6 मन्वंतर (426 चतुर्युगी) पूर्ण होकर ये 7वें की 28वीं चतुर्युगी के कलियुग का 5119 वर्ष चल रहा है। 453 (426+27) गुजर चुकी है, 454वीं की 27 चतुर्युगी बीत चुकी 28वी का कलियुग चल रहा, कुल = 1,96,08,53,119वां सतयुग 1728000 वर्ष त्रेतायुग 1296000 वर्ष द्वापरयुग 864000 वर्ष कलियुग 432000 वर्ष 1 चतुर्युगी = 4320000 वर्ष इसाई = लगभग 6000 वर्ष पहले सृष्टि बनी... मुस्लिम = कुछ पता नहीं, लगभग 7500 वर्ष पहले संभावना वेद = 1,96,08,53,119वां वर्ष विज्ञान अरबों वर्ष पहले सृष्टि बनी (नोट:- वैज्ञानिक प्रतिवर्ष अपनी बात से पलटते रहते है फिर भी ये आंशिक रूप से सत्य की ओर बढ़ रहे है ।)
जय श्री राम।इतनी कम उम्र में सनातन के बारे में आपका ज्ञान, रुचि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण देख कर बेहद खुशी होती है।आप जैसे लोगों के कन्धों पर ही इस देश,धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा का भार है।अपने कार्य में लगे रहे ईश्वर सहायता करेंगे।
मेरे पास वो Power है जो भगवान के पास भी नही है। क्योंकी मैं ही दुनिया का मुक्तिदाता हूं । जो सतयुग की स्थापना करेगा । मेरे चैनल @GODKABHAKT पर ये बातें 12/12/22 की Video पर देखने पर पता चल जायेगी। मेरे आगे ज्ञानी और विज्ञानी क्यों Fail हो जायेंगे । ये भी Video देखने के बाद, आपको खुद ही सबित हो जायेगा। और मैने अपने चैनल @GODKABHAKT पर इसी Video में बताया है। मुझे किस भगवान के दर्शन हो चुके है ।
भाई आपका ज्ञान और वेदों को पढ़ने की क्षमता बहुत अच्छी है बहुत ज्ञानवर्धक बातें आप के थ्रू मालूम पड़ती है मैं इस विषय में थोड़ा सा जानना चाह रहा था के रामायण जब अंत हुआ उसके बाद कितना समय व्यतीत हुआ है क्योंकि रामायण का काल त्रेता युग था त्रेता युग खत्म होने के बाद में युद्ध शुरू हुआ या खत्म हुआ अंत में हुआ इस तरह से मुझे जानकारी मालूम नहीं पढ़ पा रही है मैं विषय से थोड़ा सा भटक रहा हूं क्योंकि त्रेता योग और उसके बाद द्वापर युग चालू हो गया तो द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने 5000 वर्षों में अपना नया अवतार लिया जबकि राम जी का अवतार उसके कुछ समय पहले ही जैसे कहा है कि 7000 वर्ष पूर्व उनका जन्म और फिर युद्ध काल वगैरह हुआ तो मैं जानना चाह रहा हूं त्रेता युग और द्वापर युग के खत्म होते या शुरू होते ही राम और कृष्ण जी का अवतार तुरंत हुआ या आप समझ रहे हैं मैं क्या कहना चाह रहा हूं इनके बीच का कालखंड कितना होगा कितनी दूरी होगी कितना समय व्यतीत हुआ होगा यह हम 5000k जी कृष्ण जी के हैं और 7000 वर्ष हम कह रहे हैं कि राम जी की आयु के हैं तो इस तरह से काल की गणना त्रेता युग और द्वापर युग के बीच किस तरह से की गई है मुझे बस इसमें बहुत वह है कन्फ्यूजन सो मैं यह जानना चाह रहा था कि अगर आपके पूर्व ही कोई जानकारी मालूम पड़े किस के कालखंड किस तरह से डिवाइड हुआ इनके बीच में क्या उदी व्यतीत हुई है तो बहुत अच्छा होगा अगर आप इस विषय पर कभी वीडियो बनाएं धन्यवाद
Bhai aap to alag hi level ke insan ho kitne detailing mai jaate ho jeezo ki bhai aapke jaise or logi ki zaroorat hai hamare desh ko ❤👌 jai shree ram❤🙏❤🙏
हमें आपके चलचित्र बहुत पसंद है, जिसे देखने के बाद हमारे मन में और भी अधिक प्रश्नों की उत्पत्ति हो जाती है , इस कारण हम आपसे आग्रह करते है की आप एक मंच टेलीग्राम या डिस्कॉर्ड पर भी बना दीजिए जहां पर हम जैसे लोग आध्यात्म , विज्ञान , वेद आदि के बारे में वार्ता कर सके और अपने प्रश्नों के बारे में एक दूसरे से चर्चा कर सके। धन्यवाद
आपका प्रयास बहुत ही सराहनीय है। मेरा एक सुझाव है कि जब भी आप काल गणना की बात करें तो इसके लिए सन्दर्भ एक ग्रंथ सूर्य सिद्धांत से अवश्य लिया करें I सूर्य सिद्धांत में कहा गया है कि जब सारे ग्रह उसी स्थिति में वापस आ जाएँ जिस स्थिति में अभी हैं तो उसमें 432700 मानव वर्ष लगते हैं l इसी काल खंड को एक युग कहा गया है l इसे तो computer से साबित किया जा सकता है और किया भी जा चुका है l अब इसके मुताबिक आप सतयुग जो कि 4 युगों का, त्रेता 3 युगों का, द्वापर 2 युगों का और कलयुग 1 युग का को गुना कर दें तो चारों युगों का काल खंड निकल जायेगा l धन्यवाद
आपने सनातन युग के बारे में बहुत अच्छा विश्लेषण किया है। 🕉 महान प्राचीन ऋषियों के युगो की समयावधि की काल गणना करने वाली इकाई,जिसे दिव्य वर्ष (360) कहा जाता उसको वैज्ञानिकता के वर्तमान समय में एक दिन (24घंटे) मान लें तो आज एक वर्ष में लगभग तय 360 दिन ही होते हैं।🚩✌ ☝जिसे वैदिक काल में एक युग का समय 12000 वर्ष कहा गया है, वह आज के समय की गणनानुसार = 12000 वर्ष ही रह जायेगा।💯☑️✌ आज भी वैज्ञानिक पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में काल गणना को युगों के रूप में विभाजित किया है। जैसे कि पाशाचत्य वैज्ञानिक कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 एवं परमाणु भार 12.11U मानते हुए सभी तत्वों ,धातुओं एवं ग्राम MKS, CGS प्रणाली के अनुसार गणना करते आ रहे हैं । वैसे ही हमारे ऋषि वैदिक काल गणना में युगों, दिव्य युग, घड़ी, क्षण, पल, कला, विकला के रूप में करते थे। 👉 बिगबैंग के समय के बाद जब पृथ्वी पर मानव जीवन बहुत कम था, जिसे वैदिक काल में सृष्टि रचना का सतयुग कहा जाता है । तो आज की ताज़ा गणना नुसार पृथ्वी पर मानव जीवन की उत्पत्ति का कुल समय 12000 वर्ष होता है। यदि हम सतयुग के समय को 2000 वर्ष मान लें । 12000 - 2000= 10000 वर्ष अर्थात् 10000 वर्ष पहले त्रैतायुग हुआ था। त्रैतायुग के समयावधि को 3000 वर्ष मान लें । 10000 - 3000 = 7000 वर्ष सीधा सा निष्कर्ष यह है कि आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व द्वापर युग था। द्वापर युग चलने की समयावधि को 3000 वर्ष मान लें तो 7000 -3000= 4000 वर्ष अब 4000 वर्ष शेष बच गए वैदिक काल गणना में जिसे कलयुग कहा जाता है। अर्थात् द्वापरयुग की 4000 वर्ष पूर्व समाप्ति के बाद कलयुग आएगा प्रारंभ हुआ है । जो बीते 4000 वर्षों से वर्तमान समय में चल रहा है । ☑️💯 सौ की सीधी बात यह है,कि *हमारी अहिंसा पर चलने वाली प्रकृतिवादी ,शाकाहारी, सदाचारी,मर्यादित वैदिक संस्कृति सभ्यता , *रोमन साम्राज्य के दार्शनिक धूर्त अरस्तू की विचारधारा जिसके अनुसार जीव जगत को मार काट, आतंक, लूट ,झूंठ फरेब , षड्यंत्र से लोगों को गुलाम बनाने की नियत रखने वाले अब्राहीमी लोगों के महाधूर्त पाश्चात्य देशों की सोंच से लाख गुना उच्च, श्रेष्ठ एवं दस हजार (10000)वर्ष पूर्व की विकसित मानव सभ्यता है*। 💯🚩🚩🚩🚩🚩💪💪💪💪
इतिहास गवाह है, सत्य की कसौटी पर हमेशा से सनातन को ही परखा गया है, और हर बार सनातन खरा उतरा बाकी पंथों संप्रदाय जो स्वयं को महान कहते है,उनका तो कोई अंध गंध ही नही है,🙏🙏🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩🙏🙏
