Atheism and theism ( नास्तिकता और आस्तिकता )

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  • Опубліковано 8 лют 2025
  • नास्तिक और आस्तिक दृष्टिकोण क्या क्या हैं इस संबंध में संक्षिप्त मे चर्चा।

КОМЕНТАРІ • 7

  • @divyanshnaturals2246
    @divyanshnaturals2246 10 днів тому +1

    Er Anil ji
    कृपया बुद्ध धर्म की व्याख्याओ को पुनः पढें
    बम्भ. संस्कृत के ब्रह्म का अर्थ असीमित विस्तार है
    ब्रहमाण्ड. कहते है सम्पूर्ण विस्तार को
    यानि जो भी अस्तित्वगत वह ब्रहाण्ड का हिस्सा है
    सभी संस्कार अनित्य हैं
    इसी से ही शून्य वाद की व्याख्या निकलती है
    भगवान बुद्ध देशनाये वैज्ञानिक भी सरल सुगम व सुआख्यात है
    पर जिन बिन्दुओ पर आप चर्चा कर रहे है वो एक सामान्य स्तर के बहुत ऊपर की है
    इन्जी एस आर सिह

    • @anilpaliwal6730
      @anilpaliwal6730  10 днів тому

      जी धन्यवाद 🙏

    • @divyanshnaturals2246
      @divyanshnaturals2246 10 днів тому +1

      @anilpaliwal6730
      शरीर बदल रहा है
      चित्त बदल रहा है
      अस्तित्व बदल रहा है
      मानसिक दशा बदल रही है
      हमारे अन्दर हमारी सभी के प्रति स्वीकार्यता भी परिवर्तन की अवस्था मे है
      तो इस स्थिति मे हमारी आस्थाये भी बदल रही है
      आस्तिकता व नास्तिकता ये भी बदल रहा है
      उदाहरण.
      एक व्यक्ति सुबह उठा और मन्दिर ‌मे पूजा करने गया तो उसकी आस्तिकता ईश्वर के प्रति हुई मन्दिर के बाहर निकला अपनी दुकान मे धन्धे पर बैठा तब वह अपने धन्धे के प्रति आस्तिक हूआ
      कोई अति प्रियजन आया उसके प्रति आस्तिक हो गया धन्धा साईड हो गया
      फिर कोई अप्रियजन आगया तो उसके प्रति अरुचिपूर्ण व्यवहार हो गया
      तो भाई साहब पल पल बदलते चित्त को आस्तिक या नास्तिक रुप कैसे परिभाषित कर पाओगे
      मन्दिर का पुजारी अपने को ईश्वर कर प्रति आस्तिक बताता है पर हो सकता है
      उसकी आस्तिक ता अपने पुजारी पद के प्रति हो
      दान दक्षिणा के प्रति हो

    • @anilpaliwal6730
      @anilpaliwal6730  10 днів тому

      ​@@divyanshnaturals2246जी बहुत सुंदर कथन ❤

    • @anilpaliwal6730
      @anilpaliwal6730  10 днів тому

      आस्तिक नास्तिक हो जाते हैं, नास्तिक आस्तिक हो जाते हैं, विचारधारायें बदलती रहती हैं, प्रश्न बदल जाते हैं, उत्तर भी बदल रहे हैं।

    • @divyanshnaturals2246
      @divyanshnaturals2246 9 днів тому +1

      @@anilpaliwal6730 इन्जीनियर साहेब
      बौद्ध धर्म का भी १९९० से अध्ययन करता रहा हू
      विपश्यना ध्यान , मंगल मैत्री ध्यान ,अनित्यता का ध्यान और ओशो के ध्यान मेरे पाठ्यक्रम क्रम का हिस्सा रहे है
      सवालो के जबाब तो मिल जाते है
      सही या गलत
      पर फिर भी कुछ और सवाल उठ खडे होते हैं। सवालो का उठना एक अन्तहीन सिलसिला है
      अगर सवाल ही गिरने लगें तो बेहतर हय
      जो कुछ लिखा है यह कोई जबाब नही है। केवल अनुभव भर है आप इससे सहमत या असहमत हो सकते है
      तथागत बुद्ध की विपश्यना ध्यान का एक पडाव शमशान पर्व है
      क्योंकि
      धर्म व अध्यात्म का रास्ता अनिवार्य रुप से शमशान से ही गुजरता है
      मजहब पाखण्ड अन्धविश्वास के रास्ते
      मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च या बुद्धविहारो से गुजरते है