अमर दलपुरा की कविता - रंगलाल भील

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  • Опубліковано 29 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 9

  • @ShankhlaVlog8946
    @ShankhlaVlog8946 8 місяців тому

    गुरूजी आपकी कविता बड़ी अच्छी लगती है 🙏🏻🙏🏻

  • @rajranimeena4523
    @rajranimeena4523 Рік тому +1

    Bhut achhi kavita likhte ho ,jo heart ko chhu jati h ❤❤

    • @banjaranamaklaya4182
      @banjaranamaklaya4182  11 місяців тому

      कविता पर प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।

  • @rekhabaimeena9452
    @rekhabaimeena9452 Рік тому +1

    वाह! सर जी😊
    दूसरे के मन की बातों को गहराई से महसूस कर अपनी आवाज देना वाकई काबिले तारीफ़ है 🙏

    • @banjaranamaklaya4182
      @banjaranamaklaya4182  11 місяців тому

      अमर की कविता पर प्रतिक्रिया लिखने के लिए शुक्रिया रेखा जी।

  • @DrHeeraMeena
    @DrHeeraMeena Рік тому +1

    संवेदनशील ❤

  • @Ravi_Raahgeer.
    @Ravi_Raahgeer. Рік тому +1

    कविता में गहरी मार्मिकता है. अमर जी की आवाज में इस कविता को सुनते हुए मन बेचैन हो उठा है।
    -----
    वैसे तो मैं धरती आसमानों की बात कहना चाहता हूॅं
    उन स्थानों की बात कहना चाहता हूॅं
    जहाॅं मेरा जीवन
    घासों की तरह कुचला गया, पेड़ों की तरह काटा गया.

    • @banjaranamaklaya4182
      @banjaranamaklaya4182  Рік тому +1

      शुक्रिया रवि। दिल से टिप्पणी करते हो तुम। यह अच्छा लगता है।