नदियों के संरक्षण के लिए जन सहभागिता जरूरी: गंगा समग्र । देखिए शानदार परिचर्चा। The Siwan Dialogue

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 16 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 4

  • @sunilsvm5075
    @sunilsvm5075 3 місяці тому

    सराहनीय

  • @jaiprakash1428
    @jaiprakash1428 3 місяці тому

    अच्छी पहल

  • @PremranjanJha-n9v
    @PremranjanJha-n9v 3 місяці тому +1

    एंकर जी,
    थोड़ा सनातन धर्म के बारे में पढ़ कर आया करो। फिर एंकरिंग किया करो। सनातन संस्कृति के इतिहास में राजा "सागर" कोई हुआ ही नहीं है। हां राजा "सगर" हुए हैं जिनके अपने साठ हजार पुत्रों की मुक्ति देने हेतु उनके ही वंशज भागीरथ ने ब्रह्मा पुत्री गंगा को अथक प्रयासों से स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे। अब यह मत कहना कि एक "आ कार की मात्रा" से क्या अंतर पड़ गया। वैश्या में आकार की मात्रा है और वैश्य में आकार की मात्रा नहीं है। दोनों ही के अर्थ में धरती और आकाश का अंतर है। अगली बार या तो सनातन धर्म पर पूरा अध्ययन कर के बोलो या बोलो ही नहीं। और दूसरी बात ये महानुभाव वक्ता का नाम श्री जय किशोर पाठक है, राज किशोर नहीं। किसी को भी गलत नाम से पुकारना असभ्यता माना जाता है। अस्तु। 3:48

    • @parmarmedia01
      @parmarmedia01  3 місяці тому

      मुझसे गलती हुई हैं। मैं अपनी ग़लती स्वीकार करता हूं।
      भविष्य में ख्याल रखूंगा।
      क्षमा प्रार्थी हूं।
      आशा है कि आप मुझे माफी देते हुए,अपनी गुस्सा को शांत करने की कृपा करेंगे।