नारायण स्मरण विनय मुझे आप जैसे नव युवक ऐसे ऐसे बिषयोपर इतनी सटीक , शाश्रशुद्ध ओर वैज्ञानिक दृष्ट्यकोन युक्त जाणकारी दे रहे है ये देख सुनकर बहुत ही अच्छा लगा हमारे सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म का भविष्य बहुत ही समुज्वल व प्रकाशमान है इसमे कोइ संदेह नही है . हर हर महादेव
आपकी मेहनत और ज्ञान को नमस्कार है जितने ग्रंथो की बाते अपने इस वीडियो में कवर की है इससे पता चलता है की इसके आपकी महीनों की मेहनत लगी है .आप और आपकी टीम को नमन 🙏🙏🙏
भारतीय वैदिक पौराणिक मान्यताओं में हम पाते हैं कि सतयुग से कलियुग क्रमशः अच्छे से बुरे की ओर जाता हुआ बताया गया है।जब की मानव सभ्यता पत्थर युग कृषीयुग धातु युग मशीन युग भौतिक दृष्टि से क्रमशः विकसित होता हुआ दिखाई देता है जो इस समय चरम पर है। बहुत विवाद है। धन्यवाद
जय श्री राम। आपके गहन अध्ययन और विवेचन को नमन। आपने बताया की पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर रामायण का काल 7000 वर्ष पहले का है और कृष्ण काल 9000 से 10000 वर्ष पहले का है। इससे तो यह इंगित होता है कि कृष्ण काल रामायण काल से भी पुराना है जो कि अभी तक की मान्यता के विपरीत है। हो सके तो इसके बारे में द्वितीय भाग में स्पष्ट करें🙏
According to Vishnupuran : satyug= 4800 divine years tretayug = 3600 divine years dwaparyug = 2400 divine years kalyug = 1200 divine years 1 divine year = 360 years
6 मन्वंतर (426 चतुर्युगी) पूर्ण होकर ये 7वें की 28वीं चतुर्युगी के कलियुग का 5119 वर्ष चल रहा है। 453 (426+27) गुजर चुकी है, 454वीं की 27 चतुर्युगी बीत चुकी 28वी का कलियुग चल रहा, कुल = 1,96,08,53,119वां सतयुग 1728000 वर्ष त्रेतायुग 1296000 वर्ष द्वापरयुग 864000 वर्ष कलियुग 432000 वर्ष 1 चतुर्युगी = 4320000 वर्ष इसाई = लगभग 6000 वर्ष पहले सृष्टि बनी... मुस्लिम = कुछ पता नहीं, लगभग 7500 वर्ष पहले संभावना वेद = 1,96,08,53,119वां वर्ष विज्ञान अरबों वर्ष पहले सृष्टि बनी (नोट:- वैज्ञानिक प्रतिवर्ष अपनी बात से पलटते रहते है फिर भी ये आंशिक रूप से सत्य की ओर बढ़ रहे है ।)
18 days Mahabharata War (Told by Puri Shankracharya in Official Gobardhan Math Channel in UA-cam) According to Amanta calendar System 1. Marga Shukla Ekadashi (GeetaJayanti) - 1st day of war 2. Marga " " Dwadashi 3. Marga " " Trayodashi 4. Marga " " Chaturdashi 5. Marga " " Purnima 6. Marga Krishna Pratipada 7. Marga " " Dwitiya 8. Marga " " Tritiya 9. Marga " " Chaturthi 10. Marga " " Panchami 11. Marga " " Shashthi 12. Marga " " Saptami 13. Marga " " Ashtami 14. Marga " " Navami 15. Marga " " Dashami 16. Marga " " Ekadashi 17. Marga " " Dwadashi 18. Marga " " Trayodashi Now As you said there were 1 Solar and 1 Lunar Eclipse , and we know Solar eclipse happens on Amawasya and Lunar eclipse happens on Purnima , but you can see there was 1 purnima but not amavasya So there were no 2 eclipse.
The Traditional Date of Rāmāyana (5677-5577 BCE) It is traditionally recorded that Rāma was born in the Treta Yuga. Mahabharata clearly indicates that Rāmāyana occurred at the end of Treta Yuga. As stated in Adiparva, Sri Rama flourished during the last centuries of Treta Yuga (त्रेताद्वापरय ोः संधौ रामोः शस्त्रभृतां वरोः, असकृत पार्थिवं कषत्रं जघानामषि चॊर्ितोः |). The epoch of Tretā Yuga had commenced around 6777 BCE considering the epoch of Krita Yugānta in 6778 BCE as indicated in Latadeva’s Surya Siddhānta. The 60-year cycle and the Yuga of 1200 years were introduced in 6778-6777 BCE. Thus, we can roughly fix the period of Tretā Yuga around 6777-5577 BCE and the date of Rāmāyana around 5677-5577 BCE in the last century of Tretā Yuga. Seemingly, the concept of differential duration of Yugas had been introduced in Dvāpara Yuga. Mahabharata, the epic written in the beginning of Kaliyuga refers to 2400 years of Dvapara Yuga. Therefore, we have to consider 2400 years of Dvapara Yuga and fix the period of Dvāpara Yuga around 5577-3177 BCE. Thus, traditional evidence indicates the date of Ramayana to be around 5677-5577 BCE at the end of Treta Yuga. Purānas speculate Valmiki to be the 24th Vyāsa and lived in the 24th Dvāpara Yuga and mention that Ramayana occurred at the end of the 24th Tretā Yuga. Historically, there were many Vyāsas but the imaginary concept of 28 Vyāsas was introduced only in the Gupta period. It is illogical to believe that Parāshara, the father of Vyāsa lived in the 26th Dvapara, Jatukarnya, the teacher of Vyāsa lived in the 27th Dvāpara and Vyāsa lived in the 28th Dvapara. There is no traditional or literary evidence to support the date of Valmiki in the 24th Dvāpara Yuga. Therefore, we can ignore the speculative concept of 28 Vyāsas and the date of Valmiki in the 24th Tretā Yuga. Vyāsa, of the Mahābhārata era, revived the tradition of the study of Purāṇas and recompiled them into eighteen Purāṇas. Some Upapurāṇas were also compiled after the Mahābhārata era. The Purāṇas available to us, it seems, were finally recompiled and updated around 500-100 BCE. This revived Puranic tradition survived till the Gupta period. Only Bhaviṣyat Purāṇa continued to be periodically updated after the Gupta period. Purāṇas narrate the continuous genealogical and chronological history of ancient India, starting from the Mahābhārata war, and the coronation of King Yudhiṣṭhira, and ending at the Gupta period. All Indian traditional and literary sources unanimously indicate the date of the Mahābhārata war to be in the 32nd century BCE and epigraphic evidence of the Aihole inscription1 conclusively establishes the date of the Mahābhārata war in 3162 BCE. Purāṇas refer to the Saptarṣi calendar that commenced around 6777 BCE, assuming the hypothetical position of Saptarṣis (the Big Dipper) in Aśvinī Nakśatra. Accordingly, Purāṇas, Vṛddhagarga and Varāhamihira, and other ancient scriptures unambiguously mention that the Saptarśis were in Maghā Nakśatra around 3177-3077 BCE, during the reign of King Yudhiṣṭhira. A reconstructed land grant of King Janamejaya, son of Parīkśit, was found in Tirthahalli district of Karnataka, which is dated in the 89th year of the Yudhiṣṭhira era (3073-3072 BCE). So, Purāṇas relate the complete genealogies of various dynasties of Magadha Empire after the Mahābhārata war.
