कुंडलपुर की घटना पर मुनि श्री सहज सागर जी महाराज क्या बोले
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- Опубліковано 5 лют 2025
- कुंडलपुर की घटना पर मुनि श्री सहज सागर जी महाराज क्या बोले
कुंडलपुर मामले पर आचार्य श्री सुंदर सागर जी महाराज ने क्या कहा
कुंडलपुर कमेटी द्वारा स्पष्टीकरण जानिए
कुंडलपुर कमेटी माफी मांगने पहुंची क्या कहा अंतर्मना जैन आचार्य जी ने
आखिरकार क्यों हुआ उपवास ठिठुरन भरी सर्दी में अंतर्मना सत्संग का कुंडलपुर से अचानक विहार
रोगों को मिटाने का उपाय
जानिए 31 दिसंबर का सच अशोक योग को शुभ योग में कैसे बदलें
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प्याज और लहसुन खाने में क्या दोष है
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कैसे करें साल 2025 को मंगल
बुरी नजर किसको किसकी लगती है
जिनको भी अपनी मंजिल पाना है वह यह बात जरूर सुने
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हिंदू धर्म और जैन धर्म में क्या रिश्ता है
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45 नंबर का काव्य असाध्य बीमारोयों को ठीक करने के लिए पढ़ते हैं फिर भी लाभ नहीं मिलता क्यों
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भक्तामर स्तोत्र कौन से तीर्थंकर का है और कैसे part 2
भक्तामर स्तोत्र सबसे प्रसिद्ध स्तोत्र क्यों
भक्तामर स्तोत्र की रचना की कहानी
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जब जीवन में ज्यादा समस्याएं आने लग जाएं तो बस एक काम करना है
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जब भी आपको घबराहट हो तो बस आपको एक काम करना है
नजर लगी है कैसे पता चलेगा और नज़र उतारने का उपाय
जो व्यक्ति मंदिर में सांसारिक बातें करता है उसका क्या होता है
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सबसे पुराना जैन धर्म कैसे | जैन धर्म की ही परीक्षा क्यों होती है
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अगर आपको कोई बुरा भला कहे तो क्या करना चाहिए
पंचम काल में किस आचार्य ने साक्षात अरहन्त भगवान के दर्शन किए
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क्या आप जानते हैं कुंद-कुंद आचार्य सर्वमान्य आचार्य क्यों हैं
सुदामाजी निर्धन क्यों हो गए थे
स्त्री पर्याय का छेदन कैसे कर सकते हैं
जब भी आप मंदिर आएं तो दो बातों का ध्यान जरूर रखें
बाल काटने और नाखून काटने के बाद कितने समय तक अभिषेक नहीँ कर सकते और न ही द्रव्य चढ़ा सकते हैं
सम्मेदशिखर पर चोपड़ा कुंड पर भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर क्यों बनाया गया था
एक श्रावक की क्या परिभाषा है
संसारी प्राणी की अंतिम यात्रा में तीन चीजें ही क्यों जनकी जाती है
शांतिधारा कौन सी करनी चाहिए
भगवान की शांतिधारा एक ही व्यक्ति को करनी चाहिए कि बीच-बीच में हाथ लगाते रहना चाहिए
शांतिधारा के अंत में जो छंद पढ़ते हैं उसकी चौथी लाइन में शांति पढ़ा जाता है या शांतिम
भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर अभिषेक कहाँ होना चाहिए
मस्तक पर अभिषेक करने के बाद चरणों और कंधों पर अभिषेक कर सकते हैं या नहीं
अभिषेक के समय 9 स्थानों पर चंदन क्यों लगाया जाता है
शांतिधारा के बाद अभिषेक करना चाहिए या नहीं
गंदोधक कब लेना चाहिए
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अर्हम का पाठ
कायोत्सर्ग कहाँ से करना है और क्यों?
