कुछ विद्वान अ + क् निमीले पुरस्य हितम् आत्मा और शरीर के मिलने से आवास रुपी शरीर का हित अर्थात लाभ होता है। आत्म देव परमात्मा यज्ञ का ऋत्विज अर्थात यज्ञ का फल प्राप्त करने वाला है। यज्ञ में आहुतियां देने वाले रत्न धारण करने वाले हैं। धन्यवाद
ईश्वर ही ईश्वर की आराधना के लिएकह रहा है यह ईश्वर का संदेश नहीं हो सकता पूरे विश्व में एक सूर्य है एक चंद्रमा है तो विश्व में एक ही पुस्तकहोना थी स्वामी जी कोसादर नमन यह बात स्पष्टकीजिए
आचार्य जी प्रणाम, यदि यह वेद सूक्त ईश्वर से निर्गत हैं तो क्या वह अपनी पूजा के लिए स्वयं कह रहा है और यदि ऋषि ऐसा कह रहा है तो वेद पौरुषेय हैं अर्थात मानव निर्मित हैं। कृपया प्रथम सूक्त को और स्पष्ट करें।
ईश्वर को किसने बनाया? मानव ने ? कया वह बोलता है और लिखता है? संस्कृत भाषा की और लिपी की निर्मीती कब हुयी? वेद कब लिखे गये ? ईश्वर की जीवन मे क्या आवश्यकता है? क्या ईश्वर को नही माननेवाले जिते नही? स्पष्ट करो।
वेद ही क्यों जो कुछ भी घटित हो रहा है वो सभी इश्वर का ही है। ये कार्यक्रम आर्य समाज के प्रचार से अधिक कुछ नहीं। 3 पंक्तियों के अर्थ के लिए कार्यक्रम देखना आरम्भ किया था वो बताना लक्ष्य नहीं था इसका।लक्ष्य है इसके माध्यम से दयानंद का प्रचार-प्रसार।बीच में ही बंद करना पड़ा।
आप कोई नये पाखंडी नहीं हो। जनता को मूर्ख बनाने वाले। जनता जाग चुकी है। आपने कहा वेद परमात्मा की वाणी है। जैसा आप बुद्धि हीन लोग बताते हैं परमात्मा निराकार है अद्र्सय है तो वाणी कैसे बोली
मंत्र व्यक्ति ने लिखे हैं न कि ।ईश्वर ने लिखे हैं। वेद परमेश्वर का संदेश नहीं है सारे वेद व्यक्तियों ने लिखे हैं परमेश्वर लिखने का काम नहीं करते क्योंकि परमेश्वर व्यक्ति नहीं है। व्यक्तियों ने ही लिखे हैं
वेद अपौरुषेय है! अर्थात किसी व्यक्ती ने नही परन्तु स्फूर्त हुवे है ईश्वर द्वारा! क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरूषविशेष ईश्वरः ॥२४॥ अध्ययन करे कृपया 🙏
परम +ईश्वर = परमेश्वर , संस्कृत का शब्द. ईसाइयों ने बहुत से हिन्दू धर्म के शब्दों का प्रयोग किया जाता है. आजकल उनके नाम भी हिन्दू जैसे ही हैं. क्या करे .राम राम राम राम राम राम
जय सनातन धर्म की जय हमारे सत्य वेदों की जय हमारे गुरुदेव जी की जो इस समय सुंदर ज्ञान दे रहे हैं
❤❤❤❤❤. Pahli bar mujhe
Gyan Mila. 62 yrs ke baad. Acharya ji apka sat sat naman.
आचार्य जी बहुत बहुत धन्यवाद, यह मंत्र यज्ञ करते हुए तो बहुत बार पड़ा परंतु आज इसका उच्चारण और अर्थ आज समझ आया है।
🕉 परमेश्वराय नम:
Om namaste ji
नमस्तेजी,
स्वामीजी आपने अत्यंत गहन विषयको बहुत ही सरल शब्दोंमें परिभाषित किया .बहुत बहुत धन्यवाद.