Jitna likhe ho sab jhaanth barabar h faltu ka logic laga kar faltu ki baten na aaga h na picha. Bahut karte rahte h es rarah ka chutiyapa laakh karor saal batate rahte h or loguc dete rahte h ek tum bhi aa gaye gandagi felane
@@indianbharat2445 tujhe science samajh mei aata hai kya bc Jo itna frustration ke mare yaha apna backchodi dikha raha hai, Maine toh ek bar v lakh crores ka saal mention v nhi kiya. Tujhe thik se padhna nhi aata kya re gandu 😒
सदगुरूजी गुरु माताजी आपको मेरा शत शत नमन .....सदगुरूजी धन्यवाद....सदगुरूजी यहाँ मुझे ऐसा लगता हैं कि हमें हवा पाणी प्रकाश आकाश पृथ्वी कि जन्म के अर्थ को समझना पडेगा....पृथ्वी के कोर से पृथ्वी घुमती रहती हैं....वैसेही हर ग्रह नक्षत्र घुम रहें हैं....उनकी चक्कर से ही यह हवा पाणी प्रकाश आकाश पृथ्वी का नव निर्माण हो रह हैं....जैसे हवा में ऑकसीजन नायट्रोजन हेलीयम कार्बन जैसे गुण हैं वैसेही हर ग्रह नक्षत्र में यह विविधताए हैं जीनसे वातावरण की एक सुनिश्चित गती बनती हैं....उनमें बदलाव आया तो तूफान आँधी भुकंप बहाल जैसी विकृत परिस्थितीयाँ बनती हैं....वैसेही हम मानवों में बौद्धीक स्तर पर बदलाव आता रहता हैं जीसे हम युग परिवर्तीत हुआ ऐसा कहते हैं वास्तव में युग याने बिता हुआ अच्छा बुरा समय हैं....क्या पृथ्वी पाणी हवा आकाश प्रकाश कि हमें कभी जन्म जानकारी हैं....???... वैसेही युग को किसी समय में ही वो ऐसा था यह मान लेना सही नहीं हैं.....वो अब भी बदलता रहता हैं वह हैं हमारी बुद्धी ही हैं जो ऐसी सोच लेकर चलती हैं....सदगुरूजी धन्यवाद...सदगुरूजी जय हिंद जय महाराष्ट्र जय भारत माँ मेरा देश महान हैं...भारत माता की जय...वंदेमातरम...
Thank you bhaiya for picking this topic!! Ye same question ki ramayan aur Mahabharata ke bich ka time gap 2000 yrs ka kaise ho skta hai main 3 saal se dhundne ki koshish kr raha thha pr kahin satisfactory jawaab nhi mila !! Eagerly waiting for part 2 !! Plz jald se jald upload kr dijiye !! 🙌 जय श्री राम 🕉️🚩🚩
You are contributing well with all details and is appreciated. In terms of timeline, please watch Nilesh Oak's youtube videos. He scientifically established that Ramayan from 12500 BC, and Mahabharat at 5450 BC. This is conflicting with the durations you are talking about. Hope the above information helps your research!
Mai bhi aapki tarah dharm aur science ((Quantum level)) ka personaly vishleshan karta hu.. Aapka presentation with knowledge bahut prabhavit karta hai.. Ek kahaawat hai ki USKI marzi k bina ek patta tak nahi hil sakta . SAB KUCH USKI marzi se ho raha hai.. Aapse ummeed karta hu ki Aap is topic ko jarur cover karenge..
भाई मुझे तुमसे, तुम्हारे काम से प्रेम हो गया है | mai hamesha se khud se ye sab research karke co-relate karta tha apne dharm and science ko but tumare level ki research dekhke maza aa jata hai ..... I even make notes from your videos You are amazing brother....❣️
Manusmriti Chapter 1, shlok 71 to 88 covers the calculation of periods of yugs (with sandhi), the special characteristics and what is to be done by people in each yug, all are given in detail. You may like to add Manusmriti to the literary evidence
No brother from chapatar 1 .. all this slokas are about the creation of universe.. only few slokas in chapatar 2 manusmruti is explaining about yugas and it's math's.. 🙏
Mai iss question ka answer bohot dino se dhund raha tha bohot se channel par khojo sattology, isckon, bohot se sadhu santo ko suna par not got complete answer.. Please continue the series soon..
Great information. It is true that the divine years are very misleading and just make no sense unless the interpretation is made realistically. It seems realistically to place Rama around 9000 to 11000 and Mahabharat around 7000 years. Just a thought.
जितने भी युग है वो मनुष्य की ब्रह्म से दूरी को बताते है और यह हर व्यक्ति पर अलग अलग लागू होता है यदि कोई व्यक्ति सांसारिकता में पूर्णतया लिप्त है तो उसके लिए जीवन कलियुग होगा क्युकी वो जितना भोग की तरफ इच्छा करेगा उतना ही दुख पाएगा इसके यदि कोई व्यक्ति ब्रह्म उपासक है निष्काम कर्म कर रहा तो उसके लिए जीवन सतयुग होगा ।
मनु संहिता में युगों की अवधि का उल्लेख है॥ *स्वामी श्री युक्तेश्वर जी* की पुस्तक *कैवल्य दर्शनम्* में युग की अवधि पर विस्तृत और सटीक जानकारी मिल जाएगी॥ सतयुग=४००+४०००+४००=४८०० वर्ष त्रेता युग=३००+३०००+३००=३६०० वर्ष द्वापर युग=२००+२०००+२००=२४०० वर्ष कलयुग=१००+१०००+१००=१२०० वर्ष कुल १२००० वर्ष= १ दैव युग॥ उपर्युक्त पुस्तक के अनुसार १२००० वर्षों का आरोही अर्धचक्र और १२००० वर्षों का अवरोही अर्धचक्र होता है॥ इन दोनों आवर्तन कालों को एक-एक दैव युग कहा जाता है॥ ऐसे दैव युगों की एक जोड़ी से, अर्थात २४००० वर्षों से युग चक्र की एक आवृत्ति पूरी होती है॥ अभी आरोही अर्ध चक्र चल रहा है और हम लोग कलयुग को पीछे छोड़ कर द्वापर युग के ३२२वें वर्ष में प्रवेश कर चुके है॥ १७०० ईसवी में जब द्वापर युग आरंभ हुआ था तब से विज्ञान में नई खोज होने लगे थे॥ द्वापर युग के २०० वर्षों का संधि काल समाप्त होने के पश्चात विज्ञान बहुत तेजी से प्रगति करने लगी॥ विस्तृत जानकारी के लिए उपर्युक्त पुस्तक अवश्य पढ़ें॥
बहुत उत्सुक हूँ 2nd part के लिए। एक बात और, वो जो आपने कहा न कि गृहों की दशा repeat भी हो सकती है। मैं उसका पूरा समर्थन करता हूँ क्योंकि मेरा भी एकदम यही मानना है। धन्यवाद आपने हम लोगो के कहने पर यह video बनाया। मैं भी आपके साथ काम करना चाहता हूँ। 💐🙏👏👏👏
Ramayan actual age: After conquering Lankhini, the Godess of Lanka, Sri Hanuma enters Lanka and searches for Seeta. Sage Valmiki describes what Sri Hanuma saw, as follows: Sundara Kanda 4th Sarga 26 - 28 Slokas) "The great Hanuma entered secretly Ravana's inner city which was equal to paradise, rendered noisy by neighing of horses and tinkling of ornaments, by chariots, vehicles and aerial-cars and decorated by auspicious elephants and horses and great elephants with four tusks and by birds and animals in heat. It had beautiful entrances and was protected by thousands of rakshasas with great strength." Sundara Kanda 9th Sarga 4 - 5 Slokas) “Thereafter, Hanuma the glorious one neared and observed the best residence of Rakshasas and the house of Ravana, containing elephants with four tusks and also those with three tusks, those with two tusks and still not crowded. It was protected by soldiers bearing raised weapons.” Here, the Sage Valmiki describing elephants with four tusks and also those with three tusks, those with two tusks. Modern Anthropologists say that elephants with four tusks existed 12-1.6 million years ago. -------------- The Gomphotheriidae were a diverse taxonomic family of extinct elephant-like animals (proboscideans). Referred to as gomphotheres, they were widespread in North Americaduring the Miocene and Pliocene epochs, 12-1.6 million years ago. Some lived in parts ofEurasia, Beringia and, following the Great American Interchange,South America. Gomphotheres differed from elephants in their tooth structure, particularly the chewing surfaces on themolar teeth. Most had four tusks, and their retracted facial and nasal bones prompt paleontologists to believe that gomphotheres had elephant-like trunks. (Source: Gomphothere) -------------- Hence, we can infer that Srimad Ramayana was written 16 lakh or 1.6 million years ago and not 5th to 4th century BC, as the scholars tried to made us to believe.
