इस विचित्र पक्षी का नाम? विलुप्त होने की कगार पर है कुछ पक्षी

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  • Опубліковано 20 вер 2024
  • #you_know_this_ward#
    गौरतलब है कि पहले आसमान में गिद्ध व चील मंडराते नजर आती थी। कहीं मरा जानवर फेंका हुआ मिलता था तो काफी संख्या में ये पक्षी इकट्ठे होते थे और देखते ही देखते मरे जानवर को खाकर सफाया कर देते थे। मगर पर्यावरण प्रदूषण व अपने प्रतिकूल उत्पन्न वातावरण के चलते इनके जीवन पर संकट उत्पन्न हो गया। कारण कि अब मरे जानवरों को खुले में फेंकने के सार्वजनिक जमीनें खत्म हो गई हैं। लिहाजा आहार के अभाव में ये पक्षी मरने को अभिशप्त हो गए हैं। कमोबेश यही स्थित गौरैया, कबूतर व कौए का है। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में ये पक्षी भी अहम भूमिका निभाते हैं।
    घरों में गौरैया का चहचहाना अब बीते दिन की बात हो गई है। गौरैया घर में इधर-उधर बिखरे अनाज के दाने तो चुगती ही थी आंगन के कीड़े-मकोड़े भी खाकर साफ कर देती थी। अब यह प्रजाति भी विलुप्ति के कगार पर है।क्या कहते हैं पर्यावरणविद
    पर्यावरणविद व टीडी कालेज भूगोल विभाग के रीडर डा डीपी उपाध्याय कहते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण के चलते जैव विविधता खत्म हो जा रही है। उन्होंने बताया कि बाग-बगीचे खत्म होने व आहार की समस्या से इन पक्षियों के जीने के लिए प्रतिकूल वातावरण उत्पन्न हो गया है। जंगल नष्ट होने से जानवरों को भी रहने के लिए ठौर नहीं मिल पा रहा। नदियों के तटों तक लोग मकान बनाकर रहने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अगर यही हाल रहा तो अगले दस साल में कई अन्य प्रजातियों की पक्षियां विलुप्त हो जाएंगी।

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