नमस्ते जी, वेदों के अनुसार परमात्मा सगुण और निर्गुण दोनों है,वेदों में परमात्मा को अजन्मा कहा गया है परमात्मा कभी अवतार नही लेते ,आप ये अपने भक्तों को अषुद्ध ज्ञान क्योँ दे रहे है ,वेदों के सही अर्थ को जानना है तो महऋषि दयानन्द के भाष्य को पढ़ना होगा और उनका लिखा ग्रंथ सत्ययार्थ प्रकाश पढ़ना होगा ,मुझे तो ऐसा लगता है आप भी कोई अलग मत खड़ा करना चाह रहे है
आर्य श्रेष्ठ... मैं इस देश के उन करोड़ों लोगों में से हूं जोकि अवतारवाद को मानते हैं। आप उन मुट्ठी भर महा ज्ञानियों में से हैं जोकि इस सिद्धांत को नकारते हैं। अतः मुझे कुछ नया मत खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं है। मैं तो बस इसी भीड़ का एक हिस्सा हूं, इसी धारा का एक हिस्सा हूं जो पहले से अविरल बह रही है। और उनकी आस्थाओं से अलग मेरी आस्था कुछ नहीं, बस मैं एक मंदिर का महंत होने के नाते उनको उसी ज्ञान का जिसको वह पहले से ही मान रहे हैं परिष्कृत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं। इसमें कुछ नया नहीं है नया मत तो तब खड़ा होना होता जबकि मेरा कोई भी सिद्धांत नया होता... अब अगर दूसरी बात पर आए, तो मेरा चैनल बहुत छोटा है 4 साल पुराना चैनल होने के बावजूद मेरी वीडियोस को बहुत कम लोग देखते हैं। मैं कोई बहुत प्रतिष्ठित या प्रसिद्ध व्यक्ति नहीं हूं स्वयं अपने खेत में मेहनत करता हूं और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार संसाधन जुटा लेता हूं, इसी में मुझे आनंद है इससे बढ़कर कोई मेरी महत्वाकांक्षा नहीं..! अतः आपको यदि विरोध करना है तो उन लोगों का करो जिनका प्रभाव बहुत दूर तक है और जिनकी बातों को बहुत लोग सुनते हैं। जिनके चैनल बड़े हैं... आपको विरोध करना है तो आप सद्गुरु का करो वह भी इसी विचारधारा के हैं जिस विचारधारा का मै हूँ लेकिन उनका आकार बहुत बड़ा है। आप कुमार विश्वास का विरोध कर सकते हैं, लगभग 3 मिलियन का चैनल है और उन्होंने बड़ी सुंदर रामकथा उस चैनल पर डाली हुई है। जिसमें उन्होंने भगवान राम को अवतार के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आपको विरोध करना है तो अनेक ऐसे सनातन प्रचारकों का कर सकते हैं जिनका प्रभाव बहुत ज्यादा है। यहां पर आपका प्रयास निराधार ही रहेगा। या फिर उसका प्रभाव बहुत कम होगा, यहां पर आपके ज्ञान से पूर्ण संदेश को बहुत कम लोग देख पाएंगे। अब प्रश्न आता है वेद के पढ़ने का..! तो प्रयोग मैंने वेद को पढा है लेकिन आप ईमानदारी से पढ़कर देखना। ऋग्वेद को शुरू से पढ़ना किसी भी भाष्य को क्यों पढ़ते हो। मूल रूप में पढ़ो और समझो आप ज्ञानी है संस्कृत तो जानते ही होंगे स्वयं समझ कर देखो वेद क्या कह रहा है... कितना ज्ञान वहां से आप प्राप्त कर पा रहे हैं। बाकी आप सत्यार्थ प्रकाश का जिक्र कर रहे हैं तो यदि परमेश्वर की आज्ञा रही और कोई मौका आया तो मै एक श्रंखला लेकर आ सकता हूं सत्यार्थ प्रकाश पर...! जहां पर कुछ प्रश्न होंगे... हो सकता है कि आप जैसे जानी लोगों से उनके उत्तर पाकर मैं कृतार्थ हो जाऊं। और लोगों को भी बहुत सारा ज्ञान मिले। आपके श्री चरणो में सादर नमस्ते...! ज्ञान अमृत की वर्षा नित्य प्रति करते रहिएगा।... हरिॐ हरे कृष्ण ।
@@AnandDhara श्रीमान जी मैंने जो भी कहा था वेदों के आधार पर कहा है ,और मैं कोई बड़ाविद्वान नही हूँ अभी तीन वर्षो से आर्य समाज से जुड़ा और सत्य असत्य को जाना है मैं आप से शाश्त्रार्थ नही कर सकता मैं अभी उस योग्य नही ,आर्य समाज का एक नियम कहता है सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए और अगले नियम है अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए ,मैं तो आप से निवेदन कर सकता हूँ कि आप एक बार सत्यार्थ प्रकाश का स्वाध्याय अवश्य करे और ऋषि दयानंद की जीवनी भी पढ़े ,आर्य समाज के दस नियम क्या कह रहे है वो भी पढ़े ,ऋषि अपनी ग्रंथ में लिखते है मनुष्य का आत्मा स्वयं सत्य असत्य का निर्णय कर सकता है परंतु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्या आदि दोषों से सत्य को छोड़ असत्य की ओर झुक जाता है ,और हाँ किसी मत मजहब के ज्यादा फॉलोवर होना ये सिद्ध नही करता की वंहा सब सत्य है ,ऐसे तो ईसाई मत के अनुयायी दुनिया मे ज्यादा है ,उसके बाद इस्लाम को मानने वाले हैं और भी अनेक मत के लोग हैं जो अपने मत को सही ठहराते है तो क्या जिस मत को मानने वाले ज्यादा है हैम उसी को सही सत्य माने
