Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 10

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 10 лют 2025
  • प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।
    भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ॥10॥
    मृत्यु के समय जो मनुष्य योग के अभ्यास द्वारा स्थिर मन के साथ अपने प्राणों को भौहों के मध्य स्थित कर लेता है और दृढ़तापूर्वक पूर्ण भक्ति से दिव्य भगवान का स्मरण करता है वह निश्चित रूप से उन्हें पा लेता है।

КОМЕНТАРІ •