श्री भक्ति प्रकाश भाग [859]**(सिमरन की महत्ता) भाग-३**(बच्चों पर चर्चा)२

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  • Опубліковано 10 лют 2025
  • Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
    परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
    ((1558))
    श्री भक्ति प्रकाश भाग [859]
    (सिमरन की महत्ता) भाग-३
    (बच्चों पर चर्चा)२
    भजन :
    धर्म राय जब लेखा मांगे
    क्या मुख लैके जाएंगा-२
    नाम सिमर, नाम सिमर,
    नाम सिमर पछतायेगा ।
    धन, यौवन का गर्व न कीजे-२
    कागज सो गल जाएगा
    धर्म राय जब लेखा मांगे
    क्या मुख लैके जाएंगा-२
    पापी जियरा लोभ करत है-२
    आज कल उठ जाएगा
    धर्म राय जब लेखा मांगे
    क्या मुख लैके जाएंगा-२
    सिमरन, सेवा, दया ना किन्ही-२
    तो मुख चोटा खाएगा
    *धर्म राय जब लेखा मांगे **
    क्या मुख लैके जाएंगा-२
    कहत कबीर सुनो भाई साधो-२
    साध संगत तर जाएगा
    नाम सिमर, नाम सिमर,
    नाम सिमर पछतायेगा
    धर्म राय जब लेखा मांगे
    क्या मुख लेके जाएंगा-२
    माता-पिता से एक कल अर्ज की जा रही थी, बच्चे जब युवावस्था में प्रवेश करें, मेहरबानी करके उन पर ज्यादा ध्यान दीजिएगा, उनकी ज्यादा care कीजिएगा । उनकी ज्यादा निगरानी की आवश्यकता है । भटकने की आयु है । बच्चा बेचारा अकेला होता है । किसी से पूछ नहीं सकता, किसी से सलाह नहीं कर सकता । आपने बच्चों के साथ इतनी दूरी बनाकर रखी हुई हुआ करती है, आपको वह approach नहीं कर सकते । किससे बात करें बालक, वह युवक किससे बात करें । अतएव भटक जाता है । बाद में पछताने का कोई फायदा नहीं । आपने मौका खो दिया ।
    आज दो शब्द ऐसे बालको एवं युवकों के लिए ।
    बेटा, जो अपने मां-बाप की इज्जत करता है, परमात्मा उसकी इज्जत करता है । शास्त्र सम्मत बातें आपकी सेवा में अर्ज की जा रही हैं । बच्चे लोगों, बच्चियो, मेहरबानी करके ध्यान से सुनो । जो बच्चे बच्चियां अपने माता-पिता के आज्ञाकारी हैं, ध्यान रखते हैं उन्हें अधिक से अधिक दुख सह कर भी सुख पहुंचाया जाए, परमात्मा ऐसे बच्चों की बहुत इज्जत करता है । कुछ भी बलिदान करके अपने माता पिता को सुख पहुंचाने वाले बच्चों का परमात्मा के दरबार में बहुत आदर है । बच्चे भी यह समझ कर माता पिता की सेवा करें, जैसे परमात्मा की सेवा कर रहे हो, किसी नर कि नहीं । तो उन्हें परमात्मा की सेवा का लाभ देता है परमात्मा।
    अपनी सेवा का लाभ देता है उन बच्चों को परमात्मा । कभी करके देखना ।
    बच्चों इन बातों का ध्यान रखना,
    माता पिता से भी प्रार्थना करूंगा,
    बच्चे बुरे नहीं हैं, आपने ध्यान नहीं दिया बच्चों पर । आपके पास समय नहीं है ।
    माता पिता बच्चों पर ध्यान दें, उन्हें अपने साथ भजन पाठ के लिए बिठाए, उनके कदम सत्संग की ओर मोड़ें । बच्चे जो घरों में देखते हैं, वही करते हैं । मत भूलिएगा इस बात को आपके अपने बिगाड़े हुए हैं, अब पछताते क्यों हो, रोते क्यों हो ? आपका अपना जीवन संयमी,
    तो बच्चे देखेंगे माता पिता किस प्रकार का जीवन व्यतीत करते हैं । तो वह भी उसी पथ पर चलेंगे । आपका जीवन महाभोगी, तो आप बच्चों से कैसे expect करते हो कि वह संयमी जीवन व्यतीत करेंगे ।
    कितने दुख की बात है युवावस्था में प्रवेश किए हुए बच्चों को, ब्रह्मचर्य शब्द ऐसा लगता है, जैसे कभी उन्होंने सुना ही नहीं है। गंदगी के सब शब्द उन्होंने सुने हुए हैं । लेकिन अच्छा शब्द ब्रह्मचर्य जिसे कहा जाता है, इसको नहीं सुना हुआ । क्यों ?
    माता पिता ने कभी समझाया ही नहीं है ।

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