डाॅ.शारदा देवदत्त तुंगार
अदभुद वेदमन्त्र व्याख्या ❤
Thanks aacharyaji,shamajanekatareeka
आचार्य श्री आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut sundar व्याख्यान , bhut__ bhut dhanyawad achriy ji.
ओ३म् 🙏🏻🙏🏻नमस्ते जी.. हमें लोकेन्द्र आचार्य जी से सांख्य दर्शन सिखने मिला .. हमे आपकाी यह कक्षा बहुत अच्छी लगी..बहुत धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
सादर नमस्ते अचार्य जी,ईश्वर आपको 100 वर्षों तक की स्वस्थ आयु प्रदान करे❤
Sadar.naman aacharya ji
Jai Yogeshwar, Gurudev ji ❤
आचार्य जी को नमन
मुझे कंठस्थ है गुरु जी 🙏🙏🙏 ये शांतिकरण का भी पहला मंत्र है
आचार्य जी को सादर प्रणाम
सादर प्रणाम गुरुदेव ❤🎉
आचार्य जी सादर नमन ! आपने बहुत अच्छे से समझा दिया ।
ओम सादर नमस्ते आचार्य जी🙏🙏
आपका विवेचन बहुतही अच्छा है l
बहुत अच्छा, साधुवाद।
Onm
सादर नमस्ते जी 🔥☀️💥🚩🙏🏼🌺🙏🏻
Sadar Namaste achriy ji🎉🎉
Aapne bhut sunder tareeke se samjhya h
Sadare namaste achary jl
अति सार्थक व्याख्या करते हुए विषय को समझाया गया है।सादर नमन आचार्य जी।
Aacharya ji ko sadar pranam
OAM. Acharyajee Namaste bahutbahut dhanyabad Aapku
ॐ नमस्ते जी
Sadar naman.
ओ३म सादर नमस्ते आचार्य जी ।
Prabhu, aap ko shat -2 Naman !!!!
ॐ अग्नि ऐड़े ॐ
शरद
प्रणाम आचार्य जी,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
ओऐ
Bhagvan aap
ko shat shat naman
ओ३म् ईश्वर का प्रमुख नाम है। ईश्वर अनादि,अनन्त ,अजर ,अभय नित्य व पवित्र हैं।
Excellent prayer in Hrugved.
जिसको पसंद है वो सुनते हैं
सादर नमन
ओम, सादर प्रणाम आचार्य जी।
बहुत सुंदर व्याख्या आचार्य जी
Naman 21:42
याद है
❤ Namo Nama ❤.
Jay Ho.
आनन्द स्वरूप ईश्वर की उपासना करने वाले उपासक आनन्द की प्राप्ति करते हैं।
सब ज्ञानियों के अलग अलग अर्थ है आम आदमी ना समझ सकता है ना किसी को समझा सकता है
A word is not complete in itself, hence such problems arise.
Aum namaste ji
Hari om
Sharad rutu
शरद ऋतु।
आचार्य जी को सदर प्रणाम यह कक्षा बहुत अच्छी लगी
Acharya ji namste
वेद ईश्वर की वाणी है वेद ईश्वर कृत है
शरद ऋतु
Sadarnaman
नमस्ते जी
आचार्य जी सादर नमन भगवान के श्री मुख से निशृत प्रथम मंत्र आपकी बयाख्या की प्रसंशा
Omji
Namasteji... very beautiful message
जो परमेश्वरत्व प्राप्त कर लेते हैं उन्हीं महापुरुषों के मुख से वेद वाक्य निश्रृत हुआ है। अतः वेद वाक्य ब्रह्म वाक्य ही समझना चाहिए।
नमस्ते आचार्य जी 🙏
🙏🙏🎉
ओइम नमस्ते जी
Sharad
यह मंत्र अच्छी तरह से स्मृति है
Sundr
Anek prakar ke sampradayhoneselogbhramithai 19:15
Ishwar manushya ki param chetna ka swaroop hai jo usko tab prapt hota hai jab wah sakshat shivatv ko prapt ho jata hai.rag dwesh se pare.
