3:25 आपके आचार्य कौन हैं 4:09 वेद आर्य समाज से मंगवाए हैं 4:50 गुरुओं का इतिहास पता हि नहीं है 11:20 विरजानंद जी ने वेद कहाँ से लिए यह पता नहीं है 13:25 वेद अंतिम प्रमाण हैं 15:30 विरजानंद जी के गुरु का पता नहीं 17:00 गीता पढ़ते हैं 23:50 अलंकार समाज के तर्क खत्म 25:15 दयानंद जी पर विश्वास है
@@Mr_ujwal98 ।। नारायण ।। पहली बात तो दलित शब्द शास्त्रोक्त नहीं है। दूसरी बात की, शूद्र , वर्णसंकर, म्लेच्छ आदि को मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए ये शास्त्रोक्त मर्यादा है। परम पूज्य शंकराचार्य भगवान कहते हैं की सनातन धर्म में फल चौर्य नहीं है। द्विजाति को जो फल मंदिर के अंदर जाकर दर्शन करने से मिलता है, वही फल अन्य सभी को मंदिर का शिखर देखने मात्र से मिल जाता है।
@@shreyamgupta9880 mandir pravesh na Milne se shudra Muslim, Christian ya nav bauddha ban rahe Kya yah sahi hai .. Fir isko kaise roke..jab mandir me pravesh he na mile toh kiya ismey behdbhav ki bhawana nahi aati shudro me
@Mr_ujwal98 यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी मातृशक्ति से विवाह करना चाहता है जिसके साथ विवाह होना अधर्म का द्योतक है तो क्या उसके लिए उस मात्र शक्ति के साथ उसके संबंध को बदलने को भी शास्त्र सम्मत बना दिया जाए क्योंकि यदि हमने ऐसा नहीं किया तो वह ईश्वर के विषय में किसी अन्य विचारधारा को मानने वाला बन जाएगा, आप यह कहना चाहते हैं। और इस बात का प्रमाण क्या है कि वह व्यक्ति आगे फिर कोई ऐसी अनुचित मांग नहीं करेगा आपके मत में बने रहने के लिए यह तो वही वाली बात हो गई जब मंत्री जी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में गए और वहां उनसे पूछा गया कि मंत्री जी क्या किया जाए बाढ़ का पानी खतरे के निशान के पास आने वाला तो मंत्री ने सुझाव दिया खतरे के निशान को 2 इंच और ऊंचा कर दो सारांश यह है कि धर्म के रक्षा के लिए धर्म को बदला नहीं जा सकता क्योंकि जो बदल जाए वह सनातन नहीं धर्म नहीं, हमें और आपको ऐसे लोगों तक धर्म के सही स्वरूप को पहुंचाना होगा, उन्हें बताना होगा कि यह विधि निषेध घृणा मूलक नहीं अपितु व्यवस्था मूलक है ।
@@Mr_ujwal98 नारायण ।। मंदिर प्रवेश न मिलने से नहीं अपितु धर्म में आस्थान्वित न होने के कारण , लोगों द्वारा भ्रमित कर देने पर म्लेच्छ बन जाते हैं। इसका उपाय ये है की शूद्र आदि को अपने अपने वर्णाश्रम धर्म का परंपरा प्राप्त ज्ञान उपलब्ध कराना चाहिए, और सनातन धर्म में जो व्यवस्था है की शूद्र आदि को कम श्रम में अधिक फल मिल जाता है, ये भी उन्हें बताना चाहिए
कंठी माला वाले गुरु जी सत्य एक है या अनेक। आर्य समाज कोई नवीन मत नही है जो आदि सृष्टि से वेद शास्त्र उपनिषद बाल्मीकि रामायण महाभारत श्रुति स्मृति आदि में जो सत्य है वही महर्षि दयानंद सरस्वती जी का मत है सत्य सनातन वैदिक धर्म।।
वेद कोई एक आदमी ने नही लिखे उसे अनेक ऋषि यौन अनेक वर्षो तक ध्यान साधना करके प्राप्त किया है वेद अनेक ऋषि वो की अनेक पीढी यो की साधना मेहनत की देन हैं वेद
जो आर्य समाज का अर्थ ही नहीं जानते वे कैसे आचार्य है। देश का नाम आर्य वर्त भारत श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण आर्य रामायण महाभारत में आर्य श्रीमान् जी आप हिन्दू शब्द का अर्थ बताओ। शंकराचार्यो का हमारे दिल में बहुत सम्मान है लेकिन आप के मूर्खता पूर्ण प्रश्न आपकी योग्यता का परिचय देते हैं जय सत्य सनातन वैदिक धर्म। जय जगत् गुरु महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
आर्यसमाज की स्थापना हिंदूधर्म की रक्षा और विधर्मियों अर्थात् ईसाई इस्लाम पर प्रतिक्रिया के लिए हुई थी। परन्तु आर्यसमाज़ी इनके केंद्रों मेँ हिन्दू लड़कियों की मज़हबियों से शादिया करा लवजिहाद करा रहे। ए मूर्ख प्रतिक्रिया की सम्पूर्ण ऊर्जा हिन्दू धर्म के खिलाफ़ लगा रहे। अरे मूर्खो तुम्हारा काम क्या उद्देश्य क्या था और तुम कर क्या रहे....?
नमस्ते जी अंकुर आर्य से डिबेट कर लीजिए उनका चैनल भी है यूट्यूब में और एक राहुल आर्य भी है उनसे भी डिबेट कर लीजिए जब डिबेट करोगे तो नोटिफिकेशन सबकोभेज देना .
मर्यादा में रहकर और समर्थ के अनुसार हम जो कर सकते हैं वह कर रहे हैं, यदि आपकी कोई विशेष मांग है अथवा हमारे कार्यों से आपत्ति है तो उसके विकल्प में जो आपको प्राप्त करना है उसके लिए परिश्रम भी आप ही करें आप क्या अपने घर पर बैठकर केवल ताली पीटने के लिए है क्या? हम आपके आदेश को मानने हेतु बाध्य नहीं है।
आर्य समाज गुरु परंपरा को पूर्ण रूप से मानता है आर्य समाज वेदों को अंतिम प्रमाण मानता है आर्य समाज वेदों को ईश्वरीय वाणी मानता है इसीलिए वेदों को श्रुति कहा गया है आर्य समाज ईश्वर को महागुरु अर्थात गुरुओं का भी गुरु मानता है वेदों में कहीं भी अवतार वाद की अवधारणा नहीं है आर्य समाज श्री रामचंद्र जी को मर्यादा वादी पुरुषोत्तम महापुरुष एवं ऐसे महान चरित्रवान व्यक्ति के रूप में मानता है जिनके कर्मों एवं चरित्र के अनुसार मनुष्य को कर्म करने चाहिए इसी प्रकार आर्य समाज श्री कृष्णा चंद्र महाराज जी को महान योगी योगेश्वर वेदों के मर्मज्ञ एवं महान नियति वन मानते हुए उनके चरित्र को महान उज्जवल निष्कलंक मानता है तथा उनके चरित्र की पूजाकरता है आर्य समाज एक ईश्वर की अवधारणा में विश्वास करता है आर्य समाज ईश्वर को सर्व शक्तिमान सर्वेश्वर सर्वज्ञ सृष्टि करता अजर अमर अभय नित्य पवित्र मानता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आर्य समाज ऋषि परंपरा अर्थात आचार्यपरंपरा को पूर्ण रूप से स्वीकार करता है मानता आर्य समाज जादू