पावस-गोष्ठी गुरु-पूर्णिमा | अशोक चक्रधर और साथी कवि । रंग-बिरंगी कविताएं। जयजयवंती फ़ाउंडेशन

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 1 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 6

  • @keshavdandriyal5558
    @keshavdandriyal5558 7 місяців тому

    श्रेष्ठ कवियों की उत्कृष्ट रचनाएं सुन धन्य हुए।

  • @shivdadhichbikaner4945
    @shivdadhichbikaner4945 Рік тому +1

    Wha

  • @jagdishyadav1064
    @jagdishyadav1064 3 роки тому +1

    बहुत ही बहतरीन काव्य गोष्ठी है गुरूवर्य चक्रधर सहाब को बहुत अरसे बाद सुन रहा हूँ. सफ़र जौनपुरी. नागपुर. महाराष्ट्र

  • @kuldeeppanwar2415
    @kuldeeppanwar2415 3 роки тому +1

    गीतों में सच्च में एक मनमोहक खुशबू होती है , मन आह्लवादित हो गया , अशोक सर आपको बहुत बहुत धन्यवाद इन सुकून भरे लम्हों के लिए ।
    एक अपनी लिखी कविता भी आप तक पहुंचाना चाहता हूं सर ,शीर्षक है" निग़ाहों का खेल "
    "निगाहों का खेल"
    यहां सब निगाहों का खेल है ,
    कहीं छतो से चोरी छिपे झांकती वो प्रेम भरी निगाहें,
    कहीं नुक्कड़ पर चीर जाती है निगाहें ,
    दामन पर दाग देखती वो समाज की निगाहें,
    अपने दागी आईने को नजरअंदाज करती वो समाज की निगाहें,
    मुझे धर्म शिखलाती वो बूढ़ी निगाहें,
    धर्म के अपने निजी अर्थ निकालती वो बूढ़ी निगाहें,
    यहां सब निगाहों का खेल है ,
    काश के तेरे अन्दर के प्रेम को मैं समझ पाता ,
    वो जो तेरी निगाहों का प्रेम है,
    ना जाने क्यूं मेरी निगाहों से परे है ।।।

  • @sheetalbhardwaj2869
    @sheetalbhardwaj2869 3 роки тому +1

    मनमोहक

  • @im.amritvani
    @im.amritvani 3 роки тому +1

    सर,
    मैंने आपके के शो 'सौ करोड़ का कवि' देखा जो मुझे बहुत अच्छा लगा👍,
    सर मैं भी इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहता हूं,
    कृप्या बताए की कैसे भाग लें 🙏