कर्ण को मिले पांच बड़े श्राप और उनका सच | Karna's 5 Crushes and there truth
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- Опубліковано 27 сер 2024
- कर्ण को मिले पांच बड़े श्राप और उनका सच | Karna's 5 Crushes and there truth
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करण बहुत बड़ा योद्धा था
Karna, Yudhishtir, Bhim, Arjun, Nakul, Sahadev, Ram, Lakshman, Bharat, Shatrugan
Karan is best worrier in all of Mahabharat
चीरहरण के समय उस महल में कर्ण के साथ साथ पितामह भीष्म ,द्रोणाचार्य ,कुलगुरु कृपाचार्य , महाराज धृतराष्ट्र, महामंत्री विदुर,और पांचों पांडव जो सक्षम थे ,उन्होंने क्यों कुछ नही किया।
Karn se sresth Arjun tha
❤
❤❤❤❤❤❤
ma
tv सीरियल है जिस कारण लोगो मे भ्रम है
Mani garnth to nahi parha magar t.v. serial me to yahi dekhay gaya the
Karn ek achha dost bhi thha
agar karn ko dhram ka sath dena hota to vo angdesh ka raj chhod ke krishna ki saran main chale jata ya mahabharat yudhh ke baad arjun se lad leta ,ese vo duryodhan ke upakar se mukat ho jata lekin vafadri ka choga pahenke usne sirf adhram ka sath diya aur arjun se irsha karke chalte mahabharat yud main sirf arjun ko hi marne ka pran liya jabki yuddh to yudhisthir ke marne ya bandi banse jita jata.iske pichhe ka karan hain uska kavach kundal joke ek danav ka tha aur us danav ka sanghar nar narayan ne kiya tha,usi nar narayan ka roop arjun aur krishna the,jabki karn us danav ka roop tha,aur is liye irsha aur strio ko apmanit karne ki adat usme raheti thi..usko sirf arjun hi nahi bhism,dron aur jarasangh se bhi utni hi irhsa thi jitni arjun se...
कर्ण को बडा बनाया गया हैं |
द्रौपदी ने उसका अपमान कभी नहीं किया था | और वो तब दान करने लगा था जब उसे श्राप मिला था | उसका परिमार्जन करने के लिये |
Karam dharm acha ho par ak mahila ka man na rakhe to kam ka nahi
It's difficult to say, who is more brave, Arjun or Karan? J. P.
Arjun key pass 5 tara ki Dhanush vidiya chalaney ka tareka malum tha jo us time bhagwan Shree Krishna Arjun ko malum tha
Bajrang Bhai kiya Sahi kaha hai Aap ney
Hamra natak Sony tv 😄😄
Draupadi swayamvar mein swayam dropati ne angraj Karn ka virodh sutra badi samaj mein apman Kiya
Arjun tha saresth dhanudhar
Karn hamesh jalta rahta tha use bas sarvashreshtha dhanurdhar kahlane ki chahat thi jiske karan arjun se jalta tha varna arjun ne to uska kuchh bigada bhi nahi tha. Isi jalan ne uski ssari jindagi ko andhkar me dhakel diya aur dharam se door le jakar uska nash kar diya.
Ore ish samay rajkumaron ko hi dhonur vidya milta tha or unhe ish she bonchit korwana chahte the ishiliye sob ko logta he ki wo sirf yudh chahte the
तो द्रोपदी ने क्या किया था सुतपुत्र कह कर कर्ण का अपमान किया था
Main Aapka Channel Unfollow kar chuka hun Sir,
Fir kuch cheeze poochna Chaunga aapse.
1. Ek Suta ne apne Sangharsh aur Jeevan iyam ka paalan krke ek Raja ka pad Prapt kiya. Wahi Pandavo ne sab kuch milne k baad sab kuch kho diya
Saralta se mili Suvidhao aur aisho Aaaram k saath shiksha lena, aur jhopdi mein roz samaj k taane sun vidya ka abhyaas karna..
Yaar @Bajrang Prajapati .... Tujhe in dono mein farq samajh mein aata hain ya nahi aata hain... ya tu jaan bhoojhkar apni Beijatti krwane aata hain.
