अहद भैया बहुत सुंदर कलाम शानदार बेमिसाल, नज़र आती नहीं मंजिल तड़पने से भी क्या हासिल, तकदीर में ए मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे है। मालिक आपको शोहरत बरकत और रोशनी दे। सबके रहते लगता है जैसे कोई नहीं है मेरा कोई नहीं है मेरा। सूरज को ढूंढने निकाला था आया हाथ अंधेरा कोई नहीं है मेरा।़़़़़ अमित नहीं आप आप मीत है। क्या खूब लिखा है।
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अहद भैया बहुत सुंदर कलाम शानदार बेमिसाल, नज़र आती नहीं मंजिल तड़पने से भी क्या हासिल, तकदीर में ए मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे है। मालिक आपको शोहरत बरकत और रोशनी दे।
सबके रहते लगता है जैसे कोई नहीं है मेरा कोई नहीं है मेरा। सूरज को ढूंढने निकाला था आया हाथ अंधेरा कोई नहीं है मेरा।़़़़़ अमित नहीं आप आप मीत है। क्या खूब लिखा है।
बढ़िया
क्या कहने
बहुत ख़ूब भाई। हर शेर उम्दा है। और सही है। वाह वाह