaa or vo bhi murti puja karte the
Aarya samaj mulo se juda huaa he yeh panth gay ko mata manta
Baqbas ore baqkbas or kuch nahin
इसका अर्थ तुम्हारी माता भी नहीं और पिता भी नहीं अर्थात् आपके अलावा इस विश्व में कुछ नहीं। तो तुम हि एक पदार्थ हो जिससे सारा संसार वना है, समझाओ मित्र कहना क्या चाहते हो?
TRUE HINDUS ARE IDOLATORS. THOSE WHO THINK THAT IDOL WORSHIP IS FALSEHOOD. THEY ARE NOT TRUE HINDUS....
कोई भी आर्य समाज मेरे सामने अगर 5 मिनट पड़ जाए तो मैं गारंटी के साथ कहता हू महेश सिद्धांत की फोटो क्यों लगाते अगर मूर्ति पूजा सही नहीं है तो उसका फोटो भी लगाना चाहिए किसी का भी नहीं लगना चाहिए
फोटो लगाना बुरा नहीं, फोटो को खीर खिलाई जाती है यह बुरा है। खण्डन का अर्थ समझिए, अनर्गल प्रलाप करने कुछ हासिल नहीं होगा।
इतिहास अगर पड़ते तो शायद ऐसी बात नही करते ४० पंडितो को एक साथ हराया था स्वामी जी जो आज घर वापसी हो रही हैं वह स्वामी जी की डेन है
Theek bat yahi hai murti lagane me dosh nahi par murti kee Puja theek nahi hai
Ye vaidik prachar naam pr sanatan dharma ko galat thehrana hai sanatan birodhi h aarya samaj pracharak hinki sabha ka boycott karein
अंधे को सब अंधे दिखते हैं। आपके साथ यह कहावत बिल्कुल सही है।
तुम्हारा धर्म कोई धर्म नहीं है वो तो पैगम्बर दयानंद के द्वारा स्थापित नव वैदिक कल्ट है, तुम्हारा नव वैदिक ईश्वर एक नल्ला ईश्वर है जो कुछ नहीं करता बस निठल्ला बैठा रहता है
महर्षि दयानंद जी ने कोई नया धर्म नहीं बनाया धर्म तो एक ही है सत्य सनातन जो आदि सृष्टि से चलता आया है उसमें संशोधन किया है सत्य का समर्थन और असत्य का खण्डन किया है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान् हमारे आदर्श है महापुरुषों मे सबका साझा होता है। सिया राम पद पथ अनुसरिये संध्या हवन कर्म शुभ करिये।। सत्य कथा जो समझ ना पाऐ हंस नहीं वे काग कहाये।। लौमश ऋण के वचन ना मानै काकभुशुण्डि भये सब जानै।। वेद पढ़े बिन विप्र कहावै ्सपरिवार नरक में जावै।। जय श्री राम।। ओउम्।।
@@HaridevSharma-rc1jv धर्म में किये गए संशोधन और सुधार के बाद धर्म धर्म नहीं रहता एक नया पंथ बन जाता है फिर वो सनातन भी नहीं रहता सनातन का एक अर्थ है जो हमेसा से ऐसा ही है फिर वो धर्म वैसा ही नहीं रहता | क्या वाल्मीकि रामायण में कागभुसुंडि का नाम है ? वेद न पढ़ने से कोई नरक कैसे जायेगा दयानंद का कहना था की स्वर्ग नरक कुछ नहीं होता और उनके अनुयाई नरक के नाम पर लोगो को मुर्ख बना रहे है ये भी कमाल ही है लोग वेद की बात करते है और दिखाते चतुर्वेद को है इसको पाखंड कहते है क्योंकि वेद एक है चार नहीं और राम और कृष्ण को दयानंद के अनुयायियों का महापुरुष मानना वैसा ही है जैसे मुस्लिमों का ईसाइयो के ईशा मसीह को एक संदेशवाहक मानना
आपकी तरह अप्रमाणिक कथन कहने वालों को हि मूर्ख कहते हैं फिर आपको हम क्या समझें?
@@rameshverma4461 murkh lagte ho ya fir purvagrah se girsit ho
मित्र येआर्यसमाजी भी हमारे सनातन के पाखंड व अति अंधविश्वासों के कारण ही उत्पन्न हुए,आदि शंकराचार्य जी को अद्वैत को स्वीकार करने के बाद भी संशोधन करना पड़ा, उन्होंने तो सनातन को बांधा ----वैष्णवाचार्य तो चार(व अधिक) सम्प्रदायों में बंट गये व दर्शन की एक रूपता का अभाव है----मित्र कमी हमारे सनातन में बहुत हो गई हैं और इन कमियों से ही हममें से ही , गुरू नानक देव जी, कबीर जी,जैन, बौद्ध,शैव मे भी पाशुपति,कालमुख, कापालिक व लिंगायत(इसमें भी शाखाएं)-----कुछ सुधार तो जरूरी है ज्ञान व धर्म पर कथावाचक,पुजारी, धर्माचार्य, पंडित व अंधविश्वास ये इतने हावी हो चुके जितनी कि किसी पेड़ फर अम्बरबेल 🕉️🚩🌹🇮🇳🙏 क्षमा सहित