U
सब शब्दों का खेल शब्दों की अपनी अपनी व्याख्यान
कुछ विद्वान अ + क् निमीले पुरस्य हितम् आत्मा और शरीर के मिलने से आवास रुपी शरीर का हित अर्थात लाभ होता है। आत्म देव परमात्मा यज्ञ का ऋत्विज अर्थात यज्ञ का फल प्राप्त करने वाला है। यज्ञ में आहुतियां देने वाले रत्न धारण करने वाले हैं। धन्यवाद
Negative thinking comes from Negative minds
Acharya ji, Pranam, kripya description me, mantra ka poorna arth ko likdijiyega sanshipt room me. Dhanyavad.
Vedas are apaurushey.....
ईश्वर ही ईश्वर की आराधना के लिएकह रहा है यह ईश्वर का संदेश नहीं हो सकता पूरे विश्व में एक सूर्य है एक चंद्रमा है तो विश्व में एक ही पुस्तकहोना थी स्वामी जी कोसादर नमन यह बात स्पष्टकीजिए
@@rameshjain4606 सादर नमस्ते जी, कृपया इस विषय के लिए हमारे मोबाईल नंबर 8469567330 पर संपर्क कीजिएगा। धन्यवाद।
1:17:41
Bharat me rahakar Sara pruthibi ka bat kahana kisko pasand hai?
ओ३म् उच्चारण में गहरा श्वास जरुरी है क्या ...
ओम जी स्वामी जी और आप से कैसे मिलना हो
@@hariomrajput1007 सादर नमस्ते जी, इस विषय के लिए आप कृपया मोबाइल नंबर 8469567330 पर संपर्क कीजिएगा। धन्यवाद।
Aryasamaji chandan tilak kyun nahi lagate?
है परमेश्वर आपने अपने आप को ऑनलाइन क्यो नही किया😅
Guru ji om tat sat ka arth kya hai
@@RajShingh-su2cj सादर नमस्ते जी, इस विषय के लिए आप कृपया मोबाइल नंबर 8469567330 पर संपर्क कीजिएगा। धन्यवाद।
ईश्वर के नाम पुराणों में ही लिखे हैं 50000 नाम ईश्वर के हो सकते हैं असल बात तो यह है कि ईश्वर का कोई नाम ही नहीं होता है जैसी भाषा वैसा नाम
Paramaatma ko moorthy roop se bajate ho to bajut naam bhi bole jayenge. Kyonki SAGUN roop keval naam se hi praarambh hoga. Naam anant honge. (endless)
आचार्य जी प्रणाम, यदि यह वेद सूक्त ईश्वर से निर्गत हैं तो क्या वह अपनी पूजा के लिए स्वयं कह रहा है और यदि ऋषि ऐसा कह रहा है तो वेद पौरुषेय हैं अर्थात मानव निर्मित हैं। कृपया प्रथम सूक्त को और स्पष्ट करें।
सादर नमस्ते जी, कृपया इसके उत्तर के लिए आप हमारे मोबाइल नंबर 8469567330 पर संपर्क कीजिएगा। धन्यवाद।
आप विडियो बना रहे हैं तो एक शब्द को बार बार न बोले सुनेगा कौन? हम रिपीड खुद करेंगे
ईश्वर को किसने बनाया? मानव ने ? कया वह बोलता है और लिखता है? संस्कृत भाषा की और लिपी की निर्मीती कब हुयी? वेद कब लिखे गये ? ईश्वर की जीवन मे क्या आवश्यकता है? क्या ईश्वर को नही माननेवाले जिते नही? स्पष्ट करो।
@@dhruvaate874 सादर नमस्ते जी, कृपया इस विषय के लिए हमारे मोबाइल नंबर 8469567330 पर संपर्क कीजिएगा। धन्यवाद।
आप अगनी, गणपती, वायू, ब्रम्हा और स्तुती ऐसा उच्चारण क्यों कर रहे हैं?
