नंदा देवी सिद्धपीठ कुरुड़ Nanda Devi Kurud दशोली पट्टी चमोली उत्तराखंड Explore Chamoli Episode-2

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 27 сер 2024
  • Hello Friends,
    नन्दा देवी इस मंदिर की मुख्य देवी हैं। नंदा भगवती की प्राचीन शिला मूर्ति पाषाण चबूतरे पर गर्भ गृह में स्थापित हैं। इतिहास अनुसार इन मूर्तियों की अर्चना मंदिर निर्माण से कहीं पहले से की जाती रही है। सम्भव है, कि यह प्राचीन जनजातियों द्वारा भी पूजित रही हो। यहां पर मां भगवती की शिला मूर्ति चतुर्भुज रूप में आप रूपी लिंग विद्यमान है। और प्रत्येक दिन पूजा के उपरांत मां नंदा को जो स्थानीय परंपरागत व्यंजन है पूवे ( गुलगुले, आटे और गुड़ से बना हुआ), मां भगवती को चढ़ाए जाते हैं। यही मां नंदा देवी का प्रसाद होता है।
    चमोली का नन्दा देवी सिद्धपीठ कुरुड़ एक मन्दिर है, जो भगवती नंदा (पार्वती) को समर्पित है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य के तटवर्ती शहर चमोली जनपद में स्थित है। नंदा शब्द का अर्थ जगत जननी भगवती होता है। इनकी नगरी ही नंदा धाम कहलाती है।[1][2] इस मन्दिर को नंदा का मायका मां नंदा भगवती का मूल स्थान यहां माना जाता है। इस मन्दिर की कैलाश यात्रा नंदा देवी राजजात उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर से नंदा देवी की दोनों डोलिया नंदा देवी डोली, उनके छोटे भाई लाटू देवता और भूम्याल भूमि के क्षेत्रपाल , दो अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर अपने मायके से ससुराल की यात्रा को निकलते हैं। श्री नंदा देवी राज राजेश्वरी कई नामों से पूरे ब्रह्मांड में पूजी जाती है । नंदा देवी राज राजेश्वरी, किरात, नाग, कत्यूरी आदि जातियों के मुख्य देवी थी। अब से लगभग 1000 वर्ष पुर्व किरात जाति के भद्रेश्वर पर्वत की तलहटी मैं नंदा देवी जी की पुजा किया करते थे [3] । मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव उत्तराखंड के कई नंदा देवी मन्दिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है।[4] यह मंदिर पहाड़ी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी कान्यकुब्जीय गौड़ ब्राह्मण हैं । सूरमाभोज गौड़ सर्वप्रथम यहां के पुजारी ही रहे हैं। वर्तमान में यहां पर दशोली क्षेत्र की नंदा की डोली, तथा बधाण क्षेत्र की नंदा की डोली यहां पर रहती हैं। दशोली (नंदानगर, कर्णप्रयाग, चमोली ब्लॉक) की नंदा की डोली साल भर यहां विराजमान रहती तथा बधाण की नंदा की डोली भाद्रपद में नंदा देवी जात के बाद थराली में स्थित देवराड़ा मंदिर में स्थापित हो जाती है तथा मकर संक्रान्ति में कुरुड मंदिर में पुनः आती है।
    thank you for watching this video !
    please also follow me on :
    facebook : / bhandaribro86
    instagram : / sandeepbhandari68
    #nandadevi #kurud #सिद्धपीठकुरुड़ #nandadevikurur #nandadevipeak #rajrajeshwari #heynanda #kahanimaanadadevi #kururdevi #kuruddevi #shidhpeeth #108shidhpith #chamoli # uttarakhand # himalayas #parvatraj #himalayas #kotikandara #noti #nandadakamaika #nandakidoli #dasholi #badan #kumau #ghadwali

КОМЕНТАРІ • 17