'पत्नी को शृंगार करते देखूंगा..' 90 घंटे काम पर Lallantop में गज़ब बहस, Saurabh Dwivedi से कौन भिड़ा?

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  • Опубліковано 27 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 1,7 тис.

  • @vlog.shyamanand
    @vlog.shyamanand 11 днів тому +43

    Aj pata chala comment pe 3tripple tap krne se reply hota hai 🤣🤣🤣

  • @yogeshmishra7127
    @yogeshmishra7127 13 днів тому +21

    हर किसी को शिक्षा का मौका भी नहीं मिलता है सौरभ जी, और अगर जो आप कह रहे है कि अपने मन का काम करे हर व्यक्ति यह इतना ही आसान होता तो कोई दुखी न होता, आप अपने न्यूज़रूम में इसपे डिबेट न कर रहे होते, और सबकी ज़िन्दगी इतनी आसान नहीं होती है सौरभ जी। सादर प्रणाम...

  • @avikbhattacharjee3567
    @avikbhattacharjee3567 14 днів тому +335

    Saurabh sounds like “if you are not happy in India then just leave it”

    • @SFH372
      @SFH372 13 днів тому

      Who are you tell anyone to leave the country, this country is not bought by you.

    • @santosh.majumdar
      @santosh.majumdar 13 днів тому +5

      As if India is full of vacancies.

    • @UnlimitedGyan24
      @UnlimitedGyan24 12 днів тому +5

      India tere pita ji ka hai 😂

    • @avikbhattacharjee3567
      @avikbhattacharjee3567 12 днів тому +2

      @ Before jumping to conclusions, kindly take a moment to understand the post thoroughly. I never suggested Saurabh should leave India, nor do we have any right to say such things. If you watch the video carefully, you'll see who actually made that kind of statement. Wishing you a good sense of humor and understanding!

    • @santosh.majumdar
      @santosh.majumdar 12 днів тому +1

      @@avikbhattacharjee3567 i agree

  • @rathodjay555
    @rathodjay555 12 днів тому +17

    Aaj ye baat yaad aati hain ki ,"majdoor ke pas ek hi malik hain par malik ke pass bahot sare majdoor"🧐🤔

  • @vipin.khaddar
    @vipin.khaddar 14 днів тому +124

    आज में पहली बार सौरभ जी की बातों से पूरी तरह असहमत हूँ। ज्यादादार में उनकी बातों से सहमत रहता हूं। कुछ मुद्दों को लेकर जैसे आरक्षण etc
    आप भी एक मध्यम परिवार से निकल कर आए है। और बाते बढ़े स्तर या विकसित भारत के स्तर की कर रहे है।
    भारत का नागरिक के पास चयन कम होते है।
    अरे उसे तो इतना तक पता नहीं रहता कि वह जिस फील्ड में है वह सही है या नहीं।
    मुझे नहीं लगता आधी से ज्यादा आबादी जो उसे पसंद है। वह काम कर रहे है।
    अरे आधी से ज्यादा आबादी को तो यही नहीं पता कि उसे क्या पसंद है कुछ % लोग हो सकते है। जिन्हें पता है हम गलत फील्ड में काम कर रहे है।
    बाकी लोग तो यह सोचते है कि हमे काम मिला है। यही बहुत है।
    यहां मतलब भारत में लग शौक से नौकरी नहीं करते पैसे के लिए करते है। यह भारत है आपको इस बात को तथ्य में लेकर बात करनी चाहिए थी।
    काम करना आधी से ज्यादा आबादी के लिए जीवन यापन का माध्यम है।

    • @amitpatilamit
      @amitpatilamit 13 днів тому +1

      Bhai, he is talking about being self-aware... how much you work should be by choice and not by rule. Set priorities and work on that, don't be a slave for any company. Especially ones that have CEOs who think everyone should work for 90 hours because THEY feel like it.

    • @swapnilns7796
      @swapnilns7796 12 днів тому

      ​@@amitpatilamitwahi to Bataya usne. Slave ke pas option nahi hota bhai self awareness hoke bhi. Wo paisa Kamane ke liye slavery kar rha hai

    • @nosin5124
      @nosin5124 12 днів тому

      No, Saurabh ji said that employees need to get their priorities right, have faith in their 'purusharth' and leave the place where they feel they are being exploited. This is a very privileged position to take by someone who realizes their self-worth. Majority of workers don't. They have too many life pressures and are facing a massive job crunch in the market. This is leading to their exploitation and the reason why some toxic managers get too much power over their employees. Do not agree with Saurabh ji in this instance.

    • @amitpatilamit
      @amitpatilamit 12 днів тому

      @nosin5124 All he is saying is do something about it. Just cribbing won't change or solve anything. Either you consider leaving the company, or if you don't like the job profile, then reconsider the carrier itself. It you can't do either of these, then challenge the unacceptable conditions at your job. If you cannot do ANYTHING, then what is the point of cribbing about it? Saying we don't have a choice, so we have to work 90 hours when they say it... is a slave mentality and will result in more exploitation.

    • @aniltirkey378
      @aniltirkey378 12 днів тому

      Samajh nahi aata bikas america wala sahi hai ya russia china wala
      Ya phir apna bhi kuch hona chahiye bikas ka Paimana.
      Aakhir sab des aur sthiti ek si nahi hai phir bikas ka paimana ek sa kyun ho ........

  • @rajendra2828
    @rajendra2828 12 днів тому +5

    सौरभ सर आप जैसा मालिक किसी को नहीं मिलेगा।
    आप और एक फिजिक्स वाला के ऑनर हैं।
    आप दोनो बेस्ट ऑनर हैं।
    सैल्यूट है आप दोनों को...

  • @manojprabhakar7504
    @manojprabhakar7504 14 днів тому +200

    सौरभ भाई परमात्मा ने आपको बोलने का अच्छा हुनर दिया है, सही है लेकिन अन्य साथियों को भी पूरा सम्मान देने का प्रयास करें । खुद को फन्ने खां न मानो ।
    सलाह

    • @bhupati_sharma
      @bhupati_sharma 14 днів тому +6

      आप समझ आ है एक बांस अपने कर्मचारियों से बात कर रहा है

    • @e-learningwithmahesh6538
      @e-learningwithmahesh6538 14 днів тому +1

      जेएनयू का छात्र है सौरभ

    • @shrawan0825
      @shrawan0825 14 днів тому +2

      सौरभ बाबू वहां के हेड है और हेड के सामने सीमित मात्रा में ही बोला जाता है।

    • @ambarishrai8334
      @ambarishrai8334 13 днів тому

      सौरभ भाई से किसी भी टॉपिक पर बकैती करा लो....हगेंगे ज़रूर।

    • @shreychoudhary7859
      @shreychoudhary7859 13 днів тому

      ​@@e-learningwithmahesh6538jab unhone 4-5 logo ke sath channel start Kiya tha aaj. Yaha tak pauch gaye tm bs jnu jnu karte raho

  • @anilkumarsingh8484
    @anilkumarsingh8484 13 днів тому +8

    Last 5 mins are the real and accurate discussion on the topic which was picked.

