गुरु रामपाल जी महाराज की जय।हो संत रामपाल जी महाराज ने उस ज्ञान को दुनिया में उजागर कर दिया जो इन पाखंडियों ने छुपा रखा था सबसे पहले तो उन्होंने इंसान को भाईचारे से रहना सिखाया सत साहिब संत कबीर
संत रामपाल महाराज जी पूर्ण गुरु हैं अब मूर्खों के चक्कर में नही पड़ना क्यों की ये जितने भी मूर्ख थे तो (1)ब्रज का अर्थ जाना की बजाय आना किये (2) उत्तम यानी श्रेष्ठ और अनुत्तम यानी अश्रेष्ठ और इन मूर्खों ने अनुत्तम का अतिउत्तम कर दिया (3) अधः का अर्थ नीचे होता है और इन मूर्ख और पाखंडियो ने ब्रम्हा रूप मुख कर दिया अधः का और ये पाखंडियों ने सनातन का नाम लेकर सनातन का बेड़ा गर्ग कर दिया
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान ही सत्य है ढोंगी शिवांश की दुकान बंद हो गई है इसलिए इसके चेहरे पर मायूसी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है जय हो संत रामपाल जी महाराज की सत साहेब जी 🙏🙏
🪕आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण-सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है।
Jail dhaam me viraje Rampaal se recording wali naam dikhsa lene se pehle uski batai koi bhi ek granth jiski wo baat karta hai , usko khud se ek baar pura jaroor padh lena.....saari sankaae khatam ho jayegi .... Prabhu ne hume buddhi di hai uska rhoda istemaal karo , khud padho , naa ki saamne wale pe andhwiswaas karo .....
Vedon Mein Praman Hai Kabir Dev Bhagwan Sant Rampal Ji Ka granthon se sarvshreshth Gyan Hai Saccha Gyan Hai Praman sahit Gyan Hai Sabka Malik Ek Hai Kabir is God
जितना विरोध होगा उतना ही प्रचार होगा उतना ही संत रामपाल महाराज जी का ज्ञान निखर कर सामने आएगा रामपाल जी महाराज का विरोध करने वाले सही में अपनी दिमागी संतुलन को खो चुके कुछ लोग सनातन, सनातन धर्म जरूर बोलते है लेकिन वास्तव में उनको सनातन धर्म और आदि सनातन धर्म का मतलब ही नहीं पता। संत रामपाल जी से सभी धर्म शास्त्र समझने के पश्चात आज पता चला है। कि किसी को कोई ज्ञान नही है!
में भी एक पंडित हू, मेरे सत गुरु रामपाल गुरू सच्चे गुरु हे कोटी कोटी नमन नर भगवान हो सकता है और ज्ञान के आगे सब बोने हे इसलिए आपसचे सत गुरु हो बाकी मूर्खों का जमावड़ा जो हमारे पालनहार कबीर भगवान कह गए
Jail dhaam me viraje Rampaal se recording wali naam dikhsa lene se pehle uski batai koi bhi ek granth jiski wo baat karta hai , usko khud se ek baar pura jaroor padh lena.....saari sankaae khatam ho jayegi .... Prabhu ne hume buddhi di hai uska rhoda istemaal karo , khud padho , naa ki saamne wale pe andhwiswaas karo .....
@@Satyaa.sharma sankaye to aapko hai, aap aajtak ye decide nhi kar paye, Brahma ji , vishnu ji and shivji ki stithi kya hai, brahm kon hai, phle apni sankao ka samadhan karao apne dharm ke thekedaro ke paas jakar.
सशरीर ऊपर सातवें आसमान पर तख्त पर विराजमान हैं। क्या इसे तत्वदर्शी ज्ञान कहते हैं? कबीर की मूर्ति सामने रखकर मूर्ति पूजा का विरोध। वाह ढोंगी हो गजब का ढोंगी।
दोहा: * प्रथम जन्म के चरित अब कहउँ सुनहु बिहगेस। सुनि प्रभु पद रति उपजइ जातें मिटहिं कलेस॥96 क॥ पूरुब कल्प एक प्रभु जुग कलिजुग मल मूल। नर अरु नारि अधर्म रत सकल निगम प्रतिकूल॥96 ख॥ भावार्थ:-हे प्रभो! पूर्व के एक कल्प में पापों का मूल युग कलियुग था, जिसमें पुरुष और स्त्री सभी अधर्मपारायण और वेद के विरोधी थे॥96 (ख)॥ दोहा: * कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ। दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ॥97 क॥ भावार्थ:-कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दम्भियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए॥97 (क)॥ * भए लोग सब मोहबस लोभ ग्रसे सुभ कर्म। सुनु हरिजान ग्यान निधि कहउँ कछुक कलिधर्म॥97 ख॥ भावार्थ:-सभी लोग मोह के वश हो गए, शुभ कर्मों को लोभ ने हड़प लिया। हे ज्ञान के भंडार! हे श्री हरि के वाहन! सुनिए, अब मैं कलि के कुछ धर्म कहता हूँ॥97 (ख)॥ चौपाई: * बरन धर्म नहिं आश्रम चारी। श्रुति बिरोध रत सब नर नारी। द्विज श्रुति बेचक भूप प्रजासन। कोउ नहिं मान निगम अनुसासन॥1॥ भावार्थ:-कलियुग में न वर्णधर्म रहता है, न चारों आश्रम रहते हैं। सब पुरुष-स्त्री वेद के विरोध में लगे रहते हैं। ब्राह्मण वेदों के बेचने वाले और राजा प्रजा को खा डालने वाले होते हैं। वेद की आज्ञा कोई नहीं मानता॥1॥ * मारग सोइ जा कहुँ जोइ भावा। पंडित सोइ जो गाल बजावा॥ मिथ्यारंभ दंभ रत जोई। ता कहुँ संत कहइ सब कोई॥2॥ भावार्थ:-जिसको जो अच्छा लग जाए, वही मार्ग है। जो डींग मारता है, वही पंडित है। जो मिथ्या आरंभ करता (आडंबर रचता) है और जो दंभ में रत है, उसी को सब कोई संत कहते हैं॥2॥ * सोइ सयान जो परधन हारी। जो कर दंभ सो बड़ आचारी॥ जो कह झूँठ मसखरी जाना। कलिजुग सोइ गुनवंत बखाना॥3॥ भावार्थ:-जो (जिस किसी प्रकार से) दूसरे का धन हरण कर ले, वही बुद्धिमान है। जो दंभ करता है, वही बड़ा आचारी है। जो झूठ बोलता है और हँसी-दिल्लगी करना जानता है, कलियुग में वही गुणवान कहा जाता है॥3॥ * निराचार जो श्रुति पथ त्यागी। कलिजुग सोइ ग्यानी सो बिरागी॥ जाकें नख अरु जटा बिसाला। सोइ तापस प्रसिद्ध कलिकाला॥4॥ भावार्थ:-जो आचारहीन है और वेदमार्ग को छोड़े हुए है, कलियुग में वही ज्ञानी और वही वैराग्यवान् है। जिसके बड़े-बड़े नख और लंबी-लंबी जटाएँ हैं, वही कलियुग में प्रसिद्ध तपस्वी है॥4॥ दोहा: * असुभ बेष भूषन धरें भच्छाभच्छ जे खाहिं। तेइ जोगी तेइ सिद्ध नर पूज्य ते कलिजुग माहिं॥98 क॥ भावार्थ:-जो अमंगल वेष और अमंगल भूषण धारण करते हैं और भक्ष्य-भक्ष्य (खाने योग्य और न खाने योग्य) सब कुछ खा लेते हैं वे ही योगी हैं, वे ही सिद्ध हैं और वे ही मनुष्य कलियुग में पूज्य हैं॥98 (क)॥ सोरठा: * जे अपकारी चार तिन्ह कर गौरव मान्य तेइ। मन क्रम बचन लबार तेइ बकता कलिकाल महुँ॥98 ख॥ भावार्थ:-जिनके आचरण दूसरों का अपकार (अहित) करने वाले हैं, उन्हीं का बड़ा गौरव होता है और वे ही सम्मान के योग्य होते हैं। जो मन, वचन और कर्म से लबार (झूठ बकने वाले) हैं, वे ही कलियुग में वक्ता माने जाते हैं॥98 (ख)॥ इस धरती पर एकमात्र पूर्ण सन्त रामपाल जी महाराज जी ही शास्त्र प्रमाणित ज्ञान और भक्ति विधी बता रहे हैं और ये पाखंडी काल के दूत पूरे मानव समाज को भ्रमित करते आए हैं और कर रहे हैं। लेकिन आज समाज शिक्षित है इसलिए इन मूर्खों की दाल नहीं गलेगी कुछ समय बाद ये मार और खायेंगे अपने चेलों से क्योंकि उनका जीवन नाशक हैं ये धूर्त
@@basantichaudharybasanticha6335 हमने भली भांति जानने के बाद ही कहा है। जो व्यक्ति मोहम्मद को संत बोलता हो, जिसको हिन्दी पढ़ना भी नहीं आती हो , वह जिहादी और उसके चेले कहां जाएंगे। क्वांटम बैज्ञानिकों भी क्वांटम भौतिकी जानने के लिए वेदांत पढ़ते हैं। यह ही यथार्थ ज्ञान है, न कि रामपाल का ।
जय हो संत रामपाल जी महाराज जीकी गुरु जी की कृपा है सिवास जैसे भाई कम से कम शास्त्री की बात अबकरने लगे है संत रामपाल जी को देखकर नहीं तो आज तक किसी ने दिखाई नहीं शास्त्र को खोल कर चलो अच्छा हुआ कम से कम आज का युवा मानव भक्ति की तरफ तो आएगा सभी को 🌹राम राम🌹 सत सहेब🌹
⚡️गीता अध्याय 4 श्लोक 32 सच्चिदानंदघन ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म ने (मुखे) अपने मुख कमल से जो वाणी बोली, उस वाणी में बहुत प्रकार के (यज्ञाः) धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी दी है। जो साधना बताई है, वह कर्म करते-करते की जा सकती है, वह सूक्ष्मवेद यानि तत्त्वज्ञान है। उसको जानकर तू कर्म बंधन से सर्वथा मुक्त हो जाएगा यानि पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा।
यह लोग अपने चैनल को एक्टिव करने के लिए संत रामपाल जी महाराज का विरोध कर रहे हैं ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा देखें क्योंकि संत रामपाल जी महाराज के ही ज्यादा शिष्य सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है
संत रामपाल जी महाराज ही वेद, गीता एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों के आधार पर प्रमाणित एवं सच्चा ज्ञान बताते हैं। तत्वदर्शी एवं पूर्ण संत रामपाल महाराज ही हैं।
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है-धर्मग्रंथों में प्रमाण परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं। इस बात के साक्षी पवित्र वेद, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब हैं। कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र क़ुरान में प्रमाण कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र बाइबल में प्रमाण कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण वेदों में प्रमाण है कि कबीर साहेब प्रत्येक युग में आते हैं। परमेश्वर कबीर का माता के गर्भ से जन्म नहीं होता है तथा उनका पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है। अपने तत्वज्ञान को अपनी प्यारी आत्माओं तक वाणियों के माध्यम से कहने के कारण परमात्मा एक कवि की उपाधि भी धारण करता है। आइए वेदों में प्रमाण जानें यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25 ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17 ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18 ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25 यजुर्वेद में स्पष्ट प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर अपने तत्वज्ञान के प्रचार के लिए पृथ्वी पर स्वयं अवतरित होते हैं। वेदों में परमेश्वर कबीर का नाम कविर्देव वर्णित है।
अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।। हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।। वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2) कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।। मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6) जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।। जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।। वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10) मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13) ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23) तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34) वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32) सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।। जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।। फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66) और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
@@दिलीपसोलंकी-न3ब yea sab top k gole kagaz k gole niklte hai hamare samne, rampal ka top sayampuri k liye jald hi prashthan kare bus usse phale ek baar debate mai ushki pol kholne ko mil jaye
Kabir, pakhandi ki puja jag mein, sant ko kahe labaar, agyani ko param viveki, gyani ko mud gawaar. Ved pade par bhed na jane, banche puraan atharah, paththar ki puja kare, bhul gaye sirjanhara.