आदरणीय मान्यवर सबसे पहले तो आप यह वीडियो देखो जो कि मेरे चैनल पर अपलोड है ua-cam.com/video/gLSbpplcweI/v-deo.html और फिर आप यह जाने कि जब मै नौ वर्ष का था तब मेरे अंदर आर्य समाज के संस्कारों को भरना शुरू कर दिया गया था जब मैं 11 वर्ष का था तो मैंने पहली बार सत्यार्थ प्रकाश को पढा था जब मेरी उम्र 40 वर्ष हुई तब तक मैं आर्य समाज का सक्रिय सदस्य रहा और अपने टूटे-फूटे तरीके से आर्य समाज का प्रचार भी किया आर्य समाज की कोई अच्छी पुस्तक मुश्किल ही शेष बची होगी जो मैंने नहीं पढी है सभी अच्छे विद्वानों को पड़ा है अच्छे भजनोंपदेशको के भजनों को पढा है मेरे जानने वाले लोगों में से 70% लोग अभी भी मुझे आनंद स्वामी के नाम से नहीं अमर आर्य के नाम से जानते हैं सक्रिय रुप से 29 साल एक संस्था को देना मैं समझता हूं उसको जानने के लिए काफी हैं मात्र 7 साल पहले मैं आर्य समाज से दूर होकर सत्य की खोज के लिए आगे बढ़ा ध्यान योग और अपनी सनातन परंपरा के कुछ गहन सिद्धांतों को जानने का प्रयास किया आपको अभी 3 साल हुए हैं लेकिन मैं 20 साल तक तो लोगों के साथ इस बात को लेकर के शास्त्रार्थ भी करता रहा कि आर्य सिद्धांत ही श्रेष्ठ है आज मुझे वह बातें बचकानी नजर आती है इसलिए आपने मैं अपने अतीत को देख रहा हूं इसलिए आपको गलत नहीं ठहरा रहा आप भी अपने स्थान पर उतने ही सही हैं जितना 7 साल पहले मैं था... आपको नमन
@@AnandDhara आचार्य जी सत्य तो एक ही हो सकता है. मे भी आर्य हू आपने जो ऋषीवर देव दयानंद पे विडियो बनाई थी हमे बोहत अच्छी लगी. माफी चाहता हूं! आप गलत चीज का खुले तरह से विरोध नहीं करते. जबकि स्वामी दयानंद ने कहा था तुम सत्य पर चलो ये उस परमपिता परमात्मा का मार्ग है भले कोई रुठे तो रूठे उस जगदीश्वर से तुम्हारा अटुट नाता है. पाखंड ना करे. दयानंद स्वामी देश के रचयिता है सारे देशभक्त, क्रंतिकारी उन्ही के कारण लडे और हमे आझाद कराया. स्वामी श्रद्धानन्द, लेखराम, पंडित विधार्थी, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, वीर सावरकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ईत्यादि सब दयानंद को मानते थे. लेकिन देश का इतिहास बदल दिया गया. कामी संसार में ब्रम्हचर्य की बात स्वामी दयानन्द जी ने रखी. आचार्य जी आप ही कहते है की आपका मार्गदर्शक सत्यवादी होना चाहिए ना की पाखंडी. आपकी वजह हमे ब्रम्हचर्य की प्रेरणा मिलती है. कृपया करके ब्रम्हचर्य की विडियो ज्यादा से ज्यादा डाली आज के नौजवान बोहत फसे है आचार्य जी. एक स्वामी दयानन्द का अनुयायी. ओम नमस्तस्यै जी 🙏🙏
@@amolkhedkar8047 सही और गलत की परिभाषा व्यक्ति अपनी अपनी मान्यताओं के आधार पर करता है प्रियवर... यह विडंबना है अक्सर इस देश के अंदर छोटा पाखंडी बड़े पाखंडी को पाखंडी कह रहा है छोटा आडंबरी बड़े आडंबरी को आडंबरी कह रहा है जिसकी रस्सी लंबी है वह अपने आप को स्वतंत्र समझ रहा है जबकि इस बात को भूल चुका है कि वह भी खूंटे से बंधा है स्वतंत्रता का मतलब तो होता है खूंटो से आजाद हो जाना हो सकता है वर्तमान समय में आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही हो लेकिन यदि परमात्मा ने आपके अंदर जिज्ञासा को जीवित रखा तो कभी ना कभी जरूर आ जाएगी। कर रहा सवाल ब्रह्मचर्य की वीडियो का प्रियवर तो आप अग्नि देव आर्य को देखें तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि वह आर्य विद्वान भी है और ब्रह्मचारी भी और उनकी वीडियो केवल ब्रह्मचर्य के विषय पर ही आती हैं। मेरा तो एक पुत्र भी है जिसका नाम है योगीवरुणानंद है Yogi Varunanand के नाम से ही उसका यूट्यूब पर एक चैनल भी उपलब्ध है आप उसे देख सकते हैं जबकि अग्नि देव आर्य जी अखंड ब्रह्मचारी है और ऋषि दयानंद के कट्टर अनुयाई भी और आर्य समाजी हैं तो स्वभाविक है कि वह बहुत बड़े विद्वान भी हैं वहां से आपको ब्रह्मचर्य का कहीं अधिक विस्तृत और प्रत्येक विषय पर ज्ञान प्राप्त होगा। हरिॐ हरे कृष्ण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
आपके द्वारा जानकारी दी गई बहुत अच्छी जानकारी सत्य हर मनुष्य के अंदर होता है और जो अज्ञानी पुरुष है उसको असत्य सत लगता है जो ज्ञान को धारण कर ले बस वही सत्य को जान सकता है जय श्री राम
परब्रम्ह, ब्रम्ह, ईश्वर और भगवान इनके बारे में विस्तार से मार्गदर्शन किए इसके लिए अनंत धन्यवाद ! लेकीन ब्रम्ह और माया इसके बारे में विस्तार से मार्गदर्शन किजीएगा ! हरी ॐ नमो भगवते वासुदेवाय हरे, हरे ! जय भगवंत, हे अनंत !
