** kailash dham**har har shambho** Kailash Dham (कैलाश धाम)atamar village Jabalpur **

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  • Опубліковано 25 сер 2024
  • Kailash Dham
    संस्कारधानी में भोलेनाथ सफेद पिंडी रूप में विराजमान हैं. प्राकृतिक रूप से निर्मित पिंडी बेहद आकर्षक है. इस मंदिर को कैलाश धाम का नाम दिया गया है. जबलपुर के मटामर गांव के ऊंचे पहाड़ में स्थित यह मंदिर आज मध्य प्रदेश का दर्शनीय स्थल बन गया है. यहां सावन में दूर-दूर से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं.
    जबलपुर। कैलाशवासी देवों के देव महादेव को भोले नाथ ऐसे ही नहीं कहते. वे किसी भी रूप में कहीं भी उपस्थित हो जाते हैं. ऐसा ही एक रूप उन्होंने धरा है संस्कारधानी में. यहीं है एक मंदिर जिसकी ख्याति कैलाश धाम नाम से चहुंओर फैली है. इसी मंदिर में हैं भोलेनाथ सफेद पिंडी रूप में हैं.
    धाम
    पौधारोपण से पूरी होती है मनोकामनाग्राम मटामर के विशाल पहाड़ पर स्थित कैलाश धाम में आज भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. भगवान भोलेनाथ के मंदिर स्थल पर एक वृक्ष लगाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है कि कुछ साल पहले तक जो पहाड़ वीरान था वह आज हरा-भरा हो गया है. रोजाना कैलाश धाम में भगवान शिव से अपनी मनोकामना को लेकर वृक्षारोपण उनके भक्त कर रहे हैं.नर्मदा के ग्वारीघाट से कैलाश धाम तक आती है कांवड़ यात्राकैलाश धाम में भगवान शिव की स्थापना के साथ ही धीरे-धीरे उनके भक्त भी यहाँ आने लगे. करीब 10 साल पहले भोले के भक्तों ने मां नर्मदा से कैलाश धाम तक कांवड़ यात्रा निकाली. कुछ सालों में ही यह परम्परा का रूप ले चुकी है. अब विशाल कांवड़ यात्रा निकलती है जिसमें लाखों की संख्या में भक्त जुटते हैं. हालांकि विगत दो सालों से कोरोना संक्रमण के चलते इस पर ब्रेक लगा है. कैलाश धाम पहुंचें ऐसेमटामर गाँव के पास स्थित कैलाश धाम में अगर आपको भी भोले बाबा के दर्शन करने हैं तो आप जबलपुर रेलवे स्टेशन से रांझी- खमरिया होते हुए मटामर गांव पहुंच सकते हैं. वहीं अगर आप बस से आ रहे है तो बस स्टैंड से जबलपुर से दमोह नाका हाईकोर्ट चौराहा-कांचघर-रांझी खमरिया होते हुए मटामर कैलाश धाम आ सकते हैं. और अगर आप हवाई यात्रा से जबलपुर आते हैं तो महज चंद मिनटों में ही भोलेनाथ के पिंडी स्वरूप का दर्शन लाभ ले सकते हैं.

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