Hari Om Tat Sat Chit Anand Swaroop Atma hi Hai 👋. God or Ishwar being One Onkar can't be divided, multipled and added more than what Atma is as it is. There's no second one like Him in the entire Universe. He is the Cosmic Consciousness being everywhere and everything. Thanks for sharing the best for spiritual Gyan 🙏.
आत्मज्ञान होने के बाद स्थूल शरीर प्रारब्ध वेग के कारण बना रहता है जैसे ही प्रारब्ध वेग समाप्त होता है स्थूल शरीर छूट जाता है उसी क्षण सूक्ष्म शरीर भी योग अग्नि में जलकर भस्म हो जाता है अब बचा कारण शरीर जिसे चित्त भी कहते हैं कई जन्मों तक योग साधना करते हुए अंतिम जन्म में साधक के चित्त में ऋतंभरा प्रज्ञा का जागरण होता है ऋतंभरा प्रज्ञा के कारण चित्त सभी इच्छाओं कामना संस्कार व सभी वृत्तियों से रहित हो जाता है और आत्मज्ञान को प्राप्त कर परा प्रकृति में चला जाता है परा प्रकृति में निरंतर निरबीज समाधि का अभ्यास करते हुए करोड़ों वर्ष बाद चित्त परा प्रकृति में विलीन हो जाता है उसी समय जीव भी चेतन तत्व जिसे निर्गुण ब्रह्म निराकार परमात्मा या आत्मा भी कहते हैं जीव उसमें सदा सदा के लिए विलीन हो जाता है इसी अवस्था को केवल्य मोक्ष कहते हैं हर ज्ञानी योगी इसी केवल्य मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा करते है यही योग का फल है और योग का लक्ष्य भी ... ॐ ॐ ॐ
आत्मज्ञान होने के बाद और कुछ पाना शेष नहीं रह जाता। इसलिए जीव पांचभौतिक शरीर त्याग कर ब्रम्हतत्व/परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण में विलीन हो जाता है। अर्थात मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
व्यक्ति नहीं बचेगा मतलब में ही ख़तम मतलब में ही नहीं बचूंगा अहम का विसर्जन हो जायेगा। और परम की कृपा होती हे प्रयास करने से ये होती हे ? या अनायास ही होती ये। आत्मज्ञान हो या न हो जो भी हो थोड़ा बहोत समझ आए तो अच्छे इंसान तो बन ही जाएंगे❤🙏
योगः कर्मशु कौशलम्🙏 गीता अध्याय - 2 श्लोक - 50 बुद्धि-(समता) से युक्त मनुष्य यहाँ जीवित अवस्थामें ही पुण्य और पाप दोनोंका त्याग कर देता है। अतः तू योग-(समता-) में लग जा, क्योंकि योग ही कर्मोंमें कुशलता है। टीका : स्वामी रामसुखदास 🙏
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारूकम् इव बन्धनान् मृत्योः मोक्षीय मा मृतात्। शरीर में स्वभाव न होने के कारण आत्मज्ञानी पुरुष में मृत्यु बोध नहीं होता 🙏
राष्ट्र में सभी लोग एक समान हिंदू हैं जय हिंदू राष्ट्र जय सनातन धर्म जय काशी विश्वनाथ हर हर महादेव
Hari Om Tat Sat Chit Anand Swaroop Atma hi Hai 👋.
God or Ishwar being One Onkar can't be divided, multipled and added more than what Atma is as it is.
There's no second one like Him in the entire Universe.
He is the Cosmic Consciousness being everywhere and everything. Thanks for sharing the best for spiritual Gyan 🙏.
Welcome 🙏 Hari Om ❤️🌺
आत्मज्ञान होने के बाद स्थूल शरीर प्रारब्ध वेग के कारण बना रहता है जैसे ही प्रारब्ध वेग समाप्त होता है स्थूल शरीर छूट जाता है उसी क्षण सूक्ष्म शरीर भी योग अग्नि में जलकर भस्म हो जाता है अब बचा कारण शरीर जिसे चित्त भी कहते हैं कई जन्मों तक योग साधना करते हुए अंतिम जन्म में साधक के चित्त में ऋतंभरा प्रज्ञा का जागरण होता है ऋतंभरा प्रज्ञा के कारण चित्त सभी इच्छाओं कामना संस्कार व सभी वृत्तियों से रहित हो जाता है और आत्मज्ञान को प्राप्त कर परा प्रकृति में चला जाता है परा प्रकृति में निरंतर निरबीज समाधि का अभ्यास करते हुए करोड़ों वर्ष बाद चित्त परा प्रकृति में विलीन हो जाता है उसी समय जीव भी चेतन तत्व जिसे निर्गुण ब्रह्म निराकार परमात्मा या आत्मा भी कहते हैं जीव उसमें सदा सदा के लिए विलीन हो जाता है इसी अवस्था को केवल्य मोक्ष कहते हैं हर ज्ञानी योगी इसी केवल्य मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा करते है यही योग का फल है और योग का लक्ष्य भी ... ॐ ॐ ॐ
Great ji great namoo namoo
🙏🌹🌺❤️ ॐ ❤️🌺🌹🙏
आत्मज्ञान होने के बाद और कुछ पाना शेष नहीं रह जाता। इसलिए जीव पांचभौतिक शरीर त्याग कर ब्रम्हतत्व/परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण में विलीन हो जाता है। अर्थात मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
व्यक्ति नहीं बचेगा मतलब में ही ख़तम मतलब में ही नहीं बचूंगा अहम का विसर्जन हो जायेगा। और परम की कृपा होती हे प्रयास करने से ये होती हे ? या अनायास ही होती ये। आत्मज्ञान हो या न हो जो भी हो थोड़ा बहोत समझ आए तो अच्छे इंसान तो बन ही जाएंगे❤🙏
🙏🌺🌹❤️ हरि ॐ ❤️🌹🌺🙏
वर्तमान समय में गुरु कृपा हो न हो संरक्षण मिले न मिले उनके विचारों को समाज में पहुंचाने का प्रयास जारी रहेगा l सुदेश शुक्ला
🙏🌺🌹♥️ ॐ ♥️🌹🌺🙏
योगः कर्मशु कौशलम्🙏
गीता अध्याय - 2 श्लोक - 50
बुद्धि-(समता) से युक्त मनुष्य यहाँ जीवित अवस्थामें ही पुण्य और पाप दोनोंका त्याग कर देता है। अतः तू योग-(समता-) में लग जा, क्योंकि योग ही कर्मोंमें कुशलता है।
टीका : स्वामी रामसुखदास 🙏
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ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारूकम् इव बन्धनान् मृत्योः मोक्षीय मा मृतात्।
शरीर में स्वभाव न होने के कारण आत्मज्ञानी पुरुष में मृत्यु बोध नहीं होता 🙏
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बुद्ध तो 80 साल
Vyakti nahi marta.. Man mar jata he
🙏🌹🌺❤️ हरि ॐ ❤️🌺🌹🙏
@@RamanaMaharshiHindi yhi meri halat he.. Maya or kaya ko samaj liya.. Man mar gaya.. Ab dhyan.. Hi dhan.. Dhyan hi man.. 🙏🙏ૐ શ્રી હરિ