❤राम राम प्रणाम गुरूदेव राम राम राम राम राम राम ❤ ❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤ ❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤ ❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤
Bilkul sahi pakre hai jiske guno ke abgun ke fer me na pare wo hi nirgun hai arthat satya hai pawitra hai kuchh bhi kare kuchh bhi piye khaye sab jayaj hai kyoki ek matra iswor hi sabko khate hai janm dete sab bhog karte hai nahi bhi bhog karte hai itne detels me maharishi walmiki ji fir vedbyash ji samjha gaye fir bhi dhakkan sab ke man me anekanek ahnkar swarth bhram irsya jalan ghrina hai to bhala parmatma ko kya khak samjhenge koyi kya kabhi bhi jan payenge jo bhed kare wo sambhab hi nahi hai ek matra anadi aadi ant annat jo hai wo hi sada shiv bole ya mahavishnu bole ya aadi devi bole to ye samjhane janne ke badale hanuman ji ka katha le kar hanuman ji hai pracharit karte hai mahamurkh sabhi to bhairv ji to krishna to mahadev ji to ram ji to kali ji dhakkan sab kali ji me bhi bhed karte karwate hai bataye ham bat karte rahe aadi shakti ji yani aadi devi ji ka aur sabhi gadhele kidhar kidhar bokhate rahe aur sabko bikhwate rahe had hai aur kahate hai chhal prapanch kapat kar kar ke bhed kar kar ke ki iswor allah god bhagwan wahe guru parmatma jo bhi nam se parmatma ko log jante hai inka bhakt hai ajib gadaho ka bharmar hai dharti par har jagah nahi sahi se chintan charcha karne ko bole the sabko to sabko meri shadi ka hi para raha ajib pagal log hai
*।। गायत्री महामंत्र ।।* *॥ ओ३म् ॥ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ - यजु० ३६* *शब्दार्थ* *ओ३म* :- सबकी रक्षा करने वाला *भूः* :- जो सब जगत् के जीवन का आधार, प्राण से भी प्रिय और स्वयंभू है । *भुवः* :- जो सब दुःखों से रहित, जिसके संग से जीव सब दुःखों से छूट जाते हैं । *स्वः* :- जो नानाविध जगत् में व्यापक होके सबका धारण करता है । *सवितुः* :- जो सब जगत् का उत्पादक और सब ऐश्वर्य का दाता है । *देवस्यः* :- जो सब सुखों का देनेहारा और जिसकी प्राप्ति की कामना सब करते हैं । *वरेण्यम्* :- जो स्वीकार करने योग्य अतिश्रेष्ठ *भर्गः* :- शुद्धस्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्मस्वरूप है। *तत्* :- उसी परमात्मा के स्वरूप को हम लोग *धीमहि* :- धारण करें। किस प्रयोजन के लिये कि *यः* :- जो सविता देव परमात्मा *नः* :- हमारी *धियः* :- बुद्धियों को *प्रचो दयात्* :- प्रेरणा करे अर्थात् बुरे कामों से छुड़ा कर अच्छे कामों में प्रवृत करें। *भावार्थ* तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू। तुझसे ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता तू ॥ तेरा महान् तेज है, छाया हुआ सभी स्थान । सृष्टि की वस्तु-वस्तु में, तू हो रहा है विद्यमान ॥ तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया । ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला ॥
Bilkul aanand to mere sada shiv aadi devi iswor bhagwan parmatma sab jo bhi bole inme hi hai jab inme mai mujhme ye ho jate hai tab mai ham ho jate hai parm tej tejomayi annat prakash jinhe shiv ling ke rup me paribhasit kiya jata hai aur bina paribhasha ke sristi ke sanrachna ke hisab se OM KAR sworup
जिसने इस पूरे ब्रह्माण्ड को रचा हम सब को उसी को ईश्वर, परमात्मा, परमेश्वर, गोड, अल्लाह, खुदा, हरि आदि सब पर्यायवाची शब्द हैं। भगवान अनेक होते हैं ब्रह्म महेश विश्नू ईश्वर के गुण होते हैं जिनको बाद में ईश्वर मान लिया गया। देवता engel को कहते हैं।
हमे तीन शब्दों में का अंतर जानना अधिक महत्वपूर्ण है, भगवान, देवता, ईश्वर। भगवान :- राम भगवान है, कृष्ण भगवान है, बुद्ध भगवान है। यह इंसान ही है जिन्होने भगवत्व को प्राप्त किया हुआ है। देवता :- देवता स्वर्ग के निवासी तथा ऋषि कश्यप के पत्नी अदिति से जन्मे पुत्र है। वह भी ईश्वर नही है। वह देवता है। अदिति के पुत्र इसलिए आदित्य। इन्हिके सौतेले भाई है असुर। देवताओं को सुर भी कहा जाता है। ईश्वर :- ईश्वर वह है, जिसने सबको बनाया हैं। ईश्वर का कोई रूप नही है। इसलिए ईश्वर की मूर्ति नहीं बनाई जा सकती है। ईश्वर निर्गुण निराकार है। ईश्वर ही सबसे श्रेष्ठ। ईश्वर उस शक्ति को कहा जाता है। Sadguru 🙏🏻🙏🏻
Guruji pranaam ,aaj aap gangoh me aae the maine aapko dekha par mai aapko rokne ya baat krne ki himmat nhi juta saka . Mai aapke piche bhi aaya par aap phir kisiki bike par baith ke chale gye. Aapka tej hi alag tha , mai future me aapse zarror milkar aashirwaad lunga . Pranaam.
