यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं। If you want to provide any financial support for the videos of this channel, you may pay the desired amount at these details. Shri Bhagavatananda Guru Bank of Baroda Ratu Chatti Branch 54240100000958 IFSC - BARB0RATUCH (कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero) UPI - nagshakti.vishvarakshak@okaxis
Maharaj ji mujhe Janna tha ki kya bhagwan vishnu ne vrinda/Tulsi ji ko maatra sparsh Kiya tha ya purna roop se unke saath sahwaas kiya tha? Kuch log bhagwan ko rapist god bolte hai
इस वीडियो का आवश्यकता थी। क्योंकि अधिकांश ब्राम्हण, शास्त्रार्थी, पुजारी, शंकराचार्य लोग जो अच्छी लगे वही बात बताते है। लेकिन आप जो शास्त्रो में है, वही बताते है, जिसका मैं आभारी हूँ।
कोटी कोटी नमन🙏🙏🙏महाराज जी सनातन धर्म के शास्त्रीय रक्षा के लिये आप महान वक्ता हे ,आप मे स्वामी करपात्री जी की छभी दिखाई पडती हे दूरभागी हे ओ जण जो आपकी किमत नहीं समजते हे आप अनमोल हिरा हे🙏🙏🙏 हम सच मे आपके ही फॅन हे नमो नारायण हर हर महादेव एकादशी महाराणी की जय🚩🚩🚩
आप अंबेडकरवादी हैं जबकि स्वामी जी शास्त्रीय मर्यादा में पूर्ण निष्ठा रखते हैं अर्थात जन्म से वर्ण मानते हैं और छुआछूत मर्यादापूर्वक मानते हैं, क्या यह जानते हुए भी आप इनको सही समझते हैं?
आप की विद्वता एवं धर्मशास्त्र का ज्ञान अत्यंत उत्कृष्ट है प्रणाम आचार्य 🙏 यद्यपि मै महर्षि कपिल के सांख्य का अनुयायी हु परन्तु यह समझता हूँ की वर्तमान में शास्त्र की सत्य एवं निष्पक्ष व्याख्या आप के अतिरिक्त सम्भवतः ही कोई विद्वान करता हो आचार्य जी कृपया सांख्य का कौन सा ग्रंथ सांख्य कारिका एवं तत्व समास सूत्र या सांख्य सूत्र या अन्य जो महर्षि कपिल कृत हो प्रामाणिक हो के सम्बन्ध में तथा मूल सांख्य ईश्वर वादी है अथवा अनीश्वर वादी इस पर एक वीडियो अवश्य बनाये मैंने आपसे पूर्व में भी कई बार इसका अनुरोध किया था. पूज्य आचार्य जी यह देखा है कि आर्य समाज के विद्वान सांख्य दर्शन कों ईश्वर वादी दर्शन सिद्ध करने का प्रयास करते है विज्ञान भिक्षु की टीका के आधार पर जबकि प्रकांड विद्वान वाचस्पति मिश्र भाष्यकार गौड़पाद एवं वृत्तिकार अनिरुद्ध सांख्य की निरीश्वर वादी व्याख्या करते है है भगवन कृपया इस सम्बन्ध में सांख्य की सही व्याख्या एवं सांख्य ईश्वर वाद या निरीश्वर वाद की सत्य अवधारणा पर एक वीडियो अवश्य बनाने का कष्ट करें ताकि संदेह एवं शंका का निवारण हो आपकी बहुत बहुत कृपा होगी ॐ🚩 🙏🙏🙏
💫।।जय भगवान महागुरू दत्तात्रेय। 💫।।जय गुरू मां अनघा लक्ष्मी।।🚩✨ 💫।।जय गुरू गोरखनाथ जी।।🚩✨ 💫।।जय हनुमान जी।।🚩✨ 💫।।जय श्री सीताराम।।🚩✨ 💫।।जय मां पार्वती हर हर महादेव।।🚩✨ 💫 ।। जय श्री राधेकृष्ण।।🚩✨ 💫।।जय श्री शनि देव ।।🚩✨
नम: शिवाय । नमो महादेव्यै । जय श्री माताजी । नमो नारायणाय । जय श्री राम । जय श्री राम-भक्त हनुमानजी । जय श्री कृष्ण । जय श्री गुरुदेव । निग्रहाचार्य गुरुजीको प्रणाम । Happy to listen the divine story of Youngster Rama and Brothers.
अच्छा लगा शास्त्रीय आधारित कथा सुनकर । मांसाहार वर्जित है ब्राह्मणों के लिए ? फिर दुर्गा पूजा में बलि देने की परंपरा और खाने की प्रथा कैसे हुई ? इस पर भी कुछ कथा हो तो कभी सुनाने का कष्ट करेंगे ।🙏🏻
आभार आपका, बहुत ही विस्तार में सप्रमाण बात बताने के लिए। आपका वर्णव्यवस्था के ऊपर वीडियो एक दूसरी चेनल पर देखा ,इसी ही विषय को आगे बढ़ाते हुए कुछ और प्रश्न हैं, जो व्यवहार में एवं सोशियल मीडिया में अनगिनत बार उठते हैं। इन प्रश्नों को भी सप्रमाण उत्तर की आवश्यकता हैं। आप के अतिरिक्त इस प्रकार कोई विस्तार में उत्तर नहीं देता, सोशियल मीडिया पर लोग उत्तर हाँ या ना में दे कर चले जाते हैं, संभवत: आम लोगों को सपूर्ण शास्त्राध्ययन नहीं होता है। आपके अनूकूल समय में कृपया सविस्तार भिन्न-भिन्न वीडियो बनाकर उत्तर देने की चेष्टा करें। 🙏🏽 प्रश्न कुछ इस प्रकार हैं, १) क्या स्त्रियॉं वेद मंत्रों का उच्चारण नहीं कर सकती? ऐसा भी सुनने में आता है की यदि वेद पारायण नहीं कर सकती तो वेदार्थ तो सीख तो सकती ही हैं गुरु के पास रह कर । लोग गार्गी, मैत्रेयी आदि का उदाहरण दे कर कहते हैं की ये स्त्रियाँ तो वेद पढ़ी थीं एवं मंत्रों की चर्चा भी करती थीं। २) क्या स्त्रियाँ एवं शूद्र निष्काम अग्निहोत्र भी नहीं कर सकतें? वे अग्निहोत्र, जिनमें किसी बी प्रकार की निजी महेच्छा व कामना न हो परंतु विश्वशांति की ही भावना हो(क्या यह भी नहीं कर सकते?)। ३) क्या शूद्र को वेद मंत्र सुनने मात्र से दंड मिलता था, या फिर मिलना चाहिए? कहीं सुना है की भगवद्पाद आदि शंकराचार्य के अनुसार जो शूद्र वेद मंत्रों का श्रवण करता है, उसके कान में सीसा गरम करके डालना चाहिए। क्या ये सब सच हैं? ४) क्या स्त्रियाँ सन्यास नहीं ले सकतीं? ५) क्या यज्ञ में पशुबलि का वैदिक विधान है? क्या कलियुग में भी बलि देने का विधान है, या वर्जित है? ६) क्या स्त्रियाँ यज्ञोपवीत धारण करती थीं? यदि हाँ, तो क्या आज भी कर सकतीं हैं? कई मंदिरों में पत्थर में स्त्री नक्काशिओ पर जनेऊ भी उत्कीर्णित की गई है, इसको लोग प्रमाण मानते हैं। अभी भी बहुत प्रश्न हैं परंतु अभी इतने पर्याप्त हैं। यही प्रश्नों को ले कर आम हिन्दुओं के बीच बहुत झघड़े होते रहते हैं, परिणाम स्वरूप लोग दुख, कुंठा, द्वेष आदि भावनाओं से ग्रसित रहतें हैं, यह वैसे भी अच्छी बात नहीं है। हो सकता है की उन्हें आप का उत्तर न पसंद आए, परंतु कम से कम कोई शास्त्र को पूर्णतया समझ कर उत्तर देगा तो दूध का दूध और पानी का पानी तो होगा। श्रीमन्नारायण 🙏🏽
Ur Gyan supatra me bante.without proper media n proper suport will make u great without criticize .When proper time will accept u n ur power which is so high must change them.Apene Gyan ko samilit hoke Hindu Rajya ka pratishtha karne me sahayog kare.Sri Charan pranam.Donot take it other wise unity is strength.