  • @iamanuragyadav
    @iamanuragyadav 14 днів тому +35

    Saurabh :
    Sense ❌
    Pravachan ✅

  • @UPSCwith113
    @UPSCwith113 12 днів тому +7

    नौकरी में तुम खर्च हो जाओगे..तुम्हारा रिप्लेसमेंट आ जाएगा फट से...😢
    लेकिन दुनियां में तुम्हारा रिप्लेसमेंट नहीं आएगा.. these words ❤❤

  • @user-hy5dw7sj4m
    @user-hy5dw7sj4m 14 днів тому +53

    The last 5-7 mins of discussion had very valid points.

  • @RajaGoud-l1z
    @RajaGoud-l1z 10 днів тому +5

    एक सत्य ये हे कि हर काम खुशी से नि होता हर काम मनलायक नहीं होता हे सौरभ जी AC me बैठकर मन की बाते बोलना आसान हे ज्यादातर काम मजबूरी में करना पड़ते हे इसलिए उन कामों के लिए लिमिटेड टाइम होना चाहिए 8:8:8 best he
    8 hour rest (compulsary)
    8 hour work(Needs)
    8 hour own work whatever(on self)

  • @massstatus6909
    @massstatus6909 14 днів тому +128

    यह अमरीका, कनाडा या कोई विकसित देश नहीं है, जिसमें सौरभ जी की बातें तार्किक हो, हम अभी भी उस दौर से गुजर रहे हैं जहां हम अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे, देश के सन्दर्भ मे। जहां अधिकांश लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए संघर्ष करते रहते है, विकल्प बहुत ही कम है, चाहे वो किस विद्यालय में पढ़ने का हो या पढ़ाने का हो और कौनसी नौकरी करने का हो। जहां तक बात रही स्किल्स अपनाने की, तो हमारा education system अभी भी अपने आप की मरम्मत में लगा है, हमे सहारा देना तो दूर की बात है,

    • @vipin.khaddar
      @vipin.khaddar 11 днів тому +1

      @@massstatus6909 बिल्कुल सही बात है

    • @madhab.n-x5y
      @madhab.n-x5y 8 днів тому

      He is totally knowingly trying to avoid the point.

    • @TheRinkuhasan
      @TheRinkuhasan 8 днів тому

      Not agree

  • @kumarpushpendra09
    @kumarpushpendra09 13 днів тому +49

    सौरभ भैया को खुशफहमी की बीमारी है। थोड़ा दार्शनिक, थोड़ा पाठक, थोड़ा लेखक,थोड़ा प्रेमी, थोड़ा पत्रकार इन्हें सब होना है। ज्ञानी बाबा। जो लोग अच्छा बोल लेते हैं वो बड़े प्यार से धीरे धीरे दूसरों को दबाना जानते हैं

    • @rushikeshs.2023
      @rushikeshs.2023 12 днів тому

      right analysis, English to dhng se aati nhi aur sirf dikhwa krna hai isko

    • @AnantPanditd435430
      @AnantPanditd435430 11 днів тому +1

      What makes you think so

  • @ajiteshpratapsingh3500
    @ajiteshpratapsingh3500 14 днів тому +270

    First time Saurabh sir arguments doesn't make sense

    • @janpanchayatrohtas
      @janpanchayatrohtas 13 днів тому +2

      Bilkul

    • @jaythakur2137
      @jaythakur2137 13 днів тому +1

      Always 😂

    • @dang00786
      @dang00786 12 днів тому +3

      It totally make sense for me

    • @sanjaypawar4721
      @sanjaypawar4721 12 днів тому +1

      Right

    • @santosh.majumdar
      @santosh.majumdar 12 днів тому

      @@ajiteshpratapsingh3500 it seems like India is full of vacancies, more than 90% of Employed Indians, don't like their jobs, there is a study. We don't have opportunities that we can leave n job & find another job easily, finding new job is extremely tough nowadays.

  • @vishalsuresh2182
    @vishalsuresh2182 13 днів тому +3

    आदरणीय सौरभ जी के विचार सुनना हमेशा ही जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण (काम) होता है। इस चर्चा में भी उन्होंने काफी व्यवहारिक एवं तार्किक बातें की जो अनेकों के जीवन में महत्वपूर्ण हो सकती है।
    मैं मानता हूं कि सौरभ जी इन सब पेहलूओ को लेकर हमेशा ही संवेदनशील रहे हैं और वह इन वास्तविकताओं को कभी नजर अंदाज नहीं करेंगे। पर मुझे ऐसा लगता है कि इस चर्चा में उन्होंने उन मुद्दों को ध्यान में रखकर चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया। उन्होंने विषय के एक ही पेहलू को सही साबित करने कि कोशिश में और कैसे व्यक्तिगत तौर पर कोई व्यक्ति अपनी स्थिति सुधार सकता हैं या मनपसंद जीवन जी सकता हैं, यह साबित करने के चक्कर में इस विषय के अनेक पहलुओं पे जो चर्चा हो सकती थी, उस संभावनाओं को नष्ट किया, ऐसा लगा ( मुझे ऐसा लगा । मैं गलत भी हो सकता हूं।) ।
    किसी ने बातचीत में यह बात रखी थी की कंपनियों में काम करने वाले लोग किस सामाजिक - आर्थिक पृष्ठभूमि से आते है, इसका भी विचार होना चाहिए। लेकिन इस मुद्दे पे किसी ने चर्चा आगे नहीं बढाई या सौरभ जी ने उसपे अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी।
    हमारे जाती-वर्ग आधारित समाज के बेसिक स्ट्रक्चर में ही इतनी गड़बड़ी है कि बहुसंख्य लोग केवल अपने बलबूते पर अपनी स्थिति नहीं सुधार सकते। अपना मनपसंद काम नहीं कर सकते। आप ही सोचकर देखो की कितने लोग हैं जो अपने मनपसंद का काम कर पा रहे हैं? और अगर नहीं कर पा रहे हैं तो क्यों नहीं कर पा रहे? केवल व्यक्तिगत कारणों से या इसमें हमारे समाज के सामाजिक - आर्थिक घटको की भी भुमिका होती हैं?
    इसमें कोई दोराय नहीं कि व्यक्तिगत मेहनत जीवन अर्थपूर्ण बनाने की बुनियाद है। लेकिन सामाजिक -आर्थिक जैसे संस्थात्मक घटकों को‌‌ नज़र अंदाज़ कर सब जिम्मेदारी व्यक्ति पर छोड़कर केवल उसे दोषी ठहराना, सच के साथ बेईमानी होगी।

  • @shubhb5017
    @shubhb5017 14 днів тому +174

    Sourav Dwivedi interrupting when others were speaking multiple times while claiming foul when he got interrupted once - sounds like a typical boss. Also, nobody talked about the fact that these CEOs make people work for 70 hours while not paying overtime - no talk about labor laws and such. This was overall a very weak and trifling debate and didn't take the labor issues very seriously. Also, like the last speaker stated, they seem to be living in their own bubble and oblivious to problems of other industries. Lallantop should think about diversity hiring from other fields and not just good journalism and literature majors.