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई प्रिय बेटा जी की आप गंगोह से हैं वास्तव में मैं दिल्ली से लौट रहा था मुझे देर हो गई थी और मैं बस पकड़ने के लिए जा रहा था तभी मेरा एक शिष्य मुझे मिला जिसने मुझे अपनी बाइक से ड्रॉप कर दिया
नमस्ते जी, वेदों के अनुसार परमात्मा सगुण और निर्गुण दोनों है,वेदों में परमात्मा को अजन्मा कहा गया है परमात्मा कभी अवतार नही लेते ,आप ये अपने भक्तों को अषुद्ध ज्ञान क्योँ दे रहे है ,वेदों के सही अर्थ को जानना है तो महऋषि दयानन्द के भाष्य को पढ़ना होगा और उनका लिखा ग्रंथ सत्ययार्थ प्रकाश पढ़ना होगा ,मुझे तो ऐसा लगता है आप भी कोई अलग मत खड़ा करना चाह रहे है
आर्य श्रेष्ठ...
मैं इस देश के उन करोड़ों लोगों में से हूं जोकि अवतारवाद को मानते हैं।
आप उन मुट्ठी भर महा ज्ञानियों में से हैं जोकि इस सिद्धांत को नकारते हैं।
अतः मुझे कुछ नया मत खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं है।
मैं तो बस इसी भीड़ का एक हिस्सा हूं,
इसी धारा का एक हिस्सा हूं जो पहले से अविरल बह रही है।
और उनकी आस्थाओं से अलग मेरी आस्था कुछ नहीं,
बस मैं एक मंदिर का महंत होने के नाते उनको उसी ज्ञान का जिसको वह पहले से ही मान रहे हैं परिष्कृत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं।
इसमें कुछ नया नहीं है
नया मत तो तब खड़ा होना होता जबकि मेरा कोई भी सिद्धांत नया होता...
अब अगर दूसरी बात पर आए,
तो मेरा चैनल बहुत छोटा है
4 साल पुराना चैनल होने के बावजूद मेरी वीडियोस को बहुत कम लोग देखते हैं।
मैं कोई बहुत प्रतिष्ठित या प्रसिद्ध व्यक्ति नहीं हूं
स्वयं अपने खेत में मेहनत करता हूं
और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार संसाधन जुटा लेता हूं,
इसी में मुझे आनंद है
इससे बढ़कर कोई मेरी महत्वाकांक्षा नहीं..!
अतः आपको यदि विरोध करना है तो उन लोगों का करो जिनका प्रभाव बहुत दूर तक है
और जिनकी बातों को बहुत लोग सुनते हैं।
जिनके चैनल बड़े हैं...
आपको विरोध करना है तो आप सद्गुरु का करो
वह भी इसी विचारधारा के हैं जिस विचारधारा का मै हूँ
लेकिन उनका आकार बहुत बड़ा है।
आप कुमार विश्वास का विरोध कर सकते हैं,
लगभग 3 मिलियन का चैनल है
और उन्होंने बड़ी सुंदर रामकथा उस चैनल पर डाली हुई है।
जिसमें उन्होंने भगवान राम को अवतार के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
आपको विरोध करना है तो अनेक ऐसे सनातन प्रचारकों का कर सकते हैं जिनका प्रभाव बहुत ज्यादा है।
यहां पर आपका प्रयास निराधार ही रहेगा।
या फिर उसका प्रभाव बहुत कम होगा,
यहां पर आपके ज्ञान से पूर्ण संदेश को बहुत कम लोग देख पाएंगे।
अब प्रश्न आता है वेद के पढ़ने का..!
तो प्रयोग मैंने वेद को पढा है
लेकिन आप ईमानदारी से पढ़कर देखना।
ऋग्वेद को शुरू से पढ़ना
किसी भी भाष्य को क्यों पढ़ते हो।
मूल रूप में पढ़ो
और समझो
आप ज्ञानी है
संस्कृत तो जानते ही होंगे
स्वयं समझ कर देखो वेद क्या कह रहा है...
कितना ज्ञान वहां से आप प्राप्त कर पा रहे हैं।
बाकी आप सत्यार्थ प्रकाश का जिक्र कर रहे हैं तो यदि परमेश्वर की आज्ञा रही और कोई मौका आया तो मै एक श्रंखला लेकर आ सकता हूं सत्यार्थ प्रकाश पर...!
जहां पर कुछ प्रश्न होंगे...