Aap bahut hi sarahniy kaam kr rhe h.sabhi ved or purano ko analysis kr k jo gyan aap iss generation ko baat rahe h ye sb k bas ki baat nhi .god bless you and keep going
Nice effort ... But mind it while discussing such sensetive topics we should not hamper the basic spirit of our sanatan conclusions regarding every aspect wether it is time period or other facts.hope you'll understand being responsible because someone can quote your observations as evidences to defame...it may not sound good but similar verdict was given by the SC regarding the constitution's basic structure... however your efforts are really commendable.. please continue it..🙏
PLEASE CONSIDER THE FACT THAT TODAY'S SRI LANKA AND RAMAYANA LANKA ARE DIFFERENT CLEARLY MENTIONED IN VALMIKI'S RAMAYANA AND ALSO WHAT WE KNOW AS RAM SETU IS REPLICA OF ORIGINAL RAM SETU.
राम जी के उम्र के बारे में रामायण में लिखा है कि 11 हजार वर्ष तक शासन किया है , यानी वह 11 हजार वर्ष के थे । तब रामायण और महाभारत के बीच इतना कम वर्ष का अंतर कैसे हो सकता हैं।
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6 मन्वंतर (426 चतुर्युगी) पूर्ण होकर ये 7वें की 28वीं चतुर्युगी के कलियुग का 5119 वर्ष चल रहा है। 453 (426+27) गुजर चुकी है, 454वीं की 27 चतुर्युगी बीत चुकी 28वी का कलियुग चल रहा, कुल = 1,96,08,53,119वां सतयुग 1728000 वर्ष त्रेतायुग 1296000 वर्ष द्वापरयुग 864000 वर्ष कलियुग 432000 वर्ष 1 चतुर्युगी = 4320000 वर्ष इसाई = लगभग 6000 वर्ष पहले सृष्टि बनी...
मुस्लिम = कुछ पता नहीं, लगभग 7500 वर्ष पहले संभावना वेद = 1,96,08,53,119वां वर्ष विज्ञान अरबों वर्ष पहले सृष्टि बनी (नोट:- वैज्ञानिक प्रतिवर्ष अपनी बात से पलटते रहते है फिर भी ये आंशिक रूप से सत्य की ओर बढ़ रहे है ।)
जय श्री राम।इतनी कम उम्र में सनातन के बारे में आपका ज्ञान, रुचि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण देख कर बेहद खुशी होती है।आप जैसे लोगों के कन्धों पर ही इस देश,धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा का भार है।अपने कार्य में लगे रहे ईश्वर सहायता करेंगे।
लगता है आपको सनातन के विषय में केवल तोता ज्ञान ही प्राप्त हुआ है। कुछ भी ना लिखा करे। स्वयं की बुद्धि और धृति का भी प्रयोग कर लिया कीजिए।
जय राम जी की।
Baba tum dimag ka ilaz karao
@@luckydisoza tera vichar Kya hai fir ?
👌💐👍
बहुत अच्छा कार्य कर रहे हो !
👌💐👍
सनातन धर्म के विचारं को हमे अवगत करवाने कें लिये अनेक अनेक धन्यवाद सर.. 💐🙏🌹
आप हर ज्ञान को इतना सरल बनाकर समझा देते है की हमे अपने इतिहास को समझना सरल हो जाता है धन्यवाद भाई
Jai Sanatan 🚩🚩🚩
Jai Sanatan Dharma 🙏
Please Make a detailed analysis on brahmacharya
Jai Sanatan Jai shree krishna bharat mata ki jai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️
मेरे पास वो Power है जो भगवान के पास भी नही है। क्योंकी मैं ही दुनिया का मुक्तिदाता हूं । जो सतयुग की स्थापना करेगा । मेरे चैनल @GODKABHAKT पर ये बातें 12/12/22 की Video पर देखने पर पता चल जायेगी।
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जय सत्य सनातन धर्म🙏🏻💐
भाई आपका ज्ञान और वेदों को पढ़ने की क्षमता बहुत अच्छी है बहुत ज्ञानवर्धक बातें आप के थ्रू मालूम पड़ती है मैं इस विषय में थोड़ा सा जानना चाह रहा था के रामायण जब अंत हुआ उसके बाद कितना समय व्यतीत हुआ है क्योंकि रामायण का काल त्रेता युग था त्रेता युग खत्म होने के बाद में युद्ध शुरू हुआ या खत्म हुआ अंत में हुआ इस तरह से मुझे जानकारी मालूम नहीं पढ़ पा रही है मैं विषय से थोड़ा सा भटक रहा हूं
क्योंकि त्रेता योग और उसके बाद द्वापर युग चालू हो गया तो द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने 5000 वर्षों में अपना नया अवतार लिया जबकि राम जी का अवतार उसके कुछ समय पहले ही जैसे कहा है कि 7000 वर्ष पूर्व उनका जन्म और फिर युद्ध काल वगैरह हुआ तो मैं जानना चाह रहा हूं त्रेता युग और द्वापर युग के खत्म होते या शुरू होते ही राम और कृष्ण जी का अवतार तुरंत हुआ या आप समझ रहे हैं मैं क्या कहना चाह रहा हूं इनके बीच का कालखंड कितना होगा कितनी दूरी होगी कितना समय व्यतीत हुआ होगा यह हम 5000k जी कृष्ण जी के हैं और 7000 वर्ष हम कह रहे हैं कि राम जी की आयु के हैं तो इस तरह से काल की गणना त्रेता युग और द्वापर युग के बीच किस तरह से की गई है मुझे बस इसमें बहुत वह है कन्फ्यूजन सो मैं यह जानना चाह रहा था कि अगर आपके पूर्व ही कोई जानकारी मालूम पड़े किस के कालखंड किस तरह से डिवाइड हुआ इनके बीच में क्या उदी व्यतीत हुई है तो बहुत अच्छा होगा अगर आप इस विषय पर कभी वीडियो बनाएं धन्यवाद
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Trueee bro🧡🧡
Jai Shree Ram..