    • @Dr_N999
      @Dr_N999 14 днів тому +4

      Sourav is not their colleague, he is their mentor and therefore he is also maintaining and streamlining narrative while keeping it entertaining and watchable. So that is why he is just doing his job.

    • @Artsy_craftsy_88
      @Artsy_craftsy_88 14 днів тому +3

      Drifted from actual topic.... cant expect it at lallantop

    • @ravigrover7849
      @ravigrover7849 13 днів тому +3

      discussion is not about Saurabh or his behaviour.
      I would appreciate Saurabh for having guts to such a discussion on his platform.
      Allowing his every team member to express his views and I m sure no other channel would even both to have such an issue of discussion.

    • @chandrikasaha6301
      @chandrikasaha6301 13 днів тому +2

      He clearly has started thinking himself the king of the jungle. Popularity and politeness ka combination is gone perhaps - MMS was the last perhaps

    • @iffatrizvi9531
      @iffatrizvi9531 13 днів тому

      i agree with 90% of what you said except you can't really dictate to a journalism firm to hire from other degrees, like you cant tell IT firm to hire lawyers or english majors. hiring is based on requirement not whims and fancy

  • @vikky___11
    @vikky___11 10 днів тому +3

    The Best Line ' नौकरी में तुम्हारी रिप्लेसमेंट मिल जायेगी दुनिया में तुम्हारी रिप्लेसमेंट नहीं मिलेगी सी❤❤❤

  • @jineshudani401
    @jineshudani401 14 днів тому +73

    द्विवेदी जी के बारे में कुछ अजीब बात है। मैं तथ्यों और राय दोनों को व्यक्त करने की क्षमता का सम्मान करता हूं। हालाँकि, जब वे अपने दृष्टिकोण को साझा करने की कोशिश कर रहे थे तो हर व्यक्ति के बीच में काटना बेहद अपमानजनक और कष्टप्रद लगा..

  • @abhipathakadvisor119
    @abhipathakadvisor119 13 днів тому +5

    बेरोजगारी इतनी बड़ी है,कि भारतीय युवा से आप 24×7 काम भी कराओगे तब भी तैयार है, उनको अभि अपनी physical or mental health कि बिलकुल फ़िक्र नहीं है बस रोजगार चाहिए, इस पर भी चर्चा हो जाये प्रिये दा लल्लनटॉप

    • @waliimam5800
      @waliimam5800 13 днів тому

      Tabhi to itna virodh hone ke bad v log Agniveer ban rahe

  • @SANTOSHSHARMA-mn2wj
    @SANTOSHSHARMA-mn2wj 14 днів тому +209

    सौरभ आप जिस बौद्धिक स्तर पर पहुंच चुके हैं वहां इस तरह की बातें करना बहुत आसान है। लेकिन वह लड़का जो आठवीं दसवीं और बारहवीं पास होकर बाहर किसी ऐसी कंपनी में काम करता है वह इस मानसिक स्थिति पर भी नहीं है कि मैं इसे बदल सकता हूं। और कहीं और नौकरी कर ली जाए। बदलाव बहुत बड़ा बौद्धिक स्तर मांगती है। शायद इस बात का एहसास आपको हो लेकिन आप उसे स्वीकार नहीं करना चाहते।

    • @TeachStudy55
      @TeachStudy55 14 днів тому +6

      Sahi baat hai

    • @sankashpandiya8428
      @sankashpandiya8428 14 днів тому +8

      सौरभ समझ नहीं पा रहे हैं। फुल बकवास कर रहे हैं। मालिक समझ भी नहीं पाते।

    • @TeachStudy55
      @TeachStudy55 14 днів тому +2

      @@sankashpandiya8428 Right

    • @adeshshukla5247
      @adeshshukla5247 14 днів тому +3

      बौद्धिक स्तर बढ़ाने के लिए सौरभ नहीं आएगा आप को खुद अच्छे से पढ़ाई करने होगी सिर्फ अच्छी रैंक आने से बौद्धिक स्तर नही बढ़ता है

    • @dasganesh4138
      @dasganesh4138 14 днів тому

      Doctors in India mainly residents laughing in hospital on duty watching this video at 4 am

  • @sanjaypawar4721
    @sanjaypawar4721 12 днів тому +4

    नेचर ने बताया कि दिन में काम करो और रात में आराम
    हमने रात को भी जगमग कर दिया इसका मतलब यह नहीं की 24 घंटे काम करने के लिए ही है
    खुद,परिवार ओर नेचर कोई भी टाइम देना आवश्यक है

  • @proudindian5162
    @proudindian5162 14 днів тому +21

    सौरभ जी भारत अभी इतना विकसित नहीं है कि सभी प्रकार के अवसर मिल सके और खास कर छोटे शहरों और कस्बों में यह समस्या और अधिक है रोज़मर्रा के संघर्ष ही इतने अधिक हो जाते है एक सामान्य व्यक्ति के लिए कि वह बेमन का काम करने को मजबूर हो जाता है I agree Ashish ji
    Berojgari itni h ki bdi asni se replacement ho jayega I agree abhinav ji

  • @Princeofzilch
    @Princeofzilch 11 днів тому

    I love love love love LOVE how he said at 3:02 "jo bhi unka CHOSEN GENDER hai". Thank you, teh dil se, sir. Dwivedi Saheb, ek hi dil hai, kitni baar jeetenge. I wish a person like him (or he himself 🤞🏾) runs our country someday.

  • @HimanshuKishanShukla
    @HimanshuKishanShukla 14 днів тому +39

    सौरभ जी भारत जैसे देश में कुर्सी खाली नहीं रह सकती जहां आबादी और बेरोजगारी दोनों उच्च हैं। समस्या यह भी है कि 90 घंटे बोल रहे और 70 घंटे को नॉर्मलाइज कर दिया तो...

  • @dr.abdulhaqueinamdar114
    @dr.abdulhaqueinamdar114 13 днів тому +2

    A very privileged conversation.. conversation between all the privileged employees of a newsroom..