रहस्य पर वीडियो बनाएं और YT पे upload करें 😀😀।। रहस्य गोपनीय होते हैं उन्हें जानने के लिए उसके योग्य बनना चाहीए। योग्यता सिद्ध होने पर स्वयं प्रकृति ही व्यक्ति को उस ओर प्रेरित कर देती है।।
आपके वक्तव्यो को सुनके बहुत शीतलता अनुभव हुई , परंतु आपके वक्तयो पर आधारित पुस्तकों को कैसे पढ़े और कहा प्राप्त होगी कृपया ये भी बताए और धर्म शस्त्रो का स्वध्याय कैसे प्रारम्भ करें इस पर भी एक दृष्टि प्रदान करें , आपके वचनो के लिए सदैव कृतय रहूँगा , दंडवत प्रणाम ।
🙏As a wife myself, loved the मिसखील comment & smile-" ये सदीयोंका complaining of wives to husbands". NCP leader politician (अपराधी/दोशी) Jitendra Awad, not sparing Shree Ram, calling him non-vegetarian, Ramchandraji ate animals hunted.
हाहाहाहा कृपया "धर्मध्वज" शब्द का स्पष्टीकरण दे दें। इसको आपने प्रशस्तिसूचक या फिर निंदासूचक की दृष्टि से यहां प्रयोग किया है... योगवाशिष्ट में धर्मबंधु एवं धर्मध्वजी शब्द निंदासूचक है अर्थात्, विपरीतार्थबोधक है। आजकल किंतु कुछ आधुनिक नव्य आध्यात्मिक लोग धर्मबंधु या ध्वज को धर्मसहायक के दृष्टिकोण से प्रयोग करते हैं, कुछ लोग निग्रहाचार्य जी महाराज को महापंडित भी कहकर भी संबोधन किया है, कितु वे इसको प्रशंसा की दृष्टि से उपयोग करते हैं। शास्त्र में कहीं कहीं महा इत्यादि कुछ शब्द लग जाने से अर्थ विपरीत है जाता है।। कृपया आपका आशय स्पष्ट कर दें, मैं विश्वास करता हूँ कि, यह महाराज अनिन्द्य हैं
महाभारत में पशूबली संबंधित नीचे दिए हुए श्लोकों की प्रामाणिकता पर एक व्हिडीओ बनाईये जी | इदं कृतयुगं नाम काल: श्रेष्ठ: प्रवर्तित: | अहिंस्या यज्ञपशवो युगेस्मिन् न तदन्यथा || चतुष्पात् सकलो धर्मोभविष्यत्यत्र वै सुरा: | ततस्त्रेतायुगं नाम त्रयी यत्र भविष्यति || प्रोक्षिता यत्र पशवो वधं प्राप्स्यन्ति वै मखे | यत्र पादश्चतुर्थो वै धर्मस्य न भविष्यति || 📖 महाभारत, शांतीपर्व, अध्याय 340, श्लोक 82, 83, 84 इन श्लोकों में साफ साफ बताया गया है की सत्ययुग में यज्ञ के नाम पर पशुवध नही किया जाता था | देवीदेवताओं के नामपर पशुवध करने का पाखंड त्रेतायुग से आरंभ हो गया था | द्वापरयुग में तो बहोत फैल रहा था इसिलिए तो श्रीहरि अपने अंशसे व्यासरूपमें अवतीर्ण हुए और महाभारत ग्रंथ के माध्यम से पाखंड का खंडण किया | सुरा मत्स्या मधु मांसमासवं कृसरौदनम्। धूर्तै: प्रवर्तितं ह्येतन्नैतद् वेदेषु कल्पितम्॥ मानान्मोहाच्च लोभाच्च लौलरूमेतत्प्रकल्पितम्। सुरा, आसव, मधु, मांस और मछली तथा तिल और चावलकी खिचडी - इन सब वस्तुओंको धूर्तोंने यज्ञमें प्रचलित कर दिया है | वेदोंमें इनके उपयोगका विधान नही है | उन धूर्तोंने अभिमान, मोह और लोभके वशीभूत होकर उन वस्तूओंके प्रति अपनी यह लोलुपता ही प्रकट की है | 📖 संदर्भ : महाभारत, शांतीपर्व, अध्याय 265, श्लोक 9, 10 इज्यायज्ञश्रुतिकृतैर्यो मार्गैरबुधोअधम: | हन्याज्जन्तून् मांसगृघ्नु: स वै नरकाभांनर: || जो मांसलोभी अधम मनुष्य श्रुति (वेद) में बताये गये यज्ञ के नामपर पशूओंकी हिंसा करता है, वो नरकगामी होता है | 📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 115, श्लोक 43 स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति | नास्ति क्षुद्रतरस्तस्मात् स नृशंसतरो नर: || जो दूसरों के मांससे अपना मांस बढाना चाहता है, उससे बढकर नीच और निर्दयी मनुष्य दूसरा कोई नही | 📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 7 स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति | उद्विग्नवासो वसति यत्र यत्राभिजायते || जो दूसरों के मांससे अपना मांस बढाना चाहता है, वह जहाँ कही भी जन्म लेता है, चैन से नही रह पाता | 📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 115, श्लोक 34 नैनं ब्यालमृगा घ्नन्ति न पिशाचा न राक्षसा: | मुच्यते भयकालेषु मोक्षयेद् यो भये परान् || जो मनुष्य सब पशूओंपर दया दिखाकर सब जीवोंको भय से छुडाता है, उस मनुष्य पर हिंसक पशु, पिशाच तथा राक्षस कभी प्रहार नही करते | वह भय (संकट) का अवसर आनेपर उससे तुरंत मुक्त हो जाता है | 📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 15 प्राणदानात् परं दानं न भूतं न भविष्यति | न ह्यात्मन: प्रियतरं किंचिदस्तीह निश्चितम् || प्राणदानसे बढकर दूसरा कोई दान न हुआ है और न होगा | क्योंकी प्राणोंसे बढकर प्रियतर दूसरी वस्तु नही है | यह निश्चित बात है | 📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 16 लिखने की मर्यादा के कारण आगे के श्लोक इसी मॅसेज के रिप्लाय में डालता हूँ |
ततो दीनान् पशून् दृष्ट्वा ऋषयस्ते तपोधना: | ऊचु: शक्रं समागम्य नायं यज्ञविधि: शुभ: || यज्ञपशुओं की दयनीय अवस्था देखकर तपोधन ऋषी इंद्रके पास जाकर बोले, "यह जो यज्ञ में पशुवधका विधान है, वह शुभकारक नही है |" 📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 12 अपरिज्ञानमेतत् ते महांतं धर्ममिच्छत: | न हि यज्ञे पशुगणा विधिदृष्टा: पुरंदर || पुरंदर ! आप यदि महान धर्म (पुण्य) की इच्छा करते हो तो भी यह पशुवधके लिए उद्यत होना आपका अज्ञान ही है | क्योंकी यज्ञमें पशुओं के वधका विधान शास्त्रमें नही देखा गया है | 📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 13 धर्मोपघातकस्त्वेष समारंभस्तव प्रभो | नायं धर्मकृतो यज्ञो न हिंसा धर्म उच्यते || प्रभो ! आपने जो यज्ञका समारंभ किया है, यह धर्मको हानि पहुचानेवाला है | यह यज्ञ धर्मके अनुकूल नही है, क्योंकि हिंसाको कही भी धर्म नही कहा गया है | 📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 14 आगमेनैव ते यज्ञं कुर्वन्तु यदि चेच्छसि | विधिदृष्टेन यज्ञेन धर्मस्ते सुमहान् भवेत् || यदि आपकी इच्छा हो तो हम ब्राह्मणलोग शास्त्रके अनुसार ही इस यज्ञका अनुष्ठान करे | शास्त्रीय विधिके अनुसार यज्ञ करनेसे आपको महान धर्म (पुण्य) की प्राप्ती होगी | 📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 15 यज बीजै: सहस्त्राक्ष त्रिवर्षपरमोषितै: | एष धर्मो महान् शक्र महागुणफलोदय: || हे सहस्त्रनेत्रधारी इंद्र ! आप तीन वर्षके पुराने बीजों ( जौ, गेहूँ आदि अनाजों ) से यज्ञ करें | यही महान् धर्म है और महान् गुणकारक फलकी प्राप्ती करानेवाला है | 📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 16 बीजैर्यज्ञेषु यष्टव्यमिति वै वैदिकी श्रुतिः। अजसंज्ञानि बीजानि च्छागं नो हन्तुमर्हथ॥ नैष धर्म: सतां देवा यत्र वध्येत वै पशु: | यज्ञोमें बीजोंद्वारा यजन करना चाहिए, ऐसी वैदिकी श्रुति है | बीजोंका ही नाम अज है; अत: बकरे का वध करना उचित नही है | जहाँ कही भी यज्ञमें पशुका वध हो, वह सत्पुरुषोंका धर्म नही है | 📖 महाभारत, शांतीपर्व, मोक्षधर्मपर्व, अध्याय 337 श्लोक 4, 5 शृणु मेऽत्र महाराज यन्मां त्वं परिपृच्छसि । यानि कर्माण्यहिंस्राणि नरं त्रायन्ति सर्वदा ॥ महाराज! आप जिन कर्मोंके विषय में पुछ रहे है, उन्हे बताता हूँ | जो कर्म हिंसासे रहित है, वे सदा मनुष्यकी रक्षा करते है | 📖 महाभारत, शांतीपर्व, मोक्षधर्मपर्व, अध्याय 296 (पराशरगीता) श्लोक 36
🙇🏻♂️🙇🏻♂️ एक प्रश्न स्वामी जी 🙏🏻🙏🏻 गुरु गृह गए पढ़न रघुराइए अल्प काल विद्या सब आई मानस जी की इस चौपाई की महिमा स्वामी करपात्री जी, अन्य शंकराचार्य जी, अनेक वैष्णव संतो से सुनी है तो इस चौपाई का किस विधि, नियम, दिनचर्या, सावधानियों का पालन करते हुए जप करे कि उस स्तर की सिद्धि प्राप्त हो जाए कि बहुत ही अल्प समय में शिक्षा प्राप्त कर सके
श्रीमन्नारायण गुरुजी 🙏💐 । कृपया मुझे कृपया शास्त्रीय पक्ष बताइए मित्र धर्म पर🙏 मेरा मित्र जो वर्षोसे साथ है, मुझसे मन ही मन ईर्षा करता है। वैसे तो सब अच्छा है। मैने उससे बात की। लेकिन बोलता नही। उसके आचरण से स्पष्ट समझ में आता है। मुझे दुख होता है। कृपया उत्तर जरूर दीजियेगा
Bho siri aap ko naman , Balmik ramayan me to likha hai ki Seeta sadhu bane huye Ravan ko kaha ki Ram goh, Shokar ka bahut sa maans lawenge , isme milawat kaise sambhav hai yah bhi Batyen
प्रणाम 🙏🙏 आपके चरण कमलों में राम मन्दिर के विषय में भी कुछ कहिए शास्त्र विधि से होगी प्राण प्रतिष्ठा तो क्या कहे प्रतिष्ठा ही कहेंगे क्या ये प्रतिष्ठा शास्त्र विधि द्वारा,अधिकृत से होगी ??? वास्तुशास्त्र अनुसार भी कुछ कहिए मुहूर्त शास्त्र अनुसार भी कुछ कहिए समय निकालिए कृपया विनती है आपसे निवेदन है आपसे की सारी जानकारी लेकर आप कहिए की क्या विधि है क्या होनी चाहिए । नारायण नारायण हर हर हर महादेव
Swamiji there is some controversy regarding chronology and authenticity of Yoga Vasishth. It’s author is also questioned though it carries Maharshi Vasishth name. Please clarify .
पूज्य गुरुदेव आपने बताया कि श्री श्रृंगी ऋषि सरयू नदी के तट पर निवास करते थे जबकि हमारे आगरा जिले में सींगना नामक ग्राम में यमुना जी के तट पर भी श्रृंगी ऋषि का आश्रम बना हुआ है और संत लोग इसे ही उनका प्रमाणिक आश्रम बताते हैं और यहां पर बकायदा श्रृंगी ऋषि की मूर्ति भी है और यह काफी प्राचीन आश्रम है। कृपया समाधान करें
श्री महाराज जी की जय हो महाराज जी श्रृंगी ऋषि का आश्रम बिहार के लखीसराय जिला में भी है,जो कियूल जंक्शन से बीस किलोमीटर पूर्व सुरम्य वादियों में चारों ओर पहड़ों से घिरा हुआ है। यहां पर श्रृंगी ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग भी है तथा अनेक झरने ठंडा गर्म एवं गर्म जल का कुंड है। बहुत मनोरम दृश्य है महाराज जी। प्रशासन और सरकार का रुचि बहुत कम है। वहां से पहले ज्वालपा भगवती जगदम्बा मैया शेरावाली का भी स्थान है। यह क्षेत्र प्राचीन काल में अंग प्रदेश के अधीन था। अभी मुंगेर कमिश्नरी में है।
सरकार हम अयोध्या वासी वशिष्ठ गोत्र के हैं हमारे बालक को पुत्री 28दिसंबर 2023 दिन गुरुवार को हुई है सुबह 9बजकर 42मिनट पर आपसे राशि का नाम जानना चाहता हूं कृपा कर बतायें और कहने वाला नाम भी आप अपने श्री मुख से रख दें
नामकरण संस्कार के मर्यादा के अनुकूल अपने कुलपरम्परा एक अनुरूप (कुल)पुरोहित के निर्देश में नाम रखें ।। यूं ऐसे नाम रखवाना उक्त संस्कार के मर्यादा का अतिक्रमण है ।।
आधे घंटे की ज्ञान धारा का अंतिम फल तो इतना ही निकला की राम मृगया करते थे।धन्य हो महाराज जी । जो बात गोस्वामी जी ने एक चौपाई में लिखी थी उसपर आधा घंटा खा गए। आप जैसे विद्वानों ने ही शास्त्र का उद्देश्य लील लिया।और ऊपर से आप अवतारी अलग से ठहरे।
आपको सुनने किसने कहा फिर ? एक चौपाई पढ़कर आपको सन्तुष्ट रहना चाहिए था। मतलब आधे घण्टे बोलने का क्या अर्थ है कि जो सिद्ध है, उसे असिद्ध कर दें ? शास्त्र को अनेकों प्रमाणों और विश्लेषणों से प्रयत्नपूर्वक समझाने वाले हमलोग शास्त्रों को लील जाते हैं यदि, तो रामपाल के पास चले जाईये न।
एक चीज बताने का कष्ट करें व्यास ऋषि के पिता जी का क्या नाम था माता जी का क्या नाम था तथा माता की क्या जात थी पिता की क्या जात थी स्पीच शंकर कुछ हो रहा है इसलिए बताने का कष्ट करें
स्त्री, शूद्र, पतित ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि के लिए वेदाध्ययन निषिद्ध है। आर्य समाज और गायत्री परिवार जैसी धूर्त NGO ने शास्त्रों की मनमानी व्याख्या करके सबमें सबका अधिकार वाली बकवास फैलायी है किन्तु सत्य यही है कि वेदाध्ययन बहुत कम ही लोगों के लिए विहित है।
जय श्री राम महाराज क्या अब महारामायन जो शिव पार्वती संवादात्मक हैं जिसमे श्री राम जी के ९९ रास लीलाओं का वर्णन हैं एवं जिस की श्लोक संख्या ३५०००० श्लोक हैं क्या वह अब उपलब्ध होती हैं ??
