5000 साल पुराना महाभारत कालीन ढोसी का पहाड़ पांडव अज्ञातवास में यहां पर 5 वर्ष रहे अनेक राज हैं दफ़न
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- Опубліковано 19 вер 2024
- दोस्तो dhosi की पहाड़ी नारनौल से लगभग 8-10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है dhosi की पहाड़ी के चारो तरफ गांव बसे हुए हैं इनमे से थाना गांव कुलताजपुर गांव इसकी तलहटी में बसे हुए है विश्व में chawnprash का फॉर्मूला इसी पहाड़ी पर बनाया गया था लगभग 42 जड़ी बूटियों से सर्वप्रथम चवन प्राश यही पर बनाया गया था थाना गांव की और से पहाड़ी पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनाई गई है जिसकी रास्ते में उतार साहिब के साधना स्थल यह गुफा है वह देखने को मिलती है और पांडवों का अज्ञातवास भी इसी जगह पर हमें देखने के लिए मिलता है दूसरी तरफ कुलताजपुर गांव की तरफ से हम चढ़ते हैं तो वहां पर शिव कुंड है संस्कृत पाठशाला है जो हाल फिलहाल में मंदिर में तब्दील कर दी गई है उस तरफ से भी सीढ़ियां हैं उस तरफ से भी हम पहाड़ी पर आ सकते हैं एक मान्यता यह भी है कि वेदों की रचना भी सी पहाड़ी पर बैठकर की गई थी इस बढ़िया इस पहाड़ी पर एक अद्भुत जड़ी बूटियां हैं जिनका मनुष्य जाति में किसी को भी जन ज्ञान नहीं है पहले ऋषि मुनि इन औषधियों का ध्यान रखते थे उन्हें ज्ञान भी था इसलिए जब हेमचंद्र विक्रमादित्य हिंदू सम्राट को इस पहाड़ी की विशेषता के बारे में पता चला कि यह है अच्छी धार्मिक धरोहर है और अनेकों जड़ी बूटी है तो उन्होंने यहां पर किले का निर्माण करवाया लेकिन अकबर के साथ हार के बाद किले की द्वारे खंडहर बन चुके हैं जो कि उसके अवशेषों में आज भी देखने के लिए मिलते हैं ऊपर पहाड़ी पर हम जाते हैं तो यह बाहर से देखने पर शंक्वाकार की लगती है नीचे की तरह नीचे से देखने पर लेकिन जब हम ऊपर जाते हैं तो लगभग 10 एकड़ जमीन एक बार हिंदू राजा स्यात्रि की पुत्री सुकन्या पहाड़ी पर भ्रमण करने के लिए आई थी तब उस समय चमन ऋषि जी तपस्या में लीन थे वह कई वर्षों से तपस्या करें इसलिए मिट्टी आंधी वगैरा मिट्टी आने से उनके ऊपर मिट्टी का टीला बन चुका था राजकुमारी सुकन्या ने देखा कि टीला किस चीज का है तो वह उनके पास गई तो उन्होंने उस चीज को देखने के लिए उस टीले को लकड़ी से उसे साफ करने लगी तो वह सीधी लकड़ी चमन ऋषि जी के आंखों में चली गई उनकी आंखों से खून बहने लगा इसलिए राजकुमारी सुकन्या ने अपनी भूल का प्रायश्चित करने के लिए दोसी की पहाड़ी पर ऋषि जी की सेवा में लग गई और अंत में उनकी शादी भी चमन ऋषि जी के साथ हुई पहाड़ी पर एक कुआं है जिसका नाम चंद्रकुप हैं चमन ऋषि इस कूप मे नहाकर यौवन अवस्था प्राप्त कर ली थी यह बहुत ही अच्छा पर्यटन स्थल है देखने के लिए सोमवती मावस को यहां जो भी यहां नहाता हैं वह पापों से मुक्त हो जाएगा जिस दिन यहां पर भंडारा भी लगता है जब हम थाना गांव की तरफ से पहाड़ी पर चढ़ाई करते हैं तो रास्ते में ओतार साहिब वीरभान जी का समाधि स्थल और तपस्या स्थल भी आता है ढोसी की पहाड़ी अरावली पर्वत श्रंखला की एक पहाड़ी है जो हरियाणा के नारनौल शहर के पास है स्तिथ है और वर्तमान में ये पवित्र धाम है| कई लाख साल पहले ये एक ज्वालामुखी था लेकिन वर्तमान में ये निष्क्रिय ज्वालामुखी है| बताया जाता है कि 2 लाख साल पहले आखरी बार यहां लावा विस्फोट हुआ था जिसका प्रमाण पहाड़ी पर बिखरा लावा है जो इतने साल में पत्थर बन गया।
ना केवल ज्वालामुखी बल्कि ढोसी की पहाड़ी का भारत की संस्कृति और इतिहास में विशेष स्थान है। इस पहाड़ी का जिक्र हमें हिन्दू पुराणों और महाभारत में मिलता है। महाभारत के अनुसार अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां इसी पहाड़ी पर रुके थे। केवल यही नहीं बल्कि हिंदुओ के प्रमुख वेद भी इसी पहाड़ी पर लिखे गए थे और आयुर्वेद की सबसे बड़ी औषधि च्यवनप्राश की खोज भी नारनौल में ढोसी की पहाड़ी पर हुई थी।
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Music in this video:-
Song King's Men
Artist. Biz Baz Studio
Album. King's Men
Licensed to You Tube Audio Library
Very good vloging
Good work
Bahut achi jagah hai
Keep it up
Very interesting and informative
Good
Jay bajrangbali
Gachhh 😘😘
Thanks
Ghaggar Nadi par Tibbi or Anoopgarh mein jaisaimand jesi jheel Banaye Jaye,a
Ganga ki nahron chapra se bilaspur Nagpur Bidar benglore kanya Kumari two hundred mitar chody Ho nahron,pp