Brief histrory of major aryan castes - ⭐⭐⭐ मनुष्य जाति (*** ) के चारों तरफ दिव्य अलौकिक जातियाँ बसती थी . देवता - J&k, HP, Uk गंधर्वपठान - अफगानिस्तान पणिनामीअसुर ( बनिए जातियाँ ओसलवाल अग्रवाल खंडेलवाल माहेश्वरी वगैरह ) - आजकल गुजरात व इसके आसपास का एरिया गढ है . पहले हूणगुजर के साथ मध्य एशिया के किसी प्रदेश सिल्क रूट या पणिशिया/फिनीशिया पर व्यापार करते थे . राक्षसहब्शी - सोमालिया ( सुमाली) , माली ( माली) , माल्वी ( माल्यवान) यक्षद्रविड़ - दक्षिण भारत जंगलीभील वगैरह - छत्तीसगढ़ झारखण्ड दानवबंगाली ( बंगाल में तीन प्रभावशाली जातियाँ हैं - बंगाली बाहमण - वास्तविक शुद्ध दानव जाति है, बंगाली कायस्थ - दैत्यऋषिवंशी या दानवबंगाली बाहमणों द्वारा वैश्य औरत - अरोड़ाखत्री से उत्पन्न, तीसरी - बैद्य - ये लगभग चंद्रवंशी के समान हैं शायद हो सकता है दक्षिण भारत की चंद्रवंशी शाखा काम्मा जाति की कोई शाखा हों ) भूतगोरखे ( नेपालभूटान के बीच गोरखालैंड ) ***भारत में पंजाब से बिहार व हरयाणा से महाराष्ट्र तक मनुष्य जाति का प्रदेश है जो कि चार जातियों से बनी है सूर्य + चंद्र + नाग + शिवगण . देवताचंद्रवंशी ( देवता और चंद्रवंशी ) ; दैत्यसूर्यवंशी ( दैत्य व सूर्यवंशी ) चंद्रवंशी जाति देवता जाति के जैनेटिकली श्रेष्ठ लोगों के वंशों का विस्तार है । देवता और चंद्रवंशी में शरीर की हाईट का अंतर है बस , देवता generally बौने हैं और चंद्रवंशी लम्बे । चंद्रवंशियों का मूल स्थान पंजाब सिंध बलूचिस्तान आदि हैं और नागवंशी एरिया में ये बेचारे नाग संस्कृति के व शिवगण एरिया में शिवगण संस्कृति के गुलाम से रहते आए हैं या उन स्थानों पर शिवगण व नाग संस्कृति की ही प्रधानता है . दैत्यसूर्यवंशी ( ऋषिवंशी व गैर ऋषिवंशी - इस्ट यूपी व बिहार गढ हैं ) सूर्यवंशी क्षत्रिय ( बौद्ध काल से पूर्व इस्ट यूपी बिहार में थे) नाग ( मध्यप्रदेश व राजस्थान नागवंशी गढ हैं ) शिवगण ( हरियाणा = हरियाणा + वेस्ट यूपी ; महाराष्ट्र , हरयाणा का अर्थ है शिवगणों का घर )
@Cosmic Entity usko aur mujhe bhi mythology naam Pasand nhi isiliye nhi Kyunki woh ek English word hai balki isiliye Kyunki mythology matlab made up or fake stories.
महाभारत मैं तो दिखाया गया है कि, दुर्योधन ने लकड़ी लाते हुए गंधर्व कन्या के साथ अशिष्ट व्यवहार किया और गंधर्वों ने दुर्योधन को बंदी बना लिया था, और वे पृथ्वी पर ही रहते थे। आपके अनुसार वे स्वर्ग लोक में रहते हैं, कृपया इस पर प्रकाश डालिए।
@@KapilTyagi_Verified Brief histrory of major aryan castes - ⭐⭐⭐ मनुष्य जाति (*** ) के चारों तरफ दिव्य अलौकिक जातियाँ बसती थी . देवता - J&k, HP, Uk गंधर्वपठान - अफगानिस्तान पणिनामीअसुर ( बनिए जातियाँ ओसलवाल अग्रवाल खंडेलवाल माहेश्वरी वगैरह ) - आजकल गुजरात व इसके आसपास का एरिया गढ है . पहले हूणगुजर के साथ मध्य एशिया के किसी प्रदेश सिल्क रूट या पणिशिया/फिनीशिया पर व्यापार करते थे . राक्षसहब्शी - सोमालिया ( सुमाली) , माली ( माली) , माल्वी ( माल्यवान) यक्षद्रविड़ - दक्षिण भारत जंगलीभील वगैरह - छत्तीसगढ़ झारखण्ड दानवबंगाली ( बंगाल में तीन प्रभावशाली जातियाँ हैं - बंगाली बाहमण - वास्तविक शुद्ध दानव जाति है, बंगाली कायस्थ - दैत्यऋषिवंशी या दानवबंगाली बाहमणों द्वारा वैश्य औरत - अरोड़ाखत्री से उत्पन्न, तीसरी - बैद्य - ये लगभग चंद्रवंशी के समान हैं शायद हो सकता है दक्षिण भारत की चंद्रवंशी शाखा काम्मा जाति की कोई शाखा हों ) भूतगोरखे ( नेपालभूटान के बीच गोरखालैंड ) ***भारत में पंजाब से बिहार व हरयाणा से महाराष्ट्र तक मनुष्य जाति का प्रदेश है जो कि चार जातियों से बनी है सूर्य + चंद्र + नाग + शिवगण . देवताचंद्रवंशी ( देवता और चंद्रवंशी ) ; दैत्यसूर्यवंशी ( दैत्य व सूर्यवंशी ) चंद्रवंशी जाति देवता जाति के जैनेटिकली श्रेष्ठ लोगों के वंशों का विस्तार है । देवता और चंद्रवंशी में शरीर की हाईट का अंतर है बस , देवता generally बौने हैं और चंद्रवंशी लम्बे । चंद्रवंशियों का मूल स्थान पंजाब सिंध बलूचिस्तान आदि हैं और नागवंशी एरिया में ये बेचारे नाग संस्कृति के व शिवगण एरिया में शिवगण संस्कृति के गुलाम से रहते आए हैं या उन स्थानों पर शिवगण व नाग संस्कृति की ही प्रधानता है . दैत्यसूर्यवंशी ( ऋषिवंशी व गैर ऋषिवंशी - इस्ट यूपी व बिहार गढ हैं ) सूर्यवंशी क्षत्रिय ( बौद्ध काल से पूर्व इस्ट यूपी बिहार में थे) नाग ( मध्यप्रदेश व राजस्थान नागवंशी गढ हैं ) शिवगण ( हरियाणा = हरियाणा + वेस्ट यूपी ; महाराष्ट्र , हरयाणा का अर्थ है शिवगणों का घर )
