परमादरणीय स्वर्गीय पृथ्वीसिंह बेधडक का कार्यक्रम कुरूक्षेत्र मे हमारे गांव मे हुआ था। शायद 1966-67 की बात है तब उनको केवल एक बार देखा और सुना था शेर जैसी गर्जन उनकी वाणी में थी। देशभक्ति और समाज-सुधार के विषय मे ही उनका प्रोग्राम था। तब हमें उनके बारे में ज्यादा जानकारी और समझ नहीं थी। बहुत बाद में जब कालेज के दिनों मे आर्यसमाज मंदिर में उनके लिखे भजन दूसरे भजनीकों द्वारा गाए हुए सुने तब उनके बारे में जानकारी मिली। रामनिवास जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका। आपकी आवाज मे मिठास तो है ही साथ मे आप भी बेधडक ही हैं।
परमादरणीय स्वर्गीय पृथ्वीसिंह बेधडक का कार्यक्रम कुरूक्षेत्र मे हमारे गांव मे हुआ था। शायद 1966-67 की बात है तब उनको
केवल एक बार देखा और सुना था शेर जैसी गर्जन उनकी वाणी में थी। देशभक्ति और समाज-सुधार के विषय मे ही उनका प्रोग्राम था। तब हमें उनके बारे में ज्यादा जानकारी और समझ नहीं थी।
बहुत बाद में जब कालेज के दिनों मे आर्यसमाज मंदिर में उनके लिखे भजन दूसरे भजनीकों द्वारा गाए हुए सुने तब उनके बारे में जानकारी मिली।
रामनिवास जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
आपकी आवाज मे मिठास तो है ही साथ मे आप भी बेधडक ही हैं।
Om namaste ji the best
🙏🙏🙏🚩🚩🚩
👆 in
Vigyanik soch budhisto ke charcha ka gayan do
हाथी को भी बांधा जाता है