अद्वैत ही सत्य ,नित्य एवं वर्तमान है और द्वैत का दूसरा नाम 'मैं' है जो अहंकार रूप है।यह भ्रम ही हमें परम सत्य से दूर रखता है।उपरोक्त व्याख्याकार को प्रणाम।
मैं महर्षि जी को कुछ दिनों से सुन रहा हु और मै उनमें डूब ही गया हु,,,,,, धन्यवाद भगवान महर्षि आत्मज्ञान सहज हे सरल हे जटिल तो अहंकार है जो अभी हम सब को है उसे ही समझना हे और उसे समझते ही अहंकार विदा हो जाएगा,,,,, आत्म ज्ञान प्राप्त ही हे
मैं कृष्णमूर्ति जी को सुन रहा था कि आपका वीडियो आया जिसमे हैडलाइन कि आत्मज्ञान सबसे सरल है,को सुना। मैं 30 वर्ष का था तबसे मेरा दिल मान रहा था कि ऐसा ही है लेकिन विचारो के जाल में कुछ सूझ ही नहीं रहा था। आपका वीडियो सुनकर आत्मविश्वास बढ़ गया। ॐ श्री
असीमित आनन्द मे होना जैसे शब्द भी शंशय उत्पन्न करने वाले है महोदय। आत्मा का मतलब केवल होना है महोदय,जहां न कोई दुख है ना कोई सुख है,वही अवस्था आनन्द की है आत्मा की है। इसके साथ असीमित जैसे शब्द जोडकर इसे भारी भरकम आप खुद भी बना रहे हो
निरंतर आत्म जिज्ञासा की युक्ति के लिए ऐसा किया जा सकता है:- अचानक कुछ भी करते हुए स्वयं से पूछें कि कौन चाय पी रहा है? कौन नहा रहा है? कौन ये वीडियो सुन रहा है? जो भी चेष्टा में चित्त लगा हो तो पूछें कि एसा कौन अनुभव कर रहा है?
Mai ka अस्तित्व ही संदिग्ध है! तब (मैं हूं) में, मैं का बोध तो विचारों की निरंतरता से उत्पन्न भ्रांति है! इसी चक्कर में ,"होनापन" जैसे विलुप्त sa ho gaya hai! सरल कठिन द्वंद क्यों? एक एक कदम चलते जाएं तो विचारों की जितनी सघनता है तो उतना ही जिज्ञासा के साथ साथ विरलता होती जायेगी! जब जिज्ञासु ही जिज्ञासा रह जाती है यानी drasti aim se hatkar purn roop se jigyasa me hi lag jati hai to suddenly chhalang lag jati hai! Jab Tak jigyasu hai tab Tak vilamb hai! Jigyasa hi ham ho jate hain tabhi wah purn ho jati hai!
शांडिल्य भक्ति सूत्र में,बताया है कि यदि कोई व्यक्ति चक्रवर्ती सम्राट भी हो तब भी ये 5 क्लेश सभी को निरंतर चुभते रहते हैं:- भ्रांति , बुद्धि की जड़ता, संताप, chhanbhangurta(पल पल परिवर्तनशीलता), दरिद्रता(trasna,अभाव)
S sir athmgayaan bahutj katin hai jab tak. Hum apne vicharnonse chot nai jate lak Koshisha karne ke baad bi vichar aate hai plz Kaya kare. Namo budhaya
My dear,Aatmjigyasa ki sadhna ke liye ye steps jaruri Hain:- (1) Atma/ Parmatma bhool hi Jana hai aur ye bhi es Aatm Anusandhan ki drasti se bilkul aawasyak nahi! Sab unknown hi hai! Main purn अज्ञानी हूं! (2)Bahar ka sab sanchit jaankari agyan se bhi bhayankar badha maha agyan hai! (3) Main hoon bhi! Ya nahi hoon! Yahi to anusandhan chal Raha hai! Khud pata लगाकर रहेंगे! (4) रसपूर्ण tallennta तभी गहन होगी जब विचार मात्र ही कल्पना जाल समझें! (5) विचारों से दूरी जब बढ़ती जायेगी तब अपने आप वैराग्य की मजबूती हो ही जाएगी!
Sir.. I used to see a figure in form of pure white light standing besides me at night around 2am n would disappear and it was daily phenomenon and my age was around 5 to 6 yrs. At that time I didn't know what it was n I used to see it with pretending of closed eyes and I have very clear picture till now. No any confusion. What was it. Iam unable to find it. However I always feel that iam get out of many problems whenever I encountered any
pl pl aap me thodi bhi naitikta he to aap apna kuchh na boliye jab tak apko samadhi na mile, pl pl samadhisth vakta ke pure audio hi rakhe to apka bada upkar hoga,
Aree Bhai! Kya saral aur kya kathin? Jab duri shunya hi hai aur jab tak hamari himmat least ho to महाकथिन ho gaya! Ab agar sadhan me स्वाभाविक रुचि ही न हो और खींचातानी से साधन कर रहे हों तब कैसे सरल हुआ? अब अगर swatah स्वाभाविक ही साधन में रस आ रहा हो तब ऐसे ज्यादा सरल कुछ भी तो नहीं!!!!