@@SwamiNigrahacharyaस्वामी जी आप से निवेदन है कि आप जो website बनाएंगे us पर भुशुंडि रामायण ग्रंथ जो कि आपके पास पूर्णत सुरक्षित है उसकी pdf आप समय अनुसार upload कर दीजिएगा 🙏🏻
कृपया उत्तर देंगे ? जय श्री राम महाराज जी मेरा समाधान कीजिए वालिमिक रामायण में लिखा हुआ है कि कौसल्या माता एक रात घोड़े के सात सोयी थी ये प्रक्षिप्त है क्या , नही है तो अर्थ बताईये जय श्री राम
नहीं। कोई प्रक्षिप्त नहीं है। अश्वमेध का अश्व सामान्य नहीं होता है, आलभन के बाद उसका शरीर देवाभिमान के कारण कपूर में परिणत हो जाता है, ऐसा जैमिनीयाश्वमेध से सिद्ध है अतः वहाँ लोकबुद्धि का आक्षेप व्यवहार्य नहीं।
स्वतन्त्र ग्रन्थ है किन्तु इसमें वर्णित श्रीरामकथा का सत्यापन भुशुण्डि रामायण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, अध्यात्म रामायण, अगस्त्य संहिता आदि से हो जाता है।
Sach he jangli suvar gaon me pareshan kara to raaja ne maara....movies me dekha 🙏🏻😇. bhagvan ne jo bhi kiya samay n paristithion ke according sahi hi kiya. jai jai samrath ko ni dosh gosain🎉
आपको कैसे पता कि वह निर्दोष है ? क्या उस जीव के कर्म लिखने वाले चित्रगुप्त आप हैं ? शास्त्रों के अनुसार क्षत्रिय मृगया करता है और प्रकृति की प्रेरणा से जो जीव मारे जाते हैं, उनका वैसा ही प्रारब्ध होता है। मृगया का अर्थ केवल हत्या संहार नहीं है न, उसके भी निश्चित नियम हैं कि किसे मारना है, कब मारना है। नियम से विरुद्ध जाने पर पाप का दण्ड भी मिलता है। जीवन भर आप डम्मी से अभ्यास करते रहिये, कुल्हाड़ी से लकड़ी काटते रहिये, युद्ध में माथा काट सकेंगे क्या ? ऐसा होता तो सभी लकड़हारे कुशल सैनिक भी बन जाते।
जय श्री राम महाराज जी महाराज जी आप अपने एक वक्तव्य में कहा था की शुद्र सीधे ब्राह्मण नहीं बन सकते पहले वैश्य फिर क्षत्रिय बनने के पश्चात ही वह ब्राह्मण बन सकते हैं और ऐसा chandogya उपनिषत की भी श्रुति कह ती हैं तो क्या शुद्र सीधे ब्राह्मण नहीं बन सकते yadhi nahi to क्या वह मोक्ष के भी अधिकारी नहीं हुए कृपया बताए
Moksha ka isase koye sambandh nhi . Kaye kshtriya ko toh bhi moksha Mila hai bina brahman Janam mein gaye . Jaise Maharaj parikshit ko moksh prapt hua tha .
Shrimannarayan 🙏Hanuman chaleesa ka sudhara roop - Shankar swayam Keshari nandan yani Hanuman ji Bhagwan Shiva ke anshavatar na hokar khud Keshari nandan ho Gaye hain aur Sada raho raghupati Ke dasa ko sadar ho raghupati Ke dasa yani adar poorvak bhagwan ke sevak hoiye agar adar na mile toh mat hoiye 😂
JSRam Radhe Radhe Kahan ye apka hi shikaar na Kar de SACH bolne k liye....I worked with Rajiv Dixit Jo sabko ujagar karta tha aap hi ki tarah aur usko marwa dala in dhoorto ne....aap JESE SatyaNishthon ka abhav h kyon ki apni Jaan SE koi kyon haath dhona chahega Aap ki DEEEEEERGH AYU ho JSRam
महाराज जी हमको राम कथा आप सुनाने की क्रपा करेंगे या श्री भागवत कथा सुनाने की क्रपा करें ढोल तबला बाद्ध यंत्रों के बिना कथा सुनाने की क्रपा करें। आजकल के कथा बाचक कथा कम सुनाते हैं गाना, नौटंकी ज्यादा कराते हैं। हमारे ऊपर क्रपा करें।
यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।
If you want to provide any financial support for the videos of this channel, you may pay the desired amount at these details.
Shri Bhagavatananda Guru
Bank of Baroda
Ratu Chatti Branch
54240100000958
IFSC - BARB0RATUCH
(कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero)
UPI - nagshakti.vishvarakshak@okaxis
Maharaj ji mujhe Janna tha ki kya bhagwan vishnu ne vrinda/Tulsi ji ko maatra sparsh Kiya tha ya purna roop se unke saath sahwaas kiya tha? Kuch log bhagwan ko rapist god bolte hai
इस वीडियो का आवश्यकता थी। क्योंकि अधिकांश ब्राम्हण, शास्त्रार्थी, पुजारी, शंकराचार्य लोग जो अच्छी लगे वही बात बताते है।
लेकिन आप जो शास्त्रो में है, वही बताते है, जिसका मैं आभारी हूँ।
आचार्य जी! प्रणाम। इष्टदेव की कृपा होने पर मैं आपसे समस्त कथाओं का श्रवण अवश्य सुनूंगा। क्योंकि आपकी कथा कहने की शैली बहुत ही स्पष्ट एवम सटीक है।
राम नाम आधार जिन्हे वो जल मै राह बनाते हैं जिनपे कृपा राम करे वो पत्थर भी तर जाते है🙏《🌹 "जय श्री राम " 🌹》🙏
कोटी कोटी नमन🙏🙏🙏महाराज जी
सनातन धर्म के शास्त्रीय रक्षा के लिये आप महान वक्ता हे ,आप मे स्वामी करपात्री जी की छभी दिखाई पडती हे
दूरभागी हे ओ जण जो आपकी किमत नहीं समजते हे
आप अनमोल हिरा हे🙏🙏🙏
हम सच मे आपके ही फॅन हे
नमो नारायण
हर हर महादेव
एकादशी महाराणी की जय🚩🚩🚩
आप अंबेडकरवादी हैं जबकि स्वामी जी शास्त्रीय मर्यादा में पूर्ण निष्ठा रखते हैं अर्थात जन्म से वर्ण मानते हैं और छुआछूत मर्यादापूर्वक मानते हैं, क्या यह जानते हुए भी आप इनको सही समझते हैं?
@@sumangalammishrashines6412 हा ,मे पुरा निग्रहाचर्य जी को पूज्य मानता हु
इनसे बडा शास्त्रीय वक्ता आज जाणणे नही आता
🙏🙏🙏नमो नारायण
@@user-st8kf6eu9k9 तो अपने भाइयों को क्यों नहीं समझाते जो हम लोगों से नफरत करते हैं।
@@sumangalammishrashines6412 ओ लोग मूर्ख हे ,
सनातन सिद्धांत ही मानव मात्र का उद्धार करणे वाला हे बाकी पंथ गड्डे मे दालने वाले हे
आप की विद्वता एवं धर्मशास्त्र का ज्ञान अत्यंत उत्कृष्ट है प्रणाम आचार्य 🙏
यद्यपि मै महर्षि कपिल के सांख्य का अनुयायी हु परन्तु यह समझता हूँ की वर्तमान में शास्त्र की सत्य एवं निष्पक्ष व्याख्या आप के अतिरिक्त सम्भवतः ही कोई विद्वान करता हो
आचार्य जी कृपया सांख्य का कौन सा ग्रंथ सांख्य कारिका एवं तत्व समास सूत्र या सांख्य सूत्र या अन्य जो महर्षि कपिल कृत हो प्रामाणिक हो के सम्बन्ध में तथा मूल सांख्य ईश्वर वादी है अथवा अनीश्वर वादी इस पर एक वीडियो अवश्य बनाये मैंने आपसे पूर्व में भी कई बार इसका अनुरोध किया था. पूज्य आचार्य जी यह देखा है कि आर्य समाज के विद्वान सांख्य दर्शन कों ईश्वर वादी दर्शन सिद्ध करने का प्रयास करते है विज्ञान भिक्षु की टीका के आधार पर जबकि प्रकांड विद्वान वाचस्पति मिश्र भाष्यकार गौड़पाद एवं वृत्तिकार अनिरुद्ध सांख्य की निरीश्वर वादी व्याख्या करते है
है भगवन कृपया इस सम्बन्ध में सांख्य की सही व्याख्या एवं सांख्य ईश्वर वाद या निरीश्वर वाद की सत्य अवधारणा पर एक वीडियो अवश्य बनाने का कष्ट करें ताकि संदेह एवं शंका का निवारण हो आपकी बहुत बहुत कृपा होगी ॐ🚩 🙏🙏🙏
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय
💫।।जय भगवान महागुरू दत्तात्रेय। 💫।।जय गुरू मां अनघा लक्ष्मी।।🚩✨
💫।।जय गुरू गोरखनाथ जी।।🚩✨
💫।।जय हनुमान जी।।🚩✨
💫।।जय श्री सीताराम।।🚩✨
💫।।जय मां पार्वती हर हर महादेव।।🚩✨
💫 ।। जय श्री राधेकृष्ण।।🚩✨
💫।।जय श्री शनि देव ।।🚩✨
Aap jase mahan brahman ke karan hin hamare dharm ko shakti milti hai🙏🙏🙏🙏
Jai shiya raam bahut sundar
ॐ नमो नारायण
दिव्य ज्ञान से ओत प्रोत हैं निग्रहाचार्य जी। जय हो 🙏🙏
प्रणाम आचार्यजी भगवान वज्रांगबली दुर्जनों से आपकी सदैव रक्षा करे और आपको दिर्घायुरारोग्य प्राप्त होकर आप धर्मकार्य करते रहे ऐसी प्रार्थना है.