मुक्तिदाता संत रामपाल जी महाराज हैं धरती पर वह अवतारी संत, जिनके विषय में कबीर सागर, अध्याय स्वसमबेद बोध के पृष्ठ 121 पर कबीर साहेब ने कहा है: चौथा युग जब कलयुग आई। तब हम अपना अंश पठाई।। काल फंद छूटे नर लोई। सकल सृष्टि परवानिक होई।। पाँच हजार पाँच सौ पाँचा। तब यह वचन होयगा साचा।। कलयुग बीत जाय जब ऐता। सब जीव परम पुरूष पद चेता।।
@@irockleeAre bhai koi nirakar roop nhi hai, Brahm kaal sakar hai, Geeta m bol rhe hai m apni yogmaya se chhipa rhta hu, meri prapti kisi jap tap ya ved me varnit vidhi se nhi ho skti, ispast hai unki pratigya ke karan kisi ko darsan nhi dete , aapne Nirakaar Maan liya.
दुनिया का तारणहार कबीर परमेश्वर ने कबीर सागर के अध्याय ‘‘स्वसमबेद बोध‘‘ के पृष्ठ 171 पर कहा है: पांच सहंस अरू पाँच सौ पाँच, जब कलियुग बीत जाय। महापुरूष फरमान तब, जग तारन को आय।। संत रामपाल जी महाराज ही वह महापुरुष हैं जो संसार के उद्धार के लिए अवतरित हुए हैं।
❤❤ सतलोक बैकुंठ में अखंड मुक्ति नहीं है फिर 84 में आना पड़ेगा इसलिए फिर मत कहना कि हमें किसी ने बताया नहीं था इसलिए अखंड मुक्ति का ज्ञान प्राप्त करो। कलयुग में अखंड मुक्ति का ज्ञान आया हुआ है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है सतयुग त्रेता द्वापर में अखंड मुक्ति का ज्ञान नहीं था केवल मुक्ति का ज्ञान था जो रामपालदे रहा है। लेकिन कलयुग में अखंड मुक्ति का ज्ञान आया है इसलिए कलयुग की महिमा को पहचानो और कलयुग की महिमा के पात्र बनो।
Bhai kis akhand mukti ki baat kr rhe hai, Geeta Gyan data Brahm bol rhe hai 8:16 me brahmlok paryant sabhi lok punravriti mai hai, 4:5 me khud Geeta Gyan data janam mrityu mai hai, jab unki hi mukti nahi ho rahi, aap sadhako ki kya mukti krenge, baat krte ho akhand mukti ki😂😂
@@munnalal-ui6lb जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध। अंधा−अंधा ठेलिया, दून्यूँ कूप पड़ंत॥ जिसका गुरु अँधा अर्थात् ज्ञान−हीन है, जिसकी अपनी कोई चिंतन दृष्टि नहीं है और परंपरागत मान्यताओं तथा विचारों की सार्थकता को जाँचने−परखने की क्षमता नहीं है; ऐसे गुरु का अनुयायी तो निपट दृष्टिहीन होता है। उसमें अच्छे-बुरे, हित-अहित को समझने की शक्ति नहीं होती, जबकि हित-अहित की पहचान पशु-पक्षी भी कर लेते हैं। इस तरह अँधे गुरु के द्वारा ठेला जाता हुआ शिष्य आगे नहीं बढ़ पाता। वे दोनों एक-दूसरे को ठेलते हुए कुएँ मे गिर जाते हैं अर्थात् अज्ञान के गर्त में गिर कर नष्ट हो जाते हैं।
मै तो हर सनातनी से हाथ जोडकर प्राथना करता हु कि आँप सब अपने वेद शास्त्र एक बार जरुर अध्यन करना चाहिए ।।नहि तो हमारी आस्था एह राम पाल जै सो द्वरा लुट लिया जाएगा ।।
अगर सनातन धर्म की साधना रामपाजी महाराज द्वारा नहीं दी जा रही होगी तो में किसी और का शिष्य बन जाऊंगा आप सनातन साधना से रामपाल जी महाराज द्वारा दी गयी साधना मिलाकर देख लेना में बता देता हु रामपालजी महाराज क्या साधना बताते है रामपाल जी महराज सबसे पहले ब्रह्मा, विष्णु',महेश, दुर्गा और गणेश भगवन के मंत्र सुमिरन करने को देते है और बताते है की नियम के साथ 108 मंत्र रोज सुमिरन करना है ये पांच देवताओ की भक्ति सनातन धर्म में की जाती थी जो की अब पूरी तरह से पाखंडियो ने मिटा दी मेरा सवाल आपसे ही है आप रोज इन 5 प्रमुख देवो के कितने मंत्र करते हो ? में तो 120 रोज करता हु जबसे रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली है,
@@LokeshPanchal-kd4nv नादान बालक ! थोड़ा गुरुकुल जाकर शास्त्र पढ़े होते तो रामपाल को तो वैसे भी तुम स्वीकार नहीं करते। रामपाल आज तेरा परमात्मा बन बैठा है, और जेल में अपनी लीलाये कर रहा है।😁😁
@@LokeshPanchal-kd4nvमंत्र जाप से मुक्ति मिलेगी? मंत्र जाप करना गलत नहीं, पर मंत्रो का अर्थ भी नहीं पता तुम्हे। पूछ लूंगा तो धरती डोल जाएगी तेरी। कभी संस्कृत व्याकरण की पुस्तक का मुख भी देखा है, या सिर्फ राँड़पाल की गलत गलत टिप्पणी ही पढ़ कर जीवन को अंधकार में रखकर व्यतीत करना है!
इस पुस्तक में लिखा है, कि परमात्मा अपने साधक के घोर से घोर पापों को नष्ट कर सकता है। अगर वह मरणासन्न स्थिति में भी आ गया है तो भी परमात्मा उसको 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है, जबकि आज तक हमें बताया गया था कि परमात्मा पाप को नहीं काट सकता कर्म का फल तो भोगना ही पड़ता है।
सत साहेब भगत जी जब कृष्ण भगवान से अर्जुन गीता का ज्ञान पुन ज्ञान समझने का प्रयास किया तब कृष्ण भगवान ने कहा कि उस समय योग युक्त होकर ज्ञान दे रहे थे योगयुकत का मतलब अपने से अधिक शक्ति वान से कनेक्टहोना जैसे कोई व्यक्ति ओझागुनी किसी का तकलीफ दूर करने का प्रयासकरता है कहानी का मतलब ओझा गुनी भी अपने से अधिक शक्तिमान से कनेक्ट होकर कार्य को करता है एक बात और हम संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई लाल लालडी का पहचान करलेते है
🪕पूर्ण गुरु की पहचान पूर्ण गुरु तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करेगा जिसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नं. 265 बोध सागर में मिलता है व गीता जी के अध्याय नं. 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या नं. 822 में मिलता है।
मेहनत क्या करे जब आत्मा कबूल कर ही लिया असली ज्ञान को, एक और बात ब्रह्मा विष्णु महेश जी का ज्ञान को कब का हराया जा चुका है और ये पता चल गया है उसके माता पिता h...
♦️कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई। परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
@@stormbless373अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।। हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।। वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2) कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।। मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6) जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।। जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।। वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10) मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13) ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23) तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34) वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32) सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।। जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।। फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66) और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
@@stormbless373संत दरियाव जी महाराज कहते हैं- सोई कन्थ कबीर का, दादू का महाराज । सन्तन का बालमा, दरिया का सिरताज । बोहता जीव तीरे जग माहि, वे जन तारण आया । दास कबीर नामदे दादू, ऐसा मोही लखाया । जनम मरण सू रहित है, खण्डे नहीं अखण्ड । जन दरिया भज राम जी, जिन्हा रची ब्रह्मण्ड ।। आदि अन्त मद्ध नहीं जाको, कोई पार न पावे ताको जन दरिया के साहब सोई, तापर और न दूजा कोई । जैसे जन दरियाव, जिस्या सन कादिक च्यारी । जैसे ध्रु प्रहलाद नाम दे. दास कबीरा ॥ परगट जन दरियाव, ग्यान गोरख ज्यू पूरा ।
♦️ त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया। उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे। धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है:- रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले। धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
में भी ज्ञान चर्चा करने आ सकता हु परन्तु आप जैसे ही हारने लगोगे मुझे भी हटा दोगे , या तो जब तक की में आप जो चाहते है वही बोलू तो ही ज्ञान चर्चा करोगे तो मेरा आपके चैनल पर ज्ञान चर्चा के लिए आना महा मूर्खता है, और में तो ये भी बोलूंगा की जो भी ज्ञान चर्चा के लिए आ रहा है वो भी १ नंबर का मुर्ख है, भाई जब आपको बोलने ही नहीं दिया जा रहा है तो क्यों आ रहे हो इसके चैनल पर , थोड़ा तो अपना दिमाग लगाओ ? जितने भी आये क्या इसने किसी को बोलने दिया ?
ऐसे मिलेगा भगवान गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। जिनके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
Geeta gyan ke bahut pehle Vedo me brahm ki sadhna ka Om mantra hai esa varnan hai- Yajurveda adhyay 40 mantra 15 and 17. Durga puraan ke satva skandh adhyay 36 me bhi Brahm sadhna ka mantra om hi hai. Geeta adhyay 8 shlok 13 me bhi Om brahm sadhna ka mantra hi bataya gaya hai. ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहारन्मामनुष्मरन् यः प्रयाति त्यजन्धेहं स याति परमं गतिम् 8-13 Isse sidhh hai ki Om brahm sadhna ka mantra hai or geeta gyan bhi brahm ho ne bola tha.