अद्वैत ही सत्य ,नित्य एवं वर्तमान है और द्वैत का दूसरा नाम 'मैं' है जो अहंकार रूप है।यह भ्रम ही हमें परम सत्य से दूर रखता है।उपरोक्त व्याख्याकार को प्रणाम।
मैं महर्षि जी को कुछ दिनों से सुन रहा हु और मै उनमें डूब ही गया हु,,,,,, धन्यवाद भगवान महर्षि
आत्मज्ञान सहज हे सरल हे जटिल तो अहंकार है जो अभी हम सब को है उसे ही समझना हे और उसे समझते ही अहंकार विदा हो जाएगा,,,,, आत्म ज्ञान प्राप्त ही हे
ऐसे शब्दो को सुनकर ही साधक इसे हव्वा समझते है,ओर मानने लगते है कि ये कुछ बहुत बडा है,ओर वो बहुत बडा उनके जीवन मे होता नही है जिससे वो निराश हो जाते है
Best of best. Thank you very much
मैं कृष्णमूर्ति जी को सुन रहा था कि आपका वीडियो आया जिसमे हैडलाइन कि आत्मज्ञान सबसे सरल है,को सुना। मैं 30 वर्ष का था तबसे मेरा दिल मान रहा था कि ऐसा ही है लेकिन विचारो के जाल में कुछ सूझ ही नहीं रहा था। आपका वीडियो सुनकर आत्मविश्वास बढ़ गया। ॐ श्री
सबसे सरल काम इसलिए है, की हम अपनी प्रिस्थिति में पूरे नही होते, हम आधे अधूरे होते है।
bhout hi sunder vichar
bhout bhout thanks
m to bar bar sunti hun
ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या 💥🙏
असीमित आनन्द मे होना जैसे शब्द भी शंशय उत्पन्न करने वाले है महोदय। आत्मा का मतलब केवल होना है महोदय,जहां न कोई दुख है ना कोई सुख है,वही अवस्था आनन्द की है आत्मा की है। इसके साथ असीमित जैसे शब्द जोडकर इसे भारी भरकम आप खुद भी बना रहे हो
आत्मज्ञान बहुत कठिन काम है सरल बताने वाले को शायद आत्मज्ञान हुआ ही नहीं
Very good bahut hi bhadiya video hai thanks sir ji 🙏🙏🙏🙏
Ati sundar!
Very good lecture Dhannywad 🙏
शरीर और संसार एक दीर्घ स्वप्न ही है!
Very very nice!🙏🙏
We just visited Tiruvannamalai , ARUNACHAL Mountain
Atam gyan saral h agar sakshi or savikar bhav ho, hamari icha h atam gyan parapt karne k to saral h: icha hona kathin h gyan hona saral h
आपने कहा कि "यदि हम विचारों से मुक्त हो जायें"।
सारी लडाई तो वही है। वेद, पुराण, उपनिषद ग्रंथ इत्यादि इसी संघर्ष को ही तो बयान कर रहे है।
🌹🌹🌹🌹❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺
आत्मज्ञान का अर्थ है की मृत्यु को परास्त कर अपनी आत्मा में स्थिर हो जाना
❤❤❤
Really Great
Hare Krishna 🙏🙏
bhout achchi vidio
Sir kmal hi kar diya , badi gehri baat hai samaj to sakta hu par samja nahi sakta
मै आपको कोटि कोटि प्रणाम करती हूं,आपने बहुत ही सुंदर ढंग से समझाया है।काश हम समझ सकें।और भी इसी प्रकार मार्गदर्शन देते रहें।धन्यवाद
निरंतर आत्म जिज्ञासा की युक्ति के लिए ऐसा किया जा सकता है:-
अचानक कुछ भी करते हुए स्वयं से पूछें कि कौन चाय पी रहा है?
कौन नहा रहा है? कौन ये वीडियो सुन रहा है? जो भी चेष्टा में चित्त लगा हो तो पूछें कि एसा कौन अनुभव कर रहा है?
💛💛💛
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏👌👌👌🌞💯
Sare viswas aur aviswas त्याग्ने yogya hain!
Sab viswas agyan hote hain es vichar marg me!
Viswas kyon? Aviswas bhi kyon?
Mai ka अस्तित्व ही संदिग्ध है!
तब (मैं हूं) में, मैं का बोध तो विचारों की निरंतरता से उत्पन्न भ्रांति है!