प्रमुख आर्य जातियाँ :- दैत्य ( सूर्यवंशी क्षत्रिय और सूर्यवंशी गौड़ ब्राह्मण ) देवता ( चंद्रवंश) नाग ( नागवंश) शिवगण सूर्य चंद्र नाग और शिवगण मूल रूप से क्षत्रिय जातियाँ हैं और आर्यवर्त ( उत्तर भारत) में वर्ण व्यवस्था का विकास इन्हीं ( देवता दैत्य नाग शिवगण चार जातियों ) से हुआ था, अलैक्जैंडर से गजनवी तक के आक्रमणों से वर्ण व्यवस्था और अलौकिक आर्य जातियों में जबरदस्त मिक्सिंग होकर जाति व्यवस्था बन गई , आर्य मुख्य रूप से योद्धा ( मार्शल ) लोग थे . जिन्होंने दिव्यास्त्रों, श्रेष्ठ आचरण से यूरोप अरब चीन के बीच बसे जम्बूद्वीप को आदि सृष्टि से महाभारत काल तक अपने अधीन किए रखा था और आर्यवर्त से सारे जम्बूद्वीप की धार्मिक राजनैतिक आर्थिक व्यवस्थाओं को चलाते थे . पिशाचभूत ( नेपाल भूटानवासी गोरखे वगैरह शिव के भूत हैं ) गंधर्व ( अफगानिस्तान की एक जाति थी , पठानों के गुणस्वभाव गंधर्वों से मिलते हैं लेकिन इनमें असुरअरब और मलेच्छ यूरोप के दस्युदुष्ट लुटेरे खून मिक्स हो गए इसलिए ये हिन्दूत्व से बाहर हो गए और आज ज्यादातर मुस्लिम हैं ) यक्ष ( आधुनिक द्रविड़ ,आर्यों की यक्ष जाति है ) राक्षस ( हब्शी, जो पहले पवित्र नील नदी के साथ साथ बसे थे बौद्धधर्म की शुरुआत के बाद से ब्रिटिश काल तक लिखे गए पुराणों में राक्षसों के कालकेय आदि अनेक वंशों का वर्णन हुआ है और नीलनदी के उद्गम का भी वर्णन है ) पणिनामीअसुर ( पणि - बनिए जातियाँ जो बौद्ध काल में जिन्होंने बौद्ध धर्म की शाखा जैन धर्म की शुरुआत की , नास्तिक जैन संप्रदाय की शुरुआत और बाकी भारतीय देवता जातियों से बहुत ज्यादा कुटिल खोपर स्वभाव के कारण इनके साथ असुर भी जोड़ दिया गया लेकिन ये वास्तविक असुर नहीं हैं नागवंशी क्षत्रियों के समान व्यापारी जातियाँ हैं नागवंशी क्षत्रिय और बनिए दोनों के मध्यकालीन इतिहास पर गर्व है अंधकारयुगीन भारशिव वंश से लेकर सम्राट हर्षवर्धन तक नागवंशी राज्य रहा बीच में हूणगुजर और बाद में मुस्लिम तुर्कमुगल आदि जातियों की घुसपैठ से नागवंशी राज्य कमजोर और छिन्न भिन्न हो गया , मध्यकाल में जब सूर्यचंद्र वंश राज्य क्षीण हो गए तब वैदिक सनातन धर्म की रक्षा करने के कारण इनको नाग देवता भी कहा जाता है ) दस्यु जातियाँ :- मलेच्छ यूरोप ( मलेच्छ) असुर अरब ( असुर) दुष्ट चीन ( दस्यु) मलेच्छ, असुर, दस्यु तीनों ही दस्यु जातियाँ हैं . महाभारत युद्ध से पहले तीनों ही जंगली थे बाकी दुनिया से अलग थलग थे, दूनियादारी या कोई ज्ञान विज्ञान इनको कभी भी नहीं था. मलेच्छ यूरोपीय ऊटपटांग अतिशूद्राशय अतिअनाड़ी स्वभाव के खानाबदोश जंगली थे कामधाम करना पसंद नहीं करते थे आपस में लूटपाट हरामखोरपने से खाते कमाते थे लेकिन आज इन्होंने काफी तरक्की की हुई है , असुर अरब विद्याद्वेषी खानाबदोश लुटेरी जंगली जाति थे इस्लाम से पहले भी आपस में मारकाट मचाते थे, दस्यु चीन बहुत बहुत ज्यादा दुष्ट (मादरचोद) , अतिशूद्राशय अतिअनाड़ी खानाबदोश जाति है कीड़े मकौड़े वगैरह भी खाते हैं .
SANATAN DHARAM Hindusim is not a religion. It is a way of spiritual living in a divine quality. It is the oldest eternal path or ways to spirituality. It is very diverse. To understand Hindusim in short is not an easy job . In short SANATAN DHARAM Hindusim is the oldest scientific culture and traditions. It is not a religion. BUT REMEMBER MY DEAR BROTHERS AND SISTERS RELIGIONS ARE THOSE WHICH ARE MAN MADE PRINCIPLES OR lAWS means artificial management . SANATAN DHARAM Hindusim = The whole world is one family .
