जय गुरुदेव सत्य कबीर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब परवाना इसे कहते है कि जिस ने नाम प्रगट हैं जो गुप्त है कर्म काण्ड का विरोधी थे नाम सुमिरन के अलावा हमारा कोई नहीं गुरु शब्द है इसे कबीर कहों रैदास कहों लेकिन नाम प्रगट हैं वह सब हमारे गुरुदेव है वहीं संत है
सावन के जन्मल गीदड़ और भादो मे आया बाढ़ तो बोला ऐसा बाढ़ कभी भी नहीं देखा था ये ही है काल का दूत , कुछ चंद पंक्तियां पढ़ कर पूरे कबीर पंथी को रास्ता भटका रहा है , सभी प्रेमी भाई से अर्जी करता हूं कि इस काल दूत के बहकावे में न जाएं| साखी प्रमाण दे रहा है:- धर्मनी सुनो का कान दै, हम तुम एकै रुप| जो कोई दूजा मानि है, सों परै भव कूप||
चार गुरु संसार में , धर्मदास बड़ हंस। मुक्तिराज उनको दिए, अटल ब्यालीश वंश।।🌺🙏🌺 मेरे हृदय मंदिर के आराध्य सदगुरू कबीर साहेब जी को अनंत कोटि बंदगी। पंथ श्री हुजूर प्रकाश मुनि नाम साहब जी के पावन चरण कमलों में सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🌹🙏🌹
देखिए कबीर साहेब जी और धर्मदास साहेब जी की बहुत से भजन में चौका आरती के बारे में बात की है। और प्रकाश मुनि नाम साहब जी ने कहा है की कोई भी व्यक्ति अपने कर्मो से सतलोक पाएगा।।
@@Sadgurukabir697 और वे ठेका नही लिए है, वे तो बस कबीर साहेब की वाणी वचन को लोगो के प्रचार प्रसार कर रहे हैं..... और कबीर साहेब जी के लिए काम कर रहे है। और ठेका तो लोगो का अपना खुद लेना पड़ेगा, अपनी कर्म से लोग सतलोग जायेंगे
पहले आप 52 कसनी के बारे मे जाने तब आप को कबीर साहेब का पता चल जाए गा कि कबीर साहेब आख़िर है कौन, आप लोग तो कबीर साहेब को 5तत्व का देहधारी संत मानते है,कबीर साहेब बिदेही पूर्ण ब्रम्ह है,कबीर साहेब ने ही धर्मदास साहेब को चौका आरती के बारे मे बताए है साहेब जी
दादूराम सत्यराम राम भेज सो ऊतरे पार दादू भेजे सो ऊतरे पार संत कबीर साहेब कि जय हो संत रैदास जी महाराज कि जय हो संत श्रीरोमणी दादूदयाल माहाराज कि जय हो गुरु नानक देव जी महाराज कि जय हो सभी संतों महन्तो कि जय हो और से रामफूल माहाराज बारवाल ठीकाना बामनवास तहसील बामनवास जिला गंगापुर सिटी राजस्थान से
Pothi padh padh Jag mua Pandit Bhaya Na Koi Dhai Akshar Prem Ka Pade so pandit Hoi Saheb ji Pandit mat bnao Prem Ka paath sikhao 😮😮 साहेब जी एक सखी काफि है अमर लोक जाने के लिए❤❤❤
साहेब बँदगी साहेब आप कहते हैं सदगुरु कबीर साहेब और धनीधरम दास जी साहेब समकालीन नही थे और अभिलाष साहेब जी कहते है सदगुरू कबीर साहेब जी के सानिध्य पाकर धरमदास जी का जीवन पूरा कबीरमय हो गया था सो अटपटा लग रहा है
सच तो ये है कबीर साहेब जी के वाणी वचनों के अनुसार ये कथित पारखी साकट की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जिसका अर्थ नास्तिक होता है_ साकट के घर कर्ता धर्ता, हरि भक्ता के चेरी हो। ई माया रघुनाथ की बौरी, खेलन चली अहेरा हो। और गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर साहेब जी की एक साखी में साकट का अर्थ और स्पष्ट कर दिया है_ वैष्णव की कुकुरी भली, साकट की बुरी माय। वो नित सिमरे हरि नाम जस, वो पाप बिसाहन जाय।। नास्तिक कपूत जनकर, वो पाप कमाती है 😥
