सूर्यवंश के प्रथम राजा सूर्य से श्रीराम तक मरते रहे लेकिन वशिष्ठ जी जिंदा कैसे आखिर क्या है रहस्य ?

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  • Опубліковано 4 лис 2024

КОМЕНТАРІ • 9

  • @mukeshgajjar4846
    @mukeshgajjar4846 9 днів тому +3

    *॥ॐ: नमस्ते सदा वत्सले मातृभुमे त्यवा हिन्दुभुमे सुखम वरधि तोहम, महामंगले पुण्यभुमे त्यदर्थे पतत्ये सकायो नमस्ते नमस्ते ॐ:॥*
    *॥॥॥:वंदे मातरम् :॥॥॥*
    *” जय हिन्दु राष्ट्र “ साथे “ जय जय श्रीकृष्ण “*
    *बिलकुल बराबर , खुबज सरस , सुंदर , सटीक , रोचक कथा / प्रसंग / दर्शन / प्रस्तुति / स्वर ❤~>_साधु साधु_ आपना श्री चरणो मा मारा शत शत कोटी प्रणाम

  • @AeroxAeroxmonster
    @AeroxAeroxmonster 9 днів тому +2

    जय श्री राम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @AeroxAeroxmonster
    @AeroxAeroxmonster 9 днів тому +2

    Ram Ram

  • @user-gl3li6pm2c
    @user-gl3li6pm2c 9 днів тому +2

    Ji Sri Ram Chandra bhagwan ji marey nahi.. unhone saryu Nadi mein jal samadhi ke dwara baikunth mein wapasi ki thi.... bhagwan ji ke liye "marna"shabd ka upyog karna uchit nahi hai.....kuch galat kaha yadi maine to kshama kijiye ji 🙏

  • @arvindkumarverma9521
    @arvindkumarverma9521 8 днів тому +1

    इस तरह हो सकता है, परन्तु एक समस्या है कि उस समय सरनेम का अवधारणा नहीं थी|

    • @AdarshDharam
      @AdarshDharam  2 дні тому +1

      सरनेम की अवधारणा क्यों नहीं थी। श्रीराम जी को काकुश्थ, राघव, रघुनंदन, आदि बीसियों सरनेम उनके पूर्वजों के नाम से मिले थे वह रघु नामक राजा के पुत्र अज के पुत्र दशरथ के पुत्र थे फिर रघुनंदन क्यों कहलाए? राघव, रघुनंदन नाम तो सिर्फ उनके परदादाजी के पुत्र अज के साथ लगाते फिर प्रपौत्र राम के साथ क्यों लगा।
      परशुराम जी के पिता महर्षि जमदग्नि थे न कि भृगु ऋषि, वह तो उनसे सैकड़ों पीढ़ी पहले हुए थे फिर भी परशुराम जी को भृगु नंदन क्यों कहते हैं?

  • @surendrasinghkush2953
    @surendrasinghkush2953 7 днів тому

    Dharmik kathaon ko satya ki kasauti par na kasa jay.wah kewal manoranjan ke liye hai.Yahi haal sabhi dharmo ka hai.Koi sooli par charhane ke baag kabhi jinda ho sakta hai kya.

  • @nagendrasingh2820
    @nagendrasingh2820 8 днів тому +2

    आप गलत कहानियाँ सुनाकर लोगों को मूर्ख क्यों बना रहे हैं। क्या आप राम कृष्ण शिव का कोई पुरातात्विक प्रमाण दिखा सकते हैं। सच्चा इतिहास यह है कि आपका ब्राह्मण धर्म 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा शुरू किया गया था और 19वीं शताब्दी में आपने ब्राह्मण धर्म का नाम बदलकर हिंदू धर्म कर दिया था।