नमन झारखंड का संस्कृति और सभ्यता बहुत ही प्राचीन है यहां के लोगों में ईमानदारी किसी से छिपा हुआ नहीं है 1932 का खतियान लागू हो यहां के लोगों के लिए हर संस्थान आधुनिक हो शिक्षा हो स्वास्थ्य रोजगार हो जो कि बाहर ना जाना पड़े या व्यवसाय हो या कृषि के क्षेत्र में हो एक आधुनिक झारखंड परंपरागत विकास के लिए संसाधन की कमी नहीं है बशर्ते लूट ना हो गुड गवर्नेंस हो
आदिवासियों की जल जंगल जमीन खनिज संपदा एवं भाषा संस्कृति को बचाने के लिए निश्चय ही 1932 खतियान लागू होनी चाहिए ।और मौजूदा सरकार इसे लागू करे । ।। आदिवासी जोहार ।।
1932 आ गया है मूल वासी -आदिवासी युवओं का दर्द दिख रह है सभी खुलकर बोल रहा है बहूत अच्छा हो रह है समर्थन आ गया है! स्थानीय नीति तो बान रहेगा अब ! दादा आप का बात बहुत गौर से सुना
हर झारखंडी एक भारतीय हो सकता है लेकिन हर भरतीय एक झारखंडी नहीं हो सकता है इसलिए झारखंड के आदिवासी और मूलवासी को सही हक अधिकार मिले इसके लिए 1932 का खतियान लागू होना चाहिए तभी झारखंडी अपना भाषा संस्कृति अपना पहचान बचा सकेंगे
बिल्कुल सही बात है । अभी गौर कीजिए यहाँ हमारी पुरानी रीति-रिवाज, रहन-सहन, बोल-चाल, संस्कृति कैसे धीरे-धीरे बाहरी गैर-झारखंडियों द्वारा यहाँ का स्वरूप वे बदलते जा रहे हैं । झारखंड किसलिए अलग हुआ ये तो सब भूल चुके है। मुख्य मुद्दा था यहाँ के स्थानीय निवासियों का विकास हो!!
झारखण्ड जिस उद्देश्य से अलग राज्य बना है वो सपना आज भी अधूरा है और वो सपना तभी पूरा हो सकता है जब 1932 का खतियान लागू होगा उस दिन ही हमारे झारखंडियों की बलिदान का सही सपना पूरा होगा
NChand NCRB Sahi bola.bhai isme koi do mat Nahi hona chahiyee aap samjho na .zamin plots.shops hospital school sab Aapka hame Kia Mila ghanta sala bolta hai Bahri ko Kia milega aree Bhai Bahri log tho 50 sale SE sab chizo Ka labh udha Raha hai
रघुवर राज मे स्थानीय नीति नही,वास्तव मे बाहरी नीति बनाया था । इस नीति से झारखण्डियों के साथ घोर अन्याय हुवा है । रघुवर दास के स्थानीय नीति को बदल कर 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाने की आवश्यकता है तभी आदिवासियों झारखण्डियों को वास्तव मे न्याय मिलेगा ।
ओड़िया भाषा के संदर्भ में आपका वक्तव्य धरातलीय स्थिति से अलग है सर जी । पश्चिमी सिंहभूम का एक बड़ा इलाका और सरायकेला खरसावां का संपूर्ण क्षेत्र और कुछ हद तक पूर्वी सिंहभूम का एक अनुमंडल पूरी तरह ओड़िया भाषी क्षेत्र है। मयूरभंज, क्योंझर और सुंदरगढ़ से सटा हर ब्लॉक ओड़िया संस्कृति और भाषा से जुड़ाव रखता है। ओडिसा सरायकेला खरसावां को विक्षिन्न क्षेत्र मानता है। उत्कल सम्मेलनी के माध्यम से पूर्व में भाषा और संस्कृति के विकास के लिए प्रयास चलते रहे हैं। आपकी भावना और दर्द सही है जिसमें झारखंडियों की वर्तमान स्थिति परिलक्षित होती है। लेकिन ओड़िया तो यहां की संस्कृति में पूरी तरह रची बसी है। स्थानीय बाजार हाट से लेकर खेत खलिहानों तक ओड़िया स्वर गुंजायमान है। ये कोई धनिकों का समाज नहीं बल्कि खेती किसानी और मेहनतकश लोगों का समूह है। विचारों में समग्रता लाने की आवश्यकता है। जब जब अवसर मिले विभिन्न क्षेत्रों को देखने जाएंगे तो और भी विचारों में समग्रता आएगी। जय झारखंड