टोना भूत प्रेत डाकिनी पीछासिनी डोंग पाखंड आडंबर कब रोज करता है आर्य समाज सनातन परंपरा का पूर्ण समर्थक है जो सदैव से चला आ रहा है अर्थात जो प्रथम दिन से चला रहा है वही सनातन है स्टार के आधार पर वैदिक परंपरा अर्थात वेदों का ज्ञान ही सनातनपरंपरा है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, किसी भी विषय दो कसौटी पर चलना होगा प्रथम है ज्ञान अर्थात जानना दूसरी कसौटी है विश्वासअर्थात मानना किसी भी विषय वस्तु को जानकर मानना वैदिक परंपरा है यही वैज्ञानिक विधि है लेकिन किसी विषय वस्तु को बगैर जानकर मानना पूर्ण रूप से गलत सिद्ध होता है इस प्रकार बगैर जाने मानने से ढोंगी पाखंडी आडंबर वादी तथाकथित बाबा म***** मौलवी पादरी भोली वाले अज्ञानी व्यक्तियों से फायदा उठाते हैं एवं समाज को गलत रास्ते परले जाते हैं
magar ved rig ved 1 156 2 to yahi kaha hain ki vishnu ji is most ancient self born and he created every one no one created him vishnu ji swam bhu hain samast jagat ko prakat karne wale rig ved mein hi katha hain unhi bhagwan vishnu ne indra ki help kar vrat asur ka vadh kiya
जैसे राष्ट्पति की कोई पार्टी नहीं है ठीक इसी तरह सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत समप्रदाय महजब पथ आदि अलग से नहीं होता। सत्य सनातन वैदिक धर्म एक है असत्य झूठ पाखंड मन घडंत बेबुनियादी पथ अनेक है।।
महाभारत के समय वेदों की हस्त लिखित मूल प्रति जर्मन पहुँच गयीं थीं, वहाँ से उन्हें स्वामी दयानन्द जी भाष्य करने के लिए लेकर आये थे, 3 वेदों का भाष्य स्वामी जी ने किया, चौथे वेद का अन्य ने किया, उसके बाद उन वेदों को को जर्मन वापिस दे दिया गया
यह शब्द मुंह से निकालना ही महा पाप है महर्षि दयानन्द जी महाराज का सम्मान सारा विद्वान. एक स्वर से करते है महर्षि दयानन्द जी महाराज ने सायण उव्वट महीधर आदि की विद्वान की परम्परा का अनुसरण नही किया उन्होंने इनसे पूर्व के महर्षि यास्क की परम्परा का अनु सरण महर्षि दयानन्द जी ने किया है आर्य समाज गुरु शिष्य परम्परा को तो.मानता है पर गुरुडम को नही मानता है बृह्मा से लेकर जैमिनी मुनी पर्यन्त परम्परा को स्वामी दयानन्द जी मानते है भारत मे वेद परम्परा प्राप्त चली आ रही है जोआज भी है उनके प्रति आदर का भाव स्वामी जी ने सत्यारथ प्रकाश मे 11 वे समुल्लाश मे प्रकट किया है छान्दोग्य उपनिषद मे गुरु शिष्य को उपदेश करते हुए कहता है कि जो जो मेरा सुन्दर आचरण है उसे जीवन मे उतारो इतर को नही यह सज्जन आर्य समाजी है ही नही तो आर्य समाज का पक्ष नही रख पाये वैसे यह चर्चा उपयोगी है ऐसी चर्चा होनी चाहिए आर्य समाज और सनातनी एक ही है अलग नही मिल कर रहो चर्चा करते रहो वह भी लडने के लिए नही ग्यान बृदधि के लिए न कि वैर बिरोध बढाने के लिए परमात्मा सबको सद्बुद्धि दे
दोनों मिले हुए है दोनों आंखों के बीच में माथे तक पतला तिलक कौन आर्य समाजी लगाता है और इसको वेद ब्रह्मा से नही चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य,और अंगिरा ऋषि से ब्रह्मा को मिला और सुरुति परम्परा से हम तक आया।
वेदों अखिलो धर्म मूलम्, वेदों का भाष्य सायण,महीथर,उद्भट्ट रावण आदि आचार्यों ने किया जो कि मात्र शाब्दिक अर्थ था जो प्रकरण के अनुरूप नहीं था न ही विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता था। ऋषि दयानंद ने व्याकरण निरूक्त आदि आर्षग्रन्थों गहनता से अध्ययन किया और समाधि में मंत्रों का साक्षात्कार कर सटीक अर्थ किया।
@@HarendraSingh-k6mविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है विज्ञ अर्थात ज्ञात ज्ञान, अज्ञात ज्ञान भी बहुत बाक़ि है,वेद ही विज्ञान है और विज्ञान ही वेद है व्याकरण की रीति से दोनो मैं जहां भेद दिखायी दे वह भाष्यकार की त्रुटी हो सकती है और कुछ नहीं
@@BALIDAN3305 1883 में पहली बार वैज्ञानिक शब्द का प्रयोग किया गया. आज भारत सरकार ने जिन 156 दवाइयों को जीवन के लिए ख़तरनाक बता कर प्रतिबंधित किया है उन दवाइयों को कभी जीवन रक्षा के लिए सहायक बता कर बाजार में उतारा गया था. ये है विज्ञान. विज्ञान का मतलब है -विनाश के लिए विशिष्ट ज्ञान. अपने खाने -पिने की चीजों से लेकर रशिया, इसराइल के युद्ध तक देखें और विचार करें.
तुम गँवारों को कौन समझाएँ। आचार्य सायण एक प्रकांड विद्वान थे तेरे दयानंद जैसे मूर्ख नहीं। निरुक्त की बात ही मत करो। उदाहरण भी देता हूँ - ऋग्वेद के पहले सूक्त में ही अग्नि देव की स्तुति है। उसमें दयानंन लिखा है कि यह भौतिक अग्नि नहीं है जबकी निरुक्त में बिलकुल स्पष्ट लिखा है कि वह भौतिक अग्नि अर्थात् आग की ही बात है। तुम लोगों को अब कौन कितना समझाएँ।
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है। Sant Rampal Ji Maharaj ji ke bhakto se debade me bhagvan ko nirakar bata rahe the Vedo ko kholo bhai अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि || यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
@devoteeofkrishna356 iskcon केवल एक संप्रदाय है जिसका मुख्य काम विधर्मियो को convert करना है चाहे कैसे भी तरीके से करो परन्तु धर्म की सीमा में वह गौड़िया संप्रदाय से ही निकला है जो चैतन्य महाप्रभु से निकला है
जब मनु महाराज,श्रीराम, श्रीकृष्ण और उनके वंशज सभी आर्य ही थे, तो महर्षि दयानंद को वेद आर्य वंशज विद्वानों से ही प्राप्त हुए थे, न कि आप लोगों से ! गुरु विरजानंद जी के पास भी वेद थे ! अब पृश्न यह उठता है कि जब सभी ऋषि मुनि, श्रीराम, कृष्ण, हनुमान और उनके वंशज आर्य ही थे तो, पौराणिक वर्ग ने वेद कहां से प्राप्त किए !