सुन्न संध्या तेरी देव देवा, करि अधिपति आदि समाई |सिद्ध समाधी अन्त न पाया, लागी रहे शरनाई ||लेहु आरती हो पुरुष निरंजन, सद्गुरु पूजहूँ भाई |ठाढ़ा ब्रम्हां निगम बिचारे अलख लखिया नहीं जाई ||तत्तू तेल नाम किया बाती, दीपक देह उजयारा |ज्योति लाय जगदीश जगाया, बुझे बुझन हारा ||पंचे शब्द अनाहद बाजे, संगे सारंगपानी |कबीरदास तेरी आरती कीनी, निरंकार निर्वानी ||पद्यार्थ -:हे देवो के देव आदिप्रभु!शून्य में सामकर मैं तेरी संध्या उपासना करता हूँ |सिद्ध पुरुषों ने तेरे अन्त को नहीं पाया |वे तेरी शरण में लगे रहते हैं |हे मायातीत पुरुष!आरती ग्रहण करो |खड़े -खड़े ब्रह्मा वेद का विचार करते हैं, अलख देखने में नहीं आता | देह का दीपक, सार तत्व चेतन धार का तेल और नाम की बत्ती का प्रकाश है | इस ज्योति की लपट से
परमात्मा जगदीश को जगाया अर्थात प्रत्यक्ष किया, इस विषय को बुझने वाला ही बुझता है | अपने संग में सर व्यापी विष्णु है और पांच अनाहद नाद बजते हैं |हे मुक्तरूप निराकार प्रभु!कबीरदास तेरी आरती क़ी |
इस उम्र में आकर भी तुम्हारे दूषित विचार हैं, पक्की बात है तुम भयंकर रूप से सद्गुरू कबीर साहब स्वरुपी वंशगुरुओं से बहुत ईर्ष्या रखते हो। सत्य जाने बिना तुमने अपना जीवन यूं ही बर्बाद कर लिया, क्यों भोले भाले लोगों को बरगला रहे हो।
सिद्ध भया तो क्या भया , चहुं दिस फुटी वास। अंतर वाके बिज है फिर जामन कि आश।। -- पढन लिखन सब चातुरी यह सब काम सहल। कम दहन मन थीर करी गगन चढन मसकल।। -- बीजक बतावत बित को जो धन गुप्ता होय। ऐसा शब्द बताहूं जीव को बुझत विरला कोय।। -- कबीर साहब क्रान्तिकारी ही नही , अध्यात्म वाद नहीं, बल्कि रहस्यमय वाद है (थे)। -- पढ- पढ कर पत्थर भया , लिख- लिख भया है चोर। जो पढ़ने से साहब मीले वह पढ़ना कछु और। -- एक पान बढयी का जो हाटे हाट बिकाय। एक पान सद्गुरु का जो, अमर लोक ले जाय।। -- पान परवाना, चौका अआर्ती यह एक रहस्य ही है आप तो बिजक पढे ,, बिजक कहां है, बिजक ग्रथ कि----😊 कबीर पंथी उलझे हुए। --- चतर्भुज, सहतेज बंकेज के बिना , धर्मदास कि गरुवाई नही चल सकती। आज भी है --- हिरंम्बर अंस --
Vanshvyalish se bhatak kr khin jgh nhi hai ye parkhi ki bhasha vol rhe hain kuch tatha khathit pustak pdkar gyan de rhe hain dharamdas saheb k hasth likhit granth aaj bhi surakshit hain praman k sath Saheb bandgi saheb
कबीर पंथ का महत्व समझा ही नही है लोग ।यदि इस पंथ मे हो तो किसी तरह गलत उपदेश नही देना चाहिए। लोग सही गलत समझकर किसी भी संस्था मानकर दीक्षा ले सकते है। जहां उसे सत्यता दिखे।
Kabir ka Gyan ka pata nahi vhugalkhore karte rahte he jeev sansar me kyon Aya Kahan jayaga koe Gyan nahi char daag se kabir nyare ajar amar sarir maluk daluk kahat he simro Satya kabir
तरसल इनका कहना है, की कबीर पंथ में चौका आरती जैसे कोई चीज नही, और धर्मदास साहेब कबीर साहिब जी के परम शिस्य नही थे, तो कितनी सारी कबीर साहेब के साखी, वचन, दोहे में धर्मदास साहेब और चौका आरती के बारे में बात की गई है।
कबीर साहेब का जन्म सन 1398 विक्रम संवत 1455 धरा धाम से जाना 1494 धर्मदास जी का जन्म 1405 इंटरनेट पर दिखाया जाता है सत्य क्या है परमात्मा जान ऐ साहिब बंदगी
जय गुरुदेव सत्य कबीर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब परवाना इसे कहते है कि जिस ने नाम प्रगट हैं जो गुप्त है कर्म काण्ड का विरोधी थे नाम सुमिरन के अलावा हमारा कोई नहीं गुरु शब्द है इसे कबीर कहों रैदास कहों लेकिन नाम प्रगट हैं वह सब हमारे गुरुदेव है वहीं संत है
Saheb b