हो सकता है कि आप जैसे जानी लोगों से उनके उत्तर पाकर मैं कृतार्थ हो जाऊं।
और लोगों को भी बहुत सारा ज्ञान मिले।
आपके श्री चरणो में सादर नमस्ते...!
ज्ञान अमृत की वर्षा नित्य प्रति करते रहिएगा।...
हरिॐ
हरे कृष्ण ।
@@AnandDhara श्रीमान जी मैंने जो भी कहा था वेदों के आधार पर कहा है ,और मैं कोई बड़ाविद्वान नही हूँ अभी तीन वर्षो से आर्य समाज से जुड़ा और सत्य असत्य को जाना है मैं आप से शाश्त्रार्थ नही कर सकता मैं अभी उस योग्य नही ,आर्य समाज का एक नियम कहता है सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए और अगले नियम है अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए ,मैं तो आप से निवेदन कर सकता हूँ कि आप एक बार सत्यार्थ प्रकाश का स्वाध्याय अवश्य करे और ऋषि दयानंद की जीवनी भी पढ़े ,आर्य समाज के दस नियम क्या कह रहे है वो भी पढ़े ,ऋषि अपनी ग्रंथ में लिखते है मनुष्य का आत्मा स्वयं सत्य असत्य का निर्णय कर सकता है परंतु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्या आदि दोषों से सत्य को छोड़ असत्य की ओर झुक जाता है ,और हाँ किसी मत मजहब के ज्यादा फॉलोवर होना ये सिद्ध नही करता की वंहा सब सत्य है ,ऐसे तो ईसाई मत के अनुयायी दुनिया मे ज्यादा है ,उसके बाद इस्लाम को मानने वाले हैं और भी अनेक मत के लोग हैं जो अपने मत को सही ठहराते है तो क्या जिस मत को मानने वाले ज्यादा है हैम उसी को सही सत्य माने
आदरणीय मान्यवर
सबसे पहले तो आप यह वीडियो देखो जो कि मेरे चैनल पर अपलोड है
ua-cam.com/video/gLSbpplcweI/v-deo.html
और फिर आप यह जाने कि जब मै नौ वर्ष का था तब मेरे अंदर आर्य समाज के संस्कारों को भरना शुरू कर दिया गया था
जब मैं 11 वर्ष का था तो मैंने पहली बार सत्यार्थ प्रकाश को पढा था
जब मेरी उम्र 40 वर्ष हुई तब तक मैं आर्य समाज का सक्रिय सदस्य रहा
और अपने टूटे-फूटे तरीके से आर्य समाज का प्रचार भी किया
आर्य समाज की कोई अच्छी पुस्तक मुश्किल ही शेष बची होगी जो मैंने नहीं पढी है
सभी अच्छे विद्वानों को पड़ा है
अच्छे भजनोंपदेशको के भजनों को पढा है
मेरे जानने वाले लोगों में से 70% लोग अभी भी मुझे आनंद स्वामी के नाम से नहीं अमर आर्य के नाम से जानते हैं
सक्रिय रुप से 29 साल एक संस्था को देना मैं समझता हूं उसको जानने के लिए काफी हैं
मात्र 7 साल पहले मैं आर्य समाज से दूर होकर सत्य की खोज के लिए आगे बढ़ा
ध्यान योग और अपनी सनातन परंपरा के कुछ गहन सिद्धांतों को जानने का प्रयास किया
आपको अभी 3 साल हुए हैं
लेकिन मैं 20 साल तक तो लोगों के साथ इस बात को लेकर के शास्त्रार्थ भी करता रहा कि आर्य सिद्धांत ही श्रेष्ठ है
आज मुझे वह बातें बचकानी नजर आती है
इसलिए आपने मैं अपने अतीत को देख रहा हूं
इसलिए आपको गलत नहीं ठहरा रहा
आप भी अपने स्थान पर उतने ही सही हैं जितना 7 साल पहले मैं था...
आपको नमन
@@AnandDhara
आचार्य जी
सत्य तो एक ही हो सकता है.
मे भी आर्य हू
आपने जो ऋषीवर देव दयानंद पे विडियो बनाई थी हमे बोहत अच्छी लगी.
माफी चाहता हूं!
आप गलत चीज का खुले तरह से विरोध नहीं करते.
जबकि स्वामी दयानंद ने कहा था तुम सत्य पर चलो ये उस परमपिता परमात्मा का मार्ग है
भले कोई रुठे तो रूठे उस जगदीश्वर से तुम्हारा अटुट नाता है.
पाखंड ना करे.
दयानंद स्वामी देश के रचयिता है
सारे देशभक्त, क्रंतिकारी उन्ही के कारण लडे और हमे आझाद कराया.
स्वामी श्रद्धानन्द, लेखराम, पंडित विधार्थी, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, वीर सावरकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ईत्यादि
सब दयानंद को मानते थे.
लेकिन देश का इतिहास बदल दिया गया.
कामी संसार में ब्रम्हचर्य की बात स्वामी दयानन्द जी ने रखी.
आचार्य जी
आप ही कहते है की आपका मार्गदर्शक सत्यवादी होना चाहिए ना की पाखंडी.
आपकी वजह हमे ब्रम्हचर्य की प्रेरणा मिलती है.
कृपया करके
ब्रम्हचर्य की विडियो ज्यादा से ज्यादा डाली आज के नौजवान बोहत फसे है आचार्य जी.
एक स्वामी दयानन्द का
अनुयायी.
ओम नमस्तस्यै जी 🙏🙏
@@amolkhedkar8047
सही और गलत की परिभाषा व्यक्ति अपनी अपनी मान्यताओं के आधार पर करता है प्रियवर...
