Mere Sath Sohagi Re/

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 18 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 23

  • @gitatimsina5559
    @gitatimsina5559 2 місяці тому

    प्रेम प्रणाम जी सुन्दर वाणीगायन🌷🌷🙏🙏🙏🌹🌹💗💕

    • @GurudevKashyap-z7z
      @GurudevKashyap-z7z Місяць тому

      कृष्ण कन्हैया लालको जय अति सुंदर वाणी गायन प्रणाम

  • @JDSharma-y8i
    @JDSharma-y8i 3 місяці тому

    ❤ pernam ji sunder sath ji ki charnao me koti koti pranam ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @dkdubey8259
    @dkdubey8259 2 місяці тому

    वाह क्या बात है प्रणाम जी सुन्दर साथ जी

  • @ParamdhamKiVani
    @ParamdhamKiVani 3 місяці тому

    Prem pranam Sundar sath ji 🙏❤️🙏

  • @SuriliPaswan
    @SuriliPaswan 3 місяці тому

    Prem pranam ji 🙏🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️♥️

  • @pramilagautam4909
    @pramilagautam4909 3 місяці тому

    अति सुन्दर

  • @neelamsethi5917
    @neelamsethi5917 3 місяці тому

    Prem pranam ji 🙏🌹🙏

  • @dhirajkumarramsinhroz279
    @dhirajkumarramsinhroz279 2 місяці тому

    પ્રેમ પ્રણામજી 🙏🙏🙏

  • @KamleshPatel-ec4uy
    @KamleshPatel-ec4uy 3 місяці тому

    Pranamji swamiji ❤❤❤❤❤

  • @GargiTomar-b5h
    @GargiTomar-b5h 3 місяці тому

    Prem pernam ji ❤❤❤

  • @laxmdevi2851
    @laxmdevi2851 3 місяці тому

    Prem pranam ji 🙏🏻

  • @gohilsuresh39
    @gohilsuresh39 3 місяці тому +1

    🙏🌹 प्रेम प्रणामजी 🌹🙏

  • @pallavipandya8568
    @pallavipandya8568 3 місяці тому

    प्रेम प्रणाम जी

  • @asjuneja
    @asjuneja 2 місяці тому

    Soulful voice with Soul awakening Vani words a superb combo always to hear Banika ji. Thx for great seva prem pnmji ❤🙏👍🪔

  • @sanyagrover2096
    @sanyagrover2096 3 місяці тому

    Pranam ji ❤🎉

  • @basantamalla5303
    @basantamalla5303 3 місяці тому

    ❤🙏❤️

  • @BDRai-kw7de
    @BDRai-kw7de 3 місяці тому

    Prem Pranam ji

  • @neetachettri9206
    @neetachettri9206 3 місяці тому

    अत्यन्त मीठो वाणी गायन प्रस्तुती, वाणीका बहिनी हजुरलाई कोटी कोटी प्रेम प्रणाम जी🙏🙇❤️🙇🙏

  • @anitaarora2562
    @anitaarora2562 3 місяці тому

    Prem pranam ji ❤

    • @GurudevKashyap-z7z
      @GurudevKashyap-z7z Місяць тому

      कृष्ण कन्हैया लालको जय श्री प्राणनाथ प्यारेकी जय प्रणाम

  • @AMDW2024
    @AMDW2024 3 місяці тому

    मेरे साथ सोहागी रे | प्रकास हिन्दुस्तानी - प्रकरण १७
    मेरे साथ सोहागी रे, पिउसों क्यों न करो पेहेचान । पेहेले चले पेहेचान बिना, फेर आए सो अपनी जान ॥१॥
    सोई पिउ सोई बातड़ी, फेर सोई करे पुकार । कारन अपने पिउ को, आंखों आवे जलधार ॥२॥
    सोई नसीहत देत सजन, खैंचत तरफ वतन । पिउ पुकारें बेर दूसरी, अब क्यों होंए पीछे आपन ॥३॥
    सोई कूकां करे पेहेले की, सो क्यों न समझो बात । न तो दिन उजाले खरे दो पोहोरे, अब हो जासी रात ॥४॥
    फेर पटकोगे हाथड़े, और छाती देओगे घाउ । चल जासी पिउ हाथ से, फेर न पाओगे दाउ ॥५॥
    विलख विलख कहे वचन, रोए रोए किए बयान । प्रेम करे अति प्रीतसों, पर साथ को सुध न सान ॥६॥
    माया देखी बीच पैठ के, पिउ के उजाले तुम । विध विध खेल देखावने, पिउ ल्याए तारतम ॥७॥
    ए जो मांगी तुम माया, सो देखे तीन संसार । अब साथ पिउ संग चलिए, ज्यों पिउ पावें करार ॥८॥
    पिउ पांच बेर हम वास्ते, सागर में डारया आप । सो नजरों न आवे प्रेम बिना, बिना मेहेर या मिलाप ॥९॥
    भले देखो तुम आकार को, पर देखो अंदर का तेज । धनी धाम के साथसों, कैसा करत हैं हेज ॥१०॥
    अब कैसी विध करूं तुमसों, कछू ना पेहेचाने सजन । सोर हुआ एता तुम पर, क्यों आवे नींद आंखन ॥११॥
    ना गई नींद अंदर की, क्यों एते बान सहे । जाग चलो संग पिउ के, पीछे करोगे कहा रहे ॥१२॥
    तुमें धनी बिना कौन दूसरा, ए उड़ावे अंधेर । तुम देखो साथ विचार के, जिन भूलो इन बेर ॥१३॥
    एक बेर भूले आदमी, ताए और बेर आवे बुध । ए चोटां सहियां सिर एतियां, तो भी ना हुई तुमें सुध ॥१४॥
    अब ढील ना कीजे एक पल, इत नाहीं बैठन का लाग । एक पलक के कोटमें हिसे, हो जासी बड़ा अभाग ॥१५॥
    कहूं गुसा कर वचन, सो ना वले मेरी जुबांए । पर इत नफा क्या होएसी, तुम रहे माया लगाए ॥१६॥
    टेढ़े सुकन तुमे कहूं, सो काट करूं जुबां दूर । पर इन मायाका तुमको, कहा होसी रोसन नूर ॥१७॥
    ना पेहेचाने इन उजाले, ए दोए साख पूरन । पीछे पिउ आगे वतन में, क्यों होसी मुख रोसन ॥१८॥
    पेहेले नजरों देखते, गयो अवसर टूटी आस । निकस गए जब हाथ से, तब आपन भए निरास ॥१९॥
    ए ठौर ऐसा विखम, नास होए मिने खिन । स्‍याने हो तुम साथजी, सब चतुर वचिखिन ॥२०॥
    तुम स्याने मेरे साथजी, जिन रहो विखे रस लाग । पांउ पकड़ कहे इंद्रावती, उठ खड़े रहो जाग ॥२१॥
    - श्रीकृष्ण कन्हैया लालकी जय ।
    - सदगुरु माहाराजकी जय।
    - प्राणनाथ प्यारेकी जय ।