सावन के जन्मल गीदड़ और भादो मे आया बाढ़ तो बोला ऐसा बाढ़ कभी भी नहीं देखा था
ये ही है काल का दूत , कुछ चंद पंक्तियां पढ़ कर पूरे कबीर पंथी को रास्ता भटका रहा है , सभी प्रेमी भाई से अर्जी करता हूं कि इस काल दूत के बहकावे में न जाएं|
साखी प्रमाण दे रहा है:-
धर्मनी सुनो का कान दै, हम तुम एकै रुप|
जो कोई दूजा मानि है, सों परै भव कूप||
Saheb bandagi Saheb,
सप्रेम साहिब बन्दगी साहिब
चौंका कर के नारियल चलानी कर जीवों की मुक्ति करके लोक भेजते हैं महंत कहते इस बात पर आप की किया कहते हैं साहिब जी ।
Saheb badagi saheb ji
Saheb badagi saheb Dr.B.L.Gurudyal MD
Saheb bandagi Saheb ji. Satya vichar.
चार गुरु संसार में , धर्मदास बड़ हंस।
मुक्तिराज उनको दिए, अटल ब्यालीश वंश।।🌺🙏🌺
मेरे हृदय मंदिर के आराध्य सदगुरू कबीर साहेब जी को अनंत कोटि बंदगी।
पंथ श्री हुजूर प्रकाश मुनि नाम साहब जी के पावन चरण कमलों में सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🌹🙏🌹
ક્યાં ચાર ગુરુની વાત કરો છો નામ બોલો એના અને ક્યાં સ્થાને એમના આશ્રમ કે કોઈ પુરાવા છે
બતાવો
मुक्ति का ठेका लिया है पूरा बियालिश बंस
देखिए कबीर साहेब जी और धर्मदास साहेब जी की बहुत से भजन में चौका आरती के बारे में बात की है। और प्रकाश मुनि नाम साहब जी ने कहा है की कोई भी व्यक्ति अपने कर्मो से सतलोक पाएगा।।
@@Sadgurukabir697 और वे ठेका नही लिए है, वे तो बस कबीर साहेब की वाणी वचन को लोगो के प्रचार प्रसार कर रहे हैं..... और कबीर साहेब जी के लिए काम कर रहे है। और ठेका तो लोगो का अपना खुद लेना पड़ेगा, अपनी कर्म से लोग सतलोग जायेंगे
That's all fake narrative. Read and understand Bijak by Sadguru Kabir.
ગયાની ગુની સુર 😅2:3
🤔🙏🙏🙏
सर मुख बंदे पारखी शीश भेंट धर हाथ बचन उचारू बंदगी सत्य प्रेम के साथ साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी
पहले आप 52 कसनी के बारे मे जाने तब आप को कबीर साहेब का पता चल जाए गा कि कबीर साहेब आख़िर है कौन, आप लोग तो कबीर साहेब को 5तत्व का देहधारी संत मानते है,कबीर साहेब बिदेही पूर्ण ब्रम्ह है,कबीर साहेब ने ही धर्मदास साहेब को चौका आरती के बारे मे बताए है साहेब जी
Sahi bole saheb ji
सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब 💐💐💐
साहिब जी अआपका गदी आश्रम😢का उत्पत्ति कहां से कब से किन के माध्यम से हुआ खुलासा करते तो आनंद आता
આપકી બાત સચ હૈ
Hi
साहेब बंदगी साहेब गुरु देव 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌻🌻🌻
दादूराम सत्यराम राम भेज सो ऊतरे पार दादू भेजे सो ऊतरे पार
संत कबीर साहेब कि जय हो संत रैदास जी महाराज कि जय हो संत श्रीरोमणी दादूदयाल माहाराज कि जय हो गुरु नानक देव जी महाराज कि जय हो सभी संतों महन्तो कि जय हो
और से रामफूल माहाराज बारवाल ठीकाना बामनवास तहसील बामनवास जिला गंगापुर सिटी राजस्थान से
जिसमें जो करती होता है मैं कबीर पंथ है मैं किसी और का पंथहे
Pothi padh padh Jag mua Pandit Bhaya Na Koi Dhai Akshar Prem Ka Pade so pandit Hoi Saheb ji Pandit mat bnao Prem Ka paath sikhao 😮😮 साहेब जी एक सखी काफि है अमर लोक जाने के लिए❤❤❤
साहेब बँदगी साहेब
आप कहते हैं सदगुरु कबीर साहेब और धनीधरम दास जी साहेब समकालीन नही थे और अभिलाष साहेब जी कहते है सदगुरू कबीर साहेब जी के सानिध्य पाकर धरमदास जी का जीवन पूरा कबीरमय हो गया था सो अटपटा लग रहा है