Eagerly waiting for 2 Episode...🙏🙏🙏
हमें आपके चलचित्र बहुत पसंद है, जिसे देखने के बाद हमारे मन में और भी अधिक प्रश्नों की उत्पत्ति हो जाती है , इस कारण हम आपसे आग्रह करते है की आप एक मंच टेलीग्राम या डिस्कॉर्ड पर भी बना दीजिए जहां पर हम जैसे लोग आध्यात्म , विज्ञान , वेद आदि के बारे में वार्ता कर सके और अपने प्रश्नों के बारे में एक दूसरे से चर्चा कर सके।
धन्यवाद
आपका प्रयास बहुत ही सराहनीय है। मेरा एक सुझाव है कि जब भी आप काल गणना की बात करें तो इसके लिए सन्दर्भ एक ग्रंथ सूर्य सिद्धांत से अवश्य लिया करें I सूर्य सिद्धांत में कहा गया है कि जब सारे ग्रह उसी स्थिति में वापस आ जाएँ जिस स्थिति में अभी हैं तो उसमें 432700 मानव वर्ष लगते हैं l इसी काल खंड को एक युग कहा गया है l इसे तो computer से साबित किया जा सकता है और किया भी जा चुका है l अब इसके मुताबिक आप सतयुग जो कि 4 युगों का, त्रेता 3 युगों का, द्वापर 2 युगों का और कलयुग 1 युग का को गुना कर दें तो चारों युगों का काल खंड निकल जायेगा l
धन्यवाद
तो इस आधार पे हम ये मान नहीं सकते केवल महाभारत युद्ध के २००० वर्ष पूर्व रामायण हुई ।।
ये काल खंड पश्चिमी सभ्यता द्वारा अनुप्रेरित है ।
Hyper quest की पूरी टीम को नमन ...बहुत बहुत धन्यावाद...एसे content की बहुत है....!!!
हम उम्र तय करते हैं शरीर को देखकर लेकिन कुछ आत्माएं युग युग से ये अभ्यास करती आई है बस उन्हीं का यह परिणाम है कि छोटी उम्र में भी अद्भुत बात करते हैं
आपने सनातन युग के बारे में बहुत अच्छा विश्लेषण किया है।
🕉 महान प्राचीन ऋषियों के युगो की समयावधि की काल गणना करने वाली इकाई,जिसे दिव्य वर्ष (360) कहा जाता उसको वैज्ञानिकता के वर्तमान समय में एक दिन (24घंटे) मान लें तो आज एक वर्ष में लगभग तय 360 दिन ही होते हैं।🚩✌
☝जिसे वैदिक काल में एक युग का समय 12000 वर्ष कहा गया है, वह आज के समय की गणनानुसार = 12000 वर्ष ही रह जायेगा।💯☑️✌
आज भी वैज्ञानिक पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में काल गणना को युगों के रूप में विभाजित किया है। जैसे कि पाशाचत्य वैज्ञानिक कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 एवं परमाणु भार 12.11U मानते हुए सभी तत्वों ,धातुओं एवं ग्राम MKS, CGS प्रणाली के अनुसार गणना करते आ रहे हैं ।
वैसे ही हमारे ऋषि वैदिक काल गणना में युगों, दिव्य युग, घड़ी, क्षण, पल, कला, विकला के रूप में करते थे।
👉 बिगबैंग के समय के बाद जब पृथ्वी पर मानव जीवन बहुत कम था, जिसे वैदिक काल में सृष्टि रचना का सतयुग कहा जाता है । तो आज की ताज़ा गणना नुसार पृथ्वी पर मानव जीवन की उत्पत्ति का कुल समय 12000 वर्ष होता है।
यदि हम सतयुग के समय को 2000 वर्ष मान लें । 12000 - 2000= 10000 वर्ष
अर्थात्
10000 वर्ष पहले त्रैतायुग हुआ था।
त्रैतायुग के समयावधि को 3000 वर्ष मान लें ।
10000 - 3000 = 7000 वर्ष
सीधा सा निष्कर्ष यह है कि आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व द्वापर युग था।
द्वापर युग चलने की समयावधि को 3000 वर्ष मान लें तो 7000 -3000= 4000 वर्ष
अब 4000 वर्ष शेष बच गए वैदिक काल गणना में जिसे कलयुग कहा जाता है।
अर्थात्
द्वापरयुग की 4000 वर्ष पूर्व समाप्ति के बाद कलयुग आएगा प्रारंभ हुआ है । जो बीते 4000 वर्षों से वर्तमान समय में चल रहा है । ☑️💯 सौ की सीधी बात यह है,कि *हमारी अहिंसा पर चलने वाली प्रकृतिवादी
,शाकाहारी, सदाचारी,मर्यादित वैदिक संस्कृति सभ्यता , *रोमन साम्राज्य के दार्शनिक धूर्त अरस्तू की विचारधारा जिसके अनुसार जीव जगत को मार काट, आतंक, लूट ,झूंठ फरेब , षड्यंत्र से लोगों को गुलाम बनाने की नियत रखने वाले अब्राहीमी लोगों के महाधूर्त पाश्चात्य देशों की सोंच से लाख गुना उच्च, श्रेष्ठ एवं दस हजार (10000)वर्ष पूर्व की विकसित मानव सभ्यता है*। 💯🚩🚩🚩🚩🚩💪💪💪💪
आप अच्छा काम कर रहे है । आगे बढो । लोग तो आलोचना करेंगे । जो स्वयं कुछ नही कर पाते वे आलोचना करते रहते हैं ।
इतिहास गवाह है,
सत्य की कसौटी पर हमेशा से सनातन को ही परखा गया है,
और हर बार सनातन खरा उतरा
बाकी पंथों संप्रदाय जो स्वयं को महान कहते है,उनका तो कोई अंध गंध ही नही है,🙏🙏🚩🚩
जय श्री राम 🚩🚩🙏🙏
नारायण स्मरण विनय
मुझे आप जैसे नव युवक ऐसे ऐसे बिषयोपर इतनी सटीक , शाश्रशुद्ध ओर वैज्ञानिक दृष्ट्यकोन युक्त जाणकारी दे रहे है ये देख सुनकर बहुत ही अच्छा लगा हमारे सनातन वैदिक आर्य हिंदू धर्म का भविष्य बहुत ही समुज्वल व प्रकाशमान है इसमे कोइ संदेह नही है .
हर हर महादेव
धन्यवाद!!! इस reels के युग में हमे यह अनमोल किताबों में छिपा हुआ ग्यान बताने के लिए 🙏🚩
बहुत ही ज्ञानवर्धक वीडियो
सनातन धर्म मे युगों की अवधि को लेकर बहुत विरोधाभास ह जिसे आप ही सुलझा पाएगे
Waiting for part 2... Jitni jaldi ho sake release kijie hum sabke lie..aisi videos ke lie dhanyabad.. Jay Shri Ram
Amazing video🙌
Wanted a video on this topic for a long.
Thanks🙌❤️
Authentic basis of calculation. Agree with you. Plz. Continue till complete clarification.
जय सियाराम
भैया आप जो जानकारी देते हैं, वह बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक होती हैं।
आपका ह्रदय से धन्यवाद.
नमन है आपकी ज्ञान पिपाशा को 😇
अति सुंदर धन्यवाद भाई संतान धर्म के बारे में जानकारी देने के लिए🙏🏻🙏🏻
I'm waiting for this episode 😭🥺 thank you Sir ✨☺️ 🚩जय सनातनी🚩🪄✨
Jai Shri Ram
Thanks for this 💌
You are doing great work man. The world needs people like you.