धरती पर अवतार सिख धर्म की पुस्तक 'जन्म साखी भाई बाले वाली' (हिन्दी) के पृष्ठ 305 में दिया गया विवरण स्पष्ट करता है कि संत रामपाल जी महाराज ही वह अवतार हैं जो परमेश्वर कबीर जी तथा संत नानक जी के पश्चात् पंजाब की धरती पर अवतरित हुए हैं जो इन्हीं के समान महिमावान व ज्ञानवान हैं।
🪕 पूर्ण सन्त उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है। पूर्ण सन्त उसी से दान ग्रहण करता है जो उसका शिष्य बन जाता है फिर गुरू देव से दीक्षा प्राप्त करके फिर दान दक्षिणा करता है उस से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा।
Verma ji apke jo guru senior ho unhe is tarah ki charcha mai lake aye. Nhi tho apke is tarah comment se na tho guru ka samaan hoga is tarah ki baato. Ye bilkul wesa hi hai. Jaise kisi ek admi ko kisi dusre admi ne pita or woh behosh gya phir gali de raha . Chila raha kaha gya aaj mai tujhe chhodunga nhi. Aap sayd baat samjj gye ho. Kis ucch star ke guru ko laye hame bi sikhne ko mile kya sahi kya galat
@@mkverma9468 किसी भी वस्तु का अध्ययन किय विना बिरोध कर्ना अज्ञानता है। अधूरा ज्ञान कहा लेजाता है हमे यह तो आपको पता होना चाहिय। अभि आप लोग कहाँ पर है जैसे :- किसी जगह पुलिस ने किसी के उपर गोली चलाई बस इतना तो आपने देखलिया आगे पिछे के सम्झे विना आप गाव मे बोलेङगे पुलिसने गोलि चलाकर किसीको मार्दिया यहा आपके समझ से पुलिस हि दोसी होगा । पुलिस ने किस लिय गोली चलाइ ऐसे ही पुलिस किसी के उपर गोलि तो नही चलायगा । अध्ययन पुर्ण किय विना किसी को दोसी ठहरना और उसीमे अडे रहना यह तो एक मुर्खता जैसे है। इसी बात मे और बोलेंगे समाज शिक्षित हो चुका है । शाक्षरता होना ओर ज्ञान होना दोनो भिन्न रूप है।
♦️कबीर परमेश्वर हजरत मुहम्मद जी को मिले थे। कबीर साहेब हजरत मुहम्मद जी को सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी ने मान-बड़ाई के कारण कबीर साहेब का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था। कबीर साहेब ने कहा है- हम मुहम्मद को सतलोक ले गया, इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।। उलट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया ।।
आपको वेद, गीता एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करना चाहिए। जब आपको वास्तविक बात कोई व्यक्ति बताना चाहता है तो या तो आप उस व्यक्ति को बोलने नहीं देते हो या उसको अपने से हटा देते हो। संत रामपाल जी महाराज ही वेद, गीता एवं प्रमाणित ग्रंथों के आधार पर ज्ञान बताते हैं।
Shri krishna ji and kaal alag alag hai- 1. Shiv puran mai sadashiv or kalroopi brahm ke aneko pramaan hai rudra sanhita me. 2. Durga puraan mein brahm ki sadhna ka om mantra hai, shri krishna ji ka nhi. Satve skandh me 3. Shri krishna ji ki utpatti se pehle vedo mein om brahm sadhna ka mantra hai yajurveda adhyay 40 mantra 15 and17 4. Geeta adhyay 8 shloka 13 mein on brahm sadhna ka mantra hai. 5. Geeta adhya 7 shlok 15 , sab trigunmayi maya arthat Brahma ji, vishnu ji, shiv ji ki maya pr ashrit hai, brahm sadhna nahi krte 6.Geeta adhyay 7 shlok 19, sb jansamudaya devtao tk hi ashrit, brahm sadhna nahi krte 7. Geeta adhyay 7 shlok 20, devtao se pare mujh brahm ko nhi bhajte. 8. Geeta adhyay 8 shlok 13 mujh brahm ka om mantra hai, shri krishna ji ka nhi 9. Geeta adhyay 11 shlok 32 , arjun mein badha hua kaal hu, 10. Geeta adhyay 11 shlok 46 , he shastra baho apne chaturbhuj roop me aao, kaal ke 1000 bhujaye hai jabki shri krishna ji ke 4 bhujaye and 16 kalaye hai 12. Geeta adhyay 11 shlok 47, arjun ye mera kaal roop phle kisi ne nahi dekha jabki krishna ji apna viraat roop korvo ki sabha me dikha chuka the 13. Geeta adhyay 11 shlok 48 , ye mera roop vedo me varnit vidhi, jap tap se nhi dekha ja skta. 14. Adhyay 13 shlok 19 , prakriti se utpann teeno gun- brahma , vishnu, shivji ki utpatti ka pramaan jo inka pita bta rha brahm 15. Geeta adhyay 14 shlok 3-4, Prakriti arthat durga ji to garabh dharan karne vaali mata h or brahm arthaht kaal beej staphit karne vaala pita. Durga ji se brahma, vishnu, shiv ki utparti ka pramaan durga puraan mai hai, vishnu ji putra hai beej staphit karne vaale pita nhi. 16. Sat raj tam ka pramaan geeta adhyay 14 shlok 5. 17. Geeta adhyay 15 shlok 16 me do bhagwaan ka pramaan. Iske atirikt bhi aneko pramaan hai, ek me kaha hai ye mujhe vyakti apnam manyate arthat vyakti roop me aaya maante hai,lekin mein vyakti nhi hu arthat krishna ji nhi hu, yogmaya se chhipa rhta hu, vishnu puraan me pretvat pravesh karne ka pramaan bhi hai... Isse sidh hota hai Geeta gyan data brahm arthat sadashiv arthat chhar purush arthat kaal hai , Shri krishna ji nhi
शिवांश जी इतने ऊंचे पद पर बैठकर जो आपने खीर वाली दूध से नहाने की बात कही है । कोई वीडियो या कोई प्रूफ है आपके पास क्या आप भी सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करते हो । युटुब पर सर्च करो बहुत से बाबा नहाते हुए मिल जाएंगे दूध से । उनके ऊपर बोला कभी आपने ।
ये शिवांश नारायण द्विवेदी एक तरफ तो सनातनी होने का ढोंग करता है और इसका इष्ट है त्रेता युग में आये राम , जबकि सनातन धर्म तो इससे भी पहले का है , अब ये भाई खुद सनातनी भक्ति छोड़ कर रामजी को इष्ट मान बैठे है , क्या सतयुग में भी राम जी की भक्ति होती थी ? अगर हां तो दिखा दो वेदो कही लिखा है राम की भक्ति करना है सबसे सनातनी शास्त्र तो वेद ही है सच तो ये है की बस शिवांश को अपनी पाखंड की दुकान चलना है और जो पाखंडी है वो उसके साथ है
विनाशकाले विपरीत बुद्धि , अब इन पाखंडियो का धंधा बंद होने वाला है इसलिए इनकी बुद्धि विपरीत हो गयी है , सच बात तो ये है कि आज तक किसी ने शास्त्र खोल के भी नहीं देखे थे , परन्तु जब से रामपाल जी महाराज का ज्ञान प्रकाश में आया तब इन पाखंडियो ने शास्त्रों को पड़ना शुरू किया , अब ये भी मानते है की ब्रह्म विष्णु महेश भी जनम मृत्यु में है , ये बोलता है आत्मा से अविनाशी है तो भाई आत्मा से तो गधा, मच्छर , सुवर ,गटर का कीड़ा ये भी अविनाशी है कल को इनको भी मंदिर में बिठा दोगे ? बस इनको इनकी बात बोलनी होती है तो तत्त्व से अविनाशी बोल देते है ,
@@LokeshPanchal-kd4nvरामपाल जी की तरफ से एक छोटा सा बच्चा आया था डिबेट में उसको भी म्यूट करना पड़ा । वह बोलता रह गया मेरी बात सुनो मेरी बात सुनो उसको रिमूव कर दिया बोलता है इसलिए हटाना पड़ा यह जाते जाते ऐसी बात बोलकर जाता के लोग वाह वाह करते फिर रील बना देते । अगर प्रमाणित बात करके जाता तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी लोकवेद बोलकर जाता तो आप ही उसकी रील बना देते । इतना घबराना नहीं चाहिए था
@@Kasan4522 सच्चाई तो ये है की ये शिवांश भाई खुद गुरु बन बैठा है, अब अगर इसके चलो के सामने अगर ये हार जाता है ज्ञान चर्चा में तो इसके सम्मान को बहुत बड़ी ठेस पहुँचती है , बस उसी झूठी शान के चक्कर में ये किसी को बोलने का मौका ही नहीं देता और इसको बहुत भयंकर डर रहता है की अगर इसने कुछ ऐसा पूछ लिया जिसका में जवाब नहीं दे पाया तो फिर इसका अपमान हो जायेगा भाई साहब जो शिवांश जी सुन्ना चाहते है अगर सामने वाला वो उत्तर न देते हुए उससे बेहतर उत्तर दे दे तो भी इनको बड़ा दुःख होता है इसलिए वो सामने वाले पर दबाव बनाते है की जो में सुन्ना चाहता हु वही बोले नहीं तो में आपको हटा दूंगा , और अंत में वो यही करते है, सामने वालो को बोलने भी नहीं देते खुद ही फैसला कर लेते है सामने वाले को सुने बिना
तुझे पहले भी बोला नकली आईडी से मत आया कर रामपाल तो गोरखनाथ जी का अपमान करता हैं उनकी भक्ति का विरोध करता हैं ओर तु पाखंडी रामपाल का गुणगाण करता हैं रही दूध की तो वो प्रमाण हैं ये शिवांश जी ने नहीं कहाँ वीडियों सुन ले ये बात अन्य कह रहे हैं वो क्यों ना कहे रामपाल भगवानो को गालियाँ देता हैं उनके चेले वीडियों में गालियाँ देते हैं अशब्द बोलते हैं ...............गुरुगोरखनाथ जी का अपमान करते हैं तु यहाँ रामपाल का प्रचार कर रहा हैं थोडी शर्म कर ले
⚡️ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 “अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।। परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है।
Gyaani baba adhenya ka arth kab se kuwari gaay hone Laga ,😂😂😂😂ek Baar Sanskrit sabd kos utha ke Dekho to ,aur Yaha som aur indr devta ki BAAT ho rahi he Somindray=som+Indra
Are gyaniyo, jis gaye ke sath hinsa nahi hui ho(jisko sand ne touch na kiya ho ) or Som+ Indra - amar parmeshwar ke liye use hua hai, ye Indra ki utpatti se phle hi avtarit ho gye hai ved. Kaal prabhav vas aapko budhdhi m aane vaala nhi h
@@Lokeshkumar-ot8xn adhenya ka arth kuwari gaay agar Kisi bhi Sanskrit kos me likha ho ,to dikhao ,me bhi Rampal se dikhsha le lunga ,,aur Somindray is me some aur Indra ka wardan he,,kaha se sikhi Sanskrit Bhai🤣🤣🤣
@@Lokeshkumar-ot8xn aur ek BAAT batao Bhai Hinsa ka arth - Bina bel dwara touch Kari huyi gaay kese ho gaya 🤣🤣🤣ha humare samjh me nhi aayega ,jinke guruo ne Vedo ke mantra,arth diye ,unko ved samjh me nhi Aaye🤣🤣usko samjh me aa gaye ,jisne kabhi Sanskrit tak nhi padi,🤣🤣🤣itna gyaan late kaha se ho Bhai ,thodi to saram kar lo Bhai ,jisne puri train bana ke di ,aap usko bol Rahe ho agyaani isko samjh nhi paya ki ye train chalti kese he🤣🤣🤣
Bhai hasi to mujhe tab aayi thi jab inhone ek video me bol diya ki me to moksh prapt kar chuka hu, aap logo ke kalyan ke liye channel chala raha hu 😂😂😂😂 Itna tamsi vyakti agar moksh prapt kar sakta hai to Geeta aur ved ko aag laga do fir jo bolte hai ki gyan vo hota hai jisko kisi bhi baat par na to gussa aata hai aur na hi shok hota hai Aur ye bachho jaisa jara si baat me naraj ho jata hai, 2 minute bhi bina gusse ke bol nahi pata hai , aur itna jyada chilla chilla kar bolta hai ki samne wale ke kaan fat jaye Agar ye moksh prapt vyakti ke lakshan hai to fir duniya ke saare kutto ka to moksha ho hi gaya hoga 😂😂😂😂
@@LokeshPanchal-kd4nv Sahi kaha lokesh bhai aapne 😂😂😂😂 aise logo ka moksh hone laga to jitne gussa karne wale log hai vo sab brahm me sama jayenge aur fir brahm kaal ban jayega aur duniya ko khaa jayega😂😂😂😂😂
Mirchi 😂अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।। हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।। वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2) कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।। मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6) जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।। जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।। वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10) मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13) ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23) तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34) वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32) सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।। जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।। फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66) और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
🎈एक बार जीवा और दत्ता दो भाइयों ने ठाना कि पृथ्वी पर कोई पूर्ण संत होगा तो उनके चरणामृत से सूखी डाली हरी हो जाएगी उन्होंने उस समय के सभी प्रसिद्ध सन्तों/गुरुओं की परीक्षा ली, कुछ नहीं हुआ अन्त में जिन्दा महात्मा के रूप में प्रकट कबीर साहिब जी का चरणामृत सूखी डाली पर डाला तो उसी समय वह हरी-भरी हो गयी। इसका प्रमाण आज भी गुजरात के भरुच शहर में मौजूद है। वह पेड़ कबीर वट के नाम से जाना जाता है।
Sister, in Shastro ko Ved or Geeta ji se match kro, jo match ho jaega vo pramanik hai or Jo match nhi hota hai , vo rishiyo ka apna mat hai, bhagwaan ka vidhaan nhi.