स्थानीय नीति 1932 चालू करना जरूरी है वरना बिहार उत्तर प्रदेश उड़ीसा छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश वहां से लोग आ करके झारखंड में बस जाते हैं और झारखंडी लोग खासकर के ग्रामीण लोग शहर में जाकर के जमीन नहीं ले पाते हैं वह लोग को यहां से भगाना होगा बस अब झारखंडी हुकूमत चलेगा झारखंड में सरकार भी झारखंडी हम सब भी झारखंडी इसलिए मैं श्री हेमंत सोरेन जी को ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं 1932 लागू करें
हमारा झारखंड के आप जैसा हर आदमी को आपका विचारधारा जिस दिन समझ जाएगा उसी दिन हमारा झारखंड का उन्नति होगा हर पार्टी का दलाल लोग हमारे झारखंड को हर जाति का दलाल लोग झारखंडी को एक होने नहीं दे रहा है समाज को समाज से लड़ता है आज तक ही राजनीति करके हमारा झारखंड पीछे चला जा रहा है
1932 hi hona chayen. Aur sabse jaruri adiwasi ka apna lipi hona bahut jaruri tha pr kya kare hamare mahapurso ne nahin bana paya.aj ager lipi hota to pure jharkhand m hum adiwasiyo k hi bol bala hota. Jaise aur rajyo m hain..wb Gujarat punjab odisa and South india.
Bhasa ke adhar par purulia Bengal mein samil Kar dia Gaya, yeh bahat galat hai, kiu ki bokaro,dhanbad, purba singhbhum bhi same boli bli jati hai,. Iss par supreme Court mei Jana chahiye.
नमन झारखंड का संस्कृति और सभ्यता बहुत ही प्राचीन है यहां के लोगों में ईमानदारी किसी से छिपा हुआ नहीं है 1932 का खतियान लागू हो यहां के लोगों के लिए हर संस्थान आधुनिक हो शिक्षा हो स्वास्थ्य रोजगार हो जो कि बाहर ना जाना पड़े या व्यवसाय हो या कृषि के क्षेत्र में हो एक आधुनिक झारखंड परंपरागत विकास के लिए संसाधन की कमी नहीं है बशर्ते लूट ना हो गुड गवर्नेंस हो
आदिवासियों की जल जंगल जमीन खनिज संपदा एवं भाषा संस्कृति को बचाने के लिए निश्चय ही 1932 खतियान लागू होनी चाहिए ।और मौजूदा सरकार इसे लागू करे ।
।। आदिवासी जोहार ।।
बिलकुल सही कहा आपने 1932 ही लागू होना चाहिए
1932 आ गया है मूल वासी -आदिवासी युवओं का दर्द दिख रह है सभी खुलकर बोल रहा है बहूत अच्छा हो रह है समर्थन आ गया है! स्थानीय नीति तो बान रहेगा अब ! दादा आप का बात बहुत गौर से सुना
1932 का खतियान लागू करना बहुत जरूरी है मैं श्री हेमंत सोरेन जी को श्री शिबू सोरेन जी को ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं
बिल्कुल सही बात है जो आपने बताया और जल्द लागू करें हेमंत सरकार बहुत जरूरी है
हर झारखंडी एक भारतीय हो सकता है लेकिन हर भरतीय एक झारखंडी नहीं हो सकता है इसलिए झारखंड के आदिवासी और मूलवासी को सही हक अधिकार मिले इसके लिए 1932 का खतियान लागू होना चाहिए तभी झारखंडी अपना भाषा संस्कृति
अपना पहचान बचा सकेंगे
Very good 1932 ka khatiyan sahi hai
Lagu to ho ke hi rahega bhayi
बिल्कुल सही बात है ।
अभी गौर कीजिए यहाँ हमारी पुरानी रीति-रिवाज, रहन-सहन, बोल-चाल, संस्कृति कैसे धीरे-धीरे बाहरी गैर-झारखंडियों द्वारा यहाँ का स्वरूप वे बदलते जा रहे हैं ।
झारखंड किसलिए अलग हुआ ये तो सब भूल चुके है। मुख्य मुद्दा था यहाँ के स्थानीय निवासियों का विकास हो!!