सच तो ये है कबीर साहेब जी के वाणी वचनों के अनुसार ये कथित पारखी साकट की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जिसका अर्थ नास्तिक होता है_
साकट के घर कर्ता धर्ता, हरि भक्ता के चेरी हो।
ई माया रघुनाथ की बौरी, खेलन चली अहेरा हो।
और गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर साहेब जी की एक साखी में साकट का अर्थ और स्पष्ट कर दिया है_
वैष्णव की कुकुरी भली, साकट की बुरी माय।
वो नित सिमरे हरि नाम जस, वो पाप बिसाहन जाय।।
नास्तिक कपूत जनकर, वो पाप कमाती है 😥
साहेब देह छोडनेके बाद धर्मदास को मिले थे ओर तब आरती विधान बताया था ।
क्या जानते हो आप कबीर पंथ के बारे में
Aap Kabir saheeb k bare main kuch nahi malum nahi hai.
Kabir path ko dharm nhi banane diya yesant mahatma ji ne say nam saheb bandi saheb
कोई अध्ययन नही किया आपने, बस ईर्ष्या बस सब कह रहे हो ।
🙏🙏🙏🌹🪔🇮🇳
सुन्न संध्या तेरी देव देवा, करि अधिपति आदि समाई |सिद्ध समाधी अन्त न पाया, लागी रहे शरनाई ||लेहु आरती हो पुरुष निरंजन, सद्गुरु पूजहूँ भाई |ठाढ़ा ब्रम्हां निगम बिचारे अलख लखिया नहीं जाई ||तत्तू तेल नाम किया बाती, दीपक देह उजयारा |ज्योति लाय जगदीश जगाया, बुझे बुझन हारा ||पंचे शब्द अनाहद बाजे, संगे सारंगपानी |कबीरदास तेरी आरती कीनी, निरंकार निर्वानी ||पद्यार्थ -:हे देवो के देव आदिप्रभु!शून्य में सामकर मैं तेरी संध्या उपासना करता हूँ |सिद्ध पुरुषों ने तेरे अन्त को नहीं पाया |वे तेरी शरण में लगे रहते हैं |हे मायातीत पुरुष!आरती ग्रहण करो |खड़े -खड़े ब्रह्मा वेद का विचार करते हैं, अलख देखने में नहीं आता | देह का दीपक, सार तत्व चेतन धार का तेल और नाम की बत्ती का प्रकाश है | इस ज्योति की लपट से
परमात्मा जगदीश को जगाया अर्थात प्रत्यक्ष किया, इस विषय को बुझने वाला ही बुझता है | अपने संग में सर व्यापी विष्णु है और पांच अनाहद नाद बजते हैं |हे मुक्तरूप निराकार प्रभु!कबीरदास तेरी आरती क़ी |
इस उम्र में आकर भी तुम्हारे दूषित विचार हैं, पक्की बात है तुम भयंकर रूप से सद्गुरू कबीर साहब स्वरुपी वंशगुरुओं से बहुत ईर्ष्या रखते हो। सत्य जाने बिना तुमने अपना जीवन यूं ही बर्बाद कर लिया, क्यों भोले भाले लोगों को बरगला रहे हो।
सिद्ध भया तो क्या भया , चहुं दिस फुटी वास। अंतर वाके बिज है फिर जामन कि आश।।
-- पढन लिखन सब चातुरी यह सब काम सहल।
कम दहन मन थीर करी गगन चढन मसकल।।
-- बीजक बतावत बित को जो धन गुप्ता होय।
ऐसा शब्द बताहूं जीव को बुझत विरला कोय।।
-- कबीर साहब क्रान्तिकारी ही नही , अध्यात्म वाद नहीं, बल्कि रहस्यमय वाद है (थे)।
-- पढ- पढ कर पत्थर भया , लिख- लिख भया है चोर।
जो पढ़ने से साहब मीले वह पढ़ना कछु और।
-- एक पान बढयी का जो हाटे हाट बिकाय।
एक पान सद्गुरु का जो, अमर लोक ले जाय।।
-- पान परवाना, चौका अआर्ती
यह एक रहस्य ही है आप तो बिजक पढे ,, बिजक कहां है, बिजक ग्रथ कि----😊
कबीर पंथी उलझे हुए।
--- चतर्भुज, सहतेज बंकेज के बिना , धर्मदास कि गरुवाई नही चल सकती। आज भी है
--- हिरंम्बर अंस
--
पारख निष्ट संत श्री रामरहस साहेब रचित पंचग्रथी में चौंका आरती का विधान नहीं है, साहेब बंदगी
कालदूत भ्रमित करने लग गये
पूरण साहेब तो ताज शैली लगा कर चौका आरती करते थे
Kabir sahab.sambat1455m aaye dharm das 1465 m aaye
Aap log kabir pant par chouk aarti ka bharam phila rahe hai .aap ko kuch malum nahi hai.