गीता जी मैं यह लिखा है कि जो पितृ पूजा करेंगे वह पितृ बनेंगे, भूत पूजा करेंगे भूत बनेंगे देवता पूजेंगे तो देवताओं के पास जाएंगे। तो यह बताइए हमें आज तक की कैसी साधना क्यों बताई गई जिसके करने के बाद हम लोग पितृ बन जाएं, भूत बन जाए स्वर्ग जाना तो दूर , यह साधना करके भूत पहले बन जाएंगे यह बात ज्ञान गंगा में लिखी गई है
Mirchi 😂😂😂😂😂 अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।। हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।। वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2) कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।। मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6) जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।। जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।। वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10) मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13) ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23) तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34) वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32) सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।। जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।। फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66) और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
Sant Rampal Ji Maharaj true sant संत श्री नाभा दास जी महाराज कबीर कानि राखी नहीं, वरनाश्रम षट्दरसनी । आरूढ़ दसा है जगत पर, मुखदेखी नाहिन भनी ।। भक्ति बिमुख जो धर्म, सोइ अधर्म करि गायो । योग यज्ञ व्रत दान, भजन बिन तुच्छ दिखायो ।। हिन्दू तुरुक प्रमान, रमैनी सबदी साखी । पक्षपात नहि वचन, सबन के हित की भाखी ।। नाम अधिक रघुनाथ तें, राम निकट हनुमत कह्यो । कबीर कृपा तें परमतत्त्व, पदम् नाभ परचै लह्यो ।।
Aag lagi Sansar Mein jarjar padega Sant Rampal Ji Nahin Aate Jagat mein to Jalandhar Sansar vedon Mein Praman Hai Kabir Dev Bhagwan Sant Rampal Ji ka saccha Gyan hai
बहुत ही अच्छा खूबसूरत ज्ञान है संत रामपाल जी महाराज का
बहुत ही अनमोल ज्ञान है संत रामपाल जी का नमन है गुरु जी को, सत साहेब जी
गुरु रामपाल जी महाराज की जय।हो संत रामपाल जी महाराज ने उस ज्ञान को दुनिया में उजागर कर दिया जो इन पाखंडियों ने छुपा रखा था सबसे पहले तो उन्होंने इंसान को भाईचारे से रहना सिखाया सत साहिब संत कबीर
संत रामपाल महाराज जी पूर्ण गुरु हैं अब मूर्खों के चक्कर में नही पड़ना क्यों की ये जितने भी मूर्ख थे तो (1)ब्रज का अर्थ जाना की बजाय आना किये (2) उत्तम यानी श्रेष्ठ और अनुत्तम यानी अश्रेष्ठ और इन मूर्खों ने अनुत्तम का अतिउत्तम कर दिया (3) अधः का अर्थ नीचे होता है और इन मूर्ख और पाखंडियो ने ब्रम्हा रूप मुख कर दिया अधः का और ये पाखंडियों ने सनातन का नाम लेकर सनातन का बेड़ा गर्ग कर दिया
कबीर और ज्ञान सो ज्ञानरी कबीर ज्ञान सो ज्ञान
जैसे गोला तोप का करता चले मैदान
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान ही सत्य है ढोंगी शिवांश की दुकान बंद हो गई है इसलिए इसके चेहरे पर मायूसी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है जय हो संत रामपाल जी महाराज की सत साहेब जी 🙏🙏
🪕आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण-सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है।
बिलकुल 😊
Jail dhaam me viraje Rampaal se recording wali naam dikhsa lene se pehle uski batai koi bhi ek granth jiski wo baat karta hai , usko khud se ek baar pura jaroor padh lena.....saari sankaae khatam ho jayegi ....
Prabhu ne hume buddhi di hai uska rhoda istemaal karo , khud padho , naa ki saamne wale pe andhwiswaas karo .....
@Callofdharma1 aap na gyan tum aapne pasi rakho tomko hi padlo
Tum bhi apna gyan apne pass rakh aur wo rampal bhi 😂😂@@Kabir_is_powerful_God
Vedon Mein Praman Hai Kabir Dev Bhagwan Sant Rampal Ji Ka granthon se sarvshreshth Gyan Hai Saccha Gyan Hai Praman sahit Gyan Hai Sabka Malik Ek Hai Kabir is God
जितना विरोध होगा उतना ही प्रचार होगा उतना ही संत रामपाल महाराज जी का ज्ञान निखर कर सामने आएगा रामपाल जी महाराज का विरोध करने वाले सही में अपनी दिमागी संतुलन को खो चुके कुछ लोग सनातन, सनातन धर्म जरूर बोलते है लेकिन वास्तव में उनको सनातन धर्म और आदि सनातन धर्म का मतलब ही नहीं पता।
संत रामपाल जी से सभी धर्म शास्त्र समझने के पश्चात आज पता चला है। कि किसी को कोई ज्ञान नही है!
रामपाल बहुत बड़ा पाखंडी है इसको कोई ज्ञान नहीं
yea adi sanatan kaya hota hai?
@@Radhikar_pad tuhi log to kahete ho
@@basantichaudharybasanticha6335 hum kaha adi sanatan kaha sirf sanatan hota hai.
@@Radhikar_pad ohh sanatan hu kaha hay....adi nahi adi apne chodha hay
संत को जानना भगवान को जानना और सत ग्रन्थों को समझना कोई बालकों का खेल नहीं है तत्वदर्शी संत ही सर्व शास्त्रों का ज्ञान दे सकते हैं
कबीर ज्ञान सो ज्ञान और ज्ञान सब ज्ञानढी जैसे गोला तोप का करत चले मैदान ll
पुरी विश्व में एक मात्र शास्त्रोंक्त सत्य भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज के पास है। बाकि निराधार मनमुखी साधना हैं।
में भी एक पंडित हू, मेरे सत गुरु रामपाल गुरू सच्चे गुरु हे कोटी कोटी नमन नर भगवान हो सकता है और ज्ञान के आगे सब बोने हे इसलिए आपसचे सत गुरु हो बाकी मूर्खों का जमावड़ा जो हमारे पालनहार कबीर भगवान कह गए
जन्म से कोई पंडित नहीं होता ज्ञान भी होना जरूरी है पंडित को ब्राह्मण कहते है इसी का अर्थ बता दो पता चल जाएगा कितने बड़े पंडित हो
Brahman soi jo Brahm(Bhagwan) pehchane , Pandit soi jo pind(Sharir or Brahmand) ki Jaane
Jail dhaam me viraje Rampaal se recording wali naam dikhsa lene se pehle uski batai koi bhi ek granth jiski wo baat karta hai , usko khud se ek baar pura jaroor padh lena.....saari sankaae khatam ho jayegi ....
Prabhu ne hume buddhi di hai uska rhoda istemaal karo , khud padho , naa ki saamne wale pe andhwiswaas karo .....
@@VinodPant-hl8cn kabir permeshwar ki jai ho
@@Satyaa.sharma sankaye to aapko hai, aap aajtak ye decide nhi kar paye, Brahma ji , vishnu ji and shivji ki stithi kya hai, brahm kon hai, phle apni sankao ka samadhan karao apne dharm ke thekedaro ke paas jakar.
तत्व दर्शी हुए थे लेकिन अभी इस समय धरती पे संत रामपाल जी महराज के शिवा कोई भी नहीं है ok
सशरीर ऊपर सातवें आसमान पर तख्त पर विराजमान हैं। क्या इसे तत्वदर्शी ज्ञान कहते हैं? कबीर की मूर्ति सामने रखकर मूर्ति पूजा का विरोध। वाह ढोंगी हो गजब का ढोंगी।
कबीर ज्ञान अटपटा झटपट समझ में ना आए झटपट समझ में आए तो खट-पट ही मिट जाए
Aaphi unke sawalo ka jawab dedo...
Aapke pass hoto
दोहा:
* प्रथम जन्म के चरित अब कहउँ सुनहु बिहगेस।
सुनि प्रभु पद रति उपजइ जातें मिटहिं कलेस॥96 क॥
पूरुब कल्प एक प्रभु जुग कलिजुग मल मूल।
नर अरु नारि अधर्म रत सकल निगम प्रतिकूल॥96 ख॥
भावार्थ:-हे प्रभो! पूर्व के एक कल्प में पापों का मूल युग कलियुग था, जिसमें पुरुष और स्त्री सभी अधर्मपारायण और वेद के विरोधी थे॥96 (ख)॥
दोहा:
* कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ।
दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ॥97 क॥
भावार्थ:-कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दम्भियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए॥97 (क)॥
* भए लोग सब मोहबस लोभ ग्रसे सुभ कर्म।
सुनु हरिजान ग्यान निधि कहउँ कछुक कलिधर्म॥97 ख॥
भावार्थ:-सभी लोग मोह के वश हो गए, शुभ कर्मों को लोभ ने हड़प लिया। हे ज्ञान के भंडार! हे श्री हरि के वाहन! सुनिए, अब मैं कलि के कुछ धर्म कहता हूँ॥97 (ख)॥
चौपाई:
* बरन धर्म नहिं आश्रम चारी। श्रुति बिरोध रत सब नर नारी।
द्विज श्रुति बेचक भूप प्रजासन। कोउ नहिं मान निगम अनुसासन॥1॥
भावार्थ:-कलियुग में न वर्णधर्म रहता है, न चारों आश्रम रहते हैं। सब पुरुष-स्त्री वेद के विरोध में लगे रहते हैं। ब्राह्मण वेदों के बेचने वाले और राजा प्रजा को खा डालने वाले होते हैं। वेद की आज्ञा कोई नहीं मानता॥1॥
* मारग सोइ जा कहुँ जोइ भावा। पंडित सोइ जो गाल बजावा॥
मिथ्यारंभ दंभ रत जोई। ता कहुँ संत कहइ सब कोई॥2॥
भावार्थ:-जिसको जो अच्छा लग जाए, वही मार्ग है। जो डींग मारता है, वही पंडित है। जो मिथ्या आरंभ करता (आडंबर रचता) है और जो दंभ में रत है, उसी को सब कोई संत कहते हैं॥2॥
* सोइ सयान जो परधन हारी। जो कर दंभ सो बड़ आचारी॥
जो कह झूँठ मसखरी जाना। कलिजुग सोइ गुनवंत बखाना॥3॥
भावार्थ:-जो (जिस किसी प्रकार से) दूसरे का धन हरण कर ले, वही बुद्धिमान है। जो दंभ करता है, वही बड़ा आचारी है। जो झूठ बोलता है और हँसी-दिल्लगी करना जानता है, कलियुग में वही गुणवान कहा जाता है॥3॥
* निराचार जो श्रुति पथ त्यागी। कलिजुग सोइ ग्यानी सो बिरागी॥
जाकें नख अरु जटा बिसाला। सोइ तापस प्रसिद्ध कलिकाला॥4॥
भावार्थ:-जो आचारहीन है और वेदमार्ग को छोड़े हुए है, कलियुग में वही ज्ञानी और वही वैराग्यवान् है। जिसके बड़े-बड़े नख और लंबी-लंबी जटाएँ हैं, वही कलियुग में प्रसिद्ध तपस्वी है॥4॥
दोहा:
* असुभ बेष भूषन धरें भच्छाभच्छ जे खाहिं।
तेइ जोगी तेइ सिद्ध नर पूज्य ते कलिजुग माहिं॥98 क॥
भावार्थ:-जो अमंगल वेष और अमंगल भूषण धारण करते हैं और भक्ष्य-भक्ष्य (खाने योग्य और न खाने योग्य) सब कुछ खा लेते हैं वे ही योगी हैं, वे ही सिद्ध हैं और वे ही मनुष्य कलियुग में पूज्य हैं॥98 (क)॥
सोरठा:
* जे अपकारी चार तिन्ह कर गौरव मान्य तेइ।
मन क्रम बचन लबार तेइ बकता कलिकाल महुँ॥98 ख॥
भावार्थ:-जिनके आचरण दूसरों का अपकार (अहित) करने वाले हैं, उन्हीं का बड़ा गौरव होता है और वे ही सम्मान के योग्य होते हैं। जो मन, वचन और कर्म से लबार (झूठ बकने वाले) हैं, वे ही कलियुग में वक्ता माने जाते हैं॥98 (ख)॥
