Aho Hari ! Tum Mama Sahukar | Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj Bhajan | ft.Shivani RKM

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  • Опубліковано 29 сер 2024
  • Written and Composed by Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
    Prem Ras Madira-Dainya Madhuri
    अहो हरि! तुम मम साहूकार ।
    तुम्हरे ऋणहि उऋण नहिं होइ सक, अगनित जनम मझार ।
    करि करुणा करुणा-वरुणालय, नर-तनु दिय सरकार ।
    पुनि निज वेदन-मार्ग बतायो, कोनों मम उपकार ।
    पुनि समुझायहु संत अनंतन, ल पुनि-पुनि अवतार |
    कह 'कृपालु' मन तबहुँ सुन्यो नहि, तुम ही सुनहु पुकार ॥
    भावार्थ-
    हे श्यामसुन्दर ! तुम मेरे साहूकार हो और मैं तुम्हारा कर्जदार हूँ। तुम्हारे अकारण उपकारों के ऋण से मैं अनन्त जन्मों में भी उ ऋण नहीं हो सकता । हे करुणा-वरुणालय ! तुमने अकारणकरुणा के ही परिणाम-स्वरूप मनुष्य शरीर दिया, फिर स्वयं वेदों को प्रकट करके अपनी प्राप्ति का मार्ग-दर्शन किया, फिर अनन्तानन्त संतों को अवतार दिला कर मुझे बार-बार जगाया। "कृपालु" कहते हैं तब भी इस नीच मन ने मेरी नहीं सुनी। हे श्यामसुन्दर ! अब तुम्हीं हमारी पुकार सुनकर हमें अपना लो।

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