नम: शिवाय । नमो महादेव्यै । जय श्री माताजी । नमो नारायणाय । जय श्री राम । जय श्री राम-भक्त हनुमानजी । जय श्री कृष्ण । जय श्री गुरुदेव । निग्रहाचार्य गुरुजीको प्रणाम । Happy to listen the divine story of Youngster Rama and Brothers.
अच्छा लगा शास्त्रीय आधारित कथा सुनकर ।
मांसाहार वर्जित है ब्राह्मणों के लिए ? फिर दुर्गा पूजा में बलि देने की परंपरा और खाने की प्रथा कैसे हुई ? इस पर भी कुछ कथा हो तो कभी सुनाने का कष्ट करेंगे ।🙏🏻
निग्रहाचार्य जी प्रणाम
आभार आपका, बहुत ही विस्तार में सप्रमाण बात बताने के लिए। आपका वर्णव्यवस्था के ऊपर वीडियो एक दूसरी चेनल पर देखा ,इसी ही विषय को आगे बढ़ाते हुए कुछ और प्रश्न हैं, जो व्यवहार में एवं सोशियल मीडिया में अनगिनत बार उठते हैं। इन प्रश्नों को भी सप्रमाण उत्तर की आवश्यकता हैं। आप के अतिरिक्त इस प्रकार कोई विस्तार में उत्तर नहीं देता, सोशियल मीडिया पर लोग उत्तर हाँ या ना में दे कर चले जाते हैं, संभवत: आम लोगों को सपूर्ण शास्त्राध्ययन नहीं होता है। आपके अनूकूल समय में कृपया सविस्तार भिन्न-भिन्न वीडियो बनाकर उत्तर देने की चेष्टा करें। 🙏🏽
प्रश्न कुछ इस प्रकार हैं,
१) क्या स्त्रियॉं वेद मंत्रों का उच्चारण नहीं कर सकती? ऐसा भी सुनने में आता है की यदि वेद पारायण नहीं कर सकती तो वेदार्थ तो सीख तो सकती ही हैं गुरु के पास रह कर । लोग गार्गी, मैत्रेयी आदि का उदाहरण दे कर कहते हैं की ये स्त्रियाँ तो वेद पढ़ी थीं एवं मंत्रों की चर्चा भी करती थीं।
२) क्या स्त्रियाँ एवं शूद्र निष्काम अग्निहोत्र भी नहीं कर सकतें? वे अग्निहोत्र, जिनमें किसी बी प्रकार की निजी महेच्छा व कामना न हो परंतु विश्वशांति की ही भावना हो(क्या यह भी नहीं कर सकते?)।
३) क्या शूद्र को वेद मंत्र सुनने मात्र से दंड मिलता था, या फिर मिलना चाहिए? कहीं सुना है की भगवद्पाद आदि शंकराचार्य के अनुसार जो शूद्र वेद मंत्रों का श्रवण करता है, उसके कान में सीसा गरम करके डालना चाहिए। क्या ये सब सच हैं?
४) क्या स्त्रियाँ सन्यास नहीं ले सकतीं?
५) क्या यज्ञ में पशुबलि का वैदिक विधान है? क्या कलियुग में भी बलि देने का विधान है, या वर्जित है?
६) क्या स्त्रियाँ यज्ञोपवीत धारण करती थीं? यदि हाँ, तो क्या आज भी कर सकतीं हैं? कई मंदिरों में पत्थर में स्त्री नक्काशिओ पर जनेऊ भी उत्कीर्णित की गई है, इसको लोग प्रमाण मानते हैं।
अभी भी बहुत प्रश्न हैं परंतु अभी इतने पर्याप्त हैं। यही प्रश्नों को ले कर आम हिन्दुओं के बीच बहुत झघड़े होते रहते हैं, परिणाम स्वरूप लोग दुख, कुंठा, द्वेष आदि भावनाओं से ग्रसित रहतें हैं, यह वैसे भी अच्छी बात नहीं है। हो सकता है की उन्हें आप का उत्तर न पसंद आए, परंतु कम से कम कोई शास्त्र को पूर्णतया समझ कर उत्तर देगा तो दूध का दूध और पानी का पानी तो होगा।
श्रीमन्नारायण 🙏🏽
नमो नारायणाय आचार्य श्री
महाराज जी क्या पुराण पढ़ने मैं शुद्र वर्ण संकर आदि अधिकृत है और किन किन शास्त्र में अधिकृत है कृपा कर बताइए
जय श्री राम
Ur Gyan supatra me bante.without proper media n proper suport will make u great without criticize .When proper time will accept u n ur power which is so high must change them.Apene Gyan ko samilit hoke Hindu Rajya ka pratishtha karne me sahayog kare.Sri Charan pranam.Donot take it other wise unity is strength.
कृपया भगवान श्रीपरशुराम जी के अवतार रहस्य और उपासना पर वीडिओ बनाएं। नारायण
रहस्य पर वीडियो बनाएं और YT पे upload करें 😀😀।। रहस्य गोपनीय होते हैं उन्हें जानने के लिए उसके योग्य बनना चाहीए। योग्यता सिद्ध होने पर स्वयं प्रकृति ही व्यक्ति को उस ओर प्रेरित कर देती है।।
Aapko bahut bahut dhanyabad🙏🙏🙏bahut hin sunder shastra sammat kathayen jaan kar aankhon mein aansu aa gayee🙏🙏🙏🙏👏👏👏
रायण!
इस कृति पर आलिंगन अनुज!😘😍🥰🥰💪
अद्भुत ❤❤❤😊😊😊
श्रीराम जय राम जय जय राम 😊
नारायण!
इस कृति पर आलिंगन अनुज!😘😍🥰🥰💪
Siya Ram Jai Ram Jai Jai Ram
Bahut acchi jaankaari di aapne Guruji 🙏
Kai acchi acchi kathaye sunne ko mili 🙂🙏🏻
आपके वक्तव्यो को सुनके बहुत शीतलता अनुभव हुई , परंतु आपके वक्तयो पर आधारित पुस्तकों को कैसे पढ़े और कहा प्राप्त होगी कृपया ये भी बताए और धर्म शस्त्रो का स्वध्याय कैसे प्रारम्भ करें इस पर भी एक दृष्टि प्रदान करें , आपके वचनो के लिए सदैव कृतय रहूँगा , दंडवत प्रणाम ।
परशुराम और सहस्रबाहु अर्जुन प्रसंग की व्याख्या जरूर कीजिए.... धन्यवाद...🙏🙏🙏🌹🌹🌹
दास के विनती पर अवश्य ध्यान दीजिये प्रभु जी ॐ 🙏
आचार्य जी महादेव
भगवान श्री कृष्ण ने क्षत्रियों के लिए अस्त्र शस्त्र का प्रयोग चाहे युद्ध में हो या मृग्या में स्वधर्म बताया है।
🙏As a wife myself, loved the मिसखील comment & smile-" ये सदीयोंका complaining of wives to husbands". NCP leader politician (अपराधी/दोशी) Jitendra Awad, not sparing Shree Ram, calling him non-vegetarian, Ramchandraji ate animals hunted.