यह विडंबना है
अक्सर इस देश के अंदर छोटा पाखंडी बड़े पाखंडी को पाखंडी कह रहा है
छोटा आडंबरी बड़े आडंबरी को आडंबरी कह रहा है
जिसकी रस्सी लंबी है वह अपने आप को स्वतंत्र समझ रहा है
जबकि इस बात को भूल चुका है कि वह भी खूंटे से बंधा है
स्वतंत्रता का मतलब तो होता है खूंटो से आजाद हो जाना
हो सकता है वर्तमान समय में आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही हो
लेकिन यदि परमात्मा ने आपके अंदर जिज्ञासा को जीवित रखा तो कभी ना कभी जरूर आ जाएगी।
कर रहा सवाल ब्रह्मचर्य की वीडियो का प्रियवर तो आप अग्नि देव आर्य को देखें तो ज्यादा बेहतर होगा
क्योंकि वह आर्य विद्वान भी है
और ब्रह्मचारी भी
और उनकी वीडियो केवल ब्रह्मचर्य के विषय पर ही आती हैं।
मेरा तो एक पुत्र भी है
जिसका नाम है योगीवरुणानंद है
Yogi Varunanand के नाम से ही उसका यूट्यूब पर एक चैनल भी उपलब्ध है
आप उसे देख सकते हैं
जबकि अग्नि देव आर्य जी अखंड ब्रह्मचारी है और ऋषि दयानंद के कट्टर अनुयाई भी और आर्य समाजी हैं तो स्वभाविक है कि वह बहुत बड़े विद्वान भी हैं
वहां से आपको ब्रह्मचर्य का कहीं अधिक विस्तृत और प्रत्येक विषय पर ज्ञान प्राप्त होगा।
हरिॐ
हरे कृष्ण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमः शिवाय
स्वामी जी की जय हो 🙏
जल का उदाहरण बहुत सुंदर दिया प्रभु🙏
हरिॐ
गुरुवर चरणस्पर्श. आप मेरे अंदर जो ये प्रश्न बहुत दिनों से गूंज रहा था. आपने समाधान किया है. आपका लाख लाख सुक्रिया गुरूजी जी..
हरि ओम
सारे सम्प्रदायों के भेद समाप्त कर दिए आपने इस प्रवचन से स्वामी जी
हरि ॐ
हरिॐ
ओम नमः भगवती परमबृमेण नमः 🔱🙏
यही परम सत्य है। परमब्रम्ह की उपासना कर रहे हैं। तो निर्गुण होना आवश्यक है।
हर हर महादेव।हर हर महादेव।हर हर महादेव।
Happy ganesh chaturthi gurudev 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩
प्रणाम गुरुजी जय श्री कृष्णा हरि ॐ 🙏🙏🙏
Narayan
ऊं नमह शिवाय भाई।
नम:शिवाय प्रिय बंधु
Adhbhut gyan hai aapke pass 100%accurate
प्रणाम बाबा 🙏🙏🌷🌷
मंगलम्अस्तु
आपके द्वारा जानकारी दी गई बहुत अच्छी जानकारी सत्य हर मनुष्य के अंदर होता है और जो अज्ञानी पुरुष है उसको असत्य सत लगता है जो ज्ञान को धारण कर ले बस वही सत्य को जान सकता है जय श्री राम
जय श्री राम
अति सुंदर आचार्य जी 🙏
हरि ॐ🙏🙏🙏
हरिॐ
सत् जब चित् में बैठ जाता है तो उसी से आनंद की प्राप्ति होती है।
इसे ही सत् चित् आनन्द कहतें हैं ।
परब्रम्ह, ब्रम्ह, ईश्वर और भगवान इनके बारे में विस्तार से मार्गदर्शन किए इसके लिए अनंत धन्यवाद ! लेकीन ब्रम्ह और माया इसके बारे में विस्तार से मार्गदर्शन किजीएगा ! हरी ॐ नमो भगवते वासुदेवाय हरे, हरे ! जय भगवंत, हे अनंत !
आपके चरणों में सादर नमन गुरुजी 🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद गुरुजी , आर्य समाज के वीडियो देखकर में बहुत कन्फ्यूज हो गया था।।
Excellent
जय श्री कृष्णा
Apke charno ko sath sath naman🙏🙏🙏
🙏भगवत कृपा से ही निराकार परम ब्रह्म के दर्शन होते हैं जिसकी दया दृष्टि में सभी देह धारी जीव एक समान है 🙏
श्री गुरजी आपने अच्छा तेरे बुझाए।। आप को कोटि कोटि प्रणाम ❤❤❤
Badhiya hai aap sahi samjha rahe hai hame pasand aaya guru ko batate hai ham dekhenge sristi ka pralay nahi hota hai brahmand ka ant hota hai
धन्यवाद गुरुजी
🙏🙏🚩
हरिॐ
Bilkul Satya hai jo kaha aapane Ishwar Bhagwan ek hi jiski Jaisi samajh hai
Thank you. Explained beautifully. 🙏
Uchh koti ka gyan bahut hi saral sabdo me jai ho
Waheguru ji❤
वाहेगुरू जी
आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम महाराज जी महाराज जी भगवान की सबसे अच्छी भक्ति कौन सी होती है 🙏🙏🙏🙏
जिसमें पाखंड आडंबर और अंधविश्वास ना हो
और जिसमें आपको सुविधा हो
SADAR NAMAN GURUDEV.....