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
ये कैसा प्रश्न है,वेद कहां से पाएं क्या ग्रंथ आसमान से टपकते हैं ?क्या उसको पढ़ने वाले लोग नहीं थे ?यह आर्य समाजी अल्प ज्ञानी लगता है,उसे उलझाया जा रहा है। विश्व गुरु जो गुरुओं का गुरु है वह ईश्वर है जिसके द्वारा दिया गया ज्ञान वेद के रूप में है।
चलो चलो इतना तो आप सबको पता चला कम से कम गीत धन हो मेरे सतगुरु सतगुरु रामपाल जी भगवान जो गीता खोल खोल के आप देख रहे हो दिख रहे हो जनता यह मेरे गुरुदेव की
Shivji ke avatar adishankracharya ji ne praboadh sudhakar Verde242 mein likha bhagwan shree Krishna ne bramha ji ko anant universes ke anant bramha vishnu mahesh etc dikhaya shivji jin bhagwan shree Krishna ke charno ko apne mastak pe dharan karte hain govindasthkam mein unhone likha bhagwan shree Krishna ka koi swami ishwar nahi hain wo param swatantra hain sarvocch prabhu hain samjha
Adishankracharya ji jo swam shivji ke avatar hain ne Geeta mahatmya mein likha bhagwan shree Krishna roopi Gwala arjun roopi bachde ko Geeta qyaan ka doodh pila rahe hain samast sansar ke ek bhagwan shree Krishna ek Granth Geeta ek mantra hare Krishna aur ek shree Krishna bhakti se hi samast sansar ka kalyan hoga shree Krishna ne Geeta mein kaha mein anadi ajanma hoon mera janam karam sab divya hain mujhse upar koi nahi hain magar murkh loag mujhe apne jaisa sadharan insan samajhte hain janam maran wala samjha murkh proofed shree Krishna ne hi Geeta sunai
नमन शंकराचार्य जी को।🙏 यति महाराज जी को नमन। 🙏🏽 #रामागौ #राष्ट्रमाता_गौमाता #गौ_गठबंधन #Save_Gaumata #FreeTemples शिवमयी शुभदिवस #JoinEkam👇वोट 4 एकम (बांसुरी) #एकम_सनातन_भारत_दल #ekam4sanatan ओम हर हर महादेव जय माँ 🙏🏽🔱🚩💐
😮 गुरु घंटाल बन गया कुछ पता नहीं तुम को। महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज ने वेदों को पुनः इक्कठा किया है जो लुप्त हो गये थे। वेद एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष पहले लिखे गए।
क्या आपके वेद अलग है? आप भी तो स्वामी दयानंद सरस्वती कृत वेदों में जो मन्त्र है उनको पड़कर अर्थ बताते है। वो भी आपके गुरु के अनुसार आपके कोन से गुरु ने आपको कोन से वेद दिये है जरा बताने का कष्ट करेंगे कृपया
सबसे पहले तो इस बात का स्पष्टीकरण कीजिए कि इन्सान कुछ भी कपोल कल्पना से ईश्वर को जन्म मरण में बांध लें,जिसको जैसा सूझे वैसे ही ईश्वर की रचना कर लें, कोई मिट्टी का बना ले, कोई लकड़ी का ईश्वर बना ले, कोई लोहा -पीतल -ताम्बा -चान्दी -सोना -कांच या प्लास्टिक का ईश्वर बना लेवे ऐसा जिस वेद में लिखा है ,ऐसे वेद आप लोगों ने कहां से प्राप्त किए
परंपरा से प्राप्त किया हुआ ज्ञान ब्रह्म ज्ञान है माला धारण करने से कोई भी विद्वान नहीं हो जाता। आप लोगों ने किसी को भी पढ़ने नहीं दिया और आज परंपरा का रहे हो थोड़ा इतिहास को उठाकर के पढ़ ले फिर पता चल जाएगा। परंपरा चलने पर होती है शिव परंपरा वैष्णवी परंपरा रामानंद परंपरा। ऐसे ही ऐसे हरामियों ने देश का बड़ा घर कर दिया है परंपरा से ज्ञान मांग रहे हो पहले देते किसी को नहीं थे पढ़ने का अधिकार ही नहीं था ओ परंपरा कहां से आएगी। इस बच्चे को छोड़कर के किसी आर्य विद्वान से बात कर पता चल जाएगा समाज क्या है
शंकरचार्य जी ke Avtar batao ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 ki lila kis bhagvan ne ki परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
भगवान से बड़ा गुरु कोई नहीं,वेद से बड़ा गुरु कोई नहीं। कोई भी मानव गायत्री मंत्र पढ़ सकता है । ईश्वर को गुरु मानकर। शांति कुंज के आचार्य विश्वकर्मा कुलभूषण पंडित आचार्य श्रीराम शर्मा के करोड़ों अनुयायी हैं , जो गायत्री मंत्र का जाप करते हैं । अतः ऐसे पोंगा पंडितों के चक्कर में न पड़ें, स्वकल्याण के लिये गायत्री मंत्र पढ़ें,
Ye sankrachaye ji ke avtar bolte h ki bhagvan nirakar h पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
बहुत सुंदर। मेरा भी एक आर्य समाजी से इसी तरह बहस हुई थी। बेचारा चुप हो गया सर्द दो प्रश्नों से ही निरुत्तर हो गया। वो मूर्ति पूजा के विरोध बोल रहा था को पत्थर की मूर्ति में भगवान नही है। मैने सिर्फ दो प्रश्न किए। एक की ईश्वर सर्व शक्ति शक्तिमान है या नही और दूसरा की ईश्वर सर्व व्यापक है या नही । उसने हा है। फिर मैंने जब ईश्वर सर्व व्यापक है तो फिर मूर्ति में भी ईश्वर है
ईश्वर सर्व व्यापक है कण, कण मे भगवान का बास है आपमे भी है और मुझमे भी ईश्वर है मूर्ति में भी है लेकिन ये कैसे कह सकते हैं कि आपके अंदर भगवान है तो आप भी भगवान हो जायेगे, ऐसे मूर्ति के अंदर भगवान है तो क्या मूर्ति को भगवान मान लेगे -ये कैसा system है ये तो फिर अंधविश्वास हुआ
अपने बुद्धि विवेक से उस परम पिता परमात्मा को सही सही जानो और उसी की पूजा आराधना करो , आंखों से दिखने वाली कोई भी चीज ईश्वर नहीं है , जो भी वस्तुएं इन बाहरी आंखों के कॉन्टैक्ट में आती है वह सभी प्रकृति तत्व है अब उसी को ईश्वर मान कर पूजना, क्योंकि हमारे अंदर काबिलियत नहीं है उस सर्व शक्तिमान तक पहुंचने की , यह मूर्खता है । उस तक पहुंचने का प्रयास इसी मनुष्य जन्म में किया जा सकता है , यह जन्म इसी लिए मिला है 🔥🕉️🔥
@shivjatanyadav5974 ईश्वर कण कण मैं हैं इसका अर्थ है यदि इस दुनिया में जो भी कुछ वस्तु स्थिति है वह ईश्वर है अर्थात दुनिया की हर वस्तु स्थिति का नाम ईश्वर का ही नाम है तो फिर आपके अनुसार ईश्वर का ध्यान करने के लिए केवल प्रणव क्यों?
संस्कृत के किसी भी गृंथ का हिंदी शाब्दिक अनुवाद होना चाहिए, होता यह है कि भाष्यकार अनुवाद में अपने मत को ध्यान में रखकर अनुवाद करते हैं, इस लिए अर्थ ही बदल जाते हैं
और आप यह बात कर रहे हैं। उस भाई की विरजानंन्द जी अवतार को मानते थे या नहीं यह कौन सी बात हुई आप मानते हो अच्छी बात है। दुसरा नहीं मानता क्या दिक्कत वो महापुरुष मानता है। और अवतार वाद तो वेद और प्रकृति दोनों के नियमों के विरुद्ध है। इत्ती सी बात आप जैसे लोग नहीं समझते खाली में इधर उधर लडाई फैलाये हो हम दलितों से सबसे ज्यादा भेदभाव तुम परंपरावादी लोगों ने वर्ण के जन्म से पाखंड ने किया है।
अवतार वाद वेद और प्रकृति विरुद्द हैं तो आपने अपने चैनल पर राम प्राणप्रतिष्टा, हनुमान जी की फोटो क्यों लगाई ये तो सत्यायर्थप्रकास आपके दयानंद जी के विरुध हुआ ना पर विडियों क्यों बनाई दम था तो आप इस बात का विरोध करते भाई ..................दलित बनने का झुठा काडं खेल दो अच्छी नौटंकी बाज हो भाई आप @Realintention