Bahut hi sundar
निग्राहाचार्य स्वामी जी धर्म ध्वज है
हाहाहाहा
कृपया "धर्मध्वज" शब्द का स्पष्टीकरण दे दें। इसको आपने प्रशस्तिसूचक या फिर निंदासूचक की दृष्टि से यहां प्रयोग किया है...
योगवाशिष्ट में धर्मबंधु एवं धर्मध्वजी शब्द निंदासूचक है अर्थात्, विपरीतार्थबोधक है।
आजकल किंतु कुछ आधुनिक नव्य आध्यात्मिक लोग धर्मबंधु या ध्वज को धर्मसहायक के दृष्टिकोण से प्रयोग करते हैं,
कुछ लोग निग्रहाचार्य जी महाराज को महापंडित भी कहकर भी संबोधन किया है, कितु वे इसको प्रशंसा की दृष्टि से उपयोग करते हैं। शास्त्र में कहीं कहीं महा इत्यादि कुछ शब्द लग जाने से अर्थ विपरीत है जाता है।।
कृपया आपका आशय स्पष्ट कर दें,
मैं विश्वास करता हूँ कि, यह महाराज अनिन्द्य हैं
Sreeman Narayan guruji
गुरू जी श्रीमन्नारायण 🙏🙏
महाभारत में पशूबली संबंधित नीचे दिए हुए श्लोकों की प्रामाणिकता पर एक व्हिडीओ बनाईये जी |
इदं कृतयुगं नाम काल: श्रेष्ठ: प्रवर्तित: |
अहिंस्या यज्ञपशवो युगेस्मिन् न तदन्यथा ||
चतुष्पात् सकलो धर्मोभविष्यत्यत्र वै सुरा: |
ततस्त्रेतायुगं नाम त्रयी यत्र भविष्यति ||
प्रोक्षिता यत्र पशवो वधं प्राप्स्यन्ति वै मखे |
यत्र पादश्चतुर्थो वै धर्मस्य न भविष्यति ||
📖 महाभारत, शांतीपर्व, अध्याय 340, श्लोक 82, 83, 84
इन श्लोकों में साफ साफ बताया गया है की सत्ययुग में यज्ञ के नाम पर पशुवध नही किया जाता था | देवीदेवताओं के नामपर पशुवध करने का पाखंड त्रेतायुग से आरंभ हो गया था | द्वापरयुग में तो बहोत फैल रहा था इसिलिए तो श्रीहरि अपने अंशसे व्यासरूपमें अवतीर्ण हुए और महाभारत ग्रंथ के माध्यम से पाखंड का खंडण किया |
सुरा मत्स्या मधु मांसमासवं कृसरौदनम्।
धूर्तै: प्रवर्तितं ह्येतन्नैतद् वेदेषु कल्पितम्॥
मानान्मोहाच्च लोभाच्च लौलरूमेतत्प्रकल्पितम्।
सुरा, आसव, मधु, मांस और मछली तथा तिल और चावलकी खिचडी - इन सब वस्तुओंको धूर्तोंने यज्ञमें प्रचलित कर दिया है | वेदोंमें इनके उपयोगका विधान नही है | उन धूर्तोंने अभिमान, मोह और लोभके वशीभूत होकर उन वस्तूओंके प्रति अपनी यह लोलुपता ही प्रकट की है |
📖 संदर्भ : महाभारत, शांतीपर्व, अध्याय 265, श्लोक 9, 10
इज्यायज्ञश्रुतिकृतैर्यो मार्गैरबुधोअधम: |
हन्याज्जन्तून् मांसगृघ्नु: स वै नरकाभांनर: ||
जो मांसलोभी अधम मनुष्य श्रुति (वेद) में बताये गये यज्ञ के नामपर पशूओंकी हिंसा करता है, वो नरकगामी होता है |
📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 115, श्लोक 43
स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति |
नास्ति क्षुद्रतरस्तस्मात् स नृशंसतरो नर: ||
जो दूसरों के मांससे अपना मांस बढाना चाहता है, उससे बढकर नीच और निर्दयी मनुष्य दूसरा कोई नही |
📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 7
स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति |
उद्विग्नवासो वसति यत्र यत्राभिजायते ||
जो दूसरों के मांससे अपना मांस बढाना चाहता है, वह जहाँ कही भी जन्म लेता है, चैन से नही रह पाता |
📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 115, श्लोक 34
नैनं ब्यालमृगा घ्नन्ति न पिशाचा न राक्षसा: |
मुच्यते भयकालेषु मोक्षयेद् यो भये परान् ||
जो मनुष्य सब पशूओंपर दया दिखाकर सब जीवोंको भय से छुडाता है, उस मनुष्य पर हिंसक पशु, पिशाच तथा राक्षस कभी प्रहार नही करते | वह भय (संकट) का अवसर आनेपर उससे तुरंत मुक्त हो जाता है |
📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 15
प्राणदानात् परं दानं न भूतं न भविष्यति |
न ह्यात्मन: प्रियतरं किंचिदस्तीह निश्चितम् ||
प्राणदानसे बढकर दूसरा कोई दान न हुआ है और न होगा | क्योंकी प्राणोंसे बढकर प्रियतर दूसरी वस्तु नही है | यह निश्चित बात है |
📖 महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्मपर्व, अध्याय 116, श्लोक 16
लिखने की मर्यादा के कारण आगे के श्लोक इसी मॅसेज के रिप्लाय में डालता हूँ |
ततो दीनान् पशून् दृष्ट्वा ऋषयस्ते तपोधना: |
ऊचु: शक्रं समागम्य नायं यज्ञविधि: शुभ: ||
यज्ञपशुओं की दयनीय अवस्था देखकर तपोधन ऋषी इंद्रके पास जाकर बोले, "यह जो यज्ञ में पशुवधका विधान है, वह शुभकारक नही है |"
📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 12
अपरिज्ञानमेतत् ते महांतं धर्ममिच्छत: |
न हि यज्ञे पशुगणा विधिदृष्टा: पुरंदर ||
पुरंदर ! आप यदि महान धर्म (पुण्य) की इच्छा करते हो तो भी यह पशुवधके लिए उद्यत होना आपका अज्ञान ही है | क्योंकी यज्ञमें पशुओं के वधका विधान शास्त्रमें नही देखा गया है |
📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 13
धर्मोपघातकस्त्वेष समारंभस्तव प्रभो |
नायं धर्मकृतो यज्ञो न हिंसा धर्म उच्यते ||
प्रभो ! आपने जो यज्ञका समारंभ किया है, यह धर्मको हानि पहुचानेवाला है | यह यज्ञ धर्मके अनुकूल नही है, क्योंकि हिंसाको कही भी धर्म नही कहा गया है |
📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 14
आगमेनैव ते यज्ञं कुर्वन्तु यदि चेच्छसि |
विधिदृष्टेन यज्ञेन धर्मस्ते सुमहान् भवेत् ||
यदि आपकी इच्छा हो तो हम ब्राह्मणलोग शास्त्रके अनुसार ही इस यज्ञका अनुष्ठान करे | शास्त्रीय विधिके अनुसार यज्ञ करनेसे आपको महान धर्म (पुण्य) की प्राप्ती होगी |
📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 15
यज बीजै: सहस्त्राक्ष त्रिवर्षपरमोषितै: |
एष धर्मो महान् शक्र महागुणफलोदय: ||
हे सहस्त्रनेत्रधारी इंद्र ! आप तीन वर्षके पुराने बीजों ( जौ, गेहूँ आदि अनाजों ) से यज्ञ करें | यही महान् धर्म है और महान् गुणकारक फलकी प्राप्ती करानेवाला है |
📖 महाभारत, आश्वमेधिकपर्व, अनुगीतापर्व, अध्याय 91 श्लोक 16
बीजैर्यज्ञेषु यष्टव्यमिति वै वैदिकी श्रुतिः।
अजसंज्ञानि बीजानि च्छागं नो हन्तुमर्हथ॥
नैष धर्म: सतां देवा यत्र वध्येत वै पशु: |