असुरी समाज में ब्याज लेना देना कोई भी बुरा नही समझा जाता था।बल्कि व्याज भी असुरी सरकार देती थी।और किश्तों में वसूल करती थी।ब्याज की दर सरकार तय करती थी।परन्तु निम्न वर्ग को मजदूरी मिलती थी।निम्न वर्ग में असुरों के द्वारा बन्दी बनाये गए गैर असुर थे।इन्हें इनके कार्य के हिसाब से दास बनाकर इन से कृषि पालन,उद्यान पालन यानि बागवानी और पशु पालन के कार्य लिए जाते थे।
@@mrcoolcanon Bhai ye duniya acchi baane de tabh na har jagah mujhe nirasa mili hai koi jagah ya koi Kona aisa nahi jaha Maine mehnat nahi Kiya but noone need my work they only need my talent for profit
Rajat thakur mitra,.aapne shayad kalyug ke prarambh kaise hua ye thik se dekha nahi,. Raja parikshit ne Kalyug ko ka rahane ka sthan diya ye to pata hi hoga na uska result hain ye hain
असुर राज्य में पुरुष को अगर अपनी विवाहिता नारी से सम्बन्ध विच्छेद करने होते थे।तो उसमे भी नारी की सहमति जरूरी थी।यानी नारी की सहमति के वगैर पुरुष कोई भी तलाक़ नही दे सकता है। परन्तु विवाहित सम्बन्ध के दौरान नारी के किसी भी विवाहित मर्द से सम्बन्ध होने पर पति अथवा पुरुष अपनी विवाहिता नारी को कोई भी शब्द कहकर तलाक़ दे सकता था और विवाहिता को पिता की तरफ से मिली हुई 50% सम्पति और धन का पूरा अधिकारी हो जाता था।और ये सम्पति भी पुरुष को और उसकी औलाद जो मिल जाएगा।
Agar Yaksh ne sareh Pandav Bhai yo ko jivit nahi kiya hota toh तिनो लोको मे shree Krishna K krodh se उस यक्ष को कोइ नहि बचा पाता ।😂😂😂 जय श्री कृष्ण।🎉🎉🎉
Viewers ke question bhi lajawab hai unki soch bhi sahi ko janna chati hai asal mein Parmatma Ishwar Allah Bhagwaan God kaun hai kaun batayega kya har majhab ka mulla pandit ya majhabi granth batayega? Sawarg Nark kisne dekha kaise pata chala ye to majhabi gyan hai aapne jo bhi bataya woh insaan ki prajatiya batai asal se aap bhi sankuchit gyan ke sikaar hue. Hum to sarasthi ka rachiyata kaun hai saakar ya niraakar uska gender uski bhasa kya hai is visay par prakash daliye
Wrong rakhsas were the adivasi people,There name was given since they protect there jungles from human, Rakhsas were regarded threat to human race not gods,whereas asuras were threat to gods Basically asuras were those gods who have lost battles
तमीज़ सीख लो चाचा..! ये माइथोलोजी क्या होती है.! 🤔 ऐसा ग्यान देने से अच्छा आप कोई भी ग्यान न दे, हम अनपढ़ ही अच्छे बस हमारे इतिहास का अपमान न करे यहि कृपा होगी आपकी || 🙏🙏
Thank you sir for your great information . I can understand hindi properly . But I always little doubt about "Saytan" which shown in Hollywood movies that people are agreement with Saytan and they got many problems or go to hell. According to Hindu religion what is this?
Yeh sab bakwaas ki baatein hain....hum sab ek hi panch ungli waley Insaan hain joh do paron pe khade hokar chalte hain....why the Puranas discriminate people with their physical and mental differences...I'm confused about the Mechanism of Human.
@Mohammed Sultan aap mere sawal ki gehraai Nahin Jaan paaye. Homo saipens ke alawa insaano ki aur Kai species paayi jaati Hain. Amazon ke jungles mein aur Indian mein Himachal Pradesh ke ass pass Kai Baar logon ne ajeeb se baalon waale prani ke nishaan paaye hain ya uski akriti Dekhi hai aur wo hamari hi tarah do pairon par chalta hai. Toh aisa possible ho Sakta hai ki insaan ki ek se zyada prajatiyan paayi jaati hon.
सुरा मतलब शराब ठीक है। अब जो सुरापान करे (अर्थात जो शराब पिए) वो सुर यानी देवता और जो सुरापान ना कर (अर्थात जो शराब ना पिए )वो असुर यानी राक्षस । क्या मजाक है!
Yaksha aur Rakshasa Bramha Dev ki jamhai Jal mein girkar do tukde ho jati hain usase do samuh mein loag Manav sakshya rup mein paida hote hain ek taraf ke loago me kaha hum Jal Yakshana karenge ve yaksha kahlaye Yakshana ka matlab poojan se hain, wohi dusari ore jin loago ne Jal Rakshana kaha wohi Rakshasa kahlaye Ravan Sanhita likhit hain.
Dalit aur aadivasi Hindu nahi hai... kyunki Hindu me adivasi ko asur aur Dalit ko shudra kaha gaya hai... aur koi v apne ko neech jaati ki category me nahi rakhna chahega... Hindu dharm sirf brahman aur chatriya aur वैश्य category k logo k liye hai
जी नही आदिवासी के लिए वनवासी बार बार आता है राम जी त़ वनवास में उनके साथ रह रहे है वाल्मिकी जी भील आदिवासी थे लेकिन रामायण लिखते है और हर हिन्दू के लिए सम्मानित है कि भगवान का दर्जा तक दिया जाता है तो ये तो गलत है और कौन सा असुर जंगलों में रहता था सभी के महल थे ठाठबांट था तो आदिवासियों को असुर कह कर अपमानित न करे प्लीज और हर असुर बुरा नही माना गया है असुर राज बालि को तो कल्कि अवतार के समय इंद्र बन कर धर्म रक्षा मे लड़ने की बात है तो कांसेप्ट क्लियर करें । मै नही कह रहा कि आप कह रहे कि जो शूद्र है अगर आपके अनुसार केवल दलित है तो शूद्र वैदिक वर्ण व्यवस्था का हिस्सा है तो यही से वो सनातनी हो जाते है, आर्य को चार वर्णों मे बांटा जाता है ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र और हर कोई जन्म से शूद्र है कर्म से वर्ण मे बंटता है जिन जातियों की बात कर रहे है वो केवल शूद्र मे क्यो है क्योकि वो सेवा क्षेत्र में काम करते है जहां सेवा के क्षेत्र बहुत सारे है उनके द्वारा बंट गए लेकिन सभी सम्मानित है आज के दृष्टिकोण से मत देखे आज लोकतंत्र है तब राजतंत्र था व्यवस्था में अंतर सामाजिक परवेश