❤ We expect discussion on Unbelievable mysterious powerful Spiritual Path , experiences and unexpected Physical -mental-spiritual changes in human body . Kundalini Yoga ' Ramlal ji Siyag siddhayoga ' Aatmanubhuti hi shradha , vishwas , Bhakti ka mul aadhar hai aur sarvashreshta praman hai . UA-cam channel - Our experiences with Guru Siyag Yoga . Towards the Truth . 😊
उत्तर देने वाले सज्जन को उक्त जानकारी नहीं है। आर्य समाज की चर्चा में जान समझ कर महत्वहीन बताया जाना अज्ञानी व्यक्ति के साथ षडयंत्र रचा गया है। निन्दा योग्य है।
हाॅं। क्योंकि आर्य समाजी बिना सिर पैर की बहस करते जाते हैं और इतने ढीठ होते हैं कि अज्ञानी होते हुए भी विवाद करते ही जाते हैं। इसलिए समझदार व्यक्ति ऐसे निर्लज्जों के आगे चुप ही हो जाता है कुछ समय के बाद।
@@somjoshi3691 ऐसे लोगों से क्या debate करें जो पुराणों को प्रमाण ही नहीं मानते? मैं जिस ग्रंथ से भी प्रमाण दूॅंगा उसे नकली या मिलावटी बता दोगे। ये तो वही बात हुई जैसे कोई बच्चा गली में क्रिकेट खेल रहा हो और out हो जाए तो के देता है कि मेरा bat है, मैं अपना bat लेकर घर जा रहा हूॅं। बहुत समय नष्ट किया है मैंने अपना आर्य समाजियों से debate करके। आर्य समाजियों से debate करना मतलब अपना समय नष्ट करना। इतने ढीट और निर्लज्ज होते हैं कि जो भी ग्रंथ या शास्त्र उनके मत के अनुसार ना हो उसे नकली बताने लगते हैं। Debate करना आता ही नहीं है आर्य समाजियों को। हाँ कुतर्क भरपूर कर लेते हैं।
मैं अपमान करने की ध्रष्टता नहीं कह रहा हूं मैं बस इतना कह रहा जब हमारे परम पूज्य शंकराचार्य जी नागलोक के वासी हैं। वह विप्लव ला सकते थे, लेकिन हमारे भगवान शिव के मंदिर टूटे हजारों गाय माता मरी हमारी माताओं ने जौहर किया लेकिन वो प्रकृति विरुद्ध विप्लव वाली शक्ति कहाँ गई है। उत्तर आपके पास 😊
शाब्दिक ज्ञान की अधिकता होने पर अर्थ को अपने अनुसार किया जा सकता है लेकिन गुरु परंपरा में ऐसा नहीं होता जो गुरु के द्वारा निश्चित होता है वही सत्य होता है
3:25 आपके आचार्य कौन हैं
4:09 वेद आर्य समाज से मंगवाए हैं
4:50 गुरुओं का इतिहास पता हि नहीं है
11:20 विरजानंद जी ने वेद कहाँ से लिए यह पता नहीं है
13:25 वेद अंतिम प्रमाण हैं
15:30 विरजानंद जी के गुरु का पता नहीं
17:00 गीता पढ़ते हैं
23:50 अलंकार समाज के तर्क खत्म
25:15 दयानंद जी पर विश्वास है
Kya parmaravadi acharya dalito ka mandir pravesh ka samrthan karte hai ya nahi... Iss per Prakash daliye? Ya yaha comment me reply kr utter dijiye
@@Mr_ujwal98 ।। नारायण ।। पहली बात तो दलित शब्द शास्त्रोक्त नहीं है। दूसरी बात की, शूद्र , वर्णसंकर, म्लेच्छ आदि को मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए ये शास्त्रोक्त मर्यादा है। परम पूज्य शंकराचार्य भगवान कहते हैं की सनातन धर्म में फल चौर्य नहीं है। द्विजाति को जो फल मंदिर के अंदर जाकर दर्शन करने से मिलता है, वही फल अन्य सभी को मंदिर का शिखर देखने मात्र से मिल जाता है।
@@shreyamgupta9880 mandir pravesh na Milne se shudra Muslim, Christian ya nav bauddha ban rahe Kya yah sahi hai .. Fir isko kaise roke..jab mandir me pravesh he na mile toh kiya ismey behdbhav ki bhawana nahi aati shudro me
@Mr_ujwal98 यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी मातृशक्ति से विवाह करना चाहता है जिसके साथ विवाह होना अधर्म का द्योतक है तो क्या उसके लिए उस मात्र शक्ति के साथ उसके संबंध को बदलने को भी शास्त्र सम्मत बना दिया जाए क्योंकि यदि हमने ऐसा नहीं किया तो वह ईश्वर के विषय में किसी अन्य विचारधारा को मानने वाला बन जाएगा, आप यह कहना चाहते हैं।
और इस बात का प्रमाण क्या है कि वह व्यक्ति आगे फिर कोई ऐसी अनुचित मांग नहीं करेगा आपके मत में बने रहने के लिए
यह तो वही वाली बात हो गई जब मंत्री जी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में गए और वहां उनसे पूछा गया कि मंत्री जी क्या किया जाए बाढ़ का पानी खतरे के निशान के पास आने वाला तो मंत्री ने सुझाव दिया खतरे के निशान को 2 इंच और ऊंचा कर दो
सारांश यह है कि धर्म के रक्षा के लिए धर्म को बदला नहीं जा सकता क्योंकि जो बदल जाए वह सनातन नहीं धर्म नहीं, हमें और आपको ऐसे लोगों तक धर्म के सही स्वरूप को पहुंचाना होगा, उन्हें बताना होगा कि यह विधि निषेध घृणा मूलक नहीं अपितु व्यवस्था मूलक है ।
@@Mr_ujwal98 नारायण ।। मंदिर प्रवेश न मिलने से नहीं अपितु धर्म में आस्थान्वित न होने के कारण , लोगों द्वारा भ्रमित कर देने पर म्लेच्छ बन जाते हैं। इसका उपाय ये है की शूद्र आदि को अपने अपने वर्णाश्रम धर्म का परंपरा प्राप्त ज्ञान उपलब्ध कराना चाहिए, और सनातन धर्म में जो व्यवस्था है की शूद्र आदि को कम श्रम में अधिक फल मिल जाता है, ये भी उन्हें बताना चाहिए
कंठी माला वाले गुरु जी सत्य एक है या अनेक। आर्य समाज कोई नवीन मत नही है जो आदि सृष्टि से वेद शास्त्र उपनिषद बाल्मीकि रामायण महाभारत श्रुति स्मृति आदि में जो सत्य है वही महर्षि दयानंद सरस्वती जी का मत है सत्य सनातन वैदिक धर्म।।
Arya samaj gaali sikhata hai
Swami karpatrijee nebhee ved bhasya Kiya hai
आर्यसमाज कंठी माला तिलक को पाखंड कहता है ,किसी आर्यसमाजी ये सब पहनता नहीं।😂😂😂
वेद कोई एक आदमी ने नही लिखे उसे अनेक ऋषि यौन अनेक वर्षो तक ध्यान साधना करके प्राप्त किया है वेद अनेक ऋषि वो की अनेक पीढी यो की साधना मेहनत की देन हैं वेद
एकलव्य जैसे गुरु का प्रतिमा बनाकर के ज्ञान लिए उस प्रतिमा को ये लोग गुरु नहीं मानते है । उसे ज्ञान को ये लोग स्वेम भू ज्ञान मान कर चलते हैं ।
प्रिंट रूप में वेद स्वामी जी ने जर्मन से मंगवाए और इनको भारत में परंपरा से वेद पाठी परिवारों के पाठों से मिला कर उपयोग में लाए।
जो आर्य समाज का अर्थ ही नहीं जानते वे कैसे आचार्य है। देश का नाम आर्य वर्त भारत श्रीरामचंद्र और योगेश्वर श्रीकृष्ण आर्य रामायण महाभारत में आर्य श्रीमान् जी आप हिन्दू शब्द का अर्थ बताओ। शंकराचार्यो का हमारे दिल में बहुत सम्मान है लेकिन आप के मूर्खता पूर्ण प्रश्न आपकी योग्यता का परिचय देते हैं जय सत्य सनातन वैदिक धर्म। जय जगत् गुरु महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
आर्यसमाज की स्थापना हिंदूधर्म की रक्षा और विधर्मियों अर्थात् ईसाई इस्लाम पर प्रतिक्रिया के लिए हुई थी। परन्तु आर्यसमाज़ी इनके केंद्रों मेँ हिन्दू लड़कियों की मज़हबियों से शादिया करा लवजिहाद करा रहे। ए मूर्ख प्रतिक्रिया की सम्पूर्ण ऊर्जा हिन्दू धर्म के खिलाफ़ लगा रहे।
अरे मूर्खो तुम्हारा काम क्या उद्देश्य क्या था और तुम कर क्या रहे....?
Haridev Sharma: तो भाई शर्मा तू जवाब तो दे पहले की दयानंद तो वेदज्ञ था फिर वेश्याओं की चूत चाटने में उसे कौन सा रस प्राप्त होता था 😂😂😂😂😂
@@HaridevSharma-rc1jv आर्य समाज।का अर्थ है मैक्समूलर का गुंडा
नमस्ते जी अंकुर आर्य से डिबेट कर लीजिए उनका चैनल भी है यूट्यूब में
और एक राहुल आर्य भी है उनसे भी डिबेट कर लीजिए
जब डिबेट करोगे तो नोटिफिकेशन सबकोभेज देना .