इसी चक्कर में ,"होनापन" जैसे विलुप्त sa ho gaya hai!
सरल कठिन द्वंद क्यों?
एक एक कदम चलते जाएं तो विचारों की जितनी सघनता है तो उतना ही जिज्ञासा के साथ साथ विरलता होती जायेगी!
जब जिज्ञासु ही जिज्ञासा रह जाती है यानी drasti aim se hatkar purn roop se jigyasa me hi lag jati hai to suddenly chhalang lag jati hai!
Jab Tak jigyasu hai tab Tak vilamb hai!
Jigyasa hi ham ho jate hain tabhi wah purn ho jati hai!
जय हो
🙏🙏👏😌🌹
इस वीडियो के लिए आपका जितना आभार प्रकट करूं कम है💐🌹🙏🌹💐
🙏🙏🙏🙏🙏mere pas shabdhi nahi gyan ka strot 🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
शांडिल्य भक्ति सूत्र में,बताया है कि यदि कोई व्यक्ति चक्रवर्ती सम्राट भी हो तब भी ये 5 क्लेश सभी को निरंतर चुभते रहते हैं:-
भ्रांति , बुद्धि की जड़ता, संताप, chhanbhangurta(पल पल परिवर्तनशीलता), दरिद्रता(trasna,अभाव)
❤
Aatma hamara Mul svrup hone se use man buddhi se nahi jana ja sakta he lekin matr hone he
Best
May I know that who is the speaker of this Audio on ziddu Krishnamurthy ?
Thanks🙏
S sir athmgayaan bahutj katin hai jab tak. Hum apne vicharnonse chot nai jate lak Koshisha karne ke baad bi vichar aate hai plz Kaya kare. Namo budhaya
nice
🙏🙏🙏🙏🙏
🌹🌹🙏🙏🌹🌹
My dear,Aatmjigyasa ki sadhna ke liye ye steps jaruri Hain:-
(1) Atma/ Parmatma bhool hi Jana hai aur ye bhi es Aatm Anusandhan ki drasti se bilkul aawasyak nahi!
Sab unknown hi hai! Main purn अज्ञानी हूं!
(2)Bahar ka sab sanchit jaankari agyan se bhi bhayankar badha maha agyan hai!
(3) Main hoon bhi! Ya nahi hoon! Yahi to anusandhan chal Raha hai! Khud pata लगाकर रहेंगे!
(4) रसपूर्ण tallennta तभी गहन होगी जब विचार मात्र ही कल्पना जाल समझें!
(5) विचारों से दूरी जब बढ़ती जायेगी तब अपने आप वैराग्य की मजबूती हो ही जाएगी!
Superb
Kya Sanson ko dekhne se eski shuruvaat kar sakte hain ?
Where is God in our body are out of our body
Aap ko ho gaya h kya aatm gyaan
Do you satisfied with your answer
Sir.. I used to see a figure in form of pure white light standing besides me at night around 2am n would disappear and it was daily phenomenon and my age was around 5 to 6 yrs. At that time I didn't know what it was n I used to see it with pretending of closed eyes and I have very clear picture till now. No any confusion. What was it. Iam unable to find it. However I always feel that iam get out of many problems whenever I encountered any
Wastav me Raman mahrishi ki baat bus wahi smjh skte h
Where is God in our body or out of body
pl pl aap me thodi bhi naitikta he to aap apna kuchh na boliye jab tak apko samadhi na mile, pl pl samadhisth vakta ke pure audio hi rakhe to apka bada upkar hoga,
🪔👏🧘♂️
👌👍🙏🙏🙏🤍
Bahut Achcha Yahan Apne god ko bhi na Kara
0000....♾️♾️♾️♾️🤍
Aap raman maharishi ji ko bhagwan kyun bol rhe hain...??
Sir aap ek bar Mansoor Al hallaj ki life ki padhiye please..Yadi phir bhi aapko reply na mile to phir hum bat kar sakte hai
Sorry
Bhgwan sted ali ji
Hum bhatke hue log hai.. 😢
Mujhe lagta h aap siddu ji aur Raman ji se bhi mahan h kya
Aree Bhai! Kya saral aur kya kathin? Jab duri shunya hi hai aur jab tak hamari himmat least ho to महाकथिन ho gaya!
Ab agar sadhan me स्वाभाविक रुचि ही न हो और खींचातानी से साधन कर रहे हों तब कैसे सरल हुआ?
अब अगर swatah स्वाभाविक ही साधन में रस आ रहा हो तब ऐसे ज्यादा सरल कुछ भी तो नहीं!!!!
😂😂😂😂😂😂😂 hahahaha
All is the play of sub conscious mind and nothing else.
What about already imprinted thought and desires??
😂😂😂😂😂😂😂
Hahahaha
Nice