  • @RoverRakesh08
    @RoverRakesh08 14 днів тому +11

    In Every discussion I like kuldeep's explanation... Love to hear him... And Saurabh Dwivedi always discussed very cleverly like an Owner 😂

  • @WarriorGaming0072
    @WarriorGaming0072 11 днів тому

    Ye hoti h real journalism without diverting people mindset to misguide❤❤ #hatsoff

  • @HimanshuKishanShukla
    @HimanshuKishanShukla 14 днів тому +68

    सौरभ जी संपादक हैं इसी कारण सौरभ, नारायण मूर्ति और सुब्रमण्यम जी की बातों में समानता दिख रही है। कंपनी की मार्केट वैल्यू में जितना अंतर है उतना ही विचार में। दर असल सौरभ यहां 50 बरस के नारायण मूर्ति ही हैं।

    • @adeshshukla5247
      @adeshshukla5247 14 днів тому +1

      इसका मतलब आप सौरभ की बात समझे ही नहीं

    • @amitpatilamit
      @amitpatilamit 13 днів тому

      ​@@adeshshukla5247Comments mein bahot saare hai jinko baat samajh hi nahi aaye hai.

    • @neerajprajapati3852
      @neerajprajapati3852 12 днів тому

      Vo Saurabh ji ki baten samjh Gaye hain saurabh ​ji ka irada aap nahi samjhe @@adeshshukla5247

  • @sakil777.
    @sakil777. 12 днів тому +11

    Ek manager, manager ki tarah hi baat karenga😅😅

  • @NilayLayek
    @NilayLayek 14 днів тому +181

    Sourav Diwedi ❌Acharya Prashant lite✅

    • @visible8861
      @visible8861 13 днів тому +4

      Kya hua Acharya prashant aisa kya bol diya wahi 24*7 waali baat hai kya 😂

  • @bibeksarma8084
    @bibeksarma8084 8 днів тому +1

    We should thank L&T chairman unintentionally he brought back serious and dark issue of corporate that top boss don't want

  • @harinder78
    @harinder78 14 днів тому +40

    Start paying hourly basis.. no one will mind

  • @a2knowledgeakashsinha419
    @a2knowledgeakashsinha419 13 днів тому +2

    आज भी मजदुर, कंपनी में 84 घंटे काम करते हैं सौरभ जी आप अपने अवधारणा को किसी और पर नहीं थोप सकते यह उन मजदूरों के लिए काफी दुखदाई हो जाएगी वह एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाते हैं कि फिर उससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है

  • @sujeetpatil2526
    @sujeetpatil2526 14 днів тому +33

    Saurabh used to engage in intellectually stimulating discussions, but lately, it feels like his approach has shifted. Now, he often focuses on using sophisticated Hindi words without addressing the core issues, as we see in this video. For instance, he talks about changing jobs if you're not passionate or interested. While this may sound appealing, it overlooks a crucial reality: not everyone has the privilege to pursue their passions. We are socially conditioned to take on specific roles and responsibilities, and many people are bound by these constraints. Breaking free from them is often not feasible. Therefore, this idea of simply changing jobs based on passion doesn't seem relevant to the broader debate.
    The fundamental issue isn't whether you're in the "right place" or not. It's about ensuring that people who are working aren't exploited under the guise of productivity, hustle, or contributing to national growth. In India, people are undeniably hardworking, but the question remains: are they fairly compensated for their efforts? The emphasis should be on fair wages and proper work-life balance, not just on working harder for the sake of growth or ambition.
    Another critical point is the power imbalance in the workplace. When CEOs or top executives discuss increasing working hours or pushing for higher productivity, they have the authority to enforce these changes. This can corrupt the mindset of other top management officials and further perpetuate the cycle of exploitation. The issue isn’t just about working long hours, but about the growing pressure on employees, without regard to their well-being or fair compensation.
    Saurabh also references SRK’s comment about not needing 8 hours of sleep to chase your dreams. While this sentiment may inspire some, it doesn’t account for the fact that those pursuing their dreams often have the flexibility to manage their time differently. On the other hand, everyday workers are often trapped in a system where their time is dictated by the needs of the job, without the same opportunity for personal growth or work-life balance. The narrative of “chasing dreams” often ignores the harsh reality faced by many employees who are working hard, not because of passion, but due to economic necessity and a lack of choice.
    While Saurabh’s points may seem disconnected from the real struggles of everyday workers, it’s important to acknowledge that others in this discussion have valid arguments.

    • @LaxmiNiwasJoshi-c4r
      @LaxmiNiwasJoshi-c4r 14 днів тому +3

      I agree with the Saurabh sir issue. Now a days its just looks like he is flex his vocab and lately he is never on point btw… or I am not intellectual enough to get him.. aur doosra point ye kaam krne wala bayan jo hai wo office hours ke liye hi kaha hai ab Saurabh sir ab Kriya ka path pdhane lag gaye. I am 10 min into the video and still he has not addressed the issue.

    • @LaxmiNiwasJoshi-c4r
      @LaxmiNiwasJoshi-c4r 14 днів тому

      Flexing*

    • @ramanshushukla274
      @ramanshushukla274 14 днів тому

      Lallantop is a pop channel now. Saurabh makes really good money and spends time with all popular celebrities out there. He doesn't give a shit about true journalism. He has decorated language with very basic and sometimes stupid things. All of it had started after Lallantop merged with TOI

    • @ayushitomar2094
      @ayushitomar2094 13 днів тому +1

      So true reality is really harsh for some people.. Ghar ki zimmedaari ke aage apni chahte bahut peeche rah jati h

  • @NarendraDutt-m3v
    @NarendraDutt-m3v 10 днів тому +2

    जो भी अपना खुद का व्यवसाय करता है उसके लिए काम के घंटे मायने नहीं रखते क्योंकि वो अपने ही घर,ऑफिस या कारखाने में बैठकर अपने लिए काम कर रहा है. दूसरों के लिए काम करने में ये सिद्धांत लागू नहीं हो सकता क्योंकि वो दूसरे के घर ऑफिस या कारखाने में बैठकर दूसरे के लिए काम कर रहा होता है. उसे काम के घंटों के अतरिक्त अपने व अपने परिवार के काम के लिए भी समय चाहिए होता है.।

  • @strawhatnd1285
    @strawhatnd1285 14 днів тому +68

    Saurabh you are talking about purusharth, but I believe you are not aware that these consulting firms have 3 month notice period which makes it really hard for these employees to leave this toxic place.
    My parents supported me i was financially in a proper place thats why i could leave

    • @faizanabid7540
      @faizanabid7540 13 днів тому +1

      Some law should be implemented by gvt in pvt sector, like PF, income tax, maximum notice period, minimum increment, etc

    • @jagvirchauhan7487
      @jagvirchauhan7487 12 днів тому

      कहां जी रहे हो,only 1 month notice

  • @TechP-g7b
    @TechP-g7b 13 днів тому +1

    Last Person mention is right point - we should not go with fast - we need to slow down the things, that is helpful to society.