आपकी मेहनत और ज्ञान को नमस्कार है जितने ग्रंथो की बाते अपने इस वीडियो में कवर की है इससे पता चलता है की इसके आपकी महीनों की मेहनत लगी है .आप और आपकी टीम को नमन 🙏🙏🙏
Great efforts Bhai. Basic information about Hindu Dharma is the necessity for today’s generations. 🙏🙏
Jai Shri Ram 🙏
भारतीय वैदिक पौराणिक मान्यताओं में हम पाते हैं कि सतयुग से कलियुग क्रमशः अच्छे से बुरे की ओर जाता हुआ बताया गया है।जब की मानव सभ्यता पत्थर युग कृषीयुग धातु युग मशीन युग भौतिक दृष्टि से क्रमशः विकसित होता हुआ दिखाई देता है जो इस समय चरम पर है। बहुत विवाद है। धन्यवाद
A very excellent analysis and very informative and revealing our glorious epics of which we shoulf be proud of.
Ab to video dekhne se pahle hi like kar deta hu ! Must watch channel hai apka! Dhanyvad aapke is satya sanatan prayash ke liye!
Vistrit jankari k liye apka bahut bahut abhar🙏
Aapka aasakti,adhyayan,ke liye abhinanadan.vichar,vivaran deneka kramm atulya hi.anant dhanyavad.
पता नही क्यू ये बंदा unique है ! 😮
Adhbhut jankari ke liye dhanyawaad ese hi kaam karte rhiye 🙏
तुम क्या थे ये मायने नहीं रखता।
राजा हरिश्चंद्र को अपने पुत्र के लिए शमशान में जगह नहीं मिली थी।
वक्त - वक्त की बात है।
🙏🏻🌾🍁🙏🏻🌾🍁🙏🏻🌾
उत्तम विश्लेषण।
कृपया अगला भाग जल्द लाएं।
जागो हिंदुस्तानी यो गर्व से कहो हम सनातनी है
आपकी भाषाशैली उतकृष्ट है ।
आपका कार्य सराहनीय है । 👍🏻💯
जय श्री राम। आपके गहन अध्ययन और विवेचन को नमन।
आपने बताया की पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर रामायण का काल 7000 वर्ष पहले का है और कृष्ण काल 9000 से 10000 वर्ष पहले का है। इससे तो यह इंगित होता है कि कृष्ण काल रामायण काल से भी पुराना है जो कि अभी तक की मान्यता के विपरीत है। हो सके तो इसके बारे में द्वितीय भाग में स्पष्ट करें🙏
कृष्ण काल नही बल्की द्वारका नगरी 9 se 10 हजार साल पहले। इसका मतलब ये भी हो सकता है की द्वारका नगरी कृष्ण के समय के पहले से हो।
Mr. Gupta, very true.
ओम नमः शिवाय जय मां कामाख्या🙏🙏🙏🙏🙏
According to Vishnupuran :
satyug= 4800 divine years
tretayug = 3600 divine years
dwaparyug = 2400 divine years
kalyug = 1200 divine years
1 divine year = 360 years
6 मन्वंतर (426 चतुर्युगी) पूर्ण होकर ये 7वें की 28वीं चतुर्युगी के कलियुग का 5119 वर्ष चल रहा है। 453 (426+27) गुजर चुकी है, 454वीं की 27 चतुर्युगी बीत चुकी 28वी का कलियुग चल रहा, कुल = 1,96,08,53,119वां सतयुग 1728000 वर्ष त्रेतायुग 1296000 वर्ष द्वापरयुग 864000 वर्ष कलियुग 432000 वर्ष 1 चतुर्युगी = 4320000 वर्ष इसाई = लगभग 6000 वर्ष पहले सृष्टि बनी...
मुस्लिम = कुछ पता नहीं, लगभग 7500 वर्ष पहले संभावना वेद = 1,96,08,53,119वां वर्ष विज्ञान अरबों वर्ष पहले सृष्टि बनी (नोट:- वैज्ञानिक प्रतिवर्ष अपनी बात से पलटते रहते है फिर भी ये आंशिक रूप से सत्य की ओर बढ़ रहे है ।)
True kaliyug kam hai 😊🕉️
बहोत ही सटीक और सौम्यता से आपने समझाया। thanks
18 days Mahabharata War (Told by Puri Shankracharya in Official Gobardhan Math Channel in UA-cam)
According to Amanta calendar System
1. Marga Shukla Ekadashi (GeetaJayanti) - 1st day of war
2. Marga " " Dwadashi
3. Marga " " Trayodashi
4. Marga " " Chaturdashi
5. Marga " " Purnima
6. Marga Krishna Pratipada
7. Marga " " Dwitiya
8. Marga " " Tritiya
9. Marga " " Chaturthi
10. Marga " " Panchami
11. Marga " " Shashthi
12. Marga " " Saptami
13. Marga " " Ashtami
14. Marga " " Navami
15. Marga " " Dashami
16. Marga " " Ekadashi
17. Marga " " Dwadashi
18. Marga " " Trayodashi
Now
As you said there were 1 Solar and 1 Lunar Eclipse , and we know Solar eclipse happens on Amawasya and Lunar eclipse happens on Purnima , but you can see there was 1 purnima but not amavasya
So there were no 2 eclipse.
बहुत अच्छा विषय चुना है आपने उसके लिए धन्यवाद हमारे भी मन में कई वर्षों से यह प्रश्न था इसके बारे में चर्चा होनी चाहिए और सत्य सामने आना चाहिए
Bahut sundar❤
Das ka dandwat❤
Sanaatan सनातन हिन्दू धर्म को लेकर दर्शनों का अध्ययन करने वाले आप के जैसे युवाओं धन्यवाद, जय जय सच्चिदानन्द। शुभम_भूयात_ ॐ,,,,,
बहुत बहुत धन्यवाद आभार। सही जानकारी देने के लिए। ❤️🙏राम राम जी
The Traditional Date of Rāmāyana (5677-5577 BCE)
It is traditionally recorded that Rāma was born in the Treta Yuga. Mahabharata clearly indicates that Rāmāyana occurred at the end of Treta Yuga. As stated in Adiparva, Sri Rama flourished during the last centuries of Treta Yuga (त्रेताद्वापरय ोः संधौ रामोः शस्त्रभृतां वरोः, असकृत पार्थिवं कषत्रं जघानामषि चॊर्ितोः |). The epoch of Tretā Yuga had commenced around 6777 BCE considering the epoch of Krita Yugānta in 6778 BCE as indicated in Latadeva’s Surya Siddhānta. The 60-year cycle and the Yuga of 1200 years were introduced in 6778-6777 BCE. Thus, we can roughly fix the period of Tretā Yuga around 6777-5577 BCE and the date of Rāmāyana around 5677-5577 BCE in the last century of Tretā Yuga. Seemingly, the concept of
differential duration of Yugas had been introduced in Dvāpara Yuga. Mahabharata, the epic written in the beginning of Kaliyuga refers to 2400 years of Dvapara Yuga. Therefore, we have to consider 2400 years of Dvapara Yuga and fix the period of Dvāpara Yuga around 5577-3177 BCE. Thus, traditional evidence indicates the date of Ramayana to be around 5677-5577 BCE
at the end of Treta Yuga.
Purānas speculate Valmiki to be the 24th Vyāsa and lived in the 24th Dvāpara Yuga and mention that Ramayana occurred at the end of the 24th Tretā Yuga. Historically, there were many Vyāsas but the imaginary concept of 28 Vyāsas was introduced only in the Gupta period. It is illogical to believe that Parāshara, the father of Vyāsa lived in the 26th Dvapara, Jatukarnya, the teacher of Vyāsa lived in the 27th Dvāpara and Vyāsa lived in the 28th Dvapara. There is no traditional or literary evidence to support the date of Valmiki in the 24th Dvāpara Yuga. Therefore, we can ignore the speculative concept of 28 Vyāsas and the date of Valmiki in the 24th Tretā Yuga.