में अंतर है दोनो की तुलना अलग अलग करें वहां आज की तरह नौकरी की भर्ती नही निकाली जाती थी । हां भेदभाव जो समाज में व्याप्त हुआ गलत था धर्म विरूद्ध है क्योकि वेदों में शूद्रों को सम्मानित बताया गया है और वो समाज अलग है राजतंत्र है एक ओर सेना चाहिए रक्षा हेतु तो योद्धा जैसे तो क्षत्रिय दूसरी तरफ समाज में आध्यात्मिक , वैज्ञानिक, शैक्षिक, अनुसंधान आदि चीजे चाहिए तो ब्राह्मण जो तब के विद्वान होगे , राज्य राजस्व से चलते है तो एक वर्ग पूरी तरह से व्यापार में लगा रहे अन्य कार्य की जगह तो इन्हे अलग संरक्षण मिला बाकि इनके अलावा बहुत से कार्य है जो तो वो सभी शूद्र जो सेवा क्षेत्र हो गया। बाद के बहुत से विदेशी यात्रियों ने यहां चाणक्य आदि ने भी समाज को चार की जगह पांच वर्णों मे बांटा है जिसमें पांचवा वर्ण अन्य जन प्रयोग कर रहे है क्योकि ये कुछ बाहर देशों से बसे सनातन समाज का हिस्सा बन गए अफ्रिका आदि से गुलामरूप में यहां बस गए आकर व वैदिक अपनाया तथा कुछ यही के है लेकिन कुछ कार्य या खानपान आदि उनके अनुसार अनुकूल न होने के कारण उन्हे बाहर गांव में स्थान दिया गया और इनके साथ ही भेदभाव जातियों में छुआछूत जैसी बकवास चीजे पाई जाती है हर शूद्र दलित नही है हर दलित शूद्र नही है ये आधुनिक शब्दावली है और जो बाद में शूद्र में कार्यो की विवधता इतनी की कार्य परिवर्तन आदि के कारण शूद्र में सभी सम्मिलित करके आधुनिक विद्वानों ने देखा तभी वर्तमान में भी जिनको आप वर्ण व्यवस्था में शूद्र मानेगे उनमें हर शूद्र भेदभाव छुआछूत से ग्रसित नही है उल्टा ओबीसी की जातियां व स्वयं एस सी की कुछ जातियां एस सी ही की कुछ जातियों को नही छूती थी या स्वयं के उनसे ऊपर मानती है । हमारे यहां ही बहुत सी दलित जातियां कुछ जातियों को अपने साथ बैठाना खाना पसंद नही करती है ।अब लोकतंत्र है समाज में बदलाव आ रहा है जागरूकता आ रही है इस विष को समाज से समाप्त करना जरूरी है। एस सी समाज में भी देखने को मिल रहा कि वो स्वयं जिस जातिवाद से ग्रसित थी वो स्वयं अब किसी जाति विशेष से नफरत करके जातिवाद को बढ़ावा दे रही है जो बाबा साहब की शिक्षा के खिलाफ है मानव को समानता पर लाना है किसी को उठाकर नीचे गिरा कर करेगे तो पुराने समय व अब में अंतर क्या रह जाएगा देखा जाएगा।असल में मूलनिवासी देखा जाए तो केवल गोण्ड जनजाति है सबसे पुरानी बाकी सभी बाहर से आए है और भारत में बसे समय के साथ एक समाज व सभ्यता बने व धर्म में बंधकर सनातनी बने । समाज बदल चुका है तो समय पुराना छोड़ा जाए आगे बढ़कर देश की एकता का काम करें और इन बुराई को एक साथ समाप्त करे जब तक साथ नही होगे काम नही बनेगा।
Hinduism ko samazne mai pura jivan bhi kam hai.
Gupta ji ko R SS ji teli kahte the
Brief histrory of major aryan castes -
⭐⭐⭐ मनुष्य जाति (*** ) के चारों तरफ दिव्य अलौकिक जातियाँ बसती थी .
देवता - J&k, HP, Uk
गंधर्वपठान - अफगानिस्तान
पणिनामीअसुर ( बनिए जातियाँ ओसलवाल अग्रवाल खंडेलवाल माहेश्वरी वगैरह ) - आजकल गुजरात व इसके आसपास का एरिया गढ है . पहले हूणगुजर के साथ मध्य एशिया के किसी प्रदेश सिल्क रूट या पणिशिया/फिनीशिया पर व्यापार करते थे .
राक्षसहब्शी - सोमालिया ( सुमाली) , माली ( माली) , माल्वी ( माल्यवान)
यक्षद्रविड़ - दक्षिण भारत
जंगलीभील वगैरह - छत्तीसगढ़ झारखण्ड
दानवबंगाली ( बंगाल में तीन प्रभावशाली जातियाँ हैं - बंगाली बाहमण - वास्तविक शुद्ध दानव जाति है, बंगाली कायस्थ - दैत्यऋषिवंशी या दानवबंगाली बाहमणों द्वारा वैश्य औरत - अरोड़ाखत्री से उत्पन्न, तीसरी - बैद्य - ये लगभग चंद्रवंशी के समान हैं शायद हो सकता है दक्षिण भारत की चंद्रवंशी शाखा काम्मा जाति की कोई शाखा हों )
भूतगोरखे ( नेपालभूटान के बीच गोरखालैंड )
***भारत में पंजाब से बिहार व हरयाणा से महाराष्ट्र तक मनुष्य जाति का प्रदेश है जो कि चार जातियों से बनी है सूर्य + चंद्र + नाग + शिवगण .
देवताचंद्रवंशी ( देवता और चंद्रवंशी ) ;
दैत्यसूर्यवंशी ( दैत्य व सूर्यवंशी )
चंद्रवंशी जाति देवता जाति के जैनेटिकली श्रेष्ठ लोगों के वंशों का विस्तार है । देवता और चंद्रवंशी में शरीर की हाईट का अंतर है बस , देवता generally बौने हैं और चंद्रवंशी लम्बे ।
चंद्रवंशियों का मूल स्थान पंजाब सिंध बलूचिस्तान आदि हैं और नागवंशी एरिया में ये बेचारे नाग संस्कृति के व शिवगण एरिया में शिवगण संस्कृति के गुलाम से रहते आए हैं या उन स्थानों पर शिवगण व नाग संस्कृति की ही प्रधानता है .
दैत्यसूर्यवंशी ( ऋषिवंशी व गैर ऋषिवंशी - इस्ट यूपी व बिहार गढ हैं )
सूर्यवंशी क्षत्रिय ( बौद्ध काल से पूर्व इस्ट यूपी बिहार में थे)
नाग ( मध्यप्रदेश व राजस्थान नागवंशी गढ हैं )
शिवगण ( हरियाणा = हरियाणा + वेस्ट यूपी ; महाराष्ट्र , हरयाणा का अर्थ है शिवगणों का घर )
Sundar lekin mythology aisa British ka ganda naam mat digiye
Sahi kahan
@Cosmic Entity usko aur mujhe bhi mythology naam Pasand nhi isiliye nhi Kyunki woh ek English word hai balki isiliye Kyunki mythology matlab made up or fake stories.
Right,
Mythology word come from our sanskrit
Word mitya
And thus I disliked this ....
@@adityaagarwal9484 ha bhai
महाभारत मैं तो दिखाया गया है कि, दुर्योधन ने लकड़ी लाते हुए गंधर्व कन्या के साथ अशिष्ट व्यवहार किया और
गंधर्वों ने दुर्योधन को बंदी बना लिया था,
और वे पृथ्वी पर ही रहते थे।
आपके अनुसार वे स्वर्ग लोक में रहते हैं, कृपया इस पर प्रकाश डालिए।
हिमालय के पास वाले भाग को ही स्वर्ग कहते हैं। पांडव हिमालय के रास्ते से ही स्वर्ग गए थे।
Bhai Gandharva ek rajya tha uski gandharv kanya thi vo....bt gandharv ek prajati thi jo dharti pe rehti thi
@@himanshumishra7353तो आपके अनुसार धरती और स्वर्ग लोक में रहने वाले अलग अलग गंधर्व है?
वह गंधर्व राज्य वर्तमान के किस राज्य में स्थित था?