जिसके साथ भी आप चर्चा देखना चाहते हैं उन्हें इस नंबर पर व्हाट्सएप करने को कहें
7408301869
@@Ahvaan मान्यवर हम तो आपकी ही चर्चा देखना चाहते हैं इसकी व्यवस्था तो आप ही कर सकते हैं.
एक बार उनके चैनलों में जाइए और उनको चुनौती दे दीजिए .
मर्यादा में रहकर और समर्थ के अनुसार हम जो कर सकते हैं वह कर रहे हैं, यदि आपकी कोई विशेष मांग है अथवा हमारे कार्यों से आपत्ति है तो उसके विकल्प में जो आपको प्राप्त करना है उसके लिए परिश्रम भी आप ही करें आप क्या अपने घर पर बैठकर केवल ताली पीटने के लिए है क्या? हम आपके आदेश को मानने हेतु बाध्य नहीं है।
Mene ankur ki manu smriti padi hai mgr samjh se bahar hai
स्कूल में भी चालू करवाया जाय जो हमारे सनातन धर्म का ज्ञान हो
पंडितों ने अर्थ अपने फायदे के लिए किया है
महर्षि दयानन्द का वेद भाष्य सबसे अच्छा।
वेद यहीं थे और यही से लिए।
Jagadguru Bhagawan nishchalanand saraswati ji maharaj ki jay 🙏
हर हिंदु सेना हो हर हिंदु सनातनी हो🚩
इनके पास तर्क है ही नही एक ही बात पर घूमा रहा है। 😂😂😂 Typical आर्य समाजी
दयानन्द ने ब्रह्मा से लेकर महर्षि जैमिनी तक की परम्परा को वैदिक परम्परा कहा और यही दयानन्द की परम्परा है।
परम्परावादी बनो गुरु से ही ज्ञान ले 🙏 सीता राम 🙏
Asaram Rampal Ram Rahim hindu dharm Guru the inse Gyan lena
आर्य समाज गुरु परंपरा को पूर्ण रूप से मानता है
आर्य समाज वेदों को अंतिम प्रमाण मानता है
आर्य समाज वेदों को ईश्वरीय वाणी मानता है इसीलिए वेदों को श्रुति कहा गया है
आर्य समाज ईश्वर को महागुरु अर्थात गुरुओं का भी गुरु मानता है
वेदों में कहीं भी अवतार वाद की अवधारणा नहीं है
आर्य समाज श्री रामचंद्र जी को मर्यादा वादी पुरुषोत्तम महापुरुष एवं ऐसे महान चरित्रवान व्यक्ति के रूप में मानता है जिनके कर्मों एवं चरित्र के अनुसार मनुष्य को कर्म करने चाहिए
इसी प्रकार आर्य समाज श्री कृष्णा चंद्र महाराज जी को महान योगी योगेश्वर वेदों के मर्मज्ञ एवं महान नियति वन मानते हुए उनके चरित्र को महान उज्जवल निष्कलंक मानता है तथा उनके चरित्र की पूजाकरता है
आर्य समाज एक ईश्वर की अवधारणा में विश्वास करता है
आर्य समाज ईश्वर को सर्व शक्तिमान सर्वेश्वर सर्वज्ञ सृष्टि करता अजर अमर अभय नित्य पवित्र मानता है
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आर्य समाज ऋषि परंपरा अर्थात आचार्यपरंपरा को पूर्ण रूप से स्वीकार करता है मानता
आर्य समाज जादू टोना भूत प्रेत डाकिनी पीछासिनी डोंग पाखंड आडंबर कब रोज करता है
आर्य समाज सनातन परंपरा का पूर्ण समर्थक है जो सदैव से चला आ रहा है अर्थात जो प्रथम दिन से चला रहा है वही सनातन है स्टार के आधार पर वैदिक परंपरा अर्थात वेदों का ज्ञान ही सनातनपरंपरा है
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किसी भी विषय दो कसौटी पर चलना होगा प्रथम है ज्ञान अर्थात जानना दूसरी कसौटी है विश्वासअर्थात मानना
किसी भी विषय वस्तु को जानकर मानना वैदिक परंपरा है यही वैज्ञानिक विधि है
लेकिन किसी विषय वस्तु को बगैर जानकर मानना पूर्ण रूप से गलत सिद्ध होता है इस प्रकार बगैर जाने मानने से ढोंगी पाखंडी आडंबर वादी तथाकथित बाबा म***** मौलवी पादरी भोली वाले अज्ञानी व्यक्तियों से फायदा उठाते हैं एवं समाज को गलत रास्ते परले जाते हैं
Kya Arya samaj ne Atharvaved nahi padha kya😂
दयानंद के बारे में उल्टा बोलना अच्छा नहीं देश आजादी में उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती।
Sankaracharya se lekar aadi sristi tak guru prampara bataiye? Kya sankaracharya aadi sristi me paida huwa tha?
Abhe nirbufhi tha nahi the bol@@RamkishnaMehta
दयानन्द एक सबसे अज्ञानी था
गुंडा आर्य समाज ही वह तेरा मसीहा तो अंग्रेजों ने ही खड़ा किया था
वो अंग्रेज का चेला था। उसके योगदान को तुम लोग बढ़ा चढ़ा के बोलते हो।
विरिजानन्द ने जो कुछ पढ़ाया दयानन्द को, दयानन्द ने वही प्रचारित किया।
वेद ही अन्तिम प्रमाण है।
magar ved rig ved 1 156 2 to yahi kaha hain ki vishnu ji is most ancient self born and he created every one no one created him vishnu ji swam bhu hain samast jagat ko prakat karne wale rig ved mein hi katha hain unhi bhagwan vishnu ne indra ki help kar vrat asur ka vadh kiya
जैसे राष्ट्पति की कोई पार्टी नहीं है ठीक इसी तरह सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत समप्रदाय महजब पथ आदि अलग से नहीं होता। सत्य सनातन वैदिक धर्म एक है असत्य झूठ पाखंड मन घडंत बेबुनियादी पथ अनेक है।।
महाभारत के समय वेदों की हस्त लिखित मूल प्रति जर्मन पहुँच गयीं थीं, वहाँ से उन्हें स्वामी दयानन्द जी भाष्य करने के लिए लेकर आये थे, 3 वेदों का भाष्य स्वामी जी ने किया, चौथे वेद का अन्य ने किया, उसके बाद उन वेदों को को जर्मन वापिस दे दिया गया
हमारा धर्म का सेर उतर गया है मैदान में गुरु जी आगे बढ़ ते रहो जय श्री राम जय श्री राधे
Jai mahadev 🙏🕉️🙏 Jai Shri ram 🙏🕉️🙏
हम सभी प्रेम से बोलो राम कृष्ण हरी नारायण
ईश्वर ने मनुष्यो को वेददिए ,
संतराचार्य को सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं
Har Har Mahadav ❤
जहां से शंकराचार्य जी को मिले वही से दयानंद को भी मिले।
Dayananda angarejon ka agent aur fraud tha.
दयानंद तो पागल था
@@truthteller-b9yऔर तुम पागलों के अध्यक्ष😅
तुम्हारी पूजा पाठ समान की दुकान होगी 100%@@truthteller-b9y
यह शब्द मुंह से निकालना ही महा पाप है महर्षि दयानन्द जी महाराज का सम्मान सारा विद्वान. एक स्वर से करते है महर्षि दयानन्द जी महाराज ने सायण उव्वट महीधर आदि की विद्वान की परम्परा का अनुसरण नही किया उन्होंने इनसे पूर्व के महर्षि यास्क की परम्परा का अनु सरण महर्षि दयानन्द जी ने किया है आर्य समाज गुरु शिष्य परम्परा को तो.मानता है पर गुरुडम को नही मानता है बृह्मा से लेकर जैमिनी मुनी पर्यन्त परम्परा को स्वामी दयानन्द जी मानते है भारत मे वेद परम्परा प्राप्त चली आ रही है जोआज भी है उनके प्रति आदर का भाव स्वामी जी ने सत्यारथ प्रकाश मे 11 वे समुल्लाश मे प्रकट किया है छान्दोग्य उपनिषद मे गुरु शिष्य को उपदेश करते हुए कहता है कि जो जो मेरा सुन्दर आचरण है उसे जीवन मे उतारो इतर को नही यह सज्जन आर्य समाजी है ही नही तो आर्य समाज का पक्ष नही रख पाये वैसे यह चर्चा उपयोगी है ऐसी चर्चा होनी चाहिए आर्य समाज और सनातनी एक ही है अलग नही मिल कर रहो चर्चा करते रहो वह भी लडने के लिए नही ग्यान बृदधि के लिए न कि वैर बिरोध बढाने के लिए परमात्मा सबको सद्बुद्धि दे
4:54 आर्यसमाजियों को ये नहीं पता.......... वेद कहां से प्राप्त हुए ये तक नहीं पता और बात करते हैं बड़ी बड़ी
दोनों मिले हुए है दोनों आंखों के बीच में माथे तक पतला तिलक कौन आर्य समाजी लगाता है और इसको वेद ब्रह्मा से नही चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य,और अंगिरा ऋषि से ब्रह्मा को मिला और सुरुति परम्परा से हम तक आया।
Ye dono pagal hai .
