आचार्य जी नमस्ते आपने इस उपदेश में कहां कि आत्मा निराकार है। जो कि वेद विरूद्ध है। और इसमें विचार करने वाली बात यह है कि जो आत्मा निराकार हो तो सर्वव्यापक क्यो ना हो सर्वव्यापक हो सर्वशक्तिमान क्यो ना हो ? परंतु आत्मा तो एक देशीय है। अल्प ज्ञान ,सामर्थ्य, बल, वाली है। इसलिए इसको ठीक करो कि आत्मा निराकार है। ,या वेद का प्रमाण दो
Jai Sanatan Dharma ♥️ Paramatma Hum sab ko Maf kar de♥️
Bahut uttam vichar guru ji
आति उत्तम प्रवचन
Bahut achhi baat .......aarya smaz amar rhe
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। ।मेरे पास शब्द नहीं है आपका धन्यवाद करते के लिए 🙏
Jai arya ❤️
Nice..Proud of you
Om
Acharya ji namaskar dhanyawad
Om
आचार्य जी नमस्ते
आपने इस उपदेश में कहां कि आत्मा निराकार है।
जो कि वेद विरूद्ध है। और इसमें विचार करने वाली बात यह है कि जो आत्मा निराकार हो तो सर्वव्यापक क्यो ना हो सर्वव्यापक हो सर्वशक्तिमान क्यो ना हो ?
परंतु आत्मा तो एक देशीय है। अल्प ज्ञान ,सामर्थ्य, बल, वाली है। इसलिए इसको ठीक करो कि आत्मा निराकार है। ,या वेद का प्रमाण दो
vande matrm