aur hm log 50 sal se Jharkhand ke niwasi ha to hmara koi adhikar nhi Jharkhand me???
Very good
झारखण्ड जिस उद्देश्य से अलग राज्य बना है वो सपना आज भी अधूरा है और वो सपना तभी पूरा हो सकता है जब 1932 का खतियान लागू होगा उस दिन ही हमारे
झारखंडियों की बलिदान का सही सपना पूरा होगा
आप ने सही बात कहा हैं।
1932 की खतियान को आधार बना कर बहुत जल्दी स्थानीय नीति लागू करे।
Corr
NChand NCRB Sahi bola.bhai isme koi do mat Nahi hona chahiyee aap samjho na .zamin plots.shops hospital school sab Aapka hame Kia Mila ghanta sala bolta hai Bahri ko Kia milega aree Bhai Bahri log tho 50 sale SE sab chizo Ka labh udha Raha hai
Your right commented I support your comment.
Acha speech tha aapka.. aadivasi ko uksa kr unke dilo me kisi k liye aag lagana..good job
बहुत अच्छा दादा... इसी तरह हमें आप शिक्षित करते रहें ताकि हम अपने पैरों में खड़ा होने के लायक बन सकें।
1932 लागू होना चाहिए Johar jharkhand
Aapka kahna ekdam sahi hy. Ye hona chahiye.
हमे आधिकार चाहिये विकास नहीं ।आधिकार मिलेगा तो हम खुदा ब खुदा विकास कर लेंगें।
Domicile niti ko Jharkhandi logong ke anusar hona chahiye. GLADSON ne sahi kaha. JOHAR.
रघुवर राज मे स्थानीय नीति नही,वास्तव मे बाहरी नीति बनाया था । इस नीति से झारखण्डियों के साथ घोर अन्याय हुवा है । रघुवर दास के स्थानीय नीति को बदल कर 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाने की आवश्यकता है तभी आदिवासियों झारखण्डियों को वास्तव मे न्याय मिलेगा ।
Bilkul sahi ja rhe ho bhai Ye bate hamare jharkhandi bhaiyo ko samjhna chahiye
U right bro from Dhanbad
Ha guru ki baate sat partisat satya h
Johar Dada bilkul Apne Sahi vishleshan kiye aur sthaniyata ke bare mein sahi Baat Ko rakhen
You are great sir
Aapni jitni bhi batein bole ho bilkul sahi
Gajabbb bahut khub aap bilkul sahi hain
Bilkul shi bat hai bhaiya 1932 ka kahtiyan lagu hona chahiye thanku bhaiya
ओड़िया भाषा के संदर्भ में आपका वक्तव्य धरातलीय स्थिति से अलग है सर जी ।
पश्चिमी सिंहभूम का एक बड़ा इलाका और सरायकेला खरसावां का संपूर्ण क्षेत्र और कुछ हद तक पूर्वी सिंहभूम का एक अनुमंडल पूरी तरह ओड़िया भाषी क्षेत्र है।
मयूरभंज, क्योंझर और सुंदरगढ़ से सटा हर ब्लॉक ओड़िया संस्कृति और भाषा से जुड़ाव रखता है।
ओडिसा सरायकेला खरसावां को विक्षिन्न क्षेत्र मानता है।
उत्कल सम्मेलनी के माध्यम से पूर्व में भाषा और संस्कृति के विकास के लिए प्रयास चलते रहे हैं।
आपकी भावना और दर्द सही है जिसमें झारखंडियों की वर्तमान स्थिति परिलक्षित होती है।
लेकिन ओड़िया तो यहां की संस्कृति में पूरी तरह रची बसी है। स्थानीय बाजार हाट से लेकर खेत खलिहानों तक ओड़िया स्वर गुंजायमान है।
ये कोई धनिकों का समाज नहीं बल्कि खेती किसानी और मेहनतकश लोगों का समूह है।
विचारों में समग्रता लाने की आवश्यकता है। जब जब अवसर मिले विभिन्न क्षेत्रों को देखने जाएंगे तो और भी विचारों में समग्रता आएगी।
जय झारखंड
बहुत जरूरी है यह नियम लागू करना 1932 खतियान होना बहुत ही जरूरी है नहीं तो लोग बाहर दूसरे राज्यों से आते रहेंगे और झारखंड को लूटते रहेंगे
Thanks a lot of these thought Mr. Sonu Mandal. _CDKM
Bahut hi acha bhaya
Thanks for information sir .....