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
प्रमाण गुरुदेव
धन्यवाद् आनंद धारा 🙏
हरि ओहम हरे कृषण 🕉🚩🙏💥
Dhanyavad gurudev 🙏🙏🙏
हरिॐ
❤राम राम प्रणाम गुरूदेव राम राम राम राम राम राम ❤
❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤
❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤
❤राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤
Bahut bahut danybad guru ji 🙏
Om namah shivay 🙏🙏
ॐ नम शिवाय
आपके चरणों में सादर नमस्ते गुरुजी
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
प्रणाम , गुरुजी ।
सुन्दर ।
Har Har mahadev 🙏🙏🙏🙏
हर हर महादेव
ૐ નમો સિવાય હર હર મહાદેવ મહાદેવ
🙏🙏🙏गुरु जी
हरिॐ
धन्यवाद गुरुजी
हरिॐ
Bhagwaan vishnu
Bilkul sahi pakre hai jiske guno ke abgun ke fer me na pare wo hi nirgun hai arthat satya hai pawitra hai kuchh bhi kare kuchh bhi piye khaye sab jayaj hai kyoki ek matra iswor hi sabko khate hai janm dete sab bhog karte hai nahi bhi bhog karte hai itne detels me maharishi walmiki ji fir vedbyash ji samjha gaye fir bhi dhakkan sab ke man me anekanek ahnkar swarth bhram irsya jalan ghrina hai to bhala parmatma ko kya khak samjhenge koyi kya kabhi bhi jan payenge jo bhed kare wo sambhab hi nahi hai ek matra anadi aadi ant annat jo hai wo hi sada shiv bole ya mahavishnu bole ya aadi devi bole to ye samjhane janne ke badale hanuman ji ka katha le kar hanuman ji hai pracharit karte hai mahamurkh sabhi to bhairv ji to krishna to mahadev ji to ram ji to kali ji dhakkan sab kali ji me bhi bhed karte karwate hai bataye ham bat karte rahe aadi shakti ji yani aadi devi ji ka aur sabhi gadhele kidhar kidhar bokhate rahe aur sabko bikhwate rahe had hai aur kahate hai chhal prapanch kapat kar kar ke bhed kar kar ke ki iswor allah god bhagwan wahe guru parmatma jo bhi nam se parmatma ko log jante hai inka bhakt hai ajib gadaho ka bharmar hai dharti par har jagah nahi sahi se chintan charcha karne ko bole the sabko to sabko meri shadi ka hi para raha ajib pagal log hai
*।। गायत्री महामंत्र ।।*
*॥ ओ३म् ॥ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ - यजु० ३६*
*शब्दार्थ*
*ओ३म* :- सबकी रक्षा करने वाला
*भूः* :- जो सब जगत् के जीवन का आधार, प्राण से भी प्रिय और स्वयंभू है ।
*भुवः* :- जो सब दुःखों से रहित, जिसके संग से जीव सब दुःखों से छूट जाते हैं ।
*स्वः* :- जो नानाविध जगत् में व्यापक होके सबका धारण करता है ।
*सवितुः* :- जो सब जगत् का उत्पादक और सब ऐश्वर्य का दाता है ।
*देवस्यः* :- जो सब सुखों का देनेहारा और जिसकी प्राप्ति की कामना सब करते हैं ।
*वरेण्यम्* :- जो स्वीकार करने योग्य अतिश्रेष्ठ
*भर्गः* :- शुद्धस्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्मस्वरूप है।
*तत्* :- उसी परमात्मा के स्वरूप को हम लोग
*धीमहि* :- धारण करें। किस प्रयोजन के लिये कि
*यः* :- जो सविता देव परमात्मा
*नः* :- हमारी
*धियः* :- बुद्धियों को
*प्रचो दयात्* :- प्रेरणा करे अर्थात् बुरे कामों से छुड़ा कर अच्छे कामों में प्रवृत करें।
*भावार्थ*
तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू। तुझसे ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता तू ॥ तेरा महान् तेज है, छाया हुआ सभी स्थान । सृष्टि की वस्तु-वस्तु में, तू हो रहा है विद्यमान ॥ तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया । ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला ॥
B Maharaj ji bahut Sundar bahut Sundar Maharaj ji bahut Sundar hi aapane guruji
ॐ राम ॥
गुरु जी आपको बहुत बहुत साधुवाद
हरिॐ
Bilkul aanand to mere sada shiv aadi devi iswor bhagwan parmatma sab jo bhi bole inme hi hai jab inme mai mujhme ye ho jate hai tab mai ham ho jate hai parm tej tejomayi annat prakash jinhe shiv ling ke rup me paribhasit kiya jata hai aur bina paribhasha ke sristi ke sanrachna ke hisab se OM KAR sworup
Very nice guru g
हरिॐ
Har har mahadev
हर हर महादेव
Parnam gurudev 🙏🙏🙏🙏
मंगलम्अस्तु