Bhari Rangbhoomi mein Kisi ko Suta kehne ka Adharm Paandavo ne kiya tha.
Ye wahi Paandav hain jo apni jeeti huyi biwi ko Bhiksha bata kar hatinapur le gaye aur fir Juye m haar gaye.
Isi biwi ne Bhari sabha mein ek Mahaan yodha ko suta kehkar samodhit kiya tha jo baad m jaakar poore sansaar ka Sarvshrestha Yodha kehlaya.
Yeh Wahi Karna hain jo roz sawa man sona daan kar dete they.
Apni biwi k jevraat dhang se check kr lena ka. ye wahi sona hain jo karna bina soche samjhe roz daan kr diya karte they.
Soch to lo pehle kya likhna hain yaar.
Mahabharat padho TV serial dekhkar sach mat maano Bhai... Cinema massla lagata hai... Vastvikta nahi batata
@@Shabdbaan To Sir aapne kaun sa asli granth pad liya. Hum sab idhar udhar se padkar hi bol rhe hain.
Aur Sach to ye hain ki sab log apne channel ki popularity ke liye Arjuna ko Hero dikhate hain. YE SACH HAIN MERE BHAI.
@@AmanSinghvlogs915चल भाई मैंने ये माना की की लोग और सीरियलस अर्जुन को बहुत अच्छा दिखाते लेकिन
एक बात का उत्तर दीजिये भाई की अगर अंगराज इतने अधिक अच्छे थे तोह उन्हे महाभारत जैसे महान तथा विशाल युद्ध मे पराज्य का सामना क्यों करना पड़ा क्यों हार गए अंगराज कर्ण उस युद्ध को 👌👌👌
दूसरा प्रश्न = अर्जुन अगर इतना ही गलत थे तब तोह मेरे भाई भगवान श्री कृष्ण जी ये सब जानते हुये भी उनके लिए अपने आप को सारथी क्यों बना लिया जरा इनका उत्तर मिल जाता तोह अच्छा लगता भाई 👍👍👍👍👍👍👍
Gadhey@@knowledgekingHindi wo haarey nahi balki jeet gaye they.. Nihattha maara gaya unhe wo bhi nishastra .. Common sense use karo bhai. Aisi maut kisi yodha ko nahi mili.
Arjuna Ko sahi galat ka gyaan nahi tha. wo Archer achha tha lekin wo akela yudh nahi kar sakta tha. tabhi to usne shastra rakh diye yudh shuru hone se pehle.
wo gyaan Arjuna k liye nahi balki Arjuna jaise Anariyon ke liye they
@@AmanSinghvlogs915 क्या बात हैं भाई एक बार फिर से अपने ये सिद्ध कर ही दिया की आप केवल उतना ही देखते हैं जितना आपको सही लगता हैं वास्तव मे आपको केवल कुछ ही चीजे दिखती हैं और उनका पता हैं इस लिए आप आदि बात को पूरा सत्य मान लेते हैं इस लिए कहते हेना की ज्ञान बुद्धि को दिशा और मुक्ति देता हैं अज्ञानता का नाश कर देता हैं
माना सूर्य पुत्र कर्ण का जीवन संघर्षो से बिता हैं
लेकिन जिस अर्जुन को आप गलत मनाते हैं तोह,मेरा आपको निवेदन हैं भाई की पहले आप पूरी महाभारत को देखे अथवा पूरी महाभारत ग्रंथ पढ़ने का प्रयास करे
क्योंकि ज़ब बाते तर्क के आधार पे बात हो तोह जयदा अच्छी लगती हैं भाई चलिए आपके सवालों का जवाब ये हैं भाई
अंगराज को क्यों मिला श्राप
