छंद जैसे नीरस और दुरूह विषय की परिचयात्मक भूमिका बड़ी रोचक और उत्साह वर्धक रही, आगे भी सुनने देखने की उत्कंठा बनी रहेगी।अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।
बहुत सुंदर गुरुजी। बहुत शानदार शिक्षण। कृपया हिंदी साहित्य के प्रत्येक टॉपिक को समझायेगा ।आपका प्रस्तुतिकरण और आपका विषय ज्ञान अदभुत है।।बहुत धन्यवाद सर्।
इसको भी आप पुरानी परंपरा कह कर न माने। छंद शास्त्र की मान्यता है। वर्तमान कविता में कोई मान्यता नहीं है। वैज्ञानिक उसे दूसरा नाम दे देंगे। कविता को कामिनी भी कहा गया है। कोमलता जहां अनिवार्य है। प्रारंभ ही कठोरता से होगा तो अच्छा नहीं होता। ऐसी हमारे पूर्वजों की मान्यता थी। आज हम कोई चीज नहीं मानते। शादी में जूता पहन कर खाना खाते हैं। पुरानी परंपरा नहीं है।
@@RiddhiSiddhiPravah गुरुजी अपना कांटेक्ट नंबर दे दें मन बहुत से प्रश्न उठते अब मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे वास्तव में हिंदी का अद्वितीय गुरु मिल गया है।
सर जी, काव्य रचना छंद ,रस ,अलंकार के निमित की जाती है या कविता रचना के बाद इनकी सैटिंग की जाती है? मेरा दूसरा प्रशन हैं -- गीति \ गीत इनका गुण धर्म है इनकी गेयता यानि सस्वर गाये जा सके वह गीत या गीति हैं |ओर गीत मे यह गेयता किस कारण पैदा हो पाती है? ?? उदाहरणतः मैथिली लोकगीतों में गीति तत्व सिद्ध करना हो तो कैसे करेंगे? क्या सिर्फ और सिर्फ गेयता का एकमात्र आधार है? और वो भी मात्र गीतिका छंद ही होगा और भी छंद गीति मे सहायक होंते? ?? कृपा उचित मार्ग दर्शन करें 🙏🙏 आपके रिपलाई का इंतजार रहेगा|
कविता हृदय की भावनात्मक सकता है। कविता बनने के बाद कवि स्वयं रस छंद अलंकार नहीं देखता। पुराने छंदों में अवश्य कभी-कभी रचना करते समय ही कवि को मात्राओं के अभाव या अधिकता में छंद खटकने लगता है तब वह शब्दों को परिवर्तित करता है। पुराने समय में जब रचनाएं की जाते थी, तब इतने अलंकार नहीं थे, रचनाओं को देखकर पढ़कर विद्वानों ने अलंकार को जन्म दिया।।
गौरव जी नमस्कार। फिलहाल में भटिंडा पंजाब में हूं। मैं व्हाट्सएप पर मैसेज द्वारा बात कर लेता हूं। मेरा व्हाट्सएप नंबर 94571 66089 है। आपके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।।
ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे। आप ऐसे ही ज्ञान प्रदान करने जैसा महान कार्य करते रहे।
शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद।🙏
@@RiddhiSiddhiPravah गुरु देव, कृपया कक्षा १२, NCERT के संपूर्ण अध्याय उपलब्ध करा दें।
बहुत अच्छा पढ़ाते है गुरु जी
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Bahut sundar samjhaya sir ji appne .
Bahut bahut dhanyawad sir ji 🙏🙏🙏🙏
बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आभार।।
Ati Sundar sir jee
हार्दिक अभिवादन और धन्यवाद
Ji ho guru ji
बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️
Sir aap bahut acha pdhate h 🙏🙏🙇♀️
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।।
Nice video
हार्दिक आभार।
आदरणीय गुरुदेव आप बहुत बहुत अच्छा पडाते हैं।
आपका हार्दिक धन्यवाद।।
Good
अच्छा कहने के लिए धन्यवाद।
मै आपके अथक प्रयासों का ऋणी हूं।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आपके लिए तो मैंने कुछ भी नहीं किया। सामान्य सा कार्य है, जितना मेरे पास है उसे स्थानांतरित करने का प्रयास कर रहा हूं।
साधुवाद सर! आपकी विद्वता दिव्य है। 🙏
हार्दिक धन्यवाद।🙏🙏
🙏🌹
आप को देखकर हमारे गुरु दिवेदी जी याद आ जाती है
प्रणाम आपको,👏👏👏
आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।। हार्दिक आभार।
thank you so much sir.