  • @Suryasingh-n8q
    @Suryasingh-n8q 14 днів тому +42

    पत्नी को कितनी देर देखेंगे सभी संडे को भी ऑफिस काम करे इसपर मेरा जवाब चेयरमैन सुब्रमण्यम जी आप वि,याग्रा का इस्तेमाल कर ले अपनी निराशा कृपया दूसरों पर ना थोपे 🙏🙏

  • @rikhiadb6905
    @rikhiadb6905 11 днів тому +1

    Saurabh ki batein bilkul wahi samajik soch ki upaj he jaha hum hum muh faad ke har successful admi ka lecture sunte he is ummeed me, ki hum bhi wahi karenge to successful ho jaenge. Aur har successful admi ko ye ghamand rehta he ki mene bakio se zyada intelligent choices kie he, isilie me successful hu. 800 crore ki abadi me success me chance, privilege ka role purusharth se kai zyada he

  • @devG10
    @devG10 14 днів тому +74

    Saurabh Dwivedi un Capitalist logo ki JUBAAN bol rahe hai jaha woh bhi pohochna chahte hai lekin shaayad unka SURNAME Murthy, Subrahmanyan nehi hai to abhi DUKHI hai.

  • @harishrao1856
    @harishrao1856 14 днів тому +9

    I completed my graduation in engineering, but the mass layoffs during Covid changed my perspective on jobs. Now, I'm preparing for government exams. At the same time, I have a strong interest in working in the media industry. I've been reading newspapers daily since 4th grade. Mostly I enjoy reading articles on geopolitics, economics, infrastructure, defense, and policies. However, I often feel uncertain because I haven't studied journalism, and I worry that might prevent me from getting a chance in the media field.

    • @anand.chaudhari
      @anand.chaudhari 14 днів тому +2

      Jo maa baap bole wohi karna bhai. Tum confuse ho rahe ho

    • @A2Zrailway
      @A2Zrailway 13 днів тому

      You can go for media start-up

  • @Vinodkumar-hi7vh
    @Vinodkumar-hi7vh 12 днів тому

    हमारे सभी गरीब, बेबस, लाचार, प्रताड़ित, अशिक्षित, बेरोजगार, उदास, अकर्मण्य, असफल, भूखे नंगे और जीवन का दुखणा रोने वाले भाई - बहन कृपया इस धरती का बोझ हल्का करें और अमीरों को सुख, चैन और शान्ति से जीने दें। 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @drashishkrsingh6064
    @drashishkrsingh6064 14 днів тому +20

    Saurabh Dubey is reacting like a CEO

    • @TeachStudy55
      @TeachStudy55 14 днів тому +1

      Baki se jyada milta hai n
      Or
      Ghar pe kaam bhi nhi hoga sayad

    • @Unknown-cq3vx
      @Unknown-cq3vx 14 днів тому +2

      Buddha ho rha hai ab ye bhi un buddho ki tarah baate kr rha hai

    • @riasinha3456
      @riasinha3456 14 днів тому +1

      Disappointment

  • @RaushanKumar-cn8hj
    @RaushanKumar-cn8hj 9 днів тому +1

    Now people will realise the value of ambedkar why did he put efforts to decrease the working hours up to 8 hrs😢

  • @pardeepsharma9922
    @pardeepsharma9922 14 днів тому +24

    Ashish bhai ne bilkul shi bat khi h .
    Ground ki bat khi h . Iti wale diplome wale bache kya kre .
    Or jo saurabh kh rhe h find your mozo .Jeb m pasa chaiye mozo k liye sahab

  • @mragendrasingh5090
    @mragendrasingh5090 13 днів тому +2

    Working for 9 or 18 hours will not have any effect because after working for a fixed time, when a person does not feel like working, then the quality of work will fall... so it is important to focus on the quality of work and not the working hours

  • @sudheerojha99
    @sudheerojha99 14 днів тому +23

    सौरम सर आपने पूरे टीम को अपनी वाक्तित्व का सारांश दे दी है😂😂 ये सब झलकता है ललन टॉप के टीम में

  • @vipuls5900
    @vipuls5900 11 днів тому

    I enjoyed the conversation. And I really feel that the working environment is really great at lallantop. It's good always to encourage no holds bar conversations with everyone. Kudos to the team and the leadership at Lallantop

  • @Rajeevranjan-rb9kj
    @Rajeevranjan-rb9kj 14 днів тому +15

    इस तरह की बहस मे अगर कुलदीप जी आ जाए मजा ही दोगुना हो जाता है।
    I love lallantop. Watching since 2017

  • @PrabirKundu
    @PrabirKundu 12 днів тому +6

    Saurav here talking like 'Bhakt' - 'Desh to aisa hi chalega, na pasand to desh badal lo, padoshi mulk chale jao'.

  • @mayuribhatt-hk1hf
    @mayuribhatt-hk1hf 14 днів тому +4

    Kuldeep did short but very very effective comment. Saurav seems dominating his perception that is not proper. I totally disagree with saurav. But his podcast is too good.

  • @sarojkumar-dd2fv
    @sarojkumar-dd2fv 11 днів тому

    बेहतर से बेहतर सौरभ द्विवेदी जी लगते हैं, उनका तो कोई जोड़ ही नहीं है।🎉🎉🎉❤❤❤

  • @vijaymehrotra8390
    @vijaymehrotra8390 14 днів тому +35

    18-20 घंटे रोज़ काम करने वाले तो 56 इंच है।
    90 घंटे वीक वाले कितनी इंची है?

    • @kumarayush7748
      @kumarayush7748 14 днів тому

      Ye sabse accha example hai. Agar wo sach mein 18 ghante kaam karte hain toh isse accha example mil hein nahi sakta hai ye prove karne ke liye long working hours ka productivity se koi lena dena nahi hai

    • @prakrutiprajapati5730
      @prakrutiprajapati5730 14 днів тому

      @@kumarayush7748 Jahaan pe jakar wo 18 ghante kaam karne ki baat karte hai, wo baat karne ko hi wo kaam karna bolte hai

  • @MerajKhan-j9g
    @MerajKhan-j9g 13 днів тому +2

    Saurabh ji, as you mentioned, an employee who considers the company as their own is willing to work not just 8-9 hours but even longer. So, can you please share whether the facilities and benefits that the company's owner enjoys are also made available to the employees? I believe if the owners or CEOs provide the same facilities for their employees as they do for themselves, then employees wouldn’t just work 8-9 hours but would be ready to work as many hours as the owner works.

  • @rewariupdate
    @rewariupdate 14 днів тому +31

    काम जरूरी है, लेकिन शोषण ना करें, कम्पनी ओवरटाइम दे तो काम करने वाले बहुत है.

  • @gauravbhargava4502
    @gauravbhargava4502 9 днів тому +1

    I joined a company last year where they asked to work 12-13 hours per day no rest day means continue 18 days of working they promised a good incentive against it,
    One day due to some medical emergency i asked for just half day and assured to work on Sunday, but they fired me without any pre information, not a single penny paid from incentive and now I follow-up from last 6 months they are not responding, what should I do ?? Don't know

  • @TheChetandeshpande
    @TheChetandeshpande 14 днів тому +13

    इतनी चिंता और चर्चा करने की जरुरत ही नहीं है, Ai अगले ५ साल में आपको काम करने के लायक नहीं रखेगा। ये सीरियसली ली जिए

  • @robbielubana
    @robbielubana 13 днів тому +2

    Saurbhs position is ' there is choice '
    But 'choice' is also circumstantial.

