जय हो सत्य सनातन अद्वैत धर्म के सबसे बड़े विद्वान आदिगुरू शंकराचार्य जी की जिन्होंने भारत के चारों ओर चार मठ स्थापित किए है जिनमें एक जोशीमठ है जिन्होंने दुनिया को अद्वैतवाद की शिक्षा दी है। अद्वैत ही सत्य है बाकी सब माया है और सत्य ही सनातन है।
गुरु जी मेरा एक प्रशन है. मै अक्सर इस पर चिंतन करता रहता हु. यदि भारत के पास इतने उच् स्तर का ज्ञान था. और आज भी है तो पहले जाति उउच् नीच छोटा बड़ा जैसे भाव क्यो थे. और यह सब उनके द्वारा किया गया जो अपने आपको वेदो उपनिषदों or geeta k विद्वान मानते थे. उन्होंने मनुष्य को क्यो baata जन्म से ही कोई आछुट् और कोई नीचा कैसे होजाता था. ये कोई विज्ञान था. या कोई परम ज्ञान था. या ये मानसिक गुलाम बना ने का सडयंत्र था. और ये सब यहाँ के तथा कतिथ ज्ञानी लोगो ने किया. जिन्हे पढ़ने ka अधिकार था. उन्ही लोगो ने व्यवस्था बनाई. आप इस बारे मै क्या विचार रखते है कृपया मार्गदर्शन करे 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वरण व्यवस्था का प्रारंभ वैदिक काल से हुआ जहां कार्य के आधार पर जातियों को बांटा गया और भेदभाव नहीं था...परंतु उस समय जो ज्ञानी थे उन्होंने अपनी जाति या वंशज को और आने वाली पीढ़ी को सबसे सामाजिक ढांचे में अपनी श्रेष्ठता कायम रखने के लिए जन्म के आधार पर जाति प्रथा का अनुसरण किया और आज भी वोही प्रिक्रिया कायम है..व्यवस्था जन्म के आधार पर है ना की क्रम के आधार पर जो की भेदभाव जैसी कुरीति को बढ़ावा दे रहा है हम सब इंसान एक समान है सभी की उत्पति एक स्त्री की योनि से हुई है ना की किसी उच्च कुल में पैदा होने वाले व्यक्ति की उत्पति आसमान से हुई। Bycot castisem bycot communilisem
भाई मन की सीमा नही होती। आपने कहा लोग मन के तल पर होने से भेद करते है। मन की जगह होनी चाहिए बुद्धि और अहंकार मन सबका समान होता है। आज तक संसार मे जितने लोग सफल है,महान है, मन की वजह से। 50% से ज्यादा तो गरीब और असहाय थे। हर व्यक्ति को सफल होने मे बुद्धि 5% से 10 % बाकी मन 90% से 95 % होता है। जब मन शरीर का साथ देता है तो परेशान करेगा। बाह्यमुखी हो जाता है। जब मन आत्मा का साथ देता है तो आनंद की तरफ बढ़ते है। अंर्तमुखी
Apse ek request hai jaise apne aaj krishan or arjun ka example diya hai. Ussi tarah har video mai example dene ki koshish kareen. Jyada ache se samjh aa jata hai.