  • @mohan4Rajji
    @mohan4Rajji Місяць тому

    मेरे साथ सोहागी रे | प्रकास हिन्दुस्तानी - प्रकरण १७
    मेरे साथ सोहागी रे, पिउसों क्यों न करो पेहेचान । पेहेले चले पेहेचान बिना, फेर आए सो अपनी जान ॥१॥
    सोई पिउ सोई बातड़ी, फेर सोई करे पुकार । कारन अपने पिउ को, आंखों आवे जलधार ॥२॥
    सोई नसीहत देत सजन, खैंचत तरफ वतन । पिउ पुकारें बेर दूसरी, अब क्यों होंए पीछे आपन ॥३॥
    सोई कूकां करे पेहेले की, सो क्यों न समझो बात । न तो दिन उजाले खरे दो पोहोरे, अब हो जासी रात ॥४॥
    फेर पटकोगे हाथड़े, और छाती देओगे घाउ । चल जासी पिउ हाथ से, फेर न पाओगे दाउ ॥५॥
    विलख विलख कहे वचन, रोए रोए किए बयान । प्रेम करे अति प्रीतसों, पर साथ को सुध न सान ॥६॥
    माया देखी बीच पैठ के, पिउ के उजाले तुम । विध विध खेल देखावने, पिउ ल्याए तारतम ॥७॥
    ए जो मांगी तुम माया, सो देखे तीन संसार । अब साथ पिउ संग चलिए, ज्यों पिउ पावें करार ॥८॥
    पिउ पांच बेर हम वास्ते, सागर में डारया आप । सो नजरों न आवे प्रेम बिना, बिना मेहेर या मिलाप ॥९॥
    भले देखो तुम आकार को, पर देखो अंदर का तेज । धनी धाम के साथसों, कैसा करत हैं हेज ॥१०॥
    अब कैसी विध करूं तुमसों, कछू ना पेहेचाने सजन । सोर हुआ एता तुम पर, क्यों आवे नींद आंखन ॥११॥
    ना गई नींद अंदर की, क्यों एते बान सहे । जाग चलो संग पिउ के, पीछे करोगे कहा रहे ॥१२॥
    तुमें धनी बिना कौन दूसरा, ए उड़ावे अंधेर । तुम देखो साथ विचार के, जिन भूलो इन बेर ॥१३॥
    एक बेर भूले आदमी, ताए और बेर आवे बुध । ए चोटां सहियां सिर एतियां, तो भी ना हुई तुमें सुध ॥१४॥
    अब ढील ना कीजे एक पल, इत नाहीं बैठन का लाग । एक पलक के कोटमें हिसे, हो जासी बड़ा अभाग ॥१५॥
    कहूं गुसा कर वचन, सो ना वले मेरी जुबांए । पर इत नफा क्या होएसी, तुम रहे माया लगाए ॥१६॥
    टेढ़े सुकन तुमे कहूं, सो काट करूं जुबां दूर । पर इन मायाका तुमको, कहा होसी रोसन नूर ॥१७॥
    ना पेहेचाने इन उजाले, ए दोए साख पूरन । पीछे पिउ आगे वतन में, क्यों होसी मुख रोसन ॥१८॥
    पेहेले नजरों देखते, गयो अवसर टूटी आस । निकस गए जब हाथ से, तब आपन भए निरास ॥१९॥
    ए ठौर ऐसा विखम, नास होए मिने खिन । स्‍याने हो तुम साथजी, सब चतुर वचिखिन ॥२०॥
    तुम स्याने मेरे साथजी, जिन रहो विखे रस लाग । पांउ पकड़ कहे इंद्रावती, उठ खड़े रहो जाग ॥२१॥
    - श्रीकृष्ण कन्हैया लालकी जय ।
    - सदगुरु माहाराजकी जय।
    - प्राणनाथ प्यारेकी जय ।