  • @anamstory477
    @anamstory477 14 днів тому +10

    दिन में 24 घंटा काम करना चाहिए पर 8 घंटे की ड्यूटी हो ओर 3 लोगो से 24 घंटा काम करना चाहिए सबको काम मिलेगा और कंपनी का भी फायदा हो

  • @harmeetbagri7995
    @harmeetbagri7995 9 днів тому +2

    Agar aap Lallantop me bhi kisi se 40 hours se uppar kaam karvaa rahe ho usko extra pay kre aur kaam karvaane se pehle unka consent lijiye.

  • @valley-girl
    @valley-girl 13 днів тому +4

    STRICT LABOR LAWS... WE NEED THAT

  • @rohitrao3665
    @rohitrao3665 3 дні тому +1

    ये बात कोई नहीं बोलेगा किसी भी कंपनी को हर एक मजदूर को कम से कम 30000 हजार रुपए महीना का होना चाहिए

  • @vatsaltewari
    @vatsaltewari 14 днів тому +17

    Saurabh, in the name of working to build a nation, why don't you hire 2x the ppl , put them in 2 shifts & then ensure your Rohit Sharma's brand of Selflessness commitment to Nation Building? If you can do this to your newsroom then hopefully we'll get in a position to see what net difference did your org make v/s when you were bound by labour laws to extract 40 hrs/week?

    • @punittiwari212
      @punittiwari212 14 днів тому

      Double staff Paisa bhi mangega.

    • @amanpal7487
      @amanpal7487 14 днів тому +1

      Profit ghtega bro jo badi company h unka share price girenge aur ha india europe nhi bna h kaam km h log jada toh jhak maar ka kroge kaam yhi sach h

    • @vatsaltewari
      @vatsaltewari 13 днів тому

      I understand how impractical of an idea I had put up. The idea is that instead giving opinions of people like saurabh want to do this , this is one of many humanitarian ways..
      Comply with 8-9 hrs caps
      Allow for paid overtime for max 3-4 hrs
      That way each person can clock and work 12 hrs at max & be entitled to compensation. Working 12 hrs at a time will still be too much but atleast it won't hurt them for being sweet talked into working for > 12 hrs
      Baaki Jo aapka remaining kaam hai , uske liye aap 2nd shift staff hire kigiye, work handoff process bnaiye and unko employment deke thoda "National building" wala gimmick kartavya nibhao..

    • @amitpatilamit
      @amitpatilamit 13 днів тому

      ​@vatsaltewari You didn't understand his view then... If you are not doing something by choice, you will count even 45 hours. But if you love what you do, you can work all the time without feeling bad about it. But if anyone is trying to MAKE you work, you are at wrong place and should start looking at options.

  • @S2.NEWZ.WALA.
    @S2.NEWZ.WALA. 7 днів тому +1

    आप सब लोग इस मुद्दे पर बात कर पा रहे हैं , ये भी एक सौभाग्य समझिए , क्योंकि भारत की एक बहुत बड़ी बेरोजगार आबादी इस मुद्दे पर बात करने के लिए तरस रही है ।

  • @dr.yogendrasinghthakur2874
    @dr.yogendrasinghthakur2874 14 днів тому +5

    एक ऐसा विषय जिसके बहुत गंभीर सामाजिक परिणाम हम सब अपने इर्द गिर्द देख रहे है, उस पर इस तरह के हल्के पन से मौज मस्ती करते हुए पत्रकारों का वाद प्रतिवाद चिंतनीय है। क्या इनमें से किसी को पता है कि भारत की कुल आत्महत्याओं में युवाओं का प्रतिशत कितना है? ये जो बड़े बड़े लोग घंटों में काम करने की बात कह रहे हैं, इनका पिछले 5 वर्षों का वार्षिक मुनाफा या व्यापार की वृद्धि दर देख लीजिए, और साथ में इनके द्वारा अपने कुशल कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्तों की वृद्धि दर देख लीजिए। सारा खेल समझ आ जाएगा। ये कुछ कुछ वैसा ही है जैसा ईस्ट इंडिया कंपनी ने नील के किसानों के साथ किया था।

  • @darkpoet9839
    @darkpoet9839 8 днів тому

    सर के कई रूप एक साथ सामने आ गए जैसे- एक मालिक, एक पत्रकार, एक साहित्यकार और एक व्यक्ति।

  • @Dr_N999
    @Dr_N999 14 днів тому +6

    25:16 Jai Ho Prabhu Aapki
    ❤😂❤😂❤😂

  • @bulletraja8438
    @bulletraja8438 13 днів тому +2

    Sourabh Shahab ke dikkat ye hai wo bhi boss ke kursi per hai unko actual problem dikhai nahi degi,
    Jab boss 90 hours kaam ko bolta hai phir G.M ya project manager boss ko khus karne ke liye staff ko peelne lagte hai specially L&T to pehle se 12 ghante ke 2 shift karate hai uske baad bhi boss bakwas karta hai 🙏🙏🙏

  • @at_tap
    @at_tap 14 днів тому +5

    This time Saurabh didn't make sense, he didn't understand what the real issue issue is. There are people who are exploited, getting peanuts for works they slog for...they don't have any other place to go. Saurabh was lucky to get to do what he likes, very few get so lucky.

    • @tgfg7428
      @tgfg7428 13 днів тому

      Unhone uss baare me bola na 11.40 ke baad aap suno dhyan se

  • @hellomiss7177
    @hellomiss7177 12 днів тому +2

    Saurabh Dwivedi and Sarwat ji ki jodi kafi achi lagti h😂

  • @preetitripathi8483
    @preetitripathi8483 14 днів тому +7

    Iske alawa ek aur benefits hota hai hai weekend ka
    Economic
    Agr Hume weekend ni milega to hum shopping aur ghumna firna, bahr Jake kuch khana kaise karege
    Log sirf paise kamayege to khrach kab karege
    Agr hafte me sirf Sunday ki jagh Saturday bhi chutti milti to sayd sabhi log online ki jagh offline Jake shopping karte
    Ya sayd aaj pass ki jagh ghumne jate jisse economy ko bhi bahut support milta

  • @motorcyclediaries9131
    @motorcyclediaries9131 11 днів тому

    Very well said saurabh sir... Agree with every point

  • @chandanmishra4366
    @chandanmishra4366 14 днів тому +5

    मज़दूर एकता जिंदाबाद के बाद हमारे प्रिय सौरभ द्विवेदी जी और इनकी मजदूर संघ रिपोर्टिंग के लिए निकल पड़ेंगे