🙏 जय श्री राम 🙏प्रभु जी
महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने जो वेद मंत्रों का अर्थ किया है वह निरूक्त और वैदिक व्याकरण के आधार पर किया है इसलिए उनका भाष्य सबसे प्रामाणिक हैं।ओ३म्🕉️🚩🔥
bilkul nahi kiya hai khud gautam dharm shastra me bali pratha aur jati pratha hai aur tum log to kabhi khud ke granth to padhte nhi
kalp vedanga me gautam dharma sutra aur jaimini sutra bhi padh lo tumhe dayanand ki sacchai pata chalegi
@@internationalgamerguy aap kis Gautam ki bat kar rahe ho?
Murkhta bat mat kariye @@internationalgamerguy
वैदिक व्याकरण के आधार कहां से मिले
मैं पूछना चाहता हूं 😂की तुम्हरे पिता के 28 वा पिता कौन है अगर ये बता देते हो तो मैं मान😂 जाऊंगा
ऋषि दयानंद जी ने हर शास्त्रार्थ जीता !
@@ajaysehgal7408 jhhoth
Joke of the day 😂
Kisse jita aur kb...
हाँ हाँ भाई ये ही दोहराते रहो। आज जैसे तुम लोग हर शास्त्रार्थ हार जाते हो वैसे ही दयानंद ने भी हारा है।
आचार्य जी अज्ञानी को ज्ञान देना व्यर्थ है।
जय सनातन संस्कृति
Arya samaj amar rahe
Har har mahadev ❤
लाइव आ जाइए बता देंगे
@Rahuljaykar58262bhasa ki garima banaye rakhe shiv ji ka apman na kare.
Shiv apman karnewale murkh hote he
#रामचरितमानस_का_अनसुनासच
📚📚📚🖋️🖋️🖋️🖋️📚📚📚
सनातन हितैषी vs सनातन विरोधी
Sankarm sankracharyam keshavm badraynam
, हम, सब ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र हिन्दू मेरा राष्ट्र आर्य वर्त भारत अपभ्रंश नाम हिन्दू स्थान इण्डिया।। मेरा गुरु माता पिता आचार्य वेद भगवान्।।
ऋषियों की लिखी हुई पुस्तक ही हमारे लिए वेद है और गुरु भी है
वेदों अखिलो धर्म मूलम्, वेदों का भाष्य सायण,महीथर,उद्भट्ट रावण आदि आचार्यों ने किया जो कि मात्र शाब्दिक अर्थ था जो प्रकरण के अनुरूप नहीं था न ही विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता था। ऋषि दयानंद ने व्याकरण निरूक्त आदि आर्षग्रन्थों गहनता से अध्ययन किया और समाधि में मंत्रों का साक्षात्कार कर सटीक अर्थ किया।
पहले विज्ञान पैदा हुआ या वेद? विज्ञानं को वेदों की कसौटी पर परखने की जरुरत है न कि वेद को विज्ञान की.
@@HarendraSingh-k6mविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है विज्ञ अर्थात ज्ञात ज्ञान, अज्ञात ज्ञान भी बहुत बाक़ि है,वेद ही विज्ञान है और विज्ञान ही वेद है व्याकरण की रीति से दोनो मैं जहां भेद दिखायी दे वह भाष्यकार की त्रुटी हो सकती है और कुछ नहीं
@@BALIDAN3305 1883 में पहली बार वैज्ञानिक शब्द का प्रयोग किया गया. आज भारत सरकार ने जिन 156 दवाइयों को जीवन के लिए ख़तरनाक बता कर प्रतिबंधित किया है उन दवाइयों को कभी जीवन रक्षा के लिए सहायक बता कर बाजार में उतारा गया था. ये है विज्ञान. विज्ञान का मतलब है -विनाश के लिए विशिष्ट ज्ञान. अपने खाने -पिने की चीजों से लेकर रशिया, इसराइल के युद्ध तक देखें और विचार करें.
Galat baat
तुम गँवारों को कौन समझाएँ। आचार्य सायण एक प्रकांड विद्वान थे तेरे दयानंद जैसे मूर्ख नहीं। निरुक्त की बात ही मत करो। उदाहरण भी देता हूँ - ऋग्वेद के पहले सूक्त में ही अग्नि देव की स्तुति है। उसमें दयानंन लिखा है कि यह भौतिक अग्नि नहीं है जबकी निरुक्त में बिलकुल स्पष्ट लिखा है कि वह भौतिक अग्नि अर्थात् आग की ही बात है। तुम लोगों को अब कौन कितना समझाएँ।
परमेश्वरने अपना प्रेम ईस प्रकार पर्कट किया हम सब पापि होते हि येशु खिृष्ट हमारे लिय मरा। रोमि 5का8 बाईबल
परम्परा सही है या गलत इसका निश्चय कौन करेगा
ईशद्रोही आर्यसमाज अवैध
स्कूल शिक्षा में कोनसे आचार्य है जी पंडित जी
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है।
Sant Rampal Ji Maharaj ji ke bhakto se debade me bhagvan ko nirakar bata rahe the
Vedo ko kholo bhai
अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि ||
यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
पौराणिक समाज से भेद मिले फिर उनकी समीक्षा की गई जिसमें उन में मिलावट पाई गई फिर उनका शुद्धिकरण कियागया अर्थ शुद्ध किया गया
दयानन्द जी नें वेद मंत्र "ईस्ट इंडिया कंपनी से लिए " 🤭
@devoteeofkrishna356aap iskconi h kya ?
😂😂
@devoteeofkrishna356 iskcon केवल एक संप्रदाय है जिसका मुख्य काम विधर्मियो को convert करना है चाहे कैसे भी तरीके से करो परन्तु धर्म की सीमा में वह गौड़िया संप्रदाय से ही निकला है जो चैतन्य महाप्रभु से निकला है
@devoteeofkrishna356 agar कृष्ण और अल्लाह को एक बता कर उनलोगो को हिन्दू बनाया जा रहा है तो गलत क्या है इससे हमारे विरोधी कम ही हो रहे है
@devoteeofkrishna356 श्री कृष्ण नें स्वयं कहा है धर्म की रक्षा कें लिए कहा गया झूठ भी धर्म ही होता है
आर्य समाज से शास्त्रार्थ कर लो , सच का पता चल जाएगा ।
मुझे तो आर्यसमाजी सातवळेकर द्वारा लिखित वेदों का भाषांतर अच्छा लगता है।
जिसको जितना ज्ञान है वही देकर जाएगा खुद को पता नहीं दूसरे की मन्ते नहीं अंधा व्यक्ति दूसरे को क्या रास्ता दिखाएगा खुद को नहीं दिखता
कंठी माला वाले गुरु जी क्या आप काकभुशुण्डि को राम चरित्र मानस का आचार्य मानते हैं। जय हो काकभुशुण्डि जी महाराज की
।।
जब मनु महाराज,श्रीराम, श्रीकृष्ण और उनके वंशज सभी आर्य ही थे, तो महर्षि दयानंद को वेद आर्य वंशज विद्वानों से ही प्राप्त हुए थे, न कि आप लोगों से ! गुरु विरजानंद जी के पास भी वेद थे ! अब पृश्न यह उठता है कि जब सभी ऋषि मुनि, श्रीराम, कृष्ण, हनुमान और उनके वंशज आर्य ही थे तो, पौराणिक वर्ग ने वेद कहां से प्राप्त किए !