I'm from West Bengal
Bilkul Sahi bat sir.jo 1932 ka khatiyan me name darj h wahi jharkhandi h .
झारखंड में1932 का खातियान लागु हो तभी झारखण्डियों का विकास हो सकता है आज तक झारखण्डियों को अपने अधिकार नहीं मिला है
जय झारखण्ड , जोहार
Bihari ko jameen do hone se
1932 के खतियान को डोमिसाइल आधार बनाने का प्रयास आदिवासियों के आबुआग दिशुम में आबुआग राज का सपना को चकनाचूर करता है। भाषा संस्कृति को आधार बनाया जाय।
बहुत अच्छी जानकारी दी है 1932 का खतियान का बारे में जानकारी मिला लेकिन जिसका 1964 का खतियान है उसका क्या किया जाए इसका भी कुछ जानकारी दीजिए
बहुत बढ़िया जानकारी sir
1932 का खतियान लागु करना जरुरी है
Verry good da
Right 100% Sahi baat......
100% right bro
Bt bhut sach h chacha ji
जय झारखंड
1932 का खतियान लागू करना चाहिए।।।
Bilkul sahi bat hai sir jo kam apne suru kiya hai use sakar karna JHARKHAND ke Adiwasion utthan hi hoga JAI JHARKHAND JAI JMM!!!
Full support from Ranchi
Aap har bat sahi bole hai bhaiya ji
hm bilkul sahamat h aapki bato se.1932 khatiyan lagu ho.
adi napay sir.
abina nowa information lagit aaling pasta khon adi adi sahrao..🙏
Bahu good bichar thanks.
Bilkul sahi Kaha Hai Sar aapane 1932 ka khatiyan jaruri hai Tabhi Jharkhandi kahlayega
आले भञ् दिशम् फुरगाल् नआँ वख्राते त नआँ द आदिम् क लागाद् तिनाः नापाये उनाः वालिज् हुयुह् आ त नआः इदि काते सरकार् भागि ठिक् विचार् लाक्ति जरुर्
Good video sir...
Very good sir g anbelibeball guidelines 💪💪💪👌👌👌
बिलकुल सही बात है
Right sir
johar guruji.. 🙏🙏🙏🙏
Bilkul Sahi bat bol rhe h sir
बिल्कुल सही बात बोले हैं भाई 1932 के खतियान आधार पर होना चाहिए मुझे आपकी बात अच्छी लगी ।
Bilkul Sahi video h
Masttt bole Bhai. 1932 Ka hi chalega
Jai Jharkhand sir
Aap bahut accha samachar late han
जल्द से जल्द लागू किया जाए
Tata railway station को भी पुराना नाम काली माटी रखा जाना चाहिये।
hmlog ko nahi mila to kam se kam hamare aage ke generation ko mele
Kon kon chahta hai ki 1932 khatiyan lagu Ho 👍👍like kare🤔🤔
Bilkul sahi bole hai aap
Jai ho hemant bhya ki.
Disom guru ...,Jai ho...
1932 jald lagu hona cahyee..