कुछ भी मन से बनाई बाते बोले जा रहे हो
Vanshvyalish se bhatak kr khin jgh nhi hai ye parkhi ki bhasha vol rhe hain kuch tatha khathit pustak pdkar gyan de rhe hain dharamdas saheb k hasth likhit granth aaj bhi surakshit hain praman k sath
Saheb bandgi saheb
कोई भी धर्म गुरु ये नहीं कहता कि केवल पान परवाना लेकर ही आवागमन के बंधन से मुक्ति मिल जाएगी |
Ak ram ghat ghat me dole ak ram raja dasrath Ghar bole AAP Kis Ram ko mante hai
Jo chouka arti ko tamjham bolte hai
मंहत महावत चौधरी कांगो अरु कोतवाल,
इनकी मुक्ति न होई है जन्म लेय सौ बार।
हमें तो कड़िहार चाहिए, आरोप प्रत्यारोप भ्रम फैलाने वाले साधु संत नहीं चाहिए।
saheb ji number chahiye hame
आप चौका आरती का विरोध कर रहे है
कबीर पंथ का महत्व समझा ही नही है लोग ।यदि इस पंथ मे हो तो किसी तरह गलत उपदेश नही देना चाहिए। लोग सही गलत समझकर किसी भी संस्था मानकर दीक्षा ले सकते है। जहां उसे सत्यता दिखे।
सद्गुरु कबीर साहेब सत्य पथ के राही रहें और उनके अनुयायी को भी उसी रस्ते में चलना चाहिए।
साहिब आपको बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा साहब बहुत बढ़िया साहब आपको बार-बार बंदगी साहेब बंदगी🤲🤲
अपनी अपनी डफली अपनी अपनी राग
आपका बकवास अपने पास रखें।
सदगुरु श्री सनाथ साहेब, इतिहासकार, विद्वान,लेखक, क्रान्तिकारी संत है, साहेब जी के चरणों में साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी
Kabir ka Gyan ka pata nahi vhugalkhore karte rahte he jeev sansar me kyon Aya Kahan jayaga koe Gyan nahi char daag se kabir nyare ajar amar sarir maluk daluk kahat he simro Satya kabir
Kisi ramanandi ne chokka aarti ka nirman karaya hoga sahab bandagi
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
Sabse abujh prani to Jo pravachan de rha hai vo hai
बिलकुल बकवास ।
ये आप कबीर पंथ के, बारे में अफवाफ न फैलाए
ज़रा ये भी बता दीजिए क्या अफवाह फैलाते हैं हमें भी पता चले।
तरसल इनका कहना है, की कबीर पंथ में चौका आरती जैसे कोई चीज नही, और धर्मदास साहेब कबीर साहिब जी के परम शिस्य नही थे, तो कितनी सारी कबीर साहेब के साखी, वचन, दोहे में धर्मदास साहेब और चौका आरती के बारे में बात की गई है।
Apne kabhi apne ander ko anobho karo
Bakvas afvah
कबीर साहेब का जन्म सन 1398 विक्रम संवत 1455 धरा धाम से जाना 1494 धर्मदास जी का जन्म 1405 इंटरनेट पर दिखाया जाता है सत्य क्या है परमात्मा जान ऐ साहिब बंदगी
परम पूज्य सदगुरु देव जी आपके पावन चरणों में मेरी कोटि कोटि सादर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
Saheb bandagi saheb 🙏🙏🙏
Saheb bandagi saheb ji