Welcome welcome..
छंद जैसे नीरस और दुरूह विषय की परिचयात्मक भूमिका बड़ी रोचक और उत्साह वर्धक रही, आगे भी सुनने देखने की उत्कंठा बनी रहेगी।अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।
आपने जो उत्साह वर्धन अपनी समीक्षा के माध्यम से किया उसके लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। आप से प्राप्त स्नेह के प्रति कृतज्ञ हूं।।
यूट्यूब पर उपलब्ध सभी व्याकरण की वीडियो में से आपकी वीडियो सर्वश्रेष्ठ है🙏🙏🙏🙏🙏
सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।।
Sundar Sir Ji🥰🥰
Thank you so much
Amazing 🙏🙏
आपका हार्दिक स्वागत ऐसे धन्यवाद 🙏
जय श्री राम सर शानदार वाणी की मधुरता ह्रदयस्पर्शी सर
बहुत-बहुत धन्यवाद।। कृपया लाइक भी कर दे।।
आप धन्य है गुरू जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुरु शब्द बहुत महान है। आपका हार्दिक आभार।
बहुत-बहुत धन्यवाद गुरुदेव बहुत दिनों से इंतजार था
अगली वीडियो में मैं आपका नाम अवश्य लूंगा।। बहुत बहुत धन्यवाद।।
सर कृपया शैलीविज्ञान पर एक क्लास ले लीजिए
ठीक है प्रियवर।❣️❣️
@@RiddhiSiddhiPravah 🙏
@AmanGMishra 🌹🌹🌹
महोदय जी कृपया कर मंदाक्रांता छंद का भी अध्ययन करवाएं
धन्यवाद। अवश्य। प्रतीक्षा कीजिए।
Good night
Hii
Sir mujhe shivank ne aapka channel bataya Maine aapke videos dekha aap bahut acha samjhate hai
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और बहुत शुभकामनाएं।। शिवांक को भी यथोचित।
Sir vann Vrat Chand Pada dijiye
आपका नाम स्पष्ट नहीं हो रहा है। छंद का नाम स्पष्ट करें।
आपका नाम स्पष्ट नहीं हो रहा है। छंद का नाम स्पष्ट करें।
@@RiddhiSiddhiPravah varn Vrat Chand aur uske pure Prakar
ठीक है
@@RiddhiSiddhiPravah Sir Vijay Chand Mohan Chand Dodhak Chand Dandak Chand Tarak Chand Svagat Chand Varn vartt Chand aur usake bhed Tomar Chand Pada dijiye plese sir🙏🙏🙏🙏
शैली की सहजता व शैलीकार को प्रणाम।
आपकी सराहना के लिए शत शत वंदन अभिनंदन।।
Aapko itna yad kese rh jata h or itna aasni se kese smj lete ho kisi chij ko
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
बहुत-बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद।।
बहुत सुंदर गुरुजी। बहुत शानदार शिक्षण। कृपया हिंदी साहित्य के प्रत्येक टॉपिक को समझायेगा ।आपका प्रस्तुतिकरण और आपका विषय ज्ञान अदभुत है।।बहुत धन्यवाद सर्।
आप द्वारा की गई सराहना के लिए आभारी हूं।
Sir, prabhavi sampreshan
Sahana ke liye
Bahut bahut aabhar
🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद।
Sir hamara 9th ka ame entrance hai 3 din main plz kuch madad deden
Aapki videos ne hamari bohot madad ki hai
समस्या बताइए। हमारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
Sir itne sare dohe hain unki bhaasha ka pata kaise chalta hai aur sandhi tatha samaas ko alag kaise karte plz ye bhi bataden
सर जी पृथ्वीनाथ पांडेय की पुस्तक में छंद के 4 भेद दिए हैं - मात्रिक, वर्णिक, उभय, मुक्तक
कृपया बताएं कि क्या ये सही दिया है 🙏
पुरानी कविताओं में केवल दो छंद। मात्रिक और वर्णिक
नई कविताओं में दो छंद गीति और मुक्तक।
आप जिस तरह चाहे समझे।
@@RiddhiSiddhiPravah बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
आपका हार्दिक आभार।।
Kram se video kaise milegi sir please video pr number daal diya kriye please sir
ठीक है। यद्यपि क्रम से ही डाले गए हैं। आभार।
अगर हमारी पुस्तक में कोई कविता है तो उसे देखकर कैसे पता लगाया जाए कि ये कौन सा छंद है?
