Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 9
Вставка
- Опубліковано 10 лют 2025
- कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमसः परस्तात् ॥9॥
भगवान सर्वज्ञ, आदि पुरूष, नियन्ता, सूक्ष्म से सूक्ष्मतम, सबका पालक, अज्ञानता के सभी अंधकारों से परे और सूर्य से अधिक तेजवान हैं और अचिंतनीय दिव्य स्वरूप के स्वामी हैं।