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
Apki kitab kahan se Apki guru parampara kya hai
Rampal ki kitab ke adhar par bak do kuchh bhi
ये लोग सामान्य लोग हैं।
भाई तू किसी आर्यसमाजी से मिला ही नहीं है। आर्यसमाजी तूझे पूरा ज्ञान दे देंगे।
आप क्या चाहते है 😅आप ved mante hai ya nahi
ये कैसा प्रश्न है,वेद कहां से पाएं क्या ग्रंथ आसमान से टपकते हैं ?क्या उसको पढ़ने वाले लोग नहीं थे ?यह आर्य समाजी अल्प ज्ञानी लगता है,उसे उलझाया जा रहा है। विश्व गुरु जो गुरुओं का गुरु है वह ईश्वर है जिसके द्वारा दिया गया ज्ञान वेद के रूप में है।
Chain of narration, means authentication...means, satyata ka pramand
Mata pita nana Nani aja aji sabalo hai malom hai par 10 pidi pahele ka nam tak nahi pata hai phir dhamam ko mante haii Bedic ❤❤❤
❤
❤
Arya samaj ke
Siddhantic , Sadhanatmak , Phalatmak
Spiritual science and philosophy
per discussion kare .
😊
Bro, you have excellent debating skills !
Keep going
आर्य समाजियों से पूछोगे तो - जवाब मिलेगा - जस्ट गूगल ईट Saar 😅
Bahut badiya Avhan bhaiyya.Aise hi seva karte rahiye.
चलो चलो इतना तो आप सबको पता चला कम से कम गीत धन हो मेरे सतगुरु सतगुरु रामपाल जी भगवान जो गीता खोल खोल के आप देख रहे हो दिख रहे हो जनता यह मेरे गुरुदेव की
Rampal dhongi pakhandi hain
Shivji ke avatar adishankracharya ji ne praboadh sudhakar Verde242 mein likha bhagwan shree Krishna ne bramha ji ko anant universes ke anant bramha vishnu mahesh etc dikhaya shivji jin bhagwan shree Krishna ke charno ko apne mastak pe dharan karte hain govindasthkam mein unhone likha bhagwan shree Krishna ka koi swami ishwar nahi hain wo param swatantra hain sarvocch prabhu hain samjha
Adishankracharya ji jo swam shivji ke avatar hain ne Geeta mahatmya mein likha bhagwan shree Krishna roopi Gwala arjun roopi bachde ko Geeta qyaan ka doodh pila rahe hain samast sansar ke ek bhagwan shree Krishna ek Granth Geeta ek mantra hare Krishna aur ek shree Krishna bhakti se hi samast sansar ka kalyan hoga shree Krishna ne Geeta mein kaha mein anadi ajanma hoon mera janam karam sab divya hain mujhse upar koi nahi hain magar murkh loag mujhe apne jaisa sadharan insan samajhte hain janam maran wala samjha murkh proofed shree Krishna ne hi Geeta sunai
धनधा
नमन शंकराचार्य जी को।🙏
यति महाराज जी को नमन। 🙏🏽
#रामागौ #राष्ट्रमाता_गौमाता #गौ_गठबंधन
#Save_Gaumata #FreeTemples
शिवमयी शुभदिवस
#JoinEkam👇वोट 4 एकम (बांसुरी)
#एकम_सनातन_भारत_दल
#ekam4sanatan
ओम हर हर महादेव जय माँ 🙏🏽🔱🚩💐
Bhai ne dho dala maja aagai
😮 गुरु घंटाल बन गया कुछ पता नहीं तुम को।
महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज ने वेदों को पुनः इक्कठा किया है जो लुप्त हो गये थे।
वेद एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष पहले लिखे गए।
Jai Shree ram 🙏🙏
पौराणिक पंडित सारे के सारे महर्षि दयानन्द से हारे अतः दयानन्द का शास्त्रार्थ संग्रह, ऋग्वेदादिक भाष्य भूमिका,सत्यार्थ प्रकाश आदि को पढ़ें।
श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान की जय🙇🏻🙇🏻
@@shreyamgupta9880 श्रीमद्जगद्गुरु शङ्कराचार्य भगवान ये सही है
Har har Mahadev
क्या आपके वेद अलग है?
आप भी तो स्वामी दयानंद सरस्वती कृत वेदों में जो मन्त्र है उनको पड़कर अर्थ बताते है। वो भी आपके गुरु के अनुसार
आपके कोन से गुरु ने आपको कोन से वेद दिये है जरा बताने का कष्ट करेंगे कृपया
Sat gyaan our sat bhakti aap dono ko pata nhi
Nice
सबसे पहले तो इस बात का स्पष्टीकरण कीजिए कि इन्सान कुछ भी कपोल कल्पना से ईश्वर को जन्म मरण में बांध लें,जिसको जैसा सूझे वैसे ही ईश्वर की रचना कर लें, कोई मिट्टी का बना ले, कोई लकड़ी का ईश्वर बना ले, कोई लोहा -पीतल -ताम्बा -चान्दी -सोना -कांच या प्लास्टिक का ईश्वर बना लेवे ऐसा जिस वेद में लिखा है ,ऐसे वेद आप लोगों ने कहां से प्राप्त किए
आर्य समाज वाले आचार्य पर विश्वास है पाखंडी पर विश्वासनहीं है
विरिजानन्द के गुरू पूर्णानन्द थे, लेकिन विरिजानन्द की जीवनी से पढ़ें।
आपकी प्रत्येक समस्या का समाधान मेरे पास है
परंपरा से प्राप्त किया हुआ ज्ञान ब्रह्म ज्ञान है माला धारण करने से कोई भी विद्वान नहीं हो जाता। आप लोगों ने किसी को भी पढ़ने नहीं दिया और आज परंपरा का रहे हो थोड़ा इतिहास को उठाकर के पढ़ ले फिर पता चल जाएगा। परंपरा चलने पर होती है शिव परंपरा वैष्णवी परंपरा रामानंद परंपरा। ऐसे ही ऐसे हरामियों ने देश का बड़ा घर कर दिया है परंपरा से ज्ञान मांग रहे हो पहले देते किसी को नहीं थे पढ़ने का अधिकार ही नहीं था ओ परंपरा कहां से आएगी। इस बच्चे को छोड़कर के किसी आर्य विद्वान से बात कर पता चल जाएगा समाज क्या है
Aap se lekar sristy ke aadi tak ka purkha ka nam bataiye? Nahin to aap ka samsara me aana avaidh huwa,manoge?
Avhan gurur brima gurur mahesvra ka bhavarth batay.