यज्ञोमें बीजोंद्वारा यजन करना चाहिए, ऐसी वैदिकी श्रुति है | बीजोंका ही नाम अज है; अत: बकरे का वध करना उचित नही है | जहाँ कही भी यज्ञमें पशुका वध हो, वह सत्पुरुषोंका धर्म नही है |
📖 महाभारत, शांतीपर्व, मोक्षधर्मपर्व, अध्याय 337 श्लोक 4, 5
शृणु मेऽत्र महाराज यन्मां त्वं परिपृच्छसि ।
यानि कर्माण्यहिंस्राणि नरं त्रायन्ति सर्वदा ॥
महाराज! आप जिन कर्मोंके विषय में पुछ रहे है, उन्हे बताता हूँ | जो कर्म हिंसासे रहित है, वे सदा मनुष्यकी रक्षा करते है |
📖 महाभारत, शांतीपर्व, मोक्षधर्मपर्व, अध्याय 296 (पराशरगीता) श्लोक 36
जय हो
20:00
Bhagwan shri Ram ji
🙇🏻♂️🙇🏻♂️ एक प्रश्न स्वामी जी 🙏🏻🙏🏻
गुरु गृह गए पढ़न रघुराइए
अल्प काल विद्या सब आई
मानस जी की इस चौपाई की महिमा स्वामी करपात्री जी, अन्य शंकराचार्य जी, अनेक वैष्णव संतो से सुनी है
तो इस चौपाई का किस विधि, नियम, दिनचर्या, सावधानियों का पालन करते हुए जप करे कि उस स्तर की सिद्धि प्राप्त हो जाए कि बहुत ही अल्प समय में शिक्षा प्राप्त कर सके
श्रीमन्नारायण गुरुजी 🙏💐 । कृपया मुझे कृपया शास्त्रीय पक्ष बताइए मित्र धर्म पर🙏 मेरा मित्र जो वर्षोसे साथ है, मुझसे मन ही मन ईर्षा करता है। वैसे तो सब अच्छा है। मैने उससे बात की। लेकिन बोलता नही।
उसके आचरण से स्पष्ट समझ में आता है। मुझे दुख होता है। कृपया उत्तर जरूर दीजियेगा
अपनी ओर से उसके प्रति हित और सौहार्द का व्यवहार करें। यदि कुमार्ग पर जाता दिखे तो समझाने का प्रयास करें, न समझे तो उपेक्षित करके मौन हो जायें।
@@SwamiNigrahacharya गुरुजी आपका हार्दिक आभार 🙏🙏। आप कितने अच्छे है।
सच में आप बहोत बहोत प्यारे प्यारे हो।💖💖💖💖💖💖
Jai shree ram
Jai Shree Ram.
Swami je Sai ka upwar video baniya🙏
रामजी का शुद्ध मन भरती जी है,और राम आत्मा, शत्रुघ्न जी लक्षमण जी की आत्मा हैं और लक्षमण जी मन है एक मन राम जी जुडा है और एक आत्मा मन से
Bho siri aap ko naman , Balmik ramayan me to likha hai ki Seeta sadhu bane huye Ravan ko kaha ki Ram goh, Shokar ka bahut sa maans lawenge , isme milawat kaise sambhav hai yah bhi Batyen
प्रणाम 🙏🙏 आपके चरण कमलों में
राम मन्दिर के विषय में भी कुछ कहिए
शास्त्र विधि से होगी प्राण प्रतिष्ठा तो क्या कहे प्रतिष्ठा ही कहेंगे
क्या ये प्रतिष्ठा शास्त्र विधि द्वारा,अधिकृत से होगी
???
वास्तुशास्त्र अनुसार भी कुछ कहिए
मुहूर्त शास्त्र अनुसार भी कुछ कहिए
समय निकालिए कृपया विनती है आपसे
निवेदन है आपसे की सारी जानकारी लेकर आप कहिए
की क्या विधि है क्या होनी चाहिए ।
नारायण नारायण
हर हर हर महादेव
maharaj kaise mile aap se
जय श्री राम
हर हर महादेव
🙏🙏🙏
Har har mahadev
Swamiji there is some controversy regarding chronology and authenticity of Yoga Vasishth. It’s author is also questioned though it carries Maharshi Vasishth name. Please clarify .
aap ke sisya bnna chahte hai kuch kripa kr dijie
🙏🙏🙏
Shri sita ram 🙏
👏
💛🌹
पूज्य गुरुदेव आपने बताया कि श्री श्रृंगी ऋषि सरयू नदी के तट पर निवास करते थे जबकि हमारे आगरा जिले में सींगना नामक ग्राम में यमुना जी के तट पर भी श्रृंगी ऋषि का आश्रम बना हुआ है और संत लोग इसे ही उनका प्रमाणिक आश्रम बताते हैं और यहां पर बकायदा श्रृंगी ऋषि की मूर्ति भी है और यह काफी प्राचीन आश्रम है।
कृपया समाधान करें
इसमें कौन सी बड़ी बात है। आजकल के सामान्य व्यक्तियों या महन्तों के भी दो चार स्थानों पर आश्रम या घर होते ही हैं।
श्री महाराज जी की जय हो
महाराज जी श्रृंगी ऋषि का आश्रम बिहार के लखीसराय जिला में भी है,जो कियूल जंक्शन से बीस किलोमीटर पूर्व सुरम्य वादियों में चारों ओर पहड़ों से घिरा हुआ है। यहां पर श्रृंगी ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग भी है तथा अनेक झरने ठंडा गर्म एवं गर्म जल का कुंड है। बहुत मनोरम दृश्य है महाराज जी। प्रशासन और सरकार का रुचि बहुत कम है।
वहां से पहले ज्वालपा भगवती जगदम्बा मैया शेरावाली का भी स्थान है।
यह क्षेत्र प्राचीन काल में अंग प्रदेश के अधीन था। अभी मुंगेर कमिश्नरी में है।
सरकार हम अयोध्या वासी वशिष्ठ गोत्र के हैं
हमारे बालक को पुत्री 28दिसंबर 2023
दिन गुरुवार को हुई है सुबह 9बजकर 42मिनट पर
आपसे राशि का नाम जानना चाहता हूं कृपा कर बतायें और कहने वाला नाम भी आप अपने श्री मुख से रख दें
नामकरण संस्कार के मर्यादा के अनुकूल अपने कुलपरम्परा एक अनुरूप (कुल)पुरोहित के निर्देश में नाम रखें ।। यूं ऐसे नाम रखवाना उक्त संस्कार के मर्यादा का अतिक्रमण है ।।
@@shripurushottamanandaguru6982साधुवाद सरकार उदार,शाश्त्रज्ञ
क्या भगवान श्री राम जी मांस भक्षण भी करते थे?
आधे घंटे की ज्ञान धारा का अंतिम फल तो इतना ही निकला की राम मृगया करते थे।धन्य हो महाराज जी । जो बात गोस्वामी जी ने एक चौपाई में लिखी थी उसपर आधा घंटा खा गए। आप जैसे विद्वानों ने ही शास्त्र का उद्देश्य लील लिया।और ऊपर से आप अवतारी अलग से ठहरे।
आपको सुनने किसने कहा फिर ? एक चौपाई पढ़कर आपको सन्तुष्ट रहना चाहिए था। मतलब आधे घण्टे बोलने का क्या अर्थ है कि जो सिद्ध है, उसे असिद्ध कर दें ? शास्त्र को अनेकों प्रमाणों और विश्लेषणों से प्रयत्नपूर्वक समझाने वाले हमलोग शास्त्रों को लील जाते हैं यदि, तो रामपाल के पास चले जाईये न।
Aap mahamurh ho.
Sader naman. Aap ram mandir pr kuch nahi bol rahe h kyo
Kya kaam sahi ho raha h mandir ko lekar
हरि ओम्
एक चीज बताने का कष्ट करें व्यास ऋषि के पिता जी का क्या नाम था माता जी का क्या नाम था तथा माता की क्या जात थी पिता की क्या जात थी स्पीच शंकर कुछ हो रहा है इसलिए बताने का कष्ट करें
kya shri raam bhagwan mans ka bhoj bhi karte the? kripya batayega
Maharaj bij mantra ka sahi uccha kya hota hai?
