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  • Опубліковано 10 жов 2024
  • एशिया की सबसे बड़ी गेवरा खदान को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से 45 से बढ़ा कर 49 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की मंजूरी मिल गई है। पर्यावरण, जल एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली ने अधिकृत तौर पर आदेश जारी कर दिया है। इसके पहले मार्च 2018 में गेवरा खदान की उत्पादन क्षमता 41 से 45 मिलियन टन की गई थी, पर खदान इस लक्ष्‌य के करीब ही पहुंच सकी। चालू वित्तीय वर्ष से नए लक्ष्‌य के अनुरूप कोयला उत्पादन करना होगा।
    साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) को चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 175 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना का लक्ष्‌य कोल इंडिया ने दिया है। पिछले दो वर्ष से एसईसीएल अपने लक्ष्‌य से पीछे चल रही है, पर इस वर्ष नए लक्ष्‌य को हासिल करने अभी से कवायद शुरू हो गई है। गेवरा खदान को 49 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की सैद्धांतिक रूप से पहले ही सहमति नवंबर 2019 में ही मिल गई थी, पर कुछ आपत्तियों की वजह से विधिवत रूप से आदेश नहीं पहुंचने से 45 मिलियन के लक्ष्‌य अनुरूप उत्पादन किया जा रहा था। खदान से उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव समेत कई अधिकारियों का दौरा पहले ही हो चुका है। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि गेवरा खदान को विधिवत रूप से अनुमति मिल जाएगी। एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गेवरा खदान को 45 से बढ़ा कर 49 एमटी कोयला उत्पादन करने की विधिवत रूप से स्वीकृति देते हुए गजट प्रकाशित कर दिया है। इस नए लक्ष्‌य के मुताबिक गेवरा खदान कोयला उत्पादन करने जुट गई है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण काल की वजह से कम कोयला उत्पादन हो रहा है, पर संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही प्रतिदिन दो लाख टन कोयला उत्पादन कर नया लक्ष्‌य हासिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जारी निर्देशों के अनुसार खदान प्रबंधन द्वारा पर्यावरण संरक्षण व जल वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए स्वीकृति में उल्लेखित शर्तों का पालन करते हुए इआइए रिपोर्ट के अनुरूप उत्पादन किया जाएगा।
    900 करोड़ की मशीनों का आर्डर:-
    गेवरा खदान से उच्च क्षमता युक्त सरफेस माइनर व सावेल, डंपर के माध्यम से कोयला उत्पादन किया जाएगा। लगभग 900 करोड़ की लागत से मशीनों का आर्डर दिया जा चुका है। इसमें कई मशीन गेवरा पहुंच चुकी है और खदान में उतर कोयला उत्पादन कर रही है। इसके साथ ही आऊटसोर्सिंग के माध्यम से कोयला उत्पादन किया जा रहा है। इसलिए प्रबंधन को उम्मीद है कि इस वर्ष नया लक्ष्‌य हासिल करने में सफल रहेंगे।
    जिले से 80 फीसदी कोयला उत्पादन:-
    गेवरा खदान की उत्पादन क्षमता बढ़ने के साथ ही जिले से सर्वाधिक कोयला उत्पादन शुरू हो जाएगा। एसईसीएल को मिले 175 एमटी टारगेट में से जिले के खदान गेवरा, दीपका, कुसमुंडा तथा कोरबा मिलाकर लगभग 135 मिलियन टन से भी अधिक कोयला उत्पादन किया जाएगा। एसईसीएल में कोरबा जिले की 80 फीसदी भागीदारी है।
    एनटीपीसी समेत कई संयंत्रों को कोयला आपूर्ति:-
    गेवरा खदान से एनटीपीसी कोरबा संयंत्र समेत राज्य व अन्य प्रदेश में स्थित कई विद्युत संयंत्रों को कोयला आपूर्ति किया जाता है। इसके साथ ही रेलवे रैक के माध्यम से अन्य उपक्रमों को भी कोयला सप्लाई हो रहा है। प्रबंधन को उम्मीद है कि नए लक्ष्‌य के अनुरूप उत्पादन करने से विद्युत संयंत्र व अन्य उद्योगों में कोयला संकट की स्थिति निर्मित नहीं होगी।

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