उच्चारण में अशुद्धि है।
Very slow diction..waste of time.Could have more verses in same period.
Yagya hai aap yajasya kyon uchharit kar rahe hain
सादर नमस्ते जी, ज्ञ संयुक्त अक्षर है। ज्ञ = ज्+ञ होता है। ज्ञ = ग्+य अशुद्ध है।
आप वेद ज्ञान से ज्यादा अपने निजी विचार थोप रहे हैं जब की हम सब आने धर्म और वेदों के बारे में सच्चा अर्थ और सही विवेचना जानने के बारे ज्यादा उत्सुक है
आपके उच्चारण शुद्ध नहीं है. क्षमा करे.१) ळ का उच्चारण
२)ज्ञ का उच्चारण.
@@shriniwastonpay7365 सादर नमस्ते जी, ज्ञ संयुक्त अक्षर है। ज्ञ = ज्+ञ होता है। ज्ञ = ग्+य अशुद्ध है।
Aap gyan ko galat ..jyan kyon bol rahe hain
सादर नमस्ते जी, ज्ञ संयुक्त अक्षर है। ज्ञ = ज्+ञ होता है। ज्ञ = ग्+य अशुद्ध है।
वेद ही क्यों जो कुछ भी घटित हो रहा है वो सभी इश्वर का ही है। ये कार्यक्रम आर्य समाज के प्रचार से अधिक कुछ नहीं। 3 पंक्तियों के अर्थ के लिए कार्यक्रम देखना आरम्भ किया था वो बताना लक्ष्य नहीं था इसका।लक्ष्य है इसके माध्यम से दयानंद का प्रचार-प्रसार।बीच में ही बंद करना पड़ा।
आप कोई नये पाखंडी नहीं हो। जनता को मूर्ख बनाने वाले। जनता जाग चुकी है। आपने कहा वेद परमात्मा की वाणी है। जैसा आप बुद्धि हीन लोग बताते हैं परमात्मा निराकार है अद्र्सय है तो वाणी कैसे बोली
अब तो जानिए कि, भगवान का कुछ संदेश नहीं है, वह स्वयं ही हैं, अंतर में क्रीड़ा. और बाहर है उनकी लीला।
यही मूलतः सत्य है।
मंत्र व्यक्ति ने लिखे हैं न कि ।ईश्वर ने लिखे हैं। वेद परमेश्वर का संदेश नहीं है सारे वेद व्यक्तियों ने लिखे हैं परमेश्वर लिखने का काम नहीं करते क्योंकि परमेश्वर व्यक्ति नहीं है। व्यक्तियों ने ही लिखे हैं
सहि है लेकिन आप्को किस्ने लिखा है!???
Likhne wala Insaan hai lekin gyan Ishwar ne diya hai.Janwar to likh nahi sakte.
Indriyo se upar uath kar samadhi ki sthiti me jakar koi Rishi pahli bar suna hoga ,veda apurishey granth hai
वेद अपौरुषेय है!
अर्थात किसी व्यक्ती ने नही परन्तु स्फूर्त हुवे है ईश्वर द्वारा!
क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरूषविशेष ईश्वरः ॥२४॥
अध्ययन करे कृपया
🙏
लिखे व्यक्ति में है लेकिन लिखने वाले ने युग में से ईश्वर से कनेक्ट होकर लिखें
परमेश्वर शब्द बाइविल के अनुवाद में आता है , बाइबिल के अनुवादक बार बार इसी शब्द का उच्चारण करते हैं इससे प्रथम दृष्ट्या बाइबिल पर ही जाता है
परम +ईश्वर = परमेश्वर , संस्कृत का शब्द. ईसाइयों ने बहुत से हिन्दू धर्म के शब्दों का प्रयोग किया जाता है. आजकल उनके नाम भी हिन्दू जैसे ही हैं. क्या करे .राम राम राम राम राम राम