क्षत्रियों के लिए द्यूत क्रीड़ा भी मान्य है।
Walikam salam alha karah mo karam sab thik hai
महाराज जी, सादर प्रणाम कबीर पंत के कुछ संत तुलसी कृत रामायण पर गलत बयान देते है जैसे कि...,. अगस्त मुनि समुंदर का जल पीने एत्यादि
Maharaj ji Pranam ye jo sudra wala aapne bataya ki nisedh hai usko thoda smjhayen kyunki iska bada confusion hai
स्त्री, शूद्र, पतित ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि के लिए वेदाध्ययन निषिद्ध है। आर्य समाज और गायत्री परिवार जैसी धूर्त NGO ने शास्त्रों की मनमानी व्याख्या करके सबमें सबका अधिकार वाली बकवास फैलायी है किन्तु सत्य यही है कि वेदाध्ययन बहुत कम ही लोगों के लिए विहित है।
maharaj ek bar milna chahte hai kaise mile aap se
kripya Thora dhyan dedjie bs 5 min aap se marg darsan chahte hai upnisado ke visay me 37:40
जय श्री राम महाराज क्या अब महारामायन जो शिव पार्वती संवादात्मक हैं जिसमे श्री राम जी के ९९ रास लीलाओं का वर्णन हैं एवं जिस की श्लोक संख्या ३५०००० श्लोक हैं क्या वह अब उपलब्ध होती हैं ??
हमें नहीं लगता कि पूर्णतः उपलब्ध है। हां, ऐसे कथानक भुशुण्डि रामायण में अवश्य हैं।
बहुत - बहुत धन्यवाद महाराज जी हमारे प्रश्न का उत्तर देने के लिए
@@bhawnasharma3961भुशुंडी रामायण में सीताराम जी की रास लीला का detail me वर्णन है और वो ग्रंथ पूर्ण रूप से स्वामी nigrahcharya जी के पास भी है
@@SwamiNigrahacharyaस्वामी जी आप से निवेदन है कि आप जो website बनाएंगे us पर भुशुंडि रामायण ग्रंथ जो कि आपके पास पूर्णत सुरक्षित है उसकी pdf आप समय अनुसार upload कर दीजिएगा 🙏🏻
kripya Thora dhyan dedjie bs 5 min aap se marg darsan chahte hai upnisado ke visay me
नमस्कार
कृपया उत्तर देंगे ? जय श्री राम महाराज जी मेरा समाधान कीजिए वालिमिक रामायण में लिखा हुआ है कि कौसल्या माता एक रात घोड़े के सात सोयी थी ये प्रक्षिप्त है क्या , नही है तो अर्थ बताईये जय श्री राम
नहीं। कोई प्रक्षिप्त नहीं है। अश्वमेध का अश्व सामान्य नहीं होता है, आलभन के बाद उसका शरीर देवाभिमान के कारण कपूर में परिणत हो जाता है, ऐसा जैमिनीयाश्वमेध से सिद्ध है अतः वहाँ लोकबुद्धि का आक्षेप व्यवहार्य नहीं।
@@SwamiNigrahacharyaधन्यवाद महाराज जी आपके चरणों में प्रणाम
क्षमा करना लेकिन एक प्रश्न है
घोड़े के साथ सोने का क्या अर्थ है ?
केवल शयन ही किया अथवा शारीरिक संबंध भी बनाए?
@@SwamiNigrahacharyaअश्व के साथ शयन करने का कारण क्या था ?
क्या प्रत्येक अश्वमेध यज्ञ करने वाली की माता अथवा पत्नी को अश्व के साथ शयन करना होता है ?
🙏🙏🚩🚩
सत्योपाख्यान् किस पुराण से है?
स्वतन्त्र ग्रन्थ है किन्तु इसमें वर्णित श्रीरामकथा का सत्यापन भुशुण्डि रामायण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, अध्यात्म रामायण, अगस्त्य संहिता आदि से हो जाता है।
श्रीमान
क्या हिरण क्रूर पशु है?(अगर नही तो भगवान ऐसा क्यों कर रहे है?)
Sach he jangli suvar gaon me pareshan kara to raaja ne maara....movies me dekha 🙏🏻😇. bhagvan ne jo bhi kiya samay n paristithion ke according sahi hi kiya. jai jai samrath ko ni dosh gosain🎉
आमिष भोजन का उत्तर नहीं मिला।
नारायण
Abhyas dummy se karna sahi hoga.....kisi nirdosh ko kast dena, jeevan lena....kya sahi hoga
आपको कैसे पता कि वह निर्दोष है ? क्या उस जीव के कर्म लिखने वाले चित्रगुप्त आप हैं ? शास्त्रों के अनुसार क्षत्रिय मृगया करता है और प्रकृति की प्रेरणा से जो जीव मारे जाते हैं, उनका वैसा ही प्रारब्ध होता है। मृगया का अर्थ केवल हत्या संहार नहीं है न, उसके भी निश्चित नियम हैं कि किसे मारना है, कब मारना है। नियम से विरुद्ध जाने पर पाप का दण्ड भी मिलता है। जीवन भर आप डम्मी से अभ्यास करते रहिये, कुल्हाड़ी से लकड़ी काटते रहिये, युद्ध में माथा काट सकेंगे क्या ? ऐसा होता तो सभी लकड़हारे कुशल सैनिक भी बन जाते।
Humhe hamare isattdev k barre mein aisa nhi sochna chaiye
एक एक व्यक्ति के निजी सोच के अनुसार इष्टदेव कार्य नहीं करते रहते हैं।
जय श्री राम महाराज जी महाराज जी आप अपने एक वक्तव्य में कहा था की शुद्र सीधे ब्राह्मण नहीं बन सकते पहले वैश्य फिर क्षत्रिय बनने के पश्चात ही वह ब्राह्मण बन सकते हैं और ऐसा chandogya उपनिषत की भी श्रुति कह ती हैं तो क्या शुद्र सीधे ब्राह्मण नहीं बन सकते yadhi nahi to क्या वह मोक्ष के भी अधिकारी नहीं हुए कृपया बताए
Moksha ka isase koye sambandh nhi . Kaye kshtriya ko toh bhi moksha Mila hai bina brahman Janam mein gaye . Jaise Maharaj parikshit ko moksh prapt hua tha .
Swadharma ka paalan karte hue sabhi moksh ke adhikaari hain
मोक्ष के तो सब अधिकारी है
गृहस्थ में रहते हुए भगवान की भक्ति कीजिए
आसानी से मोक्ष मिल जाएगा
महाराज जी प्लीज़ मोबाइल में देख कर मत बोला कीजिए । काग़ज़ में देख कर बोलेंगे तो अच्छा भी लगेगा और अधिक प्रामाणिक लगेगा ।
आपकी छवि के अनुरूप नहीं है ।
Shrimannarayan 🙏Hanuman chaleesa ka sudhara roop - Shankar swayam Keshari nandan yani Hanuman ji Bhagwan Shiva ke anshavatar na hokar khud Keshari nandan ho Gaye hain aur Sada raho raghupati Ke dasa ko sadar ho raghupati Ke dasa yani adar poorvak bhagwan ke sevak hoiye agar adar na mile toh mat hoiye 😂
JSRam
Radhe Radhe
Kahan ye apka hi shikaar na Kar de SACH bolne k liye....I worked with Rajiv Dixit Jo sabko ujagar karta tha aap hi ki tarah aur usko marwa dala in dhoorto ne....aap JESE SatyaNishthon ka abhav h kyon ki apni Jaan SE koi kyon haath dhona chahega
Aap ki DEEEEEERGH AYU ho
JSRam
Pat se headshot 😂😂
महाराज जी हमको राम कथा आप सुनाने की क्रपा करेंगे या श्री भागवत कथा सुनाने की क्रपा करें ढोल तबला बाद्ध यंत्रों के बिना कथा सुनाने की क्रपा करें। आजकल के कथा बाचक कथा कम सुनाते हैं गाना, नौटंकी ज्यादा कराते हैं। हमारे ऊपर क्रपा करें।
जय श्री राम
kripya Thora dhyan dedjie bs 5 min aap se marg darsan chahte hai upnisado ke visay me
🎉👏
kripya Thora dhyan dedjie bs 5 min aap se marg darsan chahte hai upnisado ke visay me