New Nauha 2022 | Ghareeb Maa | Anjuman Sipah-e-Hussaini Bhanauli Sadat
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- Опубліковано 9 вер 2024
- New Nauha 2022
Mai Hun Usi Ghareeb Pisar ki Ghareeb Maa | मैं हूँ उसी ग़रीब पिसर की ग़रीब माँ
Poet - Waiz Sultanpuri
29 Moharram 1444/2022,
Juloos-e-Biswan Turabkhani Sultanpur
Organized By- Anjuman Panjatani Turabkhani, Sultanpur
Lyrics (Hindi)
मैं हूं उसी गरीब पिसर की गरीब मां
फर्शे अजा पे बैन ये करती है फातेमा
मै हूं उसी गरीब पिसर की गरीब मां
प्यासा जिसे शहीद लाइनों ने कर दिया
मै हूं...
1
चक्की चला के पाला था जिस नूरे ऐन को
मारा रूला रूला के मेरे उस हुसैन को
गुरबत में मेरे सामने जिसका गला कटा
मै हूं उसी...
2
महेशर तलक ना भूलूंगी वो गम की दास्तान
करती रहूंगी हश्र तलक मैं यही बयान
परदेस में हुई है जफा जिस पे बे खता
मै हूं उसी...
3
मैने जिसे ना होने दिया एक पल उदास
जन्नत से जिसके वास्ते मंगवा लिया लिबास
अफसोस तीन रोज़ न किसको कफन मिला
मै हूं उसी...
4
थे बे हिसाब तीर तने नाज़नीन पे
जिसका बदन न जीन पे था न ज़मीन पे
सीने पे जिस हुसैन के शिमरे लाईं चढ़ा
मै हूं उसी...
5
छे माह के पिसर का गला हुरमुला का तीर
हाथों पे जिसके कत्ल हुआ बेखता सगीर
चेहरे पे जिसने खून मला बे जबान का
मै हूं उसी गरीब...
6
कांटे पड़े थे प्यास से जिसकी जबान पर
सजदे में जिसका काट दिया जालिमों ने सर
जिसके लहू से लाल हुई अर्जे करबला
मै हूं उसी...
7
0
आशूर को जो चैन से बैठा न एक पल
जलती जमीन पर जो चला घुटनियों के बल
मारा गया जवान पिसर जिस ज़ईफ का
मै हूं उसी...
8
वाइज जिगर शेगाफ वो आँहें बुतूल की
कैसे रकम करूं मैं कराहें बुतूल की
है सय्यदा की दर्द में डूबी हुई सदा
मै हूं उसी...
W A I Z S U L T A N P U R I
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Gareeb Pisar ki Gareeb Maa
मैं हूँ उसी ग़रीब पिसर की ग़रीब माँ
Anjuman sipah-e-hussaini
Bhanauli sadat nohay 2022
Waiz Sultanpuri
Azadari Bhanauli
nohay 2022
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