Many times “chitta” this word also used in Shastra’s, vrutti is used with chitta word, so what is mean by chitta or it’s synonym? Please explain Regards
शरीर को सुख में रस है, मन को दुख में रस है और आत्मा को आनंद में रस होता है। ये परम् सत्य है। By default मन को दुख में रस है। Conscious मन वह कुत्ता है, जब भी आप कुछ गलत करते है , ये भौकता जरूर है लेकिन काटता नही। उदाहरण : आप सोने की अंगूठी देखकर मन मे चुराने का भाव आता है, तो ये conscious मन आपको एक बार जरूर कहेगा, ये गलत है। मन के automation को खराब करने की वजह से ही लोग परेशान है। हर जगह बुद्धि लगा लगा के मन के automation को खराब करके खुद के लिए अपने मन को दुशमन बना देते है।
Ek prashan se guruji ,suna hai ke vartman itna shuksham hota hai ,jab ham sheese me apna chera dekhte hai tab tak veh past vartmaan me khud ko dekhhi nahi pate fir kaha her. Pal vartaam me jeena chahiye to kaise 🙏🙏🙏 apki vedio dekhne dokh, tanaw ,past ki chinta kam ho gai ap gyatabhaw k gyan karne k koshish kerti per is shanka ka niwaran kijiye kripya 🙏 kyuki hamari sanse to lambi unhone kaha vartman itna soksham hai
Kabhi bhi aapko Janna ho aap kon ho kabhi kisi ko takleef me dekho to sirf 1 minute ke liye apna naam apna dhram apni puri pehchan bhula dena phir jo aapko dikhega wo phir jo dikhega wo sach hoga
Excellent instructive thanks
Pranaam
Apne bahut achchhe dhang se samjhaya. Dhanyawad !
🙏🙏🙏
जय हो सत्य सनातन अद्वैत धर्म के सबसे बड़े विद्वान आदिगुरू शंकराचार्य जी की जिन्होंने भारत के चारों ओर चार मठ स्थापित किए है जिनमें एक जोशीमठ है जिन्होंने दुनिया को अद्वैतवाद की शिक्षा दी है। अद्वैत ही सत्य है बाकी सब माया है और सत्य ही सनातन है।
Bahut jordaar guru ji... 🙏🙏🙏
Thanx guru ji.. Dil se... 🙏🙏🫂🫂
🙏🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
bahoot aachha sir
Bhut sundar🙇♀️🙏💐❤
JAY GURU MAHARAJ
जय श्री रामकृष्ण जय स्वामी विवेकानंद ❤🎉
Jay shiv om 🕉 Om 🕉
Om namah shiway om om 🕉
Very nicely explained💖✨️❤🎉🎉🔥
आप अद्भुत है
Om namah shiway om om 🕉
Jay ho prabho om om 🕉
Om 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉
Om 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉
Very well discription of mn, vriti and Aatma. 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
भीतर एक बिन्दु है जहा से शान्ति का उदभव होता है मार्गदर्शन करे🙏🙏🌷
veri true thanx.
वाह वहह्ह्ह्ह
Ye sunder tha👌
Thank you 🙏. Amazing explanation!
Wah
गुरु जी मेरा एक प्रशन है. मै अक्सर इस पर चिंतन करता रहता हु. यदि भारत के पास इतने उच् स्तर का ज्ञान था. और आज भी है तो पहले जाति उउच् नीच छोटा बड़ा जैसे भाव क्यो थे. और यह सब उनके द्वारा किया गया जो अपने आपको वेदो उपनिषदों or geeta k विद्वान मानते थे. उन्होंने मनुष्य को क्यो baata जन्म से ही कोई आछुट् और कोई नीचा कैसे होजाता था. ये कोई विज्ञान था. या कोई परम ज्ञान था. या ये मानसिक गुलाम बना ने का सडयंत्र था. और ये सब यहाँ के तथा कतिथ ज्ञानी लोगो ने किया. जिन्हे पढ़ने ka अधिकार था. उन्ही लोगो ने व्यवस्था बनाई. आप इस बारे मै क्या विचार रखते है कृपया मार्गदर्शन करे 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वरण व्यवस्था का प्रारंभ वैदिक काल से हुआ जहां कार्य के आधार पर जातियों को बांटा गया और भेदभाव नहीं था...