@@KapilTyagi_Verified Brief histrory of major aryan castes -
⭐⭐⭐ मनुष्य जाति (*** ) के चारों तरफ दिव्य अलौकिक जातियाँ बसती थी .
देवता - J&k, HP, Uk
गंधर्वपठान - अफगानिस्तान
पणिनामीअसुर ( बनिए जातियाँ ओसलवाल अग्रवाल खंडेलवाल माहेश्वरी वगैरह ) - आजकल गुजरात व इसके आसपास का एरिया गढ है . पहले हूणगुजर के साथ मध्य एशिया के किसी प्रदेश सिल्क रूट या पणिशिया/फिनीशिया पर व्यापार करते थे .
राक्षसहब्शी - सोमालिया ( सुमाली) , माली ( माली) , माल्वी ( माल्यवान)
यक्षद्रविड़ - दक्षिण भारत
जंगलीभील वगैरह - छत्तीसगढ़ झारखण्ड
दानवबंगाली ( बंगाल में तीन प्रभावशाली जातियाँ हैं - बंगाली बाहमण - वास्तविक शुद्ध दानव जाति है, बंगाली कायस्थ - दैत्यऋषिवंशी या दानवबंगाली बाहमणों द्वारा वैश्य औरत - अरोड़ाखत्री से उत्पन्न, तीसरी - बैद्य - ये लगभग चंद्रवंशी के समान हैं शायद हो सकता है दक्षिण भारत की चंद्रवंशी शाखा काम्मा जाति की कोई शाखा हों )
भूतगोरखे ( नेपालभूटान के बीच गोरखालैंड )
***भारत में पंजाब से बिहार व हरयाणा से महाराष्ट्र तक मनुष्य जाति का प्रदेश है जो कि चार जातियों से बनी है सूर्य + चंद्र + नाग + शिवगण .
देवताचंद्रवंशी ( देवता और चंद्रवंशी ) ;
दैत्यसूर्यवंशी ( दैत्य व सूर्यवंशी )
चंद्रवंशी जाति देवता जाति के जैनेटिकली श्रेष्ठ लोगों के वंशों का विस्तार है । देवता और चंद्रवंशी में शरीर की हाईट का अंतर है बस , देवता generally बौने हैं और चंद्रवंशी लम्बे ।
चंद्रवंशियों का मूल स्थान पंजाब सिंध बलूचिस्तान आदि हैं और नागवंशी एरिया में ये बेचारे नाग संस्कृति के व शिवगण एरिया में शिवगण संस्कृति के गुलाम से रहते आए हैं या उन स्थानों पर शिवगण व नाग संस्कृति की ही प्रधानता है .
दैत्यसूर्यवंशी ( ऋषिवंशी व गैर ऋषिवंशी - इस्ट यूपी व बिहार गढ हैं )
सूर्यवंशी क्षत्रिय ( बौद्ध काल से पूर्व इस्ट यूपी बिहार में थे)
नाग ( मध्यप्रदेश व राजस्थान नागवंशी गढ हैं )
शिवगण ( हरियाणा = हरियाणा + वेस्ट यूपी ; महाराष्ट्र , हरयाणा का अर्थ है शिवगणों का घर )
प्रमुख आर्य जातियाँ :-
दैत्य ( सूर्यवंशी क्षत्रिय और सूर्यवंशी गौड़ ब्राह्मण )
देवता ( चंद्रवंश)
नाग ( नागवंश)
शिवगण
सूर्य चंद्र नाग और शिवगण मूल रूप से क्षत्रिय जातियाँ हैं और आर्यवर्त ( उत्तर भारत) में वर्ण व्यवस्था का विकास इन्हीं ( देवता दैत्य नाग शिवगण चार जातियों ) से हुआ था, अलैक्जैंडर से गजनवी तक के आक्रमणों से वर्ण व्यवस्था और अलौकिक आर्य जातियों में जबरदस्त मिक्सिंग होकर जाति व्यवस्था बन गई , आर्य मुख्य रूप से योद्धा ( मार्शल ) लोग थे . जिन्होंने दिव्यास्त्रों, श्रेष्ठ आचरण से यूरोप अरब चीन के बीच बसे जम्बूद्वीप को आदि सृष्टि से महाभारत काल तक अपने अधीन किए रखा था और आर्यवर्त से सारे जम्बूद्वीप की धार्मिक राजनैतिक आर्थिक व्यवस्थाओं को चलाते थे .
पिशाचभूत ( नेपाल भूटानवासी गोरखे वगैरह शिव के भूत हैं )
गंधर्व ( अफगानिस्तान की एक जाति थी , पठानों के गुणस्वभाव गंधर्वों से मिलते हैं लेकिन इनमें असुरअरब और मलेच्छ यूरोप के दस्युदुष्ट लुटेरे खून मिक्स हो गए इसलिए ये हिन्दूत्व से बाहर हो गए और आज ज्यादातर मुस्लिम हैं )
यक्ष ( आधुनिक द्रविड़ ,आर्यों की यक्ष जाति है )
राक्षस ( हब्शी, जो पहले पवित्र नील नदी के साथ साथ बसे थे बौद्धधर्म की शुरुआत के बाद से ब्रिटिश काल तक लिखे गए पुराणों में राक्षसों के कालकेय आदि अनेक वंशों का वर्णन हुआ है और नीलनदी के उद्गम का भी वर्णन है )
पणिनामीअसुर ( पणि - बनिए जातियाँ जो बौद्ध काल में जिन्होंने बौद्ध धर्म की शाखा जैन धर्म की शुरुआत की , नास्तिक जैन संप्रदाय की शुरुआत और बाकी भारतीय देवता जातियों से बहुत ज्यादा कुटिल खोपर स्वभाव के कारण इनके साथ असुर भी जोड़ दिया गया लेकिन ये वास्तविक असुर नहीं हैं नागवंशी क्षत्रियों के समान व्यापारी जातियाँ हैं नागवंशी क्षत्रिय और बनिए दोनों के मध्यकालीन इतिहास पर गर्व है अंधकारयुगीन भारशिव वंश से लेकर सम्राट हर्षवर्धन तक नागवंशी राज्य रहा बीच में हूणगुजर और बाद में मुस्लिम तुर्कमुगल आदि जातियों की घुसपैठ से नागवंशी राज्य कमजोर और छिन्न भिन्न हो गया , मध्यकाल में जब सूर्यचंद्र वंश राज्य क्षीण हो गए तब वैदिक सनातन धर्म की रक्षा करने के कारण इनको नाग देवता भी कहा जाता है )
दस्यु जातियाँ :-
मलेच्छ यूरोप ( मलेच्छ)
असुर अरब ( असुर)
दुष्ट चीन ( दस्यु)
मलेच्छ, असुर, दस्यु तीनों ही दस्यु जातियाँ हैं . महाभारत युद्ध से पहले तीनों ही जंगली थे बाकी दुनिया से अलग थलग थे, दूनियादारी या कोई ज्ञान विज्ञान इनको कभी भी नहीं था. मलेच्छ यूरोपीय ऊटपटांग अतिशूद्राशय अतिअनाड़ी स्वभाव के खानाबदोश जंगली थे कामधाम करना पसंद नहीं करते थे आपस में लूटपाट हरामखोरपने से खाते कमाते थे लेकिन आज इन्होंने काफी तरक्की की हुई है , असुर अरब विद्याद्वेषी खानाबदोश लुटेरी जंगली जाति थे इस्लाम से पहले भी आपस में मारकाट मचाते थे, दस्यु चीन बहुत बहुत ज्यादा दुष्ट (मादरचोद) , अतिशूद्राशय अतिअनाड़ी खानाबदोश जाति है कीड़े मकौड़े वगैरह भी खाते हैं .