🚩🙏जय श्री कृष्णा 🙏🚩
जिसने इस पूरे ब्रह्माण्ड को रचा हम सब को उसी को ईश्वर, परमात्मा, परमेश्वर, गोड, अल्लाह, खुदा, हरि आदि सब पर्यायवाची शब्द हैं।
भगवान अनेक होते हैं
ब्रह्म महेश विश्नू ईश्वर के गुण होते हैं जिनको बाद में ईश्वर मान लिया गया।
देवता engel को कहते हैं।
हरिॐ
🙏 प्रणाम गुरुजी 🌹🌹
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
👉 poori kaynat ka Ishwar 🕉️🌹🌹🌹
ॐ 🙏🙏
हरिॐ
Satnam waheguru
वाहेगुरू जी
Radhe Radhe Guruji
Hari Om Hare Krishna
हरिॐ हरे कृष्ण
Thanks
श्री राम ॐ श्रीहरिओम 🙏🙏
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🙏🙏🕉🕉🌷🌷
हरिॐ
Pranaam guruji 🙏🙏🙏🙏 i m 100% fine.very nice video .hari om hare krishna
आपके स्वास्थ्य के बारे में जानकर अच्छा लगा प्रिय बेटा जी
परमात्मा आपको शक्ति और सामर्थ्य दें
बहुत-बहुत आशीर्वाद
🙏🙏🙏🙏
हमे तीन शब्दों में का अंतर जानना अधिक महत्वपूर्ण है, भगवान, देवता, ईश्वर।
भगवान :- राम भगवान है, कृष्ण भगवान है, बुद्ध भगवान है। यह इंसान ही है जिन्होने भगवत्व को प्राप्त किया हुआ है।
देवता :- देवता स्वर्ग के निवासी तथा ऋषि कश्यप के पत्नी अदिति से जन्मे पुत्र है। वह भी ईश्वर नही है। वह देवता है। अदिति के पुत्र इसलिए आदित्य। इन्हिके सौतेले भाई है असुर। देवताओं को सुर भी कहा जाता है।
ईश्वर :- ईश्वर वह है, जिसने सबको बनाया हैं। ईश्वर का कोई रूप नही है। इसलिए ईश्वर की मूर्ति नहीं बनाई जा सकती है। ईश्वर निर्गुण निराकार है। ईश्वर ही सबसे श्रेष्ठ। ईश्वर उस शक्ति को कहा जाता है।
Sadguru 🙏🏻🙏🏻
सटीक वचन, गुरूजी 🙏
🙏 namaskar guruji aapne bahut sundar gyan diya
हरिॐ
Hari Om
हरिॐ
हरि 🕉️
हरिॐ
प्रणम गुरूजी।
हरिॐ
हरेकृष्ण गुरुवर
हरिॐ
हरे कृष्ण
Pranam guru dev ji 🙏🙏
हरिॐ हरे कृष्ण
Aapki aawaz aur body language ati sundar hai.
हरिॐ हरे कृष्ण
प्रणाम गुरू जी
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
Om shanti guru ji namaste
Jai shree ram
जय श्री राम
प्रणाम गुरुदेव 🙏आजीवन ब्रह्मचारी रहने वालों के लिए आश्रम कहाँ कहाँ है। कौन सी जगह उपयुक्त है।
Hari Om🙏🙏🙏🙏🙏🙏
PRANAAM GURUJI 🙏🙏
प्रणाम बेटा जी
Guru ji pichee aapka ghar hai. Bahut sunder hai
Jay Shree RAM🙏🙏🙏🙏🙏
Gurudev🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम
प्रणाम गुरुजी
बहुत बहुत आशीर्वाद प्रिय बेटा जी
🙏🙏 Gur ji
हरिॐ
🙏🙏🙏🙏🙏
Guru g Brahmcariya se mare sir bhari Or dimag me activity hoti rahte h ye kya h kirpya maargdarshan kre
Juthe matho ka khandan kiya dhanyawad🙏
Guruji pranaam ,aaj aap gangoh me aae the maine aapko dekha par mai aapko rokne ya baat krne ki himmat nhi juta saka . Mai aapke piche bhi aaya par aap phir kisiki bike par baith ke chale gye. Aapka tej hi alag tha , mai future me aapse zarror milkar aashirwaad lunga . Pranaam.
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई प्रिय बेटा जी की आप गंगोह से हैं
वास्तव में मैं दिल्ली से लौट रहा था
मुझे देर हो गई थी
और मैं बस पकड़ने के लिए जा रहा था
तभी मेरा एक शिष्य मुझे मिला
जिसने मुझे अपनी बाइक से ड्रॉप कर दिया
@@AnandDhara Pranam Guruji aapse future me jaroor milkar aashirwaad lunga.
Hari Om🙏🙏.
मंगलम्अस्तु
guru ji satyarth Prakash me to guno के बारे मे btaya h
Namaskar Guru ji
मंगलम्अस्तु
🙏🙏🙏🙏
Hame kiski upasna karni chahiye kis bhagwan ki??
Shiv or Krishna????
Manyaber parbrham ko kis naam se pukare,matlab uska naam kya hai jisko japne se uski prapti ho jay🙏
गुरु जी आप कहां से है
जब आप परमात्मा को निरगुण वातारहे हो तो ईश्वर रूप मे कैसे आया परमात्मा सगुण ही है
श्री कृष्ण ने परमात्मा ब्रह्म को अपनी अंग कान्ति बताया है यानी परमात्मा का अस्तिव श्री कृष्ण से ही है
@@shivanshdixit3781 Geeta padho mere bhai Bhagwan Shri Krishna Ne brahmanon hi Pratishthan Aham Swayam ko Braham ki Pratishtha bataya hai
Guru ji hume kon kon si book padni chaiye jisse hum अध्यात्म के वारे me सही। ज्ञान ले सके. Hum kase dunde book अध्यात्म की. Aap. ऐसी वीडियो जरूर बनाएं
Puja kiski karni chahiye
Guru ji Namaskar ji kay apse phone pe baat ho skti hai kay