आपने सारे छंद पढ़ लिए। छंद पढ़ते ही अपने आप समझ में आ जाता है। अगर आप कविता बताएं तो मैं बता दूंगा।
भवानी प्रसाद जी की घर की याद में एवं सुमित्रानंदन पंत जी की वे आंखें में कौन सा छंद है?
यह दोनों मुक्तक छंद के अंतर्गत आती हैं लेकिन पढ़ने में गेयता विद्यमान है।
@@RiddhiSiddhiPravah धन्यवाद
@@RiddhiSiddhiPravah धन्यवाद सर
ह वर्ण से कविता शुरू क्यों नही हो सकती गुरुजी । 🙏
इसको भी आप पुरानी परंपरा कह कर न माने। छंद शास्त्र की मान्यता है। वर्तमान कविता में कोई मान्यता नहीं है। वैज्ञानिक उसे दूसरा नाम दे देंगे। कविता को कामिनी भी कहा गया है। कोमलता जहां अनिवार्य है। प्रारंभ ही कठोरता से होगा तो अच्छा नहीं होता। ऐसी हमारे पूर्वजों की मान्यता थी। आज हम कोई चीज नहीं मानते। शादी में जूता पहन कर खाना खाते हैं। पुरानी परंपरा नहीं है।
@@RiddhiSiddhiPravah गुरुजी अपना कांटेक्ट नंबर दे दें मन बहुत से प्रश्न उठते अब मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे वास्तव में हिंदी का अद्वितीय गुरु मिल गया है।
सर जी, काव्य रचना छंद ,रस ,अलंकार के निमित की जाती है या कविता रचना के बाद इनकी सैटिंग की जाती है?
मेरा दूसरा प्रशन हैं -- गीति \ गीत इनका गुण धर्म है इनकी गेयता यानि सस्वर गाये जा सके वह गीत या गीति हैं |ओर गीत मे यह गेयता किस कारण पैदा हो पाती है? ?? उदाहरणतः मैथिली लोकगीतों में गीति तत्व सिद्ध करना हो तो कैसे करेंगे? क्या सिर्फ और सिर्फ गेयता का एकमात्र आधार है? और वो भी मात्र गीतिका छंद ही होगा और भी छंद गीति मे सहायक होंते? ?? कृपा उचित मार्ग दर्शन करें 🙏🙏 आपके रिपलाई का इंतजार रहेगा|
कविता हृदय की भावनात्मक सकता है। कविता बनने के बाद कवि स्वयं रस छंद अलंकार नहीं देखता। पुराने छंदों में अवश्य कभी-कभी रचना करते समय ही कवि को मात्राओं के अभाव या अधिकता में छंद खटकने लगता है तब वह शब्दों को परिवर्तित करता है। पुराने समय में जब रचनाएं की जाते थी, तब इतने अलंकार नहीं थे, रचनाओं को देखकर पढ़कर विद्वानों ने अलंकार को जन्म दिया।।
सर जी क्या आपसे फोन पर बात हो सकती होगी तो किस समय आपको कष्ट दे सकती हूं?
केवल व्हाट्सएप पर मैसेज से।
जी, धन्यवाद 🙏🙏
🙏
Respected sr Charan sparsh ...SR apka contect number de dijiye SR..roAro mains k liy SR Hindi Ka Pura slyybuss pdhna h hme SR..Mai v Kanpur s hu SR...
गौरव जी नमस्कार। फिलहाल में भटिंडा पंजाब में हूं। मैं व्हाट्सएप पर मैसेज द्वारा बात कर लेता हूं। मेरा व्हाट्सएप नंबर 94571 66089 है। आपके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।।
सुन्दर 🙏🙏
आज आप बहुत समय निकालकर पुरानी वीडियो देख रही हैं। कृपया जो भी देखें पूरा देखें। बहुत-बहुत धन्यवाद।
Sir , good evening..
Sir , I would like talk to you.. About writing poem
बहुत बहुत शुभकामनाएं।
Apaka number chahiye sir
मैं व्हाट्सएप पर मैसेज से बात करता हूं।
9457166089