  • @Logical_Arunav
    @Logical_Arunav 12 днів тому +2

    The real bossy Saurabh and ground reporter Saurabh bifurcation episode 🤣

  • @Muthuswamy_Venugopala_Iyer
    @Muthuswamy_Venugopala_Iyer 11 днів тому +3

    Kuch nahi, bass overtime pay ka law implement karo, fir dekho ye Subramanian jaise log hi bolenge ki mental health zaroori hai, take good rest etc, aur saare employees bolenge hume overtime work karna hai 😂

    • @YashSukhwal-tm7jr
      @YashSukhwal-tm7jr 11 днів тому +1

      So truee

    • @akashsonawane1691
      @akashsonawane1691 9 днів тому

      That's the point, ye chiz jald se jald implement honi chahiye, employees ki saari complaints jaise office hours ke baad bhi roka ja raha hai wo band ho jayegi, aur employer bhi kabhi kisi ko force nahi kar sakenge

  • @akashsonawane1691
    @akashsonawane1691 9 днів тому +1

    हमें ये बात नही भुलना चाहिए की हमारे physical body की भी कूछ लिमिटेशन्स है, और उस शरीर की productivity maintain rakhane ke लिये रेस्ट भी जरुरी है, hours me काम करना प्रोग्रेस को नही दर्शाता बल्की काम की productivity ज्यादा मायने रखती है, ऑर अगर productivity और creativity को मेन्टेन रखणा है तो बॅलन्स जरुरी है

  • @adityasharma-lt2im
    @adityasharma-lt2im 14 днів тому +10

    Saurabh Dwivedi is just beating around the bush here!
    Mostly dusre topics pe aapka opinion ekdm sahi rehta hai. par yaha aap bhi dagmaga gaye . yaha waha ki baat kr rhe hain sachai se alag hatt k , clear ni h
    Agar boss work culture ko exploit kar raha hai , to employee ko jagah change karna chahie .. ye kya wahiyaad logic hai..
    matlab victim hi aesi tesi karaye apni .. boss ko improve karna chahie na culture, its not a choice or subjective to do or not do . it is required by law.
    Ye ni ki work culture improve kia jaaye . Standard protocalls ho work k . Hawa me baat karna asaan hai . Learning, Passion job ko le k etc,
    But hours to fix hi hona chahie . Extra hours ka kya IT companies reality me paisa dete hain ye dekhna chahie pehle, ya kewal on paper hi hai. Extra time/day ka paisa do tab banda kaam karega. Uska utna stake bhi hona chahie na. 25,000-30,000 me agar 90 ghanta kaam karega koi to wo uss salary me apni health ka khyal thodi rakh sakta hai .. ek boss ek paas to gaadi hai , househelp hai khud ka cabin hai sab savidhaye hain apni life easy karna k lie, maa baap k lie bhi househelp rakh sakta h boss. healthy food pe kharch kar sakta h paisa , cook rakh sakta hai, ghar me uske ac laga hau
    but 25000 kamane wale bande ko to apne bacche ko bhi padhana hai tution ka paise h ni uske pas, maa baap ka khyal rakhna hai , khaana banana hai , kapda dhona hai, apna personal life bhi manage karna hai.. normal aadmi PG me bekar khana kha raha h, pg me garmi reh raha h
    bhai IT walo ko paise to kuch milta hai ni ki apni life improve kar paaye, to wo limited hi kaam karengay na. 45 hours k upar kaam karne pe extra paise to deti ni company.
    100 baat ki ek baat ye hai
    1. km salary pe kum kaam hi kia jaana chahie, companies paisa de extra jaada kaam chahie to. kuch hadd tk extend kar lengay log . extra paise se log apni life improve kar sakte hain na
    2. is chiz pe discussion hone ka koi logic nahi hai khaas , isko aesa dikhaya jaa raha h jese ki ye subjective h .
    Ye koi subjective chiz ni h ki kahi jaada kahi kaam kaam ho,
    corporate me strict policy hona chahie, sachchai ye hai ki companies extra kaam karane k baad paisa nahi de rhi hain COMP OFF. Exploitation hai khulla learning aur support k naam pe.
    3. aaj bhi T*S 10 saal phle jo package deti thi wahi deti h, T*S me banda ko 3 year work k baad 29000-30000 milta hai, aur aaye din extend karne ko bol dia jaata h, subah raaat weekend apni marwata rahe banda bus , likihit me 9 hrs likhwa k exploitation kar rahe hain . extra kaam karne pe koi extra payment COMP off ka hisab ni hai yaha. kya incentive h ek normal aadmi ko phir extra kaam karna ki
    4. last but not the least its not subjective topic. laws ko abide karna chahie instead ki hawa me baat kare. wese me law se nhi hu but i think but ye kuch laws hain -
    a. Shops and Establishments Act (State-Specific)
    b. Code on Wages, 2019
    In Uttar Pradesh, IT companies are governed by the Uttar Pradesh Shops and Commercial Establishments Act, 1962. Here's an overview of the working hour regulations under this law:
    Working Hour Regulations in Uttar Pradesh:
    Daily and Weekly Working Hours:
    Maximum Daily Hours: 9 hours per day.
    Maximum Weekly Hours: 48 hours per week.
    Overtime:
    Any work beyond 9 hours a day or 48 hours a week is considered overtime.
    Overtime Pay: Employees must be paid at twice their regular hourly wage for overtime hours.
    Weekly Off:
    Employees are entitled to one day off per week.
    Typically, Sunday is the weekly holiday unless otherwise stated.
    Spread Over:
    The total working hours, including rest intervals, must not exceed 12 hours a day.
    Rest Intervals:
    A break of at least 1 hour must be provided after 5 hours of continuous work.
    Night Shift Work:
    Female employees are generally not permitted to work between 7 PM and 6 AM, unless specific exemptions are granted (e.g., IT companies with proper safety measures).
    Applicability to IT Employees:
    IT companies operating in Uttar Pradesh must comply with these rules.
    Any employment agreement cannot legally require employees to exceed the daily or weekly limits without compensating them for overtime.
    Ye mene example dia hai.. Many IT companies ( like T*S ) ghanta nhi comply karti h in sab chizo se .. ye topics subjective nahi hai . it is exploitation by companies . LAW tel lene jaaye sab apna hisab se chal rahe hain . bilkul galat hai. hawa me baatein chal rhi hain sabki..
    PS: me koi law student ni hu, to kuch chize upar niche ho skti h.
    Anyone reading till here , pls like & reply to move this to top comment!

  • @pradeepgupta8408
    @pradeepgupta8408 12 днів тому

    1st I agree with sonal
    And 2nd for what you are working
    - Happiness, peace love and to spend time with our families . But if you will not find with work then what is the value of money.
    At rest days we can spend time with our children.
    Root of children can be fragile if they will solely dependent on school, social media and frnd. They need discussion and guidance from real one like parents.
    It will also help to build strong bond with parents that will help at older age.

  • @kuldeepkamtriya7340
    @kuldeepkamtriya7340 14 днів тому +8

    Why Nikhil leave lallantop?