Danav, bhargav, Charan, Rao, Dan, Bhatt, brahmbhatt, Barot, Gadvi, Gorakh, Rahu, ketu, kirti
Charan me hu😊
Bohot Sundar 😍
ओह!!! ऐसा कुछ है....अच्छा लगा....
बिदेशी ब्रहामण ज्ञानी वाक्य जय हो अलटिना विज्ञान जय हो जनेऊ विज्ञान 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
बहुत सुन्दर किन्नर नायक आदि भी बताइये
गैरसुरों के मंत्र पूजा विधि चाहिए
SANATAN DHARAM Hindusim is not a religion. It is a way of spiritual living in a divine quality. It is the oldest eternal path or ways to spirituality. It is very diverse. To understand Hindusim in short is not an easy job .
In short SANATAN DHARAM Hindusim is the oldest scientific culture and traditions. It is not a religion.
BUT REMEMBER MY DEAR BROTHERS AND SISTERS RELIGIONS ARE THOSE WHICH ARE MAN MADE PRINCIPLES OR lAWS means artificial management .
SANATAN DHARAM Hindusim = The whole world is one family .
Thanks Manoj ji for your kind words will appreciate if some thoughts are shared on our mail
Khud Bharat ke log apne aapko ek family mante hai? Dil par haath rakhke boliye. Duniya tak janeki kya jarurat hai? Ye dambh hypocrisy hai
Bahut jankari bhari baten.
Ours is सनातन धर्म... No mythology... Ye कोई दंत कथा नहीं है... So please do not use Word... "MYTHOLOGY "... SUBJECT को विस्तार से जानकारी दी जाय
Mythology is real 1000%
Mythology is wrong word
Mythology word replaced nowadays by new word truthology
Thanks sir ji Nice information
असुरी समाज में ब्याज लेना देना कोई भी बुरा नही समझा जाता था।बल्कि व्याज भी असुरी सरकार देती थी।और किश्तों में वसूल करती थी।ब्याज की दर सरकार तय करती थी।परन्तु निम्न वर्ग को मजदूरी मिलती थी।निम्न वर्ग में असुरों के द्वारा बन्दी बनाये गए गैर असुर थे।इन्हें इनके कार्य के हिसाब से दास बनाकर इन से कृषि पालन,उद्यान पालन यानि बागवानी और पशु पालन के कार्य लिए जाते थे।
Tumhe itna gyan kaha se aaya or itna bhadak kyo rhe ho, kuchh to sach hoga varna duniya to pagal nhi ho sakti
म्यूजिक आपके शब्दों से ध्यान भटक रहा है
Dhanyabad apka.....
थोड़ा साइंस और थोड़ा इतिहास और थोड़ा भारतीय इतिहास का ज्ञान प्राप्त करना अति आवश्यक है विज्ञान पुरातत्व विभाग इन चीजों का ज्ञान होना आवश्यक है
Very very very nice knowledge
Amazing
Radhe Radhe
I am asur
Mujhe iss duniya meh jeene ka ekdam maan nahi hai sab bure hai yaha sabh...
Hi hi ha ha ha ha haaaa.
Issi liye to tum khud pehle accha bano, aur dusro ko rasta dikhao.
@@mrcoolcanon Bhai ye duniya acchi baane de tabh na har jagah mujhe nirasa mili hai koi jagah ya koi Kona aisa nahi jaha Maine mehnat nahi Kiya but noone need my work they only need my talent for profit
मानव के अलावा बाकी कहा है दुनिया में
भगवान को मै मानता हूं पर बाकी कहा गए
ये बताइए आचार्य जी
डायनोसोर कहा गए वहीं गए
@@sumit04125 accha phir manav kese bcch gye humm bi to the tbb bhi
@ Rajat Thakur, to ye batao fir deer, Elephant, lion monkey, etc kaise bacha
@@sumit04125 mujhe kya pta .. m to agyani hu m aap jese budhijeevi se sawal hi ker skta hu... Aapko pta h to btaye kese bcch gye ye jeev jantu ...
Rajat thakur mitra,.aapne shayad kalyug ke prarambh kaise hua ye thik se dekha nahi,. Raja parikshit ne Kalyug ko ka rahane ka sthan diya ye to pata hi hoga na uska result hain ye hain
असुर राज्य में पुरुष को अगर अपनी विवाहिता नारी से सम्बन्ध विच्छेद करने होते थे।तो उसमे भी नारी की सहमति जरूरी थी।यानी नारी की सहमति के वगैर पुरुष कोई भी तलाक़ नही दे सकता है। परन्तु विवाहित सम्बन्ध के दौरान नारी के किसी भी विवाहित मर्द से सम्बन्ध होने पर पति अथवा पुरुष अपनी विवाहिता नारी को कोई भी शब्द कहकर तलाक़ दे सकता था और विवाहिता को पिता की तरफ से मिली हुई 50% सम्पति और धन का पूरा अधिकारी हो जाता था।और ये सम्पति भी पुरुष को और उसकी औलाद जो मिल जाएगा।
Very good but back ground music 🎶 is not necessary it's
Nice introduction
Dhanywad
AAP to Dhanya h Anand ji !!!!!
Aaj tak AAP kaha the??
Yeh sab category ke collection kar rahe
Agar Yaksh ne sareh Pandav Bhai yo ko jivit nahi kiya hota toh तिनो लोको मे shree Krishna K krodh se उस यक्ष को कोइ नहि बचा पाता ।😂😂😂
जय श्री कृष्ण।🎉🎉🎉
कृपया गंधरवो का भी विवरण अलग से दे
Viewers ke question bhi lajawab hai unki soch bhi sahi ko janna chati hai asal mein Parmatma Ishwar Allah Bhagwaan God kaun hai kaun batayega kya har majhab ka mulla pandit ya majhabi granth batayega? Sawarg Nark kisne dekha kaise pata chala ye to majhabi gyan hai aapne jo bhi bataya woh insaan ki prajatiya batai asal se aap bhi sankuchit gyan ke sikaar hue. Hum to sarasthi ka rachiyata kaun hai saakar ya niraakar uska gender uski bhasa kya hai is visay par prakash daliye
Asur series ki baad aayi hu 😜😜
I am also here to watched Asur series
Not so impressive and interesting neither informations
Asure means adiwasi jo aj ke samy me kha jata hai jaise bhil gond munda etc.rachhse means rachhak hota hai.