इस धरती पर एकमात्र पूर्ण सन्त रामपाल जी महाराज जी ही शास्त्र प्रमाणित ज्ञान और भक्ति विधी बता रहे हैं और ये पाखंडी काल के दूत पूरे मानव समाज को भ्रमित करते आए हैं और कर रहे हैं। लेकिन आज समाज शिक्षित है इसलिए इन मूर्खों की दाल नहीं गलेगी कुछ समय बाद ये मार और खायेंगे अपने चेलों से क्योंकि उनका जीवन नाशक हैं ये धूर्त
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान प्रमाणित ज्ञान हैं
Sant Rampal Ji Maharaj ki koti koti dandawat pranam
संत रामपाल जी महाराज ही परम ग्यानी है जिनकी बताई भक्ति से ही लोगो को सर्व सुख मिल रहे है व कैन्सर जैसी बीमारी भी खत्म हो रही है सत् साहेब
इनकी बताई भक्ति से भूत प्रेतों और नरक की यातनाओं को झेलना अवश्य पड़ेगा। नरक में आपका स्वागत है 😅😅😅😅😅
@@hariram1462 pahele apna dekh le bhai dusare k chinta mat kar 🤣
@@basantichaudharybasanticha6335 हमने भली भांति जानने के बाद ही कहा है। जो व्यक्ति मोहम्मद को संत बोलता हो, जिसको हिन्दी पढ़ना भी नहीं आती हो , वह जिहादी और उसके चेले कहां जाएंगे। क्वांटम बैज्ञानिकों भी क्वांटम भौतिकी जानने के लिए वेदांत पढ़ते हैं। यह ही यथार्थ ज्ञान है, न कि रामपाल का ।
Tu bhi apna dekh@@basantichaudharybasanticha6335
भगवान बीमारी नही ठीक करता मूर्ख उसे वैद्य या डॉक्टर कहते हैं, सब के सब मूर्ख हो।
जय हो संत रामपाल जी महाराज जीकी गुरु जी की कृपा है सिवास जैसे भाई कम से कम शास्त्री की बात अबकरने लगे है संत रामपाल जी को देखकर नहीं तो आज तक किसी ने दिखाई नहीं शास्त्र को खोल कर चलो अच्छा हुआ कम से कम आज का युवा मानव भक्ति की तरफ तो आएगा सभी को 🌹राम राम🌹 सत सहेब🌹
Waise ye dibbe me pade the shastra 😂😂😂😂
⚡️गीता अध्याय 4 श्लोक 32
सच्चिदानंदघन ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म ने (मुखे) अपने मुख कमल से जो वाणी बोली, उस वाणी में बहुत प्रकार के (यज्ञाः) धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी दी है। जो साधना बताई है, वह कर्म करते-करते की जा सकती है, वह सूक्ष्मवेद यानि तत्त्वज्ञान है। उसको जानकर तू कर्म बंधन से सर्वथा मुक्त हो जाएगा यानि पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा।
सन्त रामपालजी माहाराज का जय
बेद मे प्रमाण हे कबिर साहेब भगवान हे
गिता मे प्रमाण हे कबिर साहेब भगवान हे
पुराण मे प्रमाण हे कबिर साहेब भगवान हे
Very funny😂😂😂😂😂
रामपाल हत्यारा है
अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन बाकी डार तीनों देवा शाखाएं है पात रूप संसार
@@MukeshKumar-vd3hv From kabad sager
Sat sahib ji
यह लोग अपने चैनल को एक्टिव करने के लिए संत रामपाल जी महाराज का विरोध कर रहे हैं ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा देखें क्योंकि संत रामपाल जी महाराज के ही ज्यादा शिष्य सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है
संत रामपाल जी महाराज ही वेद, गीता एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों के आधार पर प्रमाणित एवं सच्चा ज्ञान बताते हैं। तत्वदर्शी एवं पूर्ण संत रामपाल महाराज ही हैं।
😂
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है-धर्मग्रंथों में प्रमाण
परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं। इस बात के साक्षी पवित्र वेद, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब हैं।
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र क़ुरान में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र बाइबल में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण
वेदों में प्रमाण है कि कबीर साहेब प्रत्येक युग में आते हैं। परमेश्वर कबीर का माता के गर्भ से जन्म नहीं होता है तथा उनका पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है। अपने तत्वज्ञान को अपनी प्यारी आत्माओं तक वाणियों के माध्यम से कहने के कारण परमात्मा एक कवि की उपाधि भी धारण करता है।
आइए वेदों में प्रमाण जानें
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
यजुर्वेद में स्पष्ट प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर अपने तत्वज्ञान के प्रचार के लिए पृथ्वी पर स्वयं अवतरित होते हैं। वेदों में परमेश्वर कबीर का नाम कविर्देव वर्णित है।
हरे राम हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णाहरे हरे
मैं कहता आँखन की देखी, तुम कहते कागज की लेखी...
दण्डवत् गोविन्द गुरू
रामपाल जी तत्वदर्शी इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने ॐ तत् सत् के तत् का अर्थ किया है अर्थात् देखा है इसलिए वे तत दर्शी हैं।
तत् = ?
अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।।
हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।।
वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2)
कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।।
मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6)
जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।।
जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।।
वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10)
मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13)
ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23)
तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34)
वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32)
सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।।
जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।।
फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66)
और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
जय श्री कृष्णा 🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩🙏🚩
Bhagwan Vishnu ke Anant roop hai
योग या आध्यात्मिक मार्ग में आत्मसम्मोहन का विघ्न आता है और रामपाल आत्म विघ्न से ग्रसित है इसलिये अपनी ही हांकता फिरता है।
राधेराधे
Jay Shri Krishna guruji aap bahut achcha kam kar rahi ho aapko koti koti pranam
Jai shri ram 🙏🙏🙏🙏
मैंने रामपालयों की कई वीडियो ऐसी देखी है जिसमें दो पार्टी शास्त्रार्थ कर रही होती हैं और दोनों पार्टी रामपालयों की होती है 😂😂😂😂
संत रामपाल जी महाराज की ज्ञान को जितना रोकने का प्रयास करोगे! उतनी तेजी से ज्ञान फैलेगा ।तोप का गोला है संत रामपाल जी महाराज जी का आध्यात्मिक ज्ञान
@@दिलीपसोलंकी-न3बइसका मतलब आप भी रामपाल के चमचे हो😀
@@desi_boy_driver rampal top hai or ye us top k gole hai awaj bahut krte hai hota kuch nhi hai inse q ki ata jata hi nhi kuch 😅😅😅😅
@@दिलीपसोलंकी-न3ब yea sab top k gole kagaz k gole niklte hai hamare samne, rampal ka top sayampuri k liye jald hi prashthan kare bus usse phale ek baar debate mai ushki pol kholne ko mil jaye
@@Saurabh-yadav995 सही बात है भाई
जय श्री राम❤🎉❤🎉
सूर समर करनी करहिं न जनावहिं आपु।
बिध्यमान रन पाई रिपु कायर कथहि प्रतापु।।
Kabir, pakhandi ki puja jag mein, sant ko kahe labaar, agyani ko param viveki, gyani ko mud gawaar.
Ved pade par bhed na jane, banche puraan atharah, paththar ki puja kare, bhul gaye sirjanhara.
शिवांश भाई आप भी पूर्ण परमात्मा की एक पुण्य आत्मा हो
Jai Shree Ram
रामपाल।
जय।हो।बंदी।छोड़।की।संत।साहेब।
पिछे लागे जाउ था लोक वेद के साथ ।
रास्ते पे सतगुरु मिले दिपक देदिये हाथ ।।
मुक्तिदाता
संत रामपाल जी महाराज हैं धरती पर वह अवतारी संत, जिनके विषय में कबीर सागर, अध्याय स्वसमबेद बोध के पृष्ठ 121 पर कबीर साहेब ने कहा है:
चौथा युग जब कलयुग आई। तब हम अपना अंश पठाई।।
काल फंद छूटे नर लोई। सकल सृष्टि परवानिक होई।।
पाँच हजार पाँच सौ पाँचा। तब यह वचन होयगा साचा।।
कलयुग बीत जाय जब ऐता। सब जीव परम पुरूष पद चेता।।
भगवान कृष्ण के अनंत रूप हैं जिनको यह समझता नहीं पा सकते हैं
@@PappuKumar-jo5fv 😂😅
Jo ham samajh nhi sakte vo un ka nirakra roop h saakar ko toh samaj sakte h kyonki shastra hi bahut kuch bata dete h
@@irockleeAre bhai koi nirakar roop nhi hai, Brahm kaal sakar hai, Geeta m bol rhe hai m apni yogmaya se chhipa rhta hu, meri prapti kisi jap tap ya ved me varnit vidhi se nhi ho skti, ispast hai unki pratigya ke karan kisi ko darsan nhi dete , aapne Nirakaar Maan liya.
@@irockleetumhare nirakaar bhagwan 21 brahmand k Malik hai
प्रजापतिपतिः साक्षाद्भगवान् गिरिशो मनुः । दक्षादयः प्रजाध्यक्षा नैष्ठिकाः सनकादयः ॥
श्लोक-४३
मरीचिरत्र्यङ्गिरसौ पुलस्त्यः पुलहः क्रतुः । भृगुर्वसिष्ठ इत्येते मदन्ता ब्रह्मवादिनः ।॥
श्लोक-४४
अद्यापि वाचस्पतयस्तपोविद्यासमाधिभिः । पश्यन्तोऽपि न पश्यन्ति पश्यन्तं परमेश्वरम् ॥
साक्षात् प्रजापतियोंके पति ब्रह्माजी, भगवान् शंकर, स्वायम्भुव मनु, दक्षादि प्रजापतिगण, सनकादि नैष्ठिक ब्रह्मचारी, मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ और मैं- ये जितने ब्रह्मवादी मुनिगण हैं, समस्त वाङ्गङ्घयके अधिपति होनेपर भी तप, उपासना और समाधिके द्वारा ढूँढ़ ढूँढ़कर हार गये, फिर भी उस सर्वसाक्षी परमेश्वरको आजतक न देख सके ॥ ४२-४४॥
Khojat khojat thak liye, ant kaha bechoon (nirakar)
संत रामपाल जी महाराज की सत्संग जरूर सुनिए और ज्ञान गंगा पुस्तक जरूर पढ़े
शिवांश गुरु आपकी हर बात सत्य
Aandhe guru lalchi chela
रामपाल की भक्ति मन मुखी है।कयोकि ये सभी शास्त्रों वेदों में शब्दों को तोड मरोड़ कर पेश किया है। शास्त्र वेदों को और कुछ बना रहा रामपाल।
हर हर महादेव 🚩
सन्त रामपालजी माहाराज कि जय हो
सन्त राँड़पाल महाराज की जय🙏
Sat, saheb, Kabir, is, god
पर्वत पर्वत में फिरा कारण अपने राम और राम शरि के संत मिले फिर सारे सबकाम संत रामपाल जी महाराज की जय है और जय रहेगी
रामपाल को ही सबसे बड़ा सन्त कहने और सिद्ध करने की आपको क्या आफत पडी है?