  • @maikalkumar4382
    @maikalkumar4382 13 днів тому

    Once Anil Agrawal Sir Said in office "Ask yourself, am i doing my work correctly?, Why i am here ?" Your answer is yes then you will enjoy your work if not then even 2hrs will be very difficult for you.

  • @memesaabofficial
    @memesaabofficial 14 днів тому +5

    Saurabh is trying to dominate with baseless illogical facts...

  • @SarfaraazAkbani
    @SarfaraazAkbani 13 днів тому +1

    Saurabh bhai - Its not easy to switch the job when you have certain responsibilities on your shoulders. Baaki jo apne skill seekhne ki baat ki hai wo munasib nahi hai agar aap 90 ghante kaam mein ho toh. Agar dusri company join bhi kar liye toh you never know ki wahan bhi aisa hi culture ho. In my opinion, the best way is to regularise the working hours and have certain audits from the government to make sure ki wahan exploitation na ho. And it’s not all about the working hours, it’s all about the culture of the company - Jahan ache kaam ko recognition mile aur kharab performance ko on time feedback. Aaj ke time pe it’s all about socialising and boot licking. I agree on the point that says ki it’s not about the time you spend on your job instead what value you bring to the company. Thank you!

  • @akankshasingh6169
    @akankshasingh6169 14 днів тому +5

    सौरभ सर अंधेर नगरी और भारत दुर्दशा अलग है।
    भारत दुर्दशा नाट्य रचना है भारतेंदु जी की जबकि अंधेर नगरी प्रहसन है।

    • @shubhampratap511
      @shubhampratap511 14 днів тому +1

      बिल्कुल ठीक बात,, मुझे लगता है आप भी हिंदी साहित्य की विद्यार्थी हैं,, मैं भी यही कमेंट बॉक्स में लिखने जा रहा था किन्तु आपने पहले ही स्पष्टीकरण कर चुकी हैं।

  • @crazy_boy403
    @crazy_boy403 11 днів тому

    भारत सबसे अच्छा देश है। 25:48

  • @therecipenestofficial
    @therecipenestofficial 14 днів тому +4

    Saurabh doesn't have a spine anymore to say what is right and to stand up against what is wrong. Providing 10k excuses to justify a wrong stance. Shameful!

  • @18185198
    @18185198 12 днів тому

    The guy who came in last had such a nice pint of view. So sensitive and gentle- slow and gentle is what we want the temper of te world should become for us to survive and live well.

  • @mdshadab1912
    @mdshadab1912 12 днів тому +3

    Sourav bhaiya me subramanyam ji ghus hye hai kisi ke sunne bale nhi hai...... 😂

  • @PiyushSeth-c1e
    @PiyushSeth-c1e 13 днів тому

    सर जी बिल्कुल सही कहा आपने जब काम करो तो पूरी ईमानदारी बिना ब्रेक के करो काम पूरा 🎉

  • @hillclimebracingforkids2523
    @hillclimebracingforkids2523 14 днів тому +12

    18:42 अनुभव भाई ये तो आप किसी को personal टारगेट कर रहे हो 😅😅😅😅

  • @vikasgupta1229
    @vikasgupta1229 11 днів тому

    Just loved dis conversation....great team ...lallantop

  • @ayushitomar2094
    @ayushitomar2094 14 днів тому +6

    18:25 kab tak rasta badlenge.. Fir koi aur aayega raste par.. Ho sakta h kisi ki majboori Ho. Ye normalize karne ki pehli koshish h.. Corporate work culture is not that good already..

  • @adeshkumarpal801
    @adeshkumarpal801 8 днів тому +1

    First time i m not fully agree with Saurabh.😢😂😊

  • @RameshRamesh-ve3rw
    @RameshRamesh-ve3rw 14 днів тому +10

    सौरभ सर आप बात तो ठीक कह रहे हैं लेकिन भारत इतना विकसित नहीं हुआ की यहाँ बहुत सारी opportunity है की इस नौकरी में नहीं तो कहीं और कर लेंगे यहाँ तो इतनी बेरोजगारी हैं कि नौकरी मिल जाये वही काफी है और सुब्रमनियम साहब तो 90 घण्टे काम करने की बात कर रहे हैं l

  • @sephalisharma5224
    @sephalisharma5224 12 днів тому

    Nice and free discussion without filter
    Lv it

  • @kviv1
    @kviv1 14 днів тому +6

    2:09 ye bahut galat baat h mere back me dard rhta h mai hot water bag lene ki soch rha tha aur ye saurabh sir isko seedhe seedhe periods se jod de rhe hain. Ab yaar mn me duvidha aa gya. Aise hi typecast k karan deewali me sonpapdi nhi khareed paya

  • @parul5810
    @parul5810 13 днів тому +1

    Jai Ho Saurabh Saab, you're truly Amazing ❤❤✨🌟✨🌟🌹🌹💫💫

  • @FUTUREIITIAN-ASP
    @FUTUREIITIAN-ASP 13 днів тому +2

    Saurabh ji ki baat bahari desho me saarthak ho saktee he. Yahan utnee kargar isiliye nahi hogi kyuki
    pehli baat
    Yahan baat un passionate logo ki nahi ho rahi jo apni khushi se kaam kr rahe ho...unhe ghante batane ki toh zarurat hi nahi he... Or vo kaam ko kaam samajhte bhi nahi.... Or khaskr jab. Jab aap khood kuch scratch se bana rahe ho jaise aapne ghar kaa example diya tha...
    Yahab baat un logo ki ho rahi he joki responsibility ke chalte sirf or sirf paise kamane ke chakkar me kaam kr rahe he...vo bhi us profession me jana unka man nahi lagta bss paison ke chakkar me kaam kr rahe he ... Unhe naa kaam me maza aata he naa ownership ki feeling hoti he. Naa man mutabit incriment hota he salary me jiski vjah se vo kaam kr rahe he.... Is chalte ye baat toh svabhavik he ki vo tay ghanto se zyada kaam toh bilkul nahi krna chahenge...or zyada kaam krne kaa pressydalna ghalat bhi hoga....
    Or rahi baat skill sikhne ki
    Ye itna hi aasan hota .... Tohvo apni collage life me hi naa kr leta.... Uske liye bhi bohot himmat or mehnat chahiye...or hr koi naa kr leta....bacpan se hi usko nokri kaa laddu dikhaya gaya. Ab nokri lag gyi toh krne kaa man nahi kr raha. Pr paise kmaane he toh kr raha he ab yaha new skill sikhna us unpassionate insaan se ke liye aasan nahi... Or yahan pr company owner toh thodi narmi dikhana chahiye...

  • @chandrikasaha6301
    @chandrikasaha6301 13 днів тому

    I liked Kuldeep's argument and the presentation of his argument

  • @VinayKumar-wb5mo
    @VinayKumar-wb5mo 14 днів тому +5

    Hum Saurabh sir se agree nahi h wo har pahlu ko nahi ke soche