Lol
@@abhipraaysharma6363 ye chup
Asur webseries main kya bataya hai
Wrong rakhsas were the adivasi people,There name was given since they protect there jungles from human,
Rakhsas were regarded threat to human race not gods,whereas asuras were threat to gods
Basically asuras were those gods who have lost battles
आपकी ये व्याख्यान की आधार (reference) क्या हो?
Like
🌺☘️❤️🌼🙏🏼
Sir apko knowledge to hai but apko ye samajhana ni aata ap confused h
Sahi kaha
Aadhyatmik hota kya h ?
Apne kaha ki manushya yoni me hi adhyatm ho sakta h
तमीज़ सीख लो चाचा..!
ये माइथोलोजी क्या होती है.! 🤔
ऐसा ग्यान देने से अच्छा आप कोई भी ग्यान न दे, हम अनपढ़ ही अच्छे बस हमारे इतिहास का अपमान न करे यहि कृपा होगी आपकी || 🙏🙏
Bhai mythology word se kya problems hai, ye sirf ek shabd he toh hai
@@shivanshchoubey8647 dictionary ho to search kr Lena mythology ka Matlab kya hota... Baki Mujhe Kuchh samjhane ki koi Jrurt nhi...
असुर के कुछ काम बताए जो आम जनता को नुकसान पहुंचाया हो।
@Krishna Chouhan bc kar rahe ho.... scientific explanation do?
Please show your references
Asur is greater than Rakshasa, Rahu is Asur but Vibhishana is Rakshasa
Interesting topic. Good talk. Would have been easier to follow without the distracting and annoying 'music'.
Tumlog sanko gumrah krke rkha hai
Sir what is different between Rakhysh and Saytan (WESTERN cultura). What is Jin?
Thank you sir for your great information . I can understand hindi properly . But I always little doubt about "Saytan" which shown in Hollywood movies that people are agreement with Saytan and they got many problems or go to hell. According to Hindu religion what is this?
They r demons
Or maybe asurs
Please don't use mythology word🙏
Hare Krishna 🙏
क्या जाति के कारण असुर माने जाते थे , या उनका कोई दोष भी था?
नहीं जाति के कारण नहीं अपनी आदतों के कारण।
Yeh sab bakwaas ki baatein hain....hum sab ek hi panch ungli waley Insaan hain joh do paron pe khade hokar chalte hain....why the Puranas discriminate people with their physical and mental differences...I'm confused about the Mechanism of Human.
मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं उनके बारे में बताएं।
@Mohammed Sultan aap mere sawal ki gehraai Nahin Jaan paaye. Homo saipens ke alawa insaano ki aur Kai species paayi jaati Hain. Amazon ke jungles mein aur Indian mein Himachal Pradesh ke ass pass Kai Baar logon ne ajeeb se baalon waale prani ke nishaan paaye hain ya uski akriti Dekhi hai aur wo hamari hi tarah do pairon par chalta hai. Toh aisa possible ho Sakta hai ki insaan ki ek se zyada prajatiyan paayi jaati hon.
Knowledge gain ingredients
साहेब फक्त वेदाचा रेफ्रान्स घेऊन सांगा कृपया
Sir maine kisi adhyatmik channel par ye dekha ki jo Gandharva hai wo dharti par janam le rahe hai aajkal to kya ye sach hai
ये लोग कहा रहते हे
Aur mene kinnar bhinsune he en list me me 10 sal sey en prakaro par soch raha hu pahli bar espe video dekhi specific
What about naag 🐍
Kya ye sare 33 prakar ke devtao me ate hai
Why you wrote gospel truth for vedas. Is it related to evangelical teachings????
🪽परमशांति🪽
Sir Alean kis srni me ate hain.
manushya janm durlabh hai yah mile na barm bar
Tarwar se patta tut gire bahar na lagta dar
सुरा मतलब शराब ठीक है। अब जो सुरापान करे (अर्थात जो शराब पिए) वो सुर यानी देवता और जो सुरापान ना कर (अर्थात जो शराब ना पिए )वो असुर यानी राक्षस । क्या मजाक है!
Kundli me rakshas hu me eska kya matlab
Yaksha aur Rakshasa Bramha Dev ki jamhai Jal mein girkar do tukde ho jati hain usase do samuh mein loag Manav sakshya rup mein paida hote hain ek taraf ke loago me kaha hum Jal Yakshana karenge ve yaksha kahlaye Yakshana ka matlab poojan se hain, wohi dusari ore jin loago ne Jal Rakshana kaha wohi Rakshasa kahlaye Ravan Sanhita likhit hain.
Yeh sab kaha gaye bhaai?
Saitan kya hota h guru ji
सर अप्सरा परी किया होता है
Apsara swarg main rehti hai aur 72 hoor jannat main rehti hai . Yeh islam Hinduism se hi yeh concept liya hoga .
Kya asur Or bhutpret ek hai?
Gurujii, sirf manushya hi saadhna kar sakte hai, yaks, gandharva, devtaa kyu nahi. Manushya yoni koo itna bhagyashaali kyu batayaa gaya hai...
Aap ki jaati walo ne hi garibo ko shudra banya thaa
शुद्र भी इंसान ही हैं हर सेवा करने वाला इंसान शुद्र हैं । और जन्म से हर एक इंसान शुद्र ही होता है।
Ravan.ki.kuli.batao.ji
Mythology is not appropriate word please use history 🙏
ʟ
पागल ना हो तो पगलैती सुनो ।
Can jaats really I was a sons of veerbhadra
Bichho vansh,Naag vansh,bhakshanar kahan gaye ?
Shiv kis category ke hai
Vo aadi anant ha
Sir Iswar or devta kya thoda alag hai?
@Bhai Bhai or Yaksh,Yakshini e sab?
@@ironman-3000 ooo samaj main aya Kya yaksh ka sadhana accha hai yah yakshini ka?
@@ironman-3000 sir main 20 saal ka hu ain Narashima devta ka bhakt hu par sadhana kaise suru karu,diksha kiska lu pata nahi?
@@ironman-3000 oh dhannabad bhaiya
@@ironman-3000 ooo thank you bhaiya
Aap jalpariyaon ke bare mein nahi bataye
Shyam manav . pata hai na ?