Jai shree Ram ❤
दुनिया का तारणहार
कबीर परमेश्वर ने कबीर सागर के अध्याय ‘‘स्वसमबेद बोध‘‘ के पृष्ठ 171 पर कहा है:
पांच सहंस अरू पाँच सौ पाँच, जब कलियुग बीत जाय।
महापुरूष फरमान तब, जग तारन को आय।।
संत रामपाल जी महाराज ही वह महापुरुष हैं जो संसार के उद्धार के लिए अवतरित हुए हैं।
रामपाल जी साधारण संत नहीं है उन्होंने गीता का ज्ञान दिया❤❤❤❤❤❤❤
😂😂😂😂
संत श्री नाभा दास जी महाराज
कबीर कानि राखी नहीं, वरनाश्रम षट्दरसनी । आरूढ़ दसा है जगत पर, मुखदेखी नाहिन भनी ।। भक्ति बिमुख जो धर्म, सोइ अधर्म करि गायो । योग यज्ञ व्रत दान, भजन बिन तुच्छ दिखायो ।। हिन्दू तुरुक प्रमान, रमैनी सबदी साखी । पक्षपात नहि वचन, सबन के हित की भाखी ।। नाम अधिक रघुनाथ तें, राम निकट हनुमत कह्यो । कबीर कृपा तें परमतत्त्व, पदम् नाभ परचै लह्यो ।।
Pakhandi rampal jel me band hai 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Rampalji ek puran sant he
❤❤ सतलोक बैकुंठ में अखंड मुक्ति नहीं है फिर 84 में आना पड़ेगा इसलिए फिर मत कहना कि हमें किसी ने बताया नहीं था इसलिए अखंड मुक्ति का ज्ञान प्राप्त करो।
कलयुग में अखंड मुक्ति का ज्ञान आया हुआ है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है सतयुग त्रेता द्वापर में अखंड मुक्ति का ज्ञान नहीं था केवल मुक्ति का ज्ञान था जो रामपालदे रहा है।
लेकिन कलयुग में अखंड मुक्ति का ज्ञान आया है इसलिए कलयुग की महिमा को पहचानो और कलयुग की महिमा के पात्र बनो।
Bhai kis akhand mukti ki baat kr rhe hai, Geeta Gyan data Brahm bol rhe hai 8:16 me brahmlok paryant sabhi lok punravriti mai hai, 4:5 me khud Geeta Gyan data janam mrityu mai hai, jab unki hi mukti nahi ho rahi, aap sadhako ki kya mukti krenge, baat krte ho akhand mukti ki😂😂
@Lokeshkumar-ot8xn यह भाषा समझ नहीं आती
@@munnalal-ui6lb जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध।
अंधा−अंधा ठेलिया, दून्यूँ कूप पड़ंत॥
जिसका गुरु अँधा अर्थात् ज्ञान−हीन है, जिसकी अपनी कोई चिंतन दृष्टि नहीं है और परंपरागत मान्यताओं तथा विचारों की सार्थकता को जाँचने−परखने की क्षमता नहीं है; ऐसे गुरु का अनुयायी तो निपट दृष्टिहीन होता है। उसमें अच्छे-बुरे, हित-अहित को समझने की शक्ति नहीं होती, जबकि हित-अहित की पहचान पशु-पक्षी भी कर लेते हैं। इस तरह अँधे गुरु के द्वारा ठेला जाता हुआ शिष्य आगे नहीं बढ़ पाता। वे दोनों एक-दूसरे को ठेलते हुए कुएँ मे गिर जाते हैं अर्थात् अज्ञान के गर्त में गिर कर नष्ट हो जाते हैं।
मै तो हर सनातनी से हाथ जोडकर प्राथना करता हु कि आँप सब अपने वेद शास्त्र एक बार जरुर अध्यन करना चाहिए ।।नहि तो हमारी आस्था एह राम पाल जै सो द्वरा लुट लिया जाएगा ।।
अगर सनातन धर्म की साधना रामपाजी महाराज द्वारा नहीं दी जा रही होगी तो में किसी और का शिष्य बन जाऊंगा
आप सनातन साधना से रामपाल जी महाराज द्वारा दी गयी साधना मिलाकर देख लेना में बता देता हु रामपालजी महाराज क्या साधना बताते है
रामपाल जी महराज सबसे पहले ब्रह्मा, विष्णु',महेश, दुर्गा और गणेश भगवन के मंत्र सुमिरन करने को देते है और बताते है की नियम के साथ 108 मंत्र रोज सुमिरन करना है
ये पांच देवताओ की भक्ति सनातन धर्म में की जाती थी जो की अब पूरी तरह से पाखंडियो ने मिटा दी
मेरा सवाल आपसे ही है आप रोज इन 5 प्रमुख देवो के कितने मंत्र करते हो ? में तो 120 रोज करता हु जबसे रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली है,
प्रजापतिपतिः साक्षाद्भगवान् गिरिशो मनुः । दक्षादयः प्रजाध्यक्षा नैष्ठिकाः सनकादयः ॥
श्लोक-४३
मरीचिरत्र्यङ्गिरसौ पुलस्त्यः पुलहः क्रतुः । भृगुर्वसिष्ठ इत्येते मदन्ता ब्रह्मवादिनः ।॥
श्लोक-४४
अद्यापि वाचस्पतयस्तपोविद्यासमाधिभिः । पश्यन्तोऽपि न पश्यन्ति पश्यन्तं परमेश्वरम् ॥
साक्षात् प्रजापतियोंके पति ब्रह्माजी, भगवान् शंकर, स्वायम्भुव मनु, दक्षादि प्रजापतिगण, सनकादि नैष्ठिक ब्रह्मचारी, मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ और मैं- ये जितने ब्रह्मवादी मुनिगण हैं, समस्त वाङ्गङ्घयके अधिपति होनेपर भी तप, उपासना और समाधिके द्वारा ढूँढ़ ढूँढ़कर हार गये, फिर भी उस सर्वसाक्षी परमेश्वरको आजतक न देख सके ॥ ४२-४४॥
@@LokeshPanchal-kd4nv नादान बालक ! थोड़ा गुरुकुल जाकर शास्त्र पढ़े होते तो रामपाल को तो वैसे भी तुम स्वीकार नहीं करते। रामपाल आज तेरा परमात्मा बन बैठा है, और जेल में अपनी लीलाये कर रहा है।😁😁
@@LokeshPanchal-kd4nvमंत्र जाप से मुक्ति मिलेगी? मंत्र जाप करना गलत नहीं, पर मंत्रो का अर्थ भी नहीं पता तुम्हे। पूछ लूंगा तो धरती डोल जाएगी तेरी। कभी संस्कृत व्याकरण की पुस्तक का मुख भी देखा है, या सिर्फ राँड़पाल की गलत गलत टिप्पणी ही पढ़ कर जीवन को अंधकार में रखकर व्यतीत करना है!
Kabir is God🙏🙏🙏
इस पुस्तक में लिखा है, कि परमात्मा अपने साधक के घोर से घोर पापों को नष्ट कर सकता है। अगर वह मरणासन्न स्थिति में भी आ गया है तो भी परमात्मा उसको 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है,
जबकि आज तक हमें बताया गया था कि परमात्मा पाप को नहीं काट सकता कर्म का फल तो भोगना ही पड़ता है।
शास्त्र सम्मत है आपके बातें हैं मनमुखी
सत साहेब भगत जी जब कृष्ण भगवान से अर्जुन गीता का ज्ञान पुन ज्ञान समझने का प्रयास किया तब कृष्ण भगवान ने कहा कि उस समय योग युक्त होकर ज्ञान दे रहे थे योगयुकत का मतलब अपने से अधिक शक्ति वान से कनेक्टहोना जैसे कोई व्यक्ति ओझागुनी किसी का तकलीफ दूर करने का प्रयासकरता है कहानी का मतलब ओझा गुनी भी अपने से अधिक शक्तिमान से कनेक्ट होकर कार्य को करता है एक बात और हम संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई लाल लालडी का पहचान करलेते है
काल का वकिल बन रहे धर्म राज तेरा लेखा लेखा उहाँ किया बात बनाएगा आजा बन्दे शरण राम कि फिर पछुताएगा रामपालजी माहाराज कि जय
🪕पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण गुरु तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करेगा जिसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नं. 265 बोध सागर में मिलता है व गीता जी के अध्याय नं. 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या नं. 822 में मिलता है।
मेहनत क्या करे जब आत्मा कबूल कर ही लिया असली ज्ञान को, एक और बात ब्रह्मा विष्णु महेश जी का ज्ञान को कब का हराया जा चुका है और ये पता चल गया है उसके माता पिता h...
Sant rampal ji bhagwan he
Kabir is suprimgod 🙏
Ye to bhai saheb aap jhut bol rahe ho ki sant rampal ji maharaj ke sishy gali dete hai
♦️कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
Yeh kaunsa shastra hai vaiii puran hai shruti hai gita hai kis ne likhi hai ?
@@stormbless373अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।।
हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।।
वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2)
कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।।
मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6)
जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।।
जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।।
वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10)
मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13)
ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23)
तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34)
वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32)
सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।।
जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।।
फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66)
और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
@@stormbless373 kabir sagar me haii
Permeshwar kabir ji garud jiko mile uska prasang hai
@@stormbless373संत श्री नाभा दास जी महाराज
कबीर कानि राखी नहीं, वरनाश्रम षट्दरसनी । आरूढ़ दसा है जगत पर, मुखदेखी नाहिन भनी ।। भक्ति बिमुख जो धर्म, सोइ अधर्म करि गायो । योग यज्ञ व्रत दान, भजन बिन तुच्छ दिखायो ।। हिन्दू तुरुक प्रमान, रमैनी सबदी साखी । पक्षपात नहि वचन, सबन के हित की भाखी ।। नाम अधिक रघुनाथ तें, राम निकट हनुमत कह्यो । कबीर कृपा तें परमतत्त्व, पदम् नाभ परचै लह्यो ।।
@@stormbless373संत दरियाव जी महाराज कहते हैं-
सोई कन्थ कबीर का, दादू का महाराज ।
सन्तन का बालमा, दरिया का सिरताज ।
बोहता जीव तीरे जग माहि, वे जन तारण आया ।
दास कबीर नामदे दादू, ऐसा मोही लखाया ।
जनम मरण सू रहित है, खण्डे नहीं अखण्ड ।
जन दरिया भज राम जी, जिन्हा रची ब्रह्मण्ड ।।
आदि अन्त मद्ध नहीं जाको, कोई पार न पावे ताको
जन दरिया के साहब सोई, तापर और न दूजा कोई ।
जैसे जन दरियाव, जिस्या सन कादिक च्यारी ।
जैसे ध्रु प्रहलाद नाम दे. दास कबीरा ॥
परगट जन दरियाव, ग्यान गोरख ज्यू पूरा ।
♦️ त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे। धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है:-
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
Sant dariyav ji ne bhi yhii likha haii
Permeshwar kabir ji ne tiraye pathar
में भी ज्ञान चर्चा करने आ सकता हु परन्तु आप जैसे ही हारने लगोगे मुझे भी हटा दोगे , या तो जब तक की में आप जो चाहते है वही बोलू तो ही ज्ञान चर्चा करोगे तो मेरा आपके चैनल पर ज्ञान चर्चा के लिए आना महा मूर्खता है, और में तो ये भी बोलूंगा की जो भी ज्ञान चर्चा के लिए आ रहा है वो भी १ नंबर का मुर्ख है,
भाई जब आपको बोलने ही नहीं दिया जा रहा है तो क्यों आ रहे हो इसके चैनल पर , थोड़ा तो अपना दिमाग लगाओ ? जितने भी आये क्या इसने किसी को बोलने दिया ?
परमात्मा कबीर है
ऐसे मिलेगा भगवान
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए। जिनके द्वारा बताई शास्त्र अनुकूल भक्ति से साधक को ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 49 मंत्र 1 में वर्णित सुख और मोक्ष के साथ-साथ परमात्मा की प्राप्ति होती है।
Swaghosit Kabir Saheb ke awatar jaildhaam wale tatwadarshi paraam pujya sant rampaal bhagwan ki jai ......😂
aab vedo ka naam lena band krdo
@@Radhikar_pad krishna vi to jel me paya da huwa tha
@@Satyaa.sharma krishna vi to jel me payada thuwa tha🤣
@@basantichaudharybasanticha6335 bas rampal bail application dalta hai
Geeta gyan ke bahut pehle Vedo me brahm ki sadhna ka Om mantra hai esa varnan hai- Yajurveda adhyay 40 mantra 15 and 17.
Durga puraan ke satva skandh adhyay 36 me bhi Brahm sadhna ka mantra om hi hai.
Geeta adhyay 8 shlok 13 me bhi Om brahm sadhna ka mantra hi bataya gaya hai.