अंगराज कर्ण को श्राप भगवान परशुराम जी से ये झूठ बोलने पे मिला था क्योंकि वो शिक्षा प्राप्त करने भगवान परशुराम के पास आये थे एक ब्रह्मण बनके और थे वो एक क्षत्रिय थे लेकिन दुनिया उन्हें सूत पुत्र के नाम से जानती थी जानते हैं क्यों वो मे आपको आगे बताता हु
तोह ये बात का पता ज़ब भगवान परशुराम जी को चला की अंग राज तोह झूठ बोलके शिक्षा भगवान से लेने आये थे तब भगवान का गुस्सा करना लाजमी तोह हैं की झूठ बोलने के कारण ही तोह उन्हें महाभारत के युध मे अपने अतिम समय मे विद्या का वस्मरण हो गया अर्थात जो कुछ भी शिक्षा भगवान से प्राप्त की वो सही समय पे याद अपने के बजाए सीधा साथ क्योंकि उसका आधार झूठ था अगर जो झूठ ना बोलते तोह शायद आज अंगराज एक महान सर्वश्रेष्ठ धनोर्धर कहलाते
सूर्य पुत्र कर्ण उनका जन्म
क्योंकि वो माता अधीरत तथा माता राधये के पुत्र थे जो कर्ण के केवल पालने वाले माता पिता थे नाकि जन्म देने वाले थे क्योकी अंगराज कर्ण की माता कुंती जी के वो सबसे बड़े बेटे थे और सबसे पहले बेटे भी वही थे पांडवो के बड़े भाई वही थे और सूर्य पुत्र कर्ण का जन्म माता कुंती जी की शादी से पूर्व मे हुआ था और बाकि सभी 5 भाइयो का पांडवो से शादी के बाद वन मे हुआ था और सभी 6 भाइयो का जन्म महाऋषि दूर्वासा जी के मंत्रो के द्वारा हुआ हैं ये बात तब की जी जब एक बार कुंती जी के यहां भोज के लिए स्वयं रूद्रअंश महाऋषि दूर्वासा जी पधारे थे उनके उनकी सेवा सत्कार से ऋषि दूर्वासा जी ख़ुश होके उन्हें कुछ दिव्य मंत्र प्रदान करते हैं और उन से बोलते हैं की ये मन्त्र कोई आम मन्त्र नहीं हैं ये संतान कामना पूर्ति के दिव्य मन्त्र हैं जिनके एक बार मन मे बोलने से आप जिस भी देवता का विचार करके उन्हें याद करेगी तोह वही देवता आपके सामने प्रकट हो जायेगे और आपको संतान प्राप्ति भी करके देंगे
और तभीसे कुंती ये सोच रही थी क्या ये मन्त्र सच्चे होते हैं क्या मंत्रो के उच्चारण से भला सच मे कोई संतान पैदा भी होगी क्या ये सब उनके मन मे उठ रहा था की उन्होंने सोचा एक दिन इसे टेस्ट करने के लिए जगल मे जाकर ये मन्त्र का मन का ध्यान उच्चारण किया और सूर्ये देव को याद करके उनसे एक पुत्र प्राप्त की इच्छा मांगी और फिर होना क्या था बात एकदम सच हो गई वहा स्वयं सूर्य देव आकर के प्रकट हो गयें और कुंती जी को एक पुत्र होने का वरदान उन्होंने दे दिया साथ मे उस पुत्र की रक्षा के लिए सूर्य देव से आग्रह कर उनसे अपने पुत्र कर्ण को दिब्य क़वच और कुंडल भी प्राप्त कर लिए अब ये सब देखकर माता कुंती ख़ुश तोह हो गई लेकिन नियती ने सब कुछ एक पल मे बदल दिया ज़ब उनको एक रिश्ता आता हैं जो की हस्तिनापुर से आया था महाराज पांडू के लिए अब वो ये सोच मे पड़ गई की अब इस पुत्र का मे क्या करू अगर ये बात मालूम पड़ गई की मेरा बिना शादी के एक पुत्र हैं तोह मेरी शादी नहीं हो पाएं गी कभी नहीं इस लिए ना चाहते हुये भी उन्हें अपने दिल पे पथर रखके उन्हें गंगा जी के पास एक टोकरी मे छोड़नापड़ गया और आगे चलकर उनकी शादी पाडु जी से हो जाती हैं