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मंदिर में द्रव्य कितने पुंज चढ़ाना चाहिए
हम द्रव्य लेकर मंदिर क्यों जाते हैं
सुयोग्य नंदिनी माताजी के प्रवचन
सुधा सागर जी महाराज के प्रवचन
शंका समाधान
जैन भजन
मेरी भावना
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100%सत्य
नमोस्तु गुरुदेव
Namostu maharaj, sahi kaha
Bilkul sahi ha
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कुंडलपुर कमेटी हमेशा से ऐसी ही है वो छोटे शहर और बड़े शहर के लोगों को धर्मशाला देने में भेद भाव करती है, साधु में भी , ये साबित भी हो गया मेरे साथ भी बहुत बार ऐसा हुआ है और भी बहुत लोगों के साथ ऐसा हुआ है , चेहरा देख कर काम होता है वहां
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Yah sab terapanthi bispanthike chakarme horaha yadi picchi kamandaldhari koibhi muni kahibhi vicharan kare unka acchese swagat karna sabka kartavya hai kitne din munigan rukte hai do pach dinke liye
Jain dharm ke sidhant kitne ucche hai aaj sary world ke problem solve ho sakte asj himko jain dharm ka prachar prasar karna hai per aaj jo ho raha hai ye vicharniya hai aaj ek trust ek paranpara,swami naryanvalo ki ek guru nirdesh ek trust se sary desh mai faila rahe aur hum sab se pracheen dharm aaj kya stithi ,aaj you tube video se aur jyada ....aaj soachana hoga jain dharm ko
कुण्डलपुर प्रकरण में दोनों पक्ष दोषी हैं, समिति गलतफहमी और समझदारी के अभाव से दोषी है, मगर मुनि श्री यदि सम्यक्तव सहित है तो उपगूहन अंग का भाव रखते, परिषह समझकर सहन करते या उपसर्ग मानकर समताभाव रखते, प्रचारित न करके, अब कह रहे हैं क्षमा तो कर देंगे मगर भूल नही पायेंगे, मतलब बैरभाव कर लिया, मुनि पद की गरिमा का भी ध्यान नही किया, अकंपनाचार्य, गजकुमार, यशोधरमुनि आदि मुनि ने तो किसी को दोष न देकर उपसर्ग सहन किया । ऐसे सच्चे मुनि का अभाव हो गया। सब दिखावे के मान, सम्मान, लोक प्रसिद्धि के लिए मात्र बाह्य भेष धारण वाले दिखाई दे रहे। हे प्रभु, आगम की मर्यादा का ध्यान रख लेते।
कमेटी गलत है गुरुदेव सही है
मंदिर की कमेटिया अपने को सर्व संपन्न मानती है और अनावश्यक सभी को परेशान करती है इनको केवल फंड से मतलब रहता हैं बड़ी शर्मनाक घटना है कि इस भीषण सर्दी में समस्त संघ का उपवास हो गया कमेटी के दुर्व्यवहार के कारण बड़े बाबा की धरा पर इस प्रकार की घमंडी कमेटी को तत्काल इस्तीफा देकर प्रायश्चित करना चाहिए
उपसर्ग मानकर ही तो मुनि संघ ने विहार किया श्रीमान ओर सभी का उपवास भी हो गया आप अनावश्यक ही समिति के किए गए कृत्य को गलतफहमी बता रहे है समिति ही पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं
Ye koi songadh ke manushya hain
Ya muni virodhi parampara ko manane bale hain
Yeh pheli baar kisi muni sangh ke saath nahi hua kundalpur main, yeh Kai baar ho chuka hai and sadhu maar kartey hi hai tabhi yeh baar baar ho raha hai! Agar nahi bolenge toh aage yeh durvavyahar chalta rahe ha! Samaj ki jimadaari hai sadhu ki Raksha karna or agar Samaj take kuch log hi sadhu ke saath aisa vavyahar karenge toh kaisey suraksha hogi! Dhyan de sadhu surakshit hai toh samaj hai varna sab kuch khatam hai!