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहारन्मामनुष्मरन्
यः प्रयाति त्यजन्धेहं स याति परमं गतिम् 8-13
Isse sidhh hai ki Om brahm sadhna ka mantra hai or geeta gyan bhi brahm ho ne bola tha.
रामपाल का ज्ञान फर्जी है
वर्तमान में शिक्षित समाज है शिक्षा का दौर है वैज्ञानिक दृष्टिकोण है स्वयं बिचार करना चाहिए कि सत्य क्या है और असत्य क्या है।
Pol khol diya h sat Rampal Ji Maharaj
धरती पर अवतार
सिख धर्म की पुस्तक 'जन्म साखी भाई बाले वाली' (हिन्दी) के पृष्ठ 305 में दिया गया विवरण स्पष्ट करता है कि संत रामपाल जी महाराज ही वह अवतार हैं जो परमेश्वर कबीर जी तथा संत नानक जी के पश्चात् पंजाब की धरती पर अवतरित हुए हैं जो इन्हीं के समान महिमावान व ज्ञानवान हैं।
पाखंडी 😅
बाबा आप की bhgkti mn मुखी h
🪕 पूर्ण सन्त उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है। पूर्ण सन्त उसी से दान ग्रहण करता है जो उसका शिष्य बन जाता है फिर गुरू देव से दीक्षा प्राप्त करके फिर दान दक्षिणा करता है उस से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा।
Verma ji apke jo guru senior ho unhe is tarah ki charcha mai lake aye. Nhi tho apke is tarah comment se na tho guru ka samaan hoga is tarah ki baato. Ye bilkul wesa hi hai. Jaise kisi ek admi ko kisi dusre admi ne pita or woh behosh gya phir gali de raha . Chila raha kaha gya aaj mai tujhe chhodunga nhi. Aap sayd baat samjj gye ho. Kis ucch star ke guru ko laye hame bi sikhne ko mile kya sahi kya galat
ʙᴀᴅɪ ᴊᴀʟᴅɪ ʙᴏʟ ᴅɪʏᴀ ʙʜᴀɪ ɪsᴇ ʙᴏʟᴏ ᴛᴏ sᴀʜɪ ᴠɪᴠᴇᴋ sᴇ ʜᴀᴍᴀʀɪ ʙᴀᴀᴛ sᴜɴᴇ ʏᴇ ᴀᴘɴɪ ʜɪ ᴀᴘɴɪ ʜᴀᴀ ᴋʏᴀ ʜᴀɪ ᴍᴜᴛᴇ ᴋᴀʀ ᴅᴇᴛᴀ ʜᴀɪ ʏᴀʜᴀ ᴀᴀᴋᴇ ʏᴇ ʜᴀᴍᴇ ʙᴏʟɴᴇ ʜɪ ᴋᴀʜᴀ ᴅᴇᴛ ʜᴀɪ@@deepakbhardwaj4516
@@mkverma9468 किसी भी वस्तु का अध्ययन किय विना बिरोध कर्ना अज्ञानता है। अधूरा ज्ञान कहा लेजाता है हमे यह तो आपको पता होना चाहिय। अभि आप लोग कहाँ पर है जैसे :- किसी जगह पुलिस ने किसी के उपर गोली चलाई बस इतना तो आपने देखलिया आगे पिछे के सम्झे विना आप गाव मे बोलेङगे पुलिसने गोलि चलाकर किसीको मार्दिया यहा आपके समझ से पुलिस हि दोसी होगा । पुलिस ने किस लिय गोली चलाइ ऐसे ही पुलिस किसी के उपर गोलि तो नही चलायगा । अध्ययन पुर्ण किय विना किसी को दोसी ठहरना और उसीमे अडे रहना यह तो एक मुर्खता जैसे है। इसी बात मे और बोलेंगे समाज शिक्षित हो चुका है । शाक्षरता होना ओर ज्ञान होना दोनो भिन्न रूप है।
Swaghosit Kabir Saheb ke awatar jaildhaam wale tatwadarshi paraam pujya sant rampaal bhagwan ki jai ......😂
@@deepakbhardwaj4516 आप जी तो कुछ समझ ही नहीं पा रहे।
BISWAGURU SANT RAMPALJI MAHARAJ HI EKLOUTA TATWADARSI SANT HAI. SAT SAHEB.
♦️कबीर परमेश्वर हजरत मुहम्मद जी को मिले थे।
कबीर साहेब हजरत मुहम्मद जी को सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी ने मान-बड़ाई के कारण कबीर साहेब का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था।
कबीर साहेब ने कहा है-
हम मुहम्मद को सतलोक ले गया, इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।।
उलट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया ।।
हम आपसे जानना चाहते हैं कि इस वक्त का कुरान सुरा और आयत नंबर पेश करो। आप कोई हदीस का नंबर भी पेश कर सकते हैं।
आपको वेद, गीता एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करना चाहिए। जब आपको वास्तविक बात कोई व्यक्ति बताना चाहता है तो या तो आप उस व्यक्ति को बोलने नहीं देते हो या उसको अपने से हटा देते हो। संत रामपाल जी महाराज ही वेद, गीता एवं प्रमाणित ग्रंथों के आधार पर ज्ञान बताते हैं।
भाग ने
Sant Rampal Ji Maharaj kabhi kisi ko gali dene ke liye nahin bolate theek hai aur unke anuyayi kabhi Kali nahin dete
Jay Shri Krishna ham asam se aapka debate dekhta rahata hun guruji aapko meri taraf se potty Karti pranam
Shri krishna ji and kaal alag alag hai-
1. Shiv puran mai sadashiv or kalroopi brahm ke aneko pramaan hai rudra sanhita me.
2. Durga puraan mein brahm ki sadhna ka om mantra hai, shri krishna ji ka nhi. Satve skandh me
3. Shri krishna ji ki utpatti se pehle vedo mein om brahm sadhna ka mantra hai yajurveda adhyay 40 mantra 15 and17
4. Geeta adhyay 8 shloka 13 mein on brahm sadhna ka mantra hai.
5. Geeta adhya 7 shlok 15 , sab trigunmayi maya arthat Brahma ji, vishnu ji, shiv ji ki maya pr ashrit hai, brahm sadhna nahi krte
6.Geeta adhyay 7 shlok 19, sb jansamudaya devtao tk hi ashrit, brahm sadhna nahi krte
7. Geeta adhyay 7 shlok 20, devtao se pare mujh brahm ko nhi bhajte.
8. Geeta adhyay 8 shlok 13 mujh brahm ka om mantra hai, shri krishna ji ka nhi
9. Geeta adhyay 11 shlok 32 , arjun mein badha hua kaal hu,
10. Geeta adhyay 11 shlok 46 , he shastra baho apne chaturbhuj roop me aao, kaal ke 1000 bhujaye hai jabki shri krishna ji ke 4 bhujaye and 16 kalaye hai
12. Geeta adhyay 11 shlok 47, arjun ye mera kaal roop phle kisi ne nahi dekha jabki krishna ji apna viraat roop korvo ki sabha me dikha chuka the
13. Geeta adhyay 11 shlok 48 , ye mera roop vedo me varnit vidhi, jap tap se nhi dekha ja skta.
14. Adhyay 13 shlok 19 , prakriti se utpann teeno gun- brahma , vishnu, shivji ki utpatti ka pramaan jo inka pita bta rha brahm
15. Geeta adhyay 14 shlok 3-4, Prakriti arthat durga ji to garabh dharan karne vaali mata h or brahm arthaht kaal beej staphit karne vaala pita. Durga ji se brahma, vishnu, shiv ki utparti ka pramaan durga puraan mai hai, vishnu ji putra hai beej staphit karne vaale pita nhi.
16. Sat raj tam ka pramaan geeta adhyay 14 shlok 5.
17. Geeta adhyay 15 shlok 16 me do bhagwaan ka pramaan.
Iske atirikt bhi aneko pramaan hai, ek me kaha hai ye mujhe vyakti apnam manyate arthat vyakti roop me aaya maante hai,lekin mein vyakti nhi hu arthat krishna ji nhi hu, yogmaya se chhipa rhta hu, vishnu puraan me pretvat pravesh karne ka pramaan bhi hai... Isse sidh hota hai Geeta gyan data brahm arthat sadashiv arthat chhar purush arthat kaal hai , Shri krishna ji nhi
Rampal walo apna majak mat banvo duniya dekh rahi hai
शिवांश जी इतने ऊंचे पद पर बैठकर जो आपने खीर वाली दूध से नहाने की बात कही है । कोई वीडियो या कोई प्रूफ है आपके पास क्या आप भी सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करते हो । युटुब पर सर्च करो बहुत से बाबा नहाते हुए मिल जाएंगे दूध से । उनके ऊपर बोला कभी आपने ।
ये शिवांश नारायण द्विवेदी एक तरफ तो सनातनी होने का ढोंग करता है और इसका इष्ट है त्रेता युग में आये राम , जबकि सनातन धर्म तो इससे भी पहले का है , अब ये भाई खुद सनातनी भक्ति छोड़ कर रामजी को इष्ट मान बैठे है , क्या सतयुग में भी राम जी की भक्ति होती थी ? अगर हां तो दिखा दो वेदो कही लिखा है राम की भक्ति करना है सबसे सनातनी शास्त्र तो वेद ही है
सच तो ये है की बस शिवांश को अपनी पाखंड की दुकान चलना है और जो पाखंडी है वो उसके साथ है
विनाशकाले विपरीत बुद्धि , अब इन पाखंडियो का धंधा बंद होने वाला है इसलिए इनकी बुद्धि विपरीत हो गयी है , सच बात तो ये है कि आज तक किसी ने शास्त्र खोल के भी नहीं देखे थे , परन्तु जब से रामपाल जी महाराज का ज्ञान प्रकाश में आया तब इन पाखंडियो ने शास्त्रों को पड़ना शुरू किया , अब ये भी मानते है की ब्रह्म विष्णु महेश भी जनम मृत्यु में है , ये बोलता है आत्मा से अविनाशी है तो भाई आत्मा से तो गधा, मच्छर , सुवर ,गटर का कीड़ा ये भी अविनाशी है कल को इनको भी मंदिर में बिठा दोगे ? बस इनको इनकी बात बोलनी होती है तो तत्त्व से अविनाशी बोल देते है ,
@@LokeshPanchal-kd4nvरामपाल जी की तरफ से एक छोटा सा बच्चा आया था डिबेट में उसको भी म्यूट करना पड़ा । वह बोलता रह गया मेरी बात सुनो मेरी बात सुनो उसको रिमूव कर दिया बोलता है इसलिए हटाना पड़ा यह जाते जाते ऐसी बात बोलकर जाता के लोग वाह वाह करते फिर रील बना देते । अगर प्रमाणित बात करके जाता तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी लोकवेद बोलकर जाता तो आप ही उसकी रील बना देते । इतना घबराना नहीं चाहिए था
@@Kasan4522 सच्चाई तो ये है की ये शिवांश भाई खुद गुरु बन बैठा है, अब अगर इसके चलो के सामने अगर ये हार जाता है ज्ञान चर्चा में तो इसके सम्मान को बहुत बड़ी ठेस पहुँचती है , बस उसी झूठी शान के चक्कर में ये किसी को बोलने का मौका ही नहीं देता और इसको बहुत भयंकर डर रहता है की अगर इसने कुछ ऐसा पूछ लिया जिसका में जवाब नहीं दे पाया तो फिर इसका अपमान हो जायेगा
भाई साहब जो शिवांश जी सुन्ना चाहते है अगर सामने वाला वो उत्तर न देते हुए उससे बेहतर उत्तर दे दे तो भी इनको बड़ा दुःख होता है इसलिए वो सामने वाले पर दबाव बनाते है की जो में सुन्ना चाहता हु वही बोले नहीं तो में आपको हटा दूंगा , और अंत में वो यही करते है, सामने वालो को बोलने भी नहीं देते खुद ही फैसला कर लेते है सामने वाले को सुने बिना
तुझे पहले भी बोला नकली आईडी से मत आया कर
रामपाल तो गोरखनाथ जी का अपमान करता हैं उनकी भक्ति का विरोध करता हैं
ओर तु पाखंडी रामपाल का गुणगाण करता हैं
रही दूध की तो वो प्रमाण हैं ये शिवांश जी ने नहीं कहाँ वीडियों सुन ले
