श्री सिन्हा गुरु जी यह उपयोगी विशेषता है कि वे धार्मिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक ज्ञान को आज. वर्तमान परिस्थिति के लिए भी उपयोगी बना देते हैं. जैन महाव्रतों का सामयिक सन्दर्भ में सुन्दर व्याख्या के लिए हार्दिक धन्यवाद, नमन. बेहद की परमशान्ति.
गुजजी ने बड़े सरल शब्दों में जैन दर्शन समझाया. पर ब्रह्मचर्य की व्याख्या बहुत ही सिमित लेवल पे की है । विजातीय आकर्षण से बचना नहीं है. उसे समझ कर उसकी निरर्थकता और क्षणिकता का अनुभव करना है । जब साधक आध्यात्म मार्ग पर आगे निकलता है तो ब्रह्मचर्य सहज बन जाता है। दमन नहीं शमन कर ने की बात जैन दर्शन में बताई है। स्त्री और पुरुष दोनों ही आत्माये है सभी से समभावपूर्ण वर्ताव होना चाहिये
अजैन होने के बाद भी इतना ज्ञान बहुत बड़ी चीज है। जैन हो या अजैन किसी इंसान में अनेक धर्मों का , दर्शनों का इतना ज्ञान होना बहुत बड़ी बात है। आज इंटरनेट के जमाने में ज्ञान मिल जाता है इन्होंने कितना ज्ञान लिया ऑफलाइन बड़ी बात है। आज ये ज्ञानी नही रहे। 🙏
Hindus, Muslims and modern secular historians have ignored or hidden the information about the great contribution and history of Jains (Jinas) in India.
समृद्धशाली होना धर्म है। इसमे लालच नहीं होना चाहिए। लेकिन ये सम्भव नहीं होता इसलिए जैन नियम अच्छे तो हैं पर बात यही हो जाती है कि इससे दुनिया नहीं चलेगी
संभव आज नही है, तब सब कुछ संभव था। बड़े बड़े राजा सम्राट ने अपना पद त्याग कर साधु बने है। आज भी जैन साधु बहुत से ऐसे होते है जो करोड़ों का पैकेज छोड़ साधु बन गए है।
शत शत नमन ,
जैन धर्म को सरलता से समझाने का
आपका यत्न बहुत ही वंदनीय है
हम जैनी आपके आभारी है।
श्री सिन्हा गुरु जी यह उपयोगी विशेषता है कि वे धार्मिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक ज्ञान को आज. वर्तमान परिस्थिति के लिए भी उपयोगी बना देते हैं. जैन महाव्रतों का सामयिक सन्दर्भ में सुन्दर व्याख्या के लिए हार्दिक धन्यवाद, नमन. बेहद की परमशान्ति.
P.M Janiyo ko hona chahiye ❤❤❤❤❤
गुरु जी प्रणाम अति उत्तम प्रवचन धार्मिक बातों की जानकारी से मन बहुत शांत हुआ इन्हें हम अपने जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे बहुत-बहुत धन्यवाद
🙏
गुजजी ने बड़े सरल शब्दों में जैन दर्शन समझाया.
पर ब्रह्मचर्य की व्याख्या बहुत ही सिमित लेवल पे की है । विजातीय आकर्षण से बचना नहीं है. उसे समझ कर उसकी निरर्थकता और क्षणिकता का अनुभव करना है । जब साधक आध्यात्म मार्ग पर आगे निकलता है तो ब्रह्मचर्य सहज बन जाता है।
दमन नहीं शमन कर ने की बात जैन दर्शन में बताई है।
स्त्री और पुरुष दोनों ही आत्माये है सभी से समभावपूर्ण वर्ताव होना चाहिये
अजैन होने के बाद भी इतना ज्ञान बहुत बड़ी चीज है।
जैन हो या अजैन किसी इंसान में अनेक धर्मों का , दर्शनों का इतना ज्ञान होना बहुत बड़ी बात है। आज इंटरनेट के जमाने में ज्ञान मिल जाता है इन्होंने कितना ज्ञान लिया ऑफलाइन बड़ी बात है।
आज ये ज्ञानी नही रहे। 🙏
Hindus, Muslims and modern secular historians have ignored or hidden the information about the great contribution and history of Jains (Jinas) in India.
You are divine sir. 🙏🙏
बहुत-बहुत सुन्दर गुरुदेव प्रणाम
Sadhu Sadhu🙏🌺
सारगर्भित विवेचन।
शत शत नमन।
Wahhh
34:00 Important Point
Sadhu ,sadhu...
Sadhu sadhu
समृद्धशाली होना धर्म है। इसमे लालच नहीं होना चाहिए। लेकिन ये सम्भव नहीं होता इसलिए जैन नियम अच्छे तो हैं पर बात यही हो जाती है कि इससे दुनिया नहीं चलेगी
संभव आज नही है, तब सब कुछ संभव था। बड़े बड़े राजा सम्राट ने अपना पद त्याग कर साधु बने है।
आज भी जैन साधु बहुत से ऐसे होते है जो करोड़ों का पैकेज छोड़ साधु बन गए है।
Kandamul or pain me bhejeevhye
🙏🏻