Are sapth rishi human
Yes they were normal humans before becoming rishi
Guru ji Gandharab jati Ac, ha ya Bc, Ob ha Bataie...?
Mahashay hindu nam ka koi dharm hi nahin to ye rakshas kaha se aye aye ye bharat mein hi kyun ghuse america rus england kyun nhi gye
Sir contact no. Milega kya
Mythology lol
असुर के बारे मे नही बताये बे
Dalit aur aadivasi Hindu nahi hai... kyunki Hindu me adivasi ko asur aur Dalit ko shudra kaha gaya hai... aur koi v apne ko neech jaati ki category me nahi rakhna chahega... Hindu dharm sirf brahman aur chatriya aur वैश्य category k logo k liye hai
जी नही आदिवासी के लिए वनवासी बार बार आता है राम जी त़ वनवास में उनके साथ रह रहे है वाल्मिकी जी भील आदिवासी थे लेकिन रामायण लिखते है और हर हिन्दू के लिए सम्मानित है कि भगवान का दर्जा तक दिया जाता है तो ये तो गलत है और कौन सा असुर जंगलों में रहता था सभी के महल थे ठाठबांट था तो आदिवासियों को असुर कह कर अपमानित न करे प्लीज और हर असुर बुरा नही माना गया है असुर राज बालि को तो कल्कि अवतार के समय इंद्र बन कर धर्म रक्षा मे लड़ने की बात है तो कांसेप्ट क्लियर करें । मै नही कह रहा कि आप कह रहे कि जो शूद्र है अगर आपके अनुसार केवल दलित है तो शूद्र वैदिक वर्ण व्यवस्था का हिस्सा है तो यही से वो सनातनी हो जाते है, आर्य को चार वर्णों मे बांटा जाता है ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र और हर कोई जन्म से शूद्र है कर्म से वर्ण मे बंटता है जिन जातियों की बात कर रहे है वो केवल शूद्र मे क्यो है क्योकि वो सेवा क्षेत्र में काम करते है जहां सेवा के क्षेत्र बहुत सारे है उनके द्वारा बंट गए लेकिन सभी सम्मानित है आज के दृष्टिकोण से मत देखे आज लोकतंत्र है तब राजतंत्र था व्यवस्था में अंतर सामाजिक परवेश में अंतर है दोनो की तुलना अलग अलग करें वहां आज की तरह नौकरी की भर्ती नही निकाली जाती थी । हां भेदभाव जो समाज में व्याप्त हुआ गलत था धर्म विरूद्ध है क्योकि वेदों में शूद्रों को सम्मानित बताया गया है और वो समाज अलग है राजतंत्र है एक ओर सेना चाहिए रक्षा हेतु तो योद्धा जैसे तो क्षत्रिय दूसरी तरफ समाज में आध्यात्मिक , वैज्ञानिक, शैक्षिक, अनुसंधान आदि चीजे चाहिए तो ब्राह्मण जो तब के विद्वान होगे , राज्य राजस्व से चलते है तो एक वर्ग पूरी तरह से व्यापार में लगा रहे अन्य कार्य की जगह तो इन्हे अलग संरक्षण मिला बाकि इनके अलावा बहुत से कार्य है जो तो वो सभी शूद्र जो सेवा क्षेत्र हो गया। बाद के बहुत से विदेशी यात्रियों ने यहां चाणक्य आदि ने भी समाज को चार की जगह पांच वर्णों मे बांटा है जिसमें पांचवा वर्ण अन्य जन प्रयोग कर रहे है क्योकि ये कुछ बाहर देशों से बसे सनातन समाज का हिस्सा बन गए अफ्रिका आदि से गुलामरूप में यहां बस गए आकर व वैदिक अपनाया तथा कुछ यही के है लेकिन कुछ कार्य या खानपान आदि उनके अनुसार अनुकूल न होने के कारण उन्हे बाहर गांव में स्थान दिया गया और इनके साथ ही भेदभाव जातियों में छुआछूत जैसी बकवास चीजे पाई जाती है हर शूद्र दलित नही है हर दलित शूद्र नही है ये आधुनिक शब्दावली है और जो बाद में शूद्र में कार्यो की विवधता इतनी की कार्य परिवर्तन आदि के कारण शूद्र में सभी सम्मिलित करके आधुनिक विद्वानों ने देखा तभी वर्तमान में भी जिनको आप वर्ण व्यवस्था में शूद्र मानेगे उनमें हर शूद्र भेदभाव छुआछूत से ग्रसित नही है उल्टा ओबीसी की जातियां व स्वयं एस सी की कुछ जातियां एस सी ही की कुछ जातियों को नही छूती थी या स्वयं के उनसे ऊपर मानती है । हमारे यहां ही बहुत सी दलित जातियां कुछ जातियों को अपने साथ बैठाना खाना पसंद नही करती है ।अब लोकतंत्र है समाज में बदलाव आ रहा है जागरूकता आ रही है इस विष को समाज से समाप्त करना जरूरी है। एस सी समाज में भी देखने को मिल रहा कि वो स्वयं जिस जातिवाद से ग्रसित थी वो स्वयं अब किसी जाति विशेष से नफरत करके जातिवाद को बढ़ावा दे रही है जो बाबा साहब की शिक्षा के खिलाफ है मानव को समानता पर लाना है किसी को उठाकर नीचे गिरा कर करेगे तो पुराने समय व अब में अंतर क्या रह जाएगा देखा जाएगा।असल में मूलनिवासी देखा जाए तो केवल गोण्ड जनजाति है सबसे पुरानी बाकी सभी बाहर से आए है और भारत में बसे समय के साथ एक समाज व सभ्यता बने व धर्म में बंधकर सनातनी बने । समाज बदल चुका है तो समय पुराना छोड़ा जाए आगे बढ़कर देश की एकता का काम करें और इन बुराई को एक साथ समाप्त करे जब तक साथ नही होगे काम नही बनेगा।
Ravan kon hay....????
Ravan ka pita Brahman tha aur uski maa Asur
Please don't use mythology word 🙏
Tmhe khud bharosa nahi h jo tum bol rhe... Warna ancient history bolte... Mythology nahi
Esme shudra ka naam nahi he
Bhai sudar bhi manav hi hote he
बकवास, झूठ झूठ और सिर्फ झूठ
किसी बात में कोई तर्क नहीं है.
Mythology bolte ho ho aur gyan baar rhe ho
You are Christian fault Sare religion me hai Jesus was born from virgin really had comedy hai
Bakwas
Yaksh = good jinn i think
Sab chutiyapa hai
asur are indian adivasi
Not at all.
Kya manubadi davara paida kiya gaya devata balatakari nahi tha ager tha to uska puja kyun ye devata manubadi ka purvaj h