Vyāsa, of the Mahābhārata era, revived the tradition of the study of Purāṇas and recompiled them into eighteen Purāṇas. Some Upapurāṇas were also compiled after the Mahābhārata era. The Purāṇas available to us, it seems, were finally recompiled and updated around 500-100 BCE. This revived Puranic tradition survived till the Gupta period. Only Bhaviṣyat Purāṇa continued to be periodically updated after the Gupta period. Purāṇas narrate the continuous genealogical and chronological history of ancient India, starting from the Mahābhārata war, and the coronation of King Yudhiṣṭhira, and ending at the Gupta period. All Indian traditional and literary sources unanimously indicate the date of the Mahābhārata war to be in the 32nd century BCE and epigraphic evidence of the Aihole inscription1 conclusively establishes the date of the Mahābhārata war in 3162 BCE. Purāṇas refer to the Saptarṣi calendar that commenced around 6777 BCE, assuming the hypothetical position of Saptarṣis (the Big Dipper) in Aśvinī Nakśatra. Accordingly, Purāṇas, Vṛddhagarga and Varāhamihira, and other ancient scriptures unambiguously mention that the Saptarśis were in Maghā Nakśatra around 3177-3077 BCE, during the reign of King Yudhiṣṭhira. A reconstructed land grant of King Janamejaya, son of Parīkśit, was found in Tirthahalli district of Karnataka, which is dated in the 89th year of the Yudhiṣṭhira era (3073-3072 BCE). So, Purāṇas relate the complete genealogies of various dynasties of Magadha Empire after
the Mahābhārata war.
Sab farji h kitna chutiyapa likha h tumne. Kaha se late ho etna chodu gyan?
@@indianbharat2445 acintyā khalu ye bhāvā na taṁś tarkeṇa yo jayet
"Do not apply your poor logic in the matters which is inconceivable by you."
@@descendantofbharatbharatva7155 tumhare kahne se. Chutiyapa ki baten tum kar rahe or logic mujhe bata rahe vaah re chutiye
Jitna likhe ho sab jhaanth barabar h faltu ka logic laga kar faltu ki baten na aaga h na picha. Bahut karte rahte h es rarah ka chutiyapa laakh karor saal batate rahte h or loguc dete rahte h ek tum bhi aa gaye gandagi felane
@@indianbharat2445 tujhe science samajh mei aata hai kya bc Jo itna frustration ke mare yaha apna backchodi dikha raha hai, Maine toh ek bar v lakh crores ka saal mention v nhi kiya. Tujhe thik se padhna nhi aata kya re gandu 😒
Very very informative.. can't wait for the part2 ...
Big salute to you Brother 👌
Bhaiya hamesha ki tarah gyanvardhak video hai thanks
सदगुरूजी गुरु माताजी आपको मेरा शत शत नमन .....सदगुरूजी धन्यवाद....सदगुरूजी यहाँ मुझे ऐसा लगता हैं कि हमें हवा पाणी प्रकाश आकाश पृथ्वी कि जन्म के अर्थ को समझना पडेगा....पृथ्वी के कोर से पृथ्वी घुमती रहती हैं....वैसेही हर ग्रह नक्षत्र घुम रहें हैं....उनकी चक्कर से ही यह हवा पाणी प्रकाश आकाश पृथ्वी का नव निर्माण हो रह हैं....जैसे हवा में ऑकसीजन नायट्रोजन हेलीयम कार्बन जैसे गुण हैं वैसेही हर ग्रह नक्षत्र में यह विविधताए हैं जीनसे वातावरण की एक सुनिश्चित गती बनती हैं....उनमें बदलाव आया तो तूफान आँधी भुकंप बहाल जैसी विकृत परिस्थितीयाँ बनती हैं....वैसेही हम मानवों में बौद्धीक स्तर पर बदलाव आता रहता हैं जीसे हम युग परिवर्तीत हुआ ऐसा कहते हैं वास्तव में युग याने बिता हुआ अच्छा बुरा समय हैं....क्या पृथ्वी पाणी हवा आकाश प्रकाश कि हमें कभी जन्म जानकारी हैं....???... वैसेही युग को किसी समय में ही वो ऐसा था यह मान लेना सही नहीं हैं.....वो अब भी बदलता रहता हैं वह हैं हमारी बुद्धी ही हैं जो ऐसी सोच लेकर चलती हैं....सदगुरूजी धन्यवाद...सदगुरूजी जय हिंद जय महाराष्ट्र जय भारत माँ मेरा देश महान हैं...भारत माता की जय...वंदेमातरम...
सराहनीय प्रयास! बजरंगबली की कृपा आपपर बनी रहे!
Part 2 ASAP Bhai 🙏🏽
Thank you bhaiya for picking this topic!! Ye same question ki ramayan aur Mahabharata ke bich ka time gap 2000 yrs ka kaise ho skta hai main 3 saal se dhundne ki koshish kr raha thha pr kahin satisfactory jawaab nhi mila !! Eagerly waiting for part 2 !! Plz jald se jald upload kr dijiye !! 🙌
जय श्री राम 🕉️🚩🚩
You are contributing well with all details and is appreciated. In terms of timeline, please watch Nilesh Oak's youtube videos. He scientifically established that Ramayan from 12500 BC, and Mahabharat at 5450 BC. This is conflicting with the durations you are talking about. Hope the above information helps your research!
Awesomw video ,very informative.The nice part is connecting the dots.Great job,need part 2
Jai shri sanatan dharm ji
Please study Dr. Nilesh Oak research on ramayana and महाभारत also
Jai shri sita ram ji
आपका कोटि कोटि आभार ।।हर हर महादेव।।
जय श्री राम 🙏
Mai bhi aapki tarah dharm aur science ((Quantum level)) ka personaly vishleshan karta hu..
Aapka presentation with knowledge bahut prabhavit karta hai..
Ek kahaawat hai ki USKI marzi k bina ek patta tak nahi hil sakta . SAB KUCH USKI marzi se ho raha hai.. Aapse ummeed karta hu ki Aap is topic ko jarur cover karenge..
Bahut badhiya.. salute to u
भाई मुझे तुमसे, तुम्हारे काम से प्रेम हो गया है | mai hamesha se khud se ye sab research karke co-relate karta tha apne dharm and science ko but tumare level ki research dekhke maza aa jata hai .....
I even make notes from your videos
You are amazing brother....❣️
Lakir ka phakir hone ki bajay hamen apani sbhayata aur itihas ki study scientific way se karani chahiye. Aapka achha prayas hai.
Waiting for part 2. Thank you 💖
Manusmriti Chapter 1, shlok 71 to 88 covers the calculation of periods of yugs (with sandhi), the special characteristics and what is to be done by people in each yug, all are given in detail.
You may like to add Manusmriti to the literary evidence
No brother from chapatar 1 .. all this slokas are about the creation of universe.. only few slokas in chapatar 2 manusmruti is explaining about yugas and it's math's.. 🙏
Mai iss question ka answer bohot dino se dhund raha tha bohot se channel par khojo sattology, isckon, bohot se sadhu santo ko suna par not got complete answer.. Please continue the series soon..
Great information. It is true that the divine years are very misleading and just make no sense unless the interpretation is made realistically. It seems realistically to place Rama around 9000 to 11000 and Mahabharat around 7000 years. Just a thought.