परंतु उस समय जो ज्ञानी थे उन्होंने अपनी जाति या वंशज को और आने वाली पीढ़ी को सबसे सामाजिक ढांचे में अपनी श्रेष्ठता कायम रखने के लिए जन्म के आधार पर जाति प्रथा का अनुसरण किया और आज भी वोही प्रिक्रिया कायम है..व्यवस्था जन्म के आधार पर है ना की क्रम के आधार पर जो की भेदभाव जैसी कुरीति को बढ़ावा दे रहा है हम सब इंसान एक समान है सभी की उत्पति एक स्त्री की योनि से हुई है ना की किसी उच्च कुल में पैदा होने वाले व्यक्ति की उत्पति आसमान से हुई। Bycot castisem bycot communilisem
बहुत ही अच्छा उत्तर ❤❤❤
भाई मन की सीमा नही होती।
आपने कहा लोग मन के तल पर होने से भेद करते है।
मन की जगह होनी चाहिए
बुद्धि और अहंकार
मन सबका समान होता है।
आज तक संसार मे जितने लोग सफल है,महान है, मन की वजह से।
50% से ज्यादा तो गरीब और असहाय थे।
हर व्यक्ति को सफल होने मे बुद्धि 5% से 10 % बाकी मन 90% से 95 % होता है।
जब मन शरीर का साथ देता है तो परेशान करेगा। बाह्यमुखी हो जाता है।
जब मन आत्मा का साथ देता है तो आनंद की तरफ बढ़ते है। अंर्तमुखी
जो इन शब्दों को समझने की कोशिश कर रहा है वह कौन है, और जो समझा रहा है, वह कौन है?
उनका अलग अलग अस्तित्व है। तुम्हारा और उसका
Apse ek request hai jaise apne aaj krishan or arjun ka example diya hai. Ussi tarah har video mai example dene ki koshish kareen. Jyada ache se samjh aa jata hai.
Many times “chitta” this word also used in Shastra’s, vrutti is used with chitta word, so what is mean by chitta or it’s synonym? Please explain
Regards
Defined perfectly 🙏👍
शरीर को सुख में रस है, मन को दुख में रस है और आत्मा को आनंद में रस होता है।
ये परम् सत्य है।
By default मन को दुख में रस है।
Conscious मन वह कुत्ता है, जब भी आप कुछ गलत करते है , ये भौकता जरूर है लेकिन काटता नही।
उदाहरण : आप सोने की अंगूठी देखकर मन मे चुराने का भाव आता है, तो ये conscious मन आपको एक बार जरूर कहेगा, ये गलत है।
मन के automation को खराब करने की वजह से ही लोग परेशान है।
हर जगह बुद्धि लगा लगा के मन के automation को खराब करके खुद के लिए अपने मन को दुशमन बना देते है।
Ek prashan se guruji ,suna hai ke vartman itna shuksham hota hai ,jab ham sheese me apna chera dekhte hai tab tak veh past vartmaan me khud ko dekhhi nahi pate fir kaha her. Pal vartaam me jeena chahiye to kaise 🙏🙏🙏 apki vedio dekhne dokh, tanaw ,past ki chinta kam ho gai ap gyatabhaw k gyan karne k koshish kerti per is shanka ka niwaran kijiye kripya 🙏 kyuki hamari sanse to lambi unhone kaha vartman itna soksham hai
क्या बात कर रहें आप हम शरीर कैसे नहीं हैं? हम आदमी औरत कैसे नहीं हैं? कृपया उत्तर देने की कृपा करें।
Kabhi bhi aapko Janna ho aap kon ho kabhi kisi ko takleef me dekho to sirf 1 minute ke liye apna naam apna dhram apni puri pehchan bhula dena phir jo aapko dikhega wo phir jo dikhega wo sach hoga
तो क्या आपको आत्मबोध हो गय है ?
@@anurag-ff4 सवाल कौन कर रहा है आप अपने आप से पुछिए?
Nice interpretation
I try this often
आपका मन कहना ही असत्य है,मन और शरीर ही तो आप हैं,आप अपने आप को आत्मा समझकर भ्रमित हो रहे हैं इसी के कारण सत्य से चूके हुये हो।
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