शंकरचार्य जी ke Avtar batao ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 ki lila kis bhagvan ne ki
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
आर्य समाज वाले बड़ा कन्फ्यूज है उनको ग्रुप परम्परा के ज्ञानी नहीं है बात करते हैं वेदों का
नम्बर दिजिए चर्चा संवाद किजिए मेरे साथ
भगवान से बड़ा गुरु कोई नहीं,वेद से बड़ा गुरु कोई नहीं। कोई भी मानव गायत्री मंत्र पढ़ सकता है । ईश्वर को गुरु मानकर।
शांति कुंज के आचार्य विश्वकर्मा कुलभूषण पंडित आचार्य श्रीराम शर्मा के करोड़ों अनुयायी हैं , जो गायत्री मंत्र का जाप करते हैं ।
अतः ऐसे पोंगा पंडितों के चक्कर में न पड़ें, स्वकल्याण के लिये गायत्री मंत्र पढ़ें,
५२ के जंजाल में फस गया ये संसार सिमरन ५२काकरे लागै कैसे पार 🎉🎉🎉
आप कहां से आए
सबसे बड़ा आज्ञानी तू है जो किताब को प्रमाण मान रहा है।
Ye sankrachaye ji ke avtar bolte h ki bhagvan nirakar h
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
बहुत सुंदर। मेरा भी एक आर्य समाजी से इसी तरह बहस हुई थी। बेचारा चुप हो गया सर्द दो प्रश्नों से ही निरुत्तर हो गया। वो मूर्ति पूजा के विरोध बोल रहा था को पत्थर की मूर्ति में भगवान नही है। मैने सिर्फ दो प्रश्न किए। एक की ईश्वर सर्व शक्ति शक्तिमान है या नही और दूसरा की ईश्वर सर्व व्यापक है या नही । उसने हा है। फिर मैंने जब ईश्वर सर्व व्यापक है तो फिर मूर्ति में भी ईश्वर है
विद्वानों से चर्चा करो , किसी भी नए नए को लेकर मत बैठ जाओ ।
ईश्वर सर्व व्यापक है कण, कण मे भगवान का बास है आपमे भी है और मुझमे भी ईश्वर है मूर्ति में भी है लेकिन ये कैसे कह सकते हैं कि आपके अंदर भगवान है तो आप भी भगवान हो जायेगे, ऐसे मूर्ति के अंदर भगवान है तो क्या मूर्ति को भगवान मान लेगे -ये कैसा system है ये तो फिर अंधविश्वास हुआ
ईश्वर कण कण में है तो मुर्ति हि क्यों वही ईश्वर तो सुवर में भी है तो उसकी भी पुजा करों उससे नफ़रत क्यों
अपने बुद्धि विवेक से उस परम पिता परमात्मा को सही सही जानो और उसी की पूजा आराधना करो ,
आंखों से दिखने वाली कोई भी चीज ईश्वर नहीं है , जो भी वस्तुएं इन बाहरी आंखों के कॉन्टैक्ट में आती है वह सभी प्रकृति तत्व है
अब उसी को ईश्वर मान कर पूजना, क्योंकि हमारे अंदर काबिलियत नहीं है उस सर्व शक्तिमान तक पहुंचने की , यह मूर्खता है ।
उस तक पहुंचने का प्रयास इसी मनुष्य जन्म में किया जा सकता है , यह जन्म इसी लिए मिला है 🔥🕉️🔥
@shivjatanyadav5974 ईश्वर कण कण मैं हैं इसका अर्थ है यदि इस दुनिया में जो भी कुछ वस्तु स्थिति है वह ईश्वर है अर्थात दुनिया की हर वस्तु स्थिति का नाम ईश्वर का ही नाम है तो फिर आपके अनुसार ईश्वर का ध्यान करने के लिए केवल प्रणव क्यों?
संस्कृत के किसी भी गृंथ का हिंदी शाब्दिक अनुवाद होना चाहिए, होता यह है कि भाष्यकार अनुवाद में अपने मत को ध्यान में रखकर अनुवाद करते हैं, इस लिए अर्थ ही बदल जाते हैं
और आप यह बात कर रहे हैं। उस भाई की विरजानंन्द जी अवतार को मानते थे या नहीं यह कौन सी बात हुई आप मानते हो अच्छी बात है। दुसरा नहीं मानता क्या दिक्कत वो महापुरुष मानता है। और अवतार वाद तो वेद और प्रकृति दोनों के नियमों के विरुद्ध है। इत्ती सी बात आप जैसे लोग नहीं समझते खाली में इधर उधर लडाई फैलाये हो हम दलितों से सबसे ज्यादा भेदभाव तुम परंपरावादी लोगों ने वर्ण के जन्म से पाखंड ने किया है।
जिस दिन प्रत्यक्ष वार्ता होगी उसे दिन आपके भ्रमों को दूर करने का प्रयास करेंगे
@Realintention Please accept live discussion mera bhi bhram durr hoga...
कर्म से जन्म मानते हो तो live चर्चा करने आइए 👍
Live aao
अवतार वाद वेद और प्रकृति विरुद्द हैं तो आपने अपने चैनल पर राम प्राणप्रतिष्टा, हनुमान जी की फोटो क्यों लगाई ये तो सत्यायर्थप्रकास आपके दयानंद जी के विरुध हुआ ना
पर विडियों क्यों बनाई दम था तो आप इस बात का विरोध करते भाई ..................दलित बनने का झुठा काडं खेल दो अच्छी नौटंकी बाज हो भाई आप @Realintention
❤
We expect discussion on
Unbelievable mysterious powerful Spiritual Path , experiences and unexpected
Physical -mental-spiritual changes in human body .
Kundalini Yoga
' Ramlal ji Siyag siddhayoga '
Aatmanubhuti hi
shradha , vishwas , Bhakti ka mul aadhar hai aur sarvashreshta praman hai .
UA-cam channel -
Our experiences with Guru Siyag Yoga .
Towards the Truth .
😊
उत्तर देने वाले सज्जन को उक्त जानकारी नहीं है। आर्य समाज की चर्चा में जान समझ कर महत्वहीन बताया जाना अज्ञानी व्यक्ति के साथ षडयंत्र रचा गया है। निन्दा योग्य है।
यह भाई सब आर्य समाज ही नहीं है आर्य समाज होता तो आपका बोलती बंद हो गई होती अभी
हाॅं। क्योंकि आर्य समाजी बिना सिर पैर की बहस करते जाते हैं और इतने ढीठ होते हैं कि अज्ञानी होते हुए भी विवाद करते ही जाते हैं। इसलिए समझदार व्यक्ति ऐसे निर्लज्जों के आगे चुप ही हो जाता है कुछ समय के बाद।
संदीप महतो आर्य समाजी सनातनियो के सामने पूंछ उठा के भागते हैं
आप आओंना डिबेट पर या फिर बिना हाथ पैर के कुतर्क करेंगे 😅
@@somjoshi3691 ऐसे लोगों से क्या debate करें जो पुराणों को प्रमाण ही नहीं मानते? मैं जिस ग्रंथ से भी प्रमाण दूॅंगा उसे नकली या मिलावटी बता दोगे। ये तो वही बात हुई जैसे कोई बच्चा गली में क्रिकेट खेल रहा हो और out हो जाए तो के देता है कि मेरा bat है, मैं अपना bat लेकर घर जा रहा हूॅं। बहुत समय नष्ट किया है मैंने अपना आर्य समाजियों से debate करके। आर्य समाजियों से debate करना मतलब अपना समय नष्ट करना। इतने ढीट और निर्लज्ज होते हैं कि जो भी ग्रंथ या शास्त्र उनके मत के अनुसार ना हो उसे नकली बताने लगते हैं। Debate करना आता ही नहीं है आर्य समाजियों को। हाँ कुतर्क भरपूर कर लेते हैं।
To jake btai hui I'd pr visit krlo or follow krlo pta chl jyega,ya sb planning kr rkha h😅
4:09 har har Mahadev
थोड़ा लिख दो वहां की बात जैसे आर्यसमाजियों को 150 वर्ष पहले का इतिहास नहीं पता 4:09
मैं अपमान करने की ध्रष्टता नहीं कह रहा हूं मैं बस इतना कह रहा जब हमारे परम पूज्य शंकराचार्य जी नागलोक के वासी हैं। वह विप्लव ला सकते थे, लेकिन हमारे भगवान शिव के मंदिर टूटे हजारों गाय माता मरी हमारी माताओं ने जौहर किया लेकिन वो प्रकृति विरुद्ध विप्लव वाली शक्ति कहाँ गई है। उत्तर आपके पास 😊
WhatsApp for UA-cam live discussion 7408301869
जाकि रही भावना जैसी प्रभू मूरत देखी तिन्ह तैसी
@@lakshya3008विल्कुल इत्ती सी बात सैकटेरियन लोग नहीं समझते 👍
@@Realintention karlo bhai app bhi inkey sath live discussion... Hame aur clarity milegi
Are alankar samaji jaldi aa yr baat krne 😂😂 hame bhi thoda maza aae
Nhi toh bana rah so called Brahmin 😂😂
शाब्दिक ज्ञान की अधिकता होने पर अर्थ को अपने अनुसार किया जा सकता है लेकिन गुरु परंपरा में ऐसा नहीं होता जो गुरु के द्वारा निश्चित होता है वही सत्य होता है
वेद में कहां लिखा है ब्रह्मा के मुख्य ब्राह्मण पैदा हुआ अब भुज से छतरीपैदा हुआ पैरों से शुद्धपैदा हुआ यह कहां लिखा हुआ है
फिर तो बच्चे जो कखग पढते है वो किस गुरु परम्परा से है? बताइए कखग किस गुरु से सै आया?
मंत्र का अर्थ होता है मंत्रणा देना।