सुख और दुःख से मुक्ति। श्री राजन स्वामी जी
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- Опубліковано 9 лют 2025
- श्री प्राणनाथ ज्ञानपीठ के मुख्य उद्देश्य - ज्ञान, शिक्षा, उच्च आदर्श, पावन चरित्र व भारतीय संस्कृति का समाज में प्रचार करना तथा वैज्ञानिक सिद्धांतो पर आधारित आध्यात्मिक मूल्य द्वारा मानव को महामानव बनाना और श्री प्राणनाथ जी की ब्रम्हवाणी के द्वारा समाज में फ़ैल रही अंध-परम्पराओं को समाप्त करके सबको एक अक्षरातीत की पहचान कराना। अति महत्वपूर्ण नोट :- यह पंचभौतिक शरीर हमेशा रहने वाला नहीं है। प्रियतम परब्रह्म को पाने के लिये यह सुनहरा अवसर है। अतः बिना समय गवाएं उस अक्षरातीत पाने के लिये प्रयास करना चाहिये। Free e-Books to Download related to Shri Tartam Vani and Chitwani, also you can order books in Print copies from Shri Prannath Gyanpeeth, Sarsawa (+91 70881 20381). 1. परिकरमा + सागर + सिनगार + खिलवत टीका www.spjin.org/... www.spjin.org/... www.spjin.org/... www.spjin.org/... 2. NIJANAND YOG (निजानन्द योग) - Collection of 60 Invaluable FAQs www.spjin.org/... 3. CHITWANI MARGDARSHAN (चितवनि मार्गदर्शन) - Smallest and Best ever Pocket Guide to Meditation www.spjin.org/... 4. DHYAN KI PUSHPANJALI (ध्यान की पुष्पाञ्जलि) - Detailed Question-Answer Sessions transcribed in this unique pearl of spiritual wisdom www.spjin.org/... आत्मिक दृष्टि से परमधाम, युगल स्वरुप तथा अपनी परआत्म को देखना ही चितवनि (ध्यान) है। चितवनि के बिना आत्म जागृति संभव नहीं है। संसार की अब तक की प्रचलित सभी ध्यान पद्धतियाँ निराकार-बेहद से आगे नहीं जाती हैं। तारतम ज्ञान के प्रकाश में मात्र निजानन्द योग ही परमधाम ले जा सकता है। प्रियतम अक्षरातीत की चितवनि में इतना आनन्द है कि उसके सामने संसार के सभी सुख मिलकर भी कहीं नहीं ठहरते। यही कारण है कि ध्यान का आनन्द पाने के लिये ही राजकुमार सिद्धार्थ, महावीर, भर्तृहरि आदि ने अपने राज-पाट को छोड़ दिया और वनों में ध्यानमग्न रहे। बेहद मण्डल - इस प्राकृतिक जगत् से परे वह बेहद मण्डल है, जिसे योगमाया का ब्रह्माण्ड कहते हैं। चारों वेदों में इसे चतुष्पाद विभूति के रूप में वर्णित किया गया है। इस मण्डल में अक्षर ब्रह्म के चारों अन्तःकरण (मन, चित, बुद्धि तथा अहंकार) की लीला होती है, जिन्हें क्रमशः अव्याकृत, सबलिक, केवल और सत्स्वरूप कहते हैं। परमधाम - बेहद मण्डल से परे वह स्वलीला अद्वैत परमधाम है, जिसके कण-कण में सच्चिदानन्द परब्रह्म की लीला होती है। यह अनादि है, अनन्त है और सच्चिदानन्दमय है। जिस प्रकार सागर अपनी लहरों से तथा चन्द्रमा अपनी किरणों लीला करता है, उसी प्रकार अक्षरातीत भी अपनी अभिन्न स्वरूपा अंगरूपा आत्माओं के साथ अद्वैत लीला करते हैं, जो अनादि है और इसमें कभी अलगाव नहीं होता है। वेदों ने इसी परमधाम के सम्बन्ध में “त्रिपादुर्ध्व उदैत्पुरुष” अर्थात् परब्रह्म योगमाया से परे है, कहकर मौन धारण कर लिया। मुण्डकोपनिषद् ने भी 'दिव्य ब्रह्मपुर' शब्द का प्रयोग तो किया, किन्तु उसे बेहद मण्डल (केवल ब्रह्म) में मान लिया। कुरआन में मेयराज के वर्णन के द्वारा संकेत किये जाने पर भी मुस्लिम जगत अभी इसकी वास्तविकता से बहुत दूर है। श्री प्राणनाथजी की अलौकिक तारतम वाणी में इस परमधाम की शोभा, लीला एवं आनन्द का विशद रूप में वर्णन किया गया है, जिसका सुख किसी सौभाग्यशाली को ही प्राप्त होता है।
❤ pernam ji sunder sath ji ki charnao me koti koti pranam ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
अति सुन्दर चर्चा......प्रणाम जी ❤
प्रणामजी
Pranam ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Shree prannath pyare ki jay . Aap sabhi sundar saath ji ko charan kamal me kotan kot Prem pranam ji .
Prem pranam ji 🙏🙏🌹🌹❤️❤️ Swami ji 🙏🙏🌹🌹❤️❤️
Koti koti prem pranam ji
Shri Swami ji ke charno me Kot kot Prem Parnamji
Prem pranam ji 🙏🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य स्वामी जी आपके धाम हृदय में विराजमान श्री राज श्यामा जी के नूरी चरण कमलों में कोटि कोटि प्रेम प्रणाम जी 🙏👣❤️🌹👣🙏
પ્રેમ પ્રણામ જી 🙏
Pujya Swami ji ke charno me koti koti Prem pranam ji 🙏🏻💓💓🙏🏻
परमब्रम्ह परम परमेश्वर सर्वेश्वर श्रीकृष्ण परम परमात्मा की जय ! पुज्य गुरु जी के श्री चरणो मे काेटि काेटि सास्ताङ्ग दण्डवत प्रेम प्रणाम् जी ❤️❤️🙏🙏❤️❤️महाराज श्री के मुखारविन्द से विनिसृत एक एक शब्द अन्मोल है ।
Pranam ji ATI Sundar satsang 🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹🌹
पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रेम प्रणाम जी 🙏🌹🙏
Bahot hi sundar charcha swamy ji ke charno me koti ko ti prempranamji
Pranamji 🌺🌸🌸🌸🌸🌻🌸🌻🌻🌸🌻🌸❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Swami Ji ke charanon mein koti koti pranam
Pranam ji
Bhut sunder charcha❤❤ Swami ji ke charno me koti koti prem pranam ji🙏🙏
Pranam ji❤❤❤
Parnam ji
प्रेम प्रणाम जी स्वामी जी 🙏🙏
🙏🙏🙏prem Pranamji 🙏🙏🙏
Pranamji swamiji ❤❤❤❤❤
Ati sundar charcha शिक्षा मिलती हैं आप की चर्चा से
પૂજ્ય સ્વામિજી ના ચરણોમાં કોટી કોટી પ્રેમ પ્રણામજી 🙏🙏🙏🙏❤️
Parnam jee ati sundr.
❤ you Guru jee.
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Pranamji
कोटान कोट प्रेम प्रणाम जी❤
❤❤❤❤
Pranamji
Pranam ji
Pranamji