ये बात अन्य कह रहे हैं
वो क्यों ना कहे रामपाल भगवानो को गालियाँ देता हैं उनके चेले वीडियों में गालियाँ देते हैं अशब्द बोलते हैं ...............गुरुगोरखनाथ जी का अपमान करते हैं तु यहाँ रामपाल का प्रचार कर रहा हैं
थोडी शर्म कर ले
⚡️ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
“अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।
परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है।
Vha shisu ka mtlb shisu h hi nhi or vha som or Indra likha h😂😂 kuch bhi bna lo log to murkh h maan jayenge😂😂
Gyaani baba adhenya ka arth kab se kuwari gaay hone Laga ,😂😂😂😂ek Baar Sanskrit sabd kos utha ke Dekho to ,aur Yaha som aur indr devta ki BAAT ho rahi he Somindray=som+Indra
Are gyaniyo, jis gaye ke sath hinsa nahi hui ho(jisko sand ne touch na kiya ho ) or Som+ Indra - amar parmeshwar ke liye use hua hai, ye Indra ki utpatti se phle hi avtarit ho gye hai ved. Kaal prabhav vas aapko budhdhi m aane vaala nhi h
@@Lokeshkumar-ot8xn adhenya ka arth kuwari gaay agar Kisi bhi Sanskrit kos me likha ho ,to dikhao ,me bhi Rampal se dikhsha le lunga ,,aur Somindray is me some aur Indra ka wardan he,,kaha se sikhi Sanskrit Bhai🤣🤣🤣
@@Lokeshkumar-ot8xn aur ek BAAT batao Bhai Hinsa ka arth - Bina bel dwara touch Kari huyi gaay kese ho gaya 🤣🤣🤣ha humare samjh me nhi aayega ,jinke guruo ne Vedo ke mantra,arth diye ,unko ved samjh me nhi Aaye🤣🤣usko samjh me aa gaye ,jisne kabhi Sanskrit tak nhi padi,🤣🤣🤣itna gyaan late kaha se ho Bhai ,thodi to saram kar lo Bhai ,jisne puri train bana ke di ,aap usko bol Rahe ho agyaani isko samjh nhi paya ki ye train chalti kese he🤣🤣🤣
रामपाल जी महाराज जी पूरे विश्व में एक सच्चे सतगुरु है ?बाकी सब ढोंग कर रहे हैं प्रभुता के भूखे हैं
संत गुरु नहीं ,जिहाद गुरु है।🤣🤣🤣🤣
गगन मंडल से उतरे सद्गुरु पुरुष कबीर चोला धरया है दास का और तोडे यम जंजीर
शिवांश जी आप अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें तभी आपकी बातें लोगों को प्रभावित कर पाएंगी।
जय श्री राम 🙏🙏
राधे राधे 🙏
Bhai hasi to mujhe tab aayi thi jab inhone ek video me bol diya ki me to moksh prapt kar chuka hu, aap logo ke kalyan ke liye channel chala raha hu 😂😂😂😂
Itna tamsi vyakti agar moksh prapt kar sakta hai to Geeta aur ved ko aag laga do fir jo bolte hai ki gyan vo hota hai jisko kisi bhi baat par na to gussa aata hai aur na hi shok hota hai
Aur ye bachho jaisa jara si baat me naraj ho jata hai, 2 minute bhi bina gusse ke bol nahi pata hai , aur itna jyada chilla chilla kar bolta hai ki samne wale ke kaan fat jaye
Agar ye moksh prapt vyakti ke lakshan hai to fir duniya ke saare kutto ka to moksha ho hi gaya hoga 😂😂😂😂
@LokeshPanchal-kd4nv तो हसो लो न । वर्षों के बाद रामपाल ज्ञान से मुक्ति पर मिलता है। बधाई हो😂😂😂😂
@@LokeshPanchal-kd4nv Sahi kaha lokesh bhai aapne 😂😂😂😂
aise logo ka moksh hone laga to jitne gussa karne wale log hai vo sab brahm me sama jayenge aur fir brahm kaal ban jayega aur duniya ko khaa jayega😂😂😂😂😂
@@AmeliaJones-f3m 😂😂😂😂😂
Mirchi 😂अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।।
हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।।
वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2)
कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।।
मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6)
जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।।
जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।।
वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10)
मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13)
ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23)
तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34)
वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32)
सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।।
जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।।
फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66)
और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
🎈एक बार जीवा और दत्ता दो भाइयों ने ठाना कि पृथ्वी पर कोई पूर्ण संत होगा तो उनके चरणामृत से सूखी डाली हरी हो जाएगी उन्होंने उस समय के सभी प्रसिद्ध सन्तों/गुरुओं की परीक्षा ली, कुछ नहीं हुआ अन्त में जिन्दा महात्मा के रूप में प्रकट कबीर साहिब जी का चरणामृत सूखी डाली पर डाला तो उसी समय वह हरी-भरी हो गयी। इसका प्रमाण आज भी गुजरात के भरुच शहर में मौजूद है। वह पेड़ कबीर वट के नाम से जाना जाता है।
શિવાશુજી આપ સતગુરૂ કબીર સાહેબ કે સદૃગ્રથ કો પઢો સાચ જુઠ કી ખબર પડેલી.
“हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम् । कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा॥”
@@Almightyonlyisone आप क्या जानना चाहते हैं ? यह श्लोक नारदिए पुराण का है।
@@Shanatanisherni 😂
@@Shanatanisherni haannnn Narad Puran ?? jara reference dena iska main khud dekh k aata hoon
@@stormbless373 बृहन्नारदीय पुराणः 38.127)
Sister, in Shastro ko Ved or Geeta ji se match kro, jo match ho jaega vo pramanik hai or Jo match nhi hota hai , vo rishiyo ka apna mat hai, bhagwaan ka vidhaan nhi.
ગુરુ સતપદ અમૃત વાણી ઞુરુ બિના મુક્તિ નહીરે પ્રાણી..ગુરુ આદિ અંત કે ત્રાતા.ઞુરુ મુક્તિ પદકે દાતા વશિષ્ઠ ગુરુ કિયો રઘુનાથ પાયે દર્શન ભયે સનાયા..કિષ્ણજી ઞયે દુર્વાસા કે શરણા પાયે ભક્તિ તબ તારણ તરણા... દુર્ગા જી મુક્તિ હોતી તો ભગવાન ભી કયું ગયે ગુરુ કે શરણ મેં
भगवान बुद्धि से परे है ज्यादा बुद्धि लगाने से नहीं भगवान समझमें आता
गीता जी मैं यह लिखा है कि जो पितृ पूजा करेंगे वह पितृ बनेंगे, भूत पूजा करेंगे भूत बनेंगे देवता पूजेंगे तो देवताओं के पास जाएंगे।
तो यह बताइए हमें आज तक की कैसी साधना क्यों बताई गई जिसके करने के बाद हम लोग पितृ बन जाएं, भूत बन जाए
स्वर्ग जाना तो दूर , यह साधना करके भूत पहले बन जाएंगे
यह बात ज्ञान गंगा में लिखी गई है
कबीर is god
Rampal ko aisa patak patak kr pela hai apne 😂😂😂maja a gaya
Mirchi 😂😂😂😂😂
अर्जुन मन जो शंका आई। कष्ण से पूछा विनय लाई ।।
हे कष्ण तुम तत् ब्रह्म बताया। अध्यात्म अधिभूत जनाया।।
वाका भेद बताओ दाता। मन्द मति हूँ देवो ज्ञान विधाता।। (गीता अ. 8 श्लोक 1-2)
कष्ण अस बोले बानी। दिव्य पुरूष की महिमा बखानी ।। तत् ब्रह्म परम अक्षर ब्रह्म कहाया। जिन सब ब्रह्माण्ड बनाया।।
मम भक्ति करो मोकूं पाई। यामै कछु संशय नाहीं।। (गीता अ. 8 श्लोक 5,7) जहाँ आशा तहाँ बाशा होई। मन कर्म बचन सुमरियो सोई।। (गीता अ. 8 श्लोक 6)
जोहै सनातन अविनाशी भगवाना। वाकि भक्ति करै वा पर जाना।।
जैसे सूरज चमके आसमाना। ऐसे सत्यपुरूष सत्यलोक रहाना ।।
वाकी करे वाको पावै। बहुर नहीं जग में आवै।। (गीता अ. 8 श्लोक 8-9-10)
मम मंत्र है ओम् अकेला। (गीता अ. 8 श्लोक 13)
ताका ओम् तत् सत् दूहेला। । (गीता अ. 17 श्लोक 23)
तुम अर्जुन जावो वाकी शरणा। सो है परमेश्वर तारण तरणा।। (गीता अ. 18 श्लोक 62,66) वाका भेद परम संत से जानो। तत ज्ञान में है प्रमाणो।। (गीता अ. 4 श्लोक 34)
वह ज्ञान वह बोलै आपा। ताते मोक्ष पूर्ण हो जाता।। (गीता अ. 4 श्लोक 32)
सब पाप नाश हो जाई। बहुर नहीं जन्म-मरण में आई।। मिले संत कोई तत्त्वज्ञानी। फिर वह पद खोजो सहिदानी ।।
जहाँ जाय कोई लौट न आया। जिन यह संसार वक्ष निर्माया।। (गीता अ. 15 श्लोक 4) अब अर्जुन लेहू विचारी। कथ दीन्ही गीता सारी।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) गुप्त भेद बताया सारा। तू है मोकूं आजीज पियारा।। (गीता अ. 18 श्लोक 63) अति गुप्त से गुप्त भेद और बताऊँ। मैं भी ताको इष्ट मनाऊँ।। (गीता अ. 18 श्लोक 64) जे तू रहना मेरी शरणा। कबहु ना मिट है जन्म रू मरणा।। नमस्कार कर मोहे सिर नाई। मेरे पास रहेगा भाई।। (गीता अ. 18 श्लोक 65) बेसक जा तू वाकी शरणा। मम धर्म पूजा मोकूं धरणा ।।
फिर ना मैं तू कूं कबहूं रोकूं। ना मन अपने कर तू शोकूं।। (गीता अ. 18 श्लोक 66)
और अनेक श्लोक सुनाया। सुन जिन्द एक प्रश्न उठाया ।।
Sant Rampal Ji Maharaj true sant
संत श्री नाभा दास जी महाराज
कबीर कानि राखी नहीं, वरनाश्रम षट्दरसनी । आरूढ़ दसा है जगत पर, मुखदेखी नाहिन भनी ।। भक्ति बिमुख जो धर्म, सोइ अधर्म करि गायो । योग यज्ञ व्रत दान, भजन बिन तुच्छ दिखायो ।। हिन्दू तुरुक प्रमान, रमैनी सबदी साखी । पक्षपात नहि वचन, सबन के हित की भाखी ।। नाम अधिक रघुनाथ तें, राम निकट हनुमत कह्यो । कबीर कृपा तें परमतत्त्व, पदम् नाभ परचै लह्यो ।।
@@VishalVerma-d9c 500 saal purane book se tu dikha rha h aise to me bhi koi book lake dikha skta hu..
@@realfactworld70to dikha na bhai, isi 600 saal purani book se aapke sab shashtra virudh pakhando ka khandan ho raha hai.
@@Lokeshkumar-ot8xn brihadaranyak upnishad me Vishnu ko ajanma ishwar bola h...
Mahabhrat shantiparv ek baar padh kr ajana
Aag lagi Sansar Mein jarjar padega Sant Rampal Ji Nahin Aate Jagat mein to Jalandhar Sansar vedon Mein Praman Hai Kabir Dev Bhagwan Sant Rampal Ji ka saccha Gyan hai