Thank you sir ham bhi sath h
स्थानीय नीति 1932 चालू करना जरूरी है वरना बिहार उत्तर प्रदेश उड़ीसा छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश वहां से लोग आ करके झारखंड में बस जाते हैं और झारखंडी लोग खासकर के ग्रामीण लोग शहर में जाकर के जमीन नहीं ले पाते हैं वह लोग को यहां से भगाना होगा बस अब झारखंडी हुकूमत चलेगा झारखंड में सरकार भी झारखंडी हम सब भी झारखंडी इसलिए मैं श्री हेमंत सोरेन जी को ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं 1932 लागू करें
Ohh
Very good sir
adi adi sarhao dada
Bahut achi bat ise jald lagu ki jy johar jharkhand
Bilkul sahi bol rahe hai bhaiya ji I support you
Jharkhand ke good day ki suruat. Jharkhandi ko iske samarthan me nikalna chahiye. Hum 1932 ke sath hai.
1932 ka khatiyaan lagu huwa to, sab jharkhandi ka life bahut badal jayega.
हमारा झारखंड के आप जैसा हर आदमी को आपका विचारधारा जिस दिन समझ जाएगा उसी दिन हमारा झारखंड का उन्नति होगा हर पार्टी का दलाल लोग हमारे झारखंड को हर जाति का दलाल लोग झारखंडी को एक होने नहीं दे रहा है समाज को समाज से लड़ता है आज तक ही राजनीति करके हमारा झारखंड पीछे चला जा रहा है
Jai jharkhand
Thank you sir for this information
Good work sir keep it up.
जोहार
Jharkhand ke sabhi aadivasi ko jagna hoga apne huk aur adhikar ke liye
बहुत अच्छा बात है झारखंड के लोगों के लिए १९३२का खत्तियान के पर स्थानीय नीति
AAP best hai vaiya.
Bilkul sahi Sahi bol rahe hai
Sahi bat hai
1932 ka khatiyan lagu hona hi chahiye. Dishum guru Shibu Soren zindabad. Hemant Soren sir zindabad.
Nice God bless you
हम भी आदिवासी के दिमाग को देखना चाहते हैं कि वो अपने झारखंड को कैसे चलाते हैं ।
Hamara Ghar Ham Kaise rakhen aur kaise chalayen vah aap Logon Ko dekhne ka jarurat Nahin Hai aap log apna Ghar Ko dekhiae Jo Kabhi Kam aaega
Thank you
1932 Ka khtiyaan jald se jald sarkaar ko lagu Karna hi Chahiye tbhi Jharkhand ke aadiwasi aor mulwasi ko Sahi mayne me niyaay milega.
धन्यवाद सर पूर्ण जानकारी देने के लिए ।
Dhanevad sir
1932 ka khatiyan lagu honi chahiye
Tere pass hai 1932 ka khatiyan
Yes sir u r absolutely right
1932 का खतियान लागू करो।
लागू करो। लागू करो।
Bilkul lagu..hona chahiye....💪
1932 hi hona chayen. Aur sabse jaruri adiwasi ka apna lipi hona bahut jaruri tha pr kya kare hamare mahapurso ne nahin bana paya.aj ager lipi hota to pure jharkhand m hum adiwasiyo k hi bol bala hota. Jaise aur rajyo m hain..wb Gujarat punjab odisa and South india.
Sir aap ne bahut sahi baat kahi.
Sir please Kharia ka basic words p ek video bana dijea na please
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो जय हेमंत सोरेन जिंदाबाद ,जय पांचवी अनुसूची जय संविधान
Sir jee 1964 se pehle east singhbhum west Bengal me tha jo av kuch hissa jharkhand Or kuch hissa west Bengal me hai to kya solution ho payega sir jee
बरु कयोम् गमोबर गेलेक्शन डुंगडुंग, धन्यवाद!
sibu soren sahi baat bola. sibu soren zindabad.
Right sir....Jai bhim
Yes 1932 lagu hona chahiye
Desh azad ho ni paya us time or aplog ko 1932 ka khatiyan chahiye.
Bhasa ke adhar par purulia Bengal mein samil Kar dia Gaya, yeh bahat galat hai, kiu ki bokaro,dhanbad, purba singhbhum bhi same boli bli jati hai,. Iss par supreme Court mei Jana chahiye.
Aapne 100%sahi kaha
Jay jharkhand