राम राम जी। जय श्रीराम।। महान् सनातन धर्म की जय हो।। पाणिग्रहण अर्थात् विवाह संस्कार की पूर्णतया के लिए अन्य रीति-रिवाजों; जैसे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले *प्रजापति* के घर पर श्रद्धापूर्वक *चाक पूजन* करना, पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लगाना आदि आदि प्रमुख विधि-विधान हैं। सर्वप्रथम, चाक पूजन के पश्चात ही विवाह की अन्य रस्में प्रारम्भ होती हैं। चाक को इसलिए पवित्र माना जाता है क्योंकि *भगवान् प्रजापति दक्ष* को भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र, देवाधिदेव महादेव ने *पिण्डी* तथा ब्रह्मा जी ने अपना जनेऊ, कमण्डल और चकलेटी दिया ताकि यज्ञ हेतू मिट्टी का पात्र बनाया जा सके। इसलिए प्राचीन काल से चाक को अति पवित्र मान कर उसकी पूजा करने का विधान प्रचलित है। फेरों की रस्म हमारे ऋषि मुनियों एवं विद्वज्जनों द्वारा स्थापित पूरे शास्त्रोक्त विधि-विधान से पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ तथा अपने बड़े-बुजुर्गों, ग्रामदेवता, पितृगणों, देवी-देवताओं और परमात्मा के प्रति गहन श्रद्धा भाव व आशीर्वाद के साथ सम्पन्न होनी चाहिये। पवित्र अग्निकुण्ड के चारों ओर फेरों की रस्म को सम्पन्न करवाने वाले विद्वान पुरोहित के प्रति भी श्रद्धा भाव होना आवश्यक है। एक सफल वैवाहिक जीवन एवं संस्कारयुक्त बुद्धिमान आज्ञाकारी संतान की उत्पति के लिए अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना अति आवश्यक है।
Maine suna hai ki sabse pehle kumahar ne hi pahiya banaya tha ye pahiya bartan banane wala chak tha jo kumahar ne bartan banane ke liye hi banaya tha balgadi bhi tabhi bani thi jab kumahar ne pehle pahiya banaya
🎉 excellent
Parjapati❤
thanks kumhar ke bare me batane ke liye...
Share karo jada se jada bhai taki es jati ki jaankari sbhi ko thanks
nice bhai
❤❤❤❤
Nice
राम राम जी। जय श्रीराम।। महान् सनातन धर्म की जय हो।।
पाणिग्रहण अर्थात् विवाह संस्कार की पूर्णतया के लिए अन्य रीति-रिवाजों; जैसे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले *प्रजापति* के घर पर श्रद्धापूर्वक *चाक पूजन* करना, पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लगाना आदि आदि प्रमुख विधि-विधान हैं। सर्वप्रथम, चाक पूजन के पश्चात ही विवाह की अन्य रस्में प्रारम्भ होती हैं। चाक को इसलिए पवित्र माना जाता है क्योंकि *भगवान् प्रजापति दक्ष* को भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र, देवाधिदेव महादेव ने *पिण्डी* तथा ब्रह्मा जी ने अपना जनेऊ, कमण्डल और चकलेटी दिया ताकि यज्ञ हेतू मिट्टी का पात्र बनाया जा सके। इसलिए प्राचीन काल से चाक को अति पवित्र मान कर उसकी पूजा करने का विधान प्रचलित है।
फेरों की रस्म हमारे ऋषि मुनियों एवं विद्वज्जनों द्वारा स्थापित पूरे शास्त्रोक्त विधि-विधान से पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ तथा अपने बड़े-बुजुर्गों, ग्रामदेवता, पितृगणों, देवी-देवताओं और परमात्मा के प्रति गहन श्रद्धा भाव व आशीर्वाद के साथ सम्पन्न होनी चाहिये।
पवित्र अग्निकुण्ड के चारों ओर फेरों की रस्म को सम्पन्न करवाने वाले विद्वान पुरोहित के प्रति भी श्रद्धा भाव होना आवश्यक है। एक सफल वैवाहिक जीवन एवं संस्कारयुक्त बुद्धिमान आज्ञाकारी संतान की उत्पति के लिए अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना अति आवश्यक है।
सत्य कह रहे हैं भाई
अपना नाम और पता जरूर भेजे ❤
Thanks 🙏
Maine suna hai ki sabse pehle kumahar ne hi pahiya banaya tha ye pahiya bartan banane wala chak tha jo kumahar ne bartan banane ke liye hi banaya tha balgadi bhi tabhi bani thi jab kumahar ne pehle pahiya banaya
❤❤❤❤
Thanks ❤ share now