Ye sach mai bahut informative tha
जितने भी युग है वो मनुष्य की ब्रह्म से दूरी को बताते है और यह हर व्यक्ति पर अलग अलग लागू होता है यदि कोई व्यक्ति सांसारिकता में पूर्णतया लिप्त है तो उसके लिए जीवन कलियुग होगा क्युकी वो जितना भोग की तरफ इच्छा करेगा उतना ही दुख पाएगा इसके यदि कोई व्यक्ति ब्रह्म उपासक है निष्काम कर्म कर रहा तो उसके लिए जीवन सतयुग होगा ।
मुझे परब्रह्म की अनुभूति हुई हे 2006 मे
sir apke channel se mere sare doubt clear ho rhe h apne sanatan dharm ko le kar thank you so much sir
Most welcome 🙏❤️
मनु संहिता में युगों की अवधि का उल्लेख है॥
*स्वामी श्री युक्तेश्वर जी* की पुस्तक *कैवल्य दर्शनम्* में युग की अवधि पर विस्तृत और सटीक जानकारी मिल जाएगी॥
सतयुग=४००+४०००+४००=४८०० वर्ष
त्रेता युग=३००+३०००+३००=३६०० वर्ष
द्वापर युग=२००+२०००+२००=२४०० वर्ष
कलयुग=१००+१०००+१००=१२०० वर्ष
कुल १२००० वर्ष= १ दैव युग॥
उपर्युक्त पुस्तक के अनुसार १२००० वर्षों का आरोही अर्धचक्र और १२००० वर्षों का अवरोही अर्धचक्र होता है॥ इन दोनों आवर्तन कालों को एक-एक दैव युग कहा जाता है॥ ऐसे दैव युगों की एक जोड़ी से, अर्थात २४००० वर्षों से युग चक्र की एक आवृत्ति पूरी होती है॥
अभी आरोही अर्ध चक्र चल रहा है और हम लोग कलयुग को पीछे छोड़ कर द्वापर युग के ३२२वें वर्ष में प्रवेश कर चुके है॥ १७०० ईसवी में जब द्वापर युग आरंभ हुआ था तब से विज्ञान में नई खोज होने लगे थे॥ द्वापर युग के २०० वर्षों का संधि काल समाप्त होने के पश्चात विज्ञान बहुत तेजी से प्रगति करने लगी॥
विस्तृत जानकारी के लिए उपर्युक्त पुस्तक अवश्य पढ़ें॥
In numbers को जरा आज के नम्बर में likhdo.
Muje next part ka wait hai
Thank you for such nice sacred information
Most Welcome 🙏😊
Thank you so much dear Hyper Quest for your very important video on the age of 4 yugs in Sanatan Dharma.
Definitely bahut efforts lagte honge to collect, analyse, organise and present these not-so-handy concepts in such an interesting manner..
Really aap ko achhi knowledge hai
बहुत उत्सुक हूँ 2nd part के लिए। एक बात और, वो जो आपने कहा न कि गृहों की दशा repeat भी हो सकती है। मैं उसका पूरा समर्थन करता हूँ क्योंकि मेरा भी एकदम यही मानना है। धन्यवाद आपने हम लोगो के कहने पर यह video बनाया। मैं भी आपके साथ काम करना चाहता हूँ। 💐🙏👏👏👏
धन्यवाद राहुल जी ❤️🙏
71 चतुर्युग मिल कर ब्रह्मा जी के एक दिन के बराबर होते हैं, क्या ये बात सत्य है ? और क्या ब्रह्मा जी (ब्रह्मांड) की आयु 100 दिन की है ? 💐🙏
Ramayan actual age:
After conquering Lankhini, the Godess of Lanka, Sri Hanuma enters Lanka and searches for Seeta. Sage Valmiki describes what Sri Hanuma saw, as follows:
Sundara Kanda 4th Sarga 26 - 28 Slokas)
"The great Hanuma entered secretly Ravana's inner city which was equal to paradise, rendered noisy by neighing of horses and tinkling of ornaments, by chariots, vehicles and aerial-cars and decorated by auspicious elephants and horses and great elephants with four tusks and by birds and animals in heat. It had beautiful entrances and was protected by thousands of rakshasas with great strength."
Sundara Kanda 9th Sarga 4 - 5 Slokas)
“Thereafter, Hanuma the glorious one neared and observed the best residence of Rakshasas and the house of Ravana, containing elephants with four tusks and also those with three tusks, those with two tusks and still not crowded. It was protected by soldiers bearing raised weapons.”
Here, the Sage Valmiki describing elephants with four tusks and also those with three tusks, those with two tusks.
Modern Anthropologists say that elephants with four tusks existed 12-1.6 million years ago.
--------------
The Gomphotheriidae were a diverse taxonomic family of extinct elephant-like animals (proboscideans). Referred to as gomphotheres, they were widespread in North Americaduring the Miocene and Pliocene epochs, 12-1.6 million years ago. Some lived in parts ofEurasia, Beringia and, following the Great American Interchange,South America.
Gomphotheres differed from elephants in their tooth structure, particularly the chewing surfaces on themolar teeth. Most had four tusks, and their retracted facial and nasal bones prompt paleontologists to believe that gomphotheres had elephant-like trunks.
(Source: Gomphothere)
--------------
Hence, we can infer that Srimad Ramayana was written 16 lakh or 1.6 million years ago and not 5th to 4th century BC, as the scholars tried to made us to believe.
I read that same explanation of 4 yugas in Sri Yukteshwar Giri's book named "Kaiwalyadarshanm"... Quite insightful
Aapki mehnat dikh rahi hai Iss video Mein.. Kafi details aapne khud padhi hogi..
🙏🙏🙏
@@HyperQuest bhai apne second part me ramayan me bataya gya 4 dant vala hathi ko add karana mat bhulna vo ramayan ke time par exist karte the ...
Next part ke liya bahut excited
Watching from chitwan 🥰
Sanatani❤️
If you want to know about yugas
You can not miss the book, 'the chronology of India' by ved veer aarya
Wow, so nicely described
Very interesting
Hard work
Waiting for 2 nd part👍🏻
Aap bahut hi sarahniy kaam kr rhe h.sabhi ved or purano ko analysis kr k jo gyan aap iss generation ko baat rahe h ye sb k bas ki baat nhi .god bless you and keep going
आपकी जय हो 🙏🚩
Aap bahot hi achha expain karte hai
Keep it up ❤️
Jai sanatan🚩
i like ur all videos..its gr8 hardworking
Bhot badhiya video hai .. ❤
Waiting for part two ❤️❤️
🙏❤️🙏
Nice effort ...
But mind it while discussing such sensetive topics we should not hamper the basic spirit of our sanatan conclusions regarding every aspect wether it is time period or other facts.hope you'll understand being responsible because someone can quote your observations as evidences to defame...it may not sound good but similar verdict was given by the SC regarding the constitution's basic structure... however your efforts are really commendable.. please continue it..🙏
sach sir aap joo kaam karee naa woo ek dm appreciate karnee wala hai
😍😍😍😍😍😍❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Thank you 🙏❤️🙏
Disclaimer :- Truth is truth ❤️
Very nice information and vedio every Hindu should watch vedio
PLEASE CONSIDER THE FACT THAT TODAY'S SRI LANKA AND RAMAYANA LANKA ARE DIFFERENT CLEARLY MENTIONED IN VALMIKI'S RAMAYANA AND ALSO WHAT WE KNOW AS RAM SETU IS REPLICA OF ORIGINAL RAM SETU.
Very Adbhut 🙏🏻🙏🏻🚩🚩
राम जी के उम्र के बारे में रामायण में लिखा है कि 11 हजार वर्ष तक शासन किया है , यानी वह 11 हजार वर्ष के थे ।
तब रामायण और महाभारत के बीच इतना कम वर्ष का अंतर कैसे हो सकता हैं।
Bilkul sahi baat h Apka
बहुत बढ़िया वीडियो बना रहे हो भाई इससे हमें अपने धर्म की जानकारी मिल रही है प्रमाणों के साथ