Devotional Tales
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त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर की अद्भुत कहानी! |Trimbakeshwar Shivling Mystery
त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर की अद्भुत कहानी! |Trimbakeshwar Shivling Mystery
महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के किनारे बसी है ऐसा एक शिव मंदिर, जहाँ शिवलिंग धरती के ऊपर नहीं बल्कि पानी के नीचे स्थित है। ये अकेला ऐसा मंदिर है जहाँ की होने वाली ऐसी एक पूजा से उन आत्माओं को शांति मिलती है जिनकी मृत्यु अचानक किसी दुर्घटना से हुई हो। और इस शिव मंदिर का नाम है त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर।
चलिए इस वीडियो में जानते हैं कि इस मंदिर की स्थापना कैसे हुई थी।
सधियों पहले ब्रह्मगिरी पर्वत के बीच एक आश्रम बसा हुआ था जहाँ पर कई रिषि वास करते थे। वहाँ पर एक ऐसा समय आया जब भयंकर अकाल पड़ गया जिसके कारण हर एक जीव पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस गए।
इस चीज का समाधान ढूँढने हेतु रिषि गौतम जल के देवता वरुण देव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरुण देव ने उन्हें एक ऐसा पानी का कुंड भेंट किया जिसका पानी कभी भी समाप्त नहीं होता था।
इसके पश्चात रिषि गौतम उस कुंड के पानी का इस्तेमाल सभी जीवों की सहायता करने के लिए उपयोग करने लगे जिससे उनके इस कुंड और उनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी।
इस बात से उस आश्रम में वास कर रहे अन्य रिषियों को जलन महसूस होने लगी और उन्होंने रिषि गौतम को नीचा दिखाने का निर्णय कर लिया और वे सभी भगवान गणेश की तपस्या करने लगे और भगवान गणेश उनके सामने प्रकट हुए।
इसके पश्चात उन रिषियों ने गणेश जी से रिषि गौतम को नीचा दिखाने की इच्छा जताई। तब गणेश जी ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि ये गलत है और इसमें रिषि गौतम की कोई दोष नहीं है, वो तो सिर्फ सबका भला करने का सोचते हैं।
पर गणेश जी के समझाने के बावजूद भी वे रिषि नहीं माने तब गणेश जी मजबूरी में एक कमजोर गाय का रूप धारण किया और वे रिषि गौतम के पास चले गए और जब रिषि गौतम ने उस गाय को इस हालत में देखा तब उन्होंने उसे खाने के लिए चारा दिया लेकिन जैसे ही उस गाय ने चारा खाया उसकी मृत्यु हो गई जिसके तुरंत बाद वे सभी रिषि वहाँ पर आए और उन्होंने रिषि गौतम पर गाय हत्या का आरोप लगाया और उन्हें उस आश्रम को छोड़कर जाने को कहा।
इसके पश्चात इस गौ हत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए रिषि गौतम भगवान शिव की तपस्या करने लगे। कई वर्षों की तपस्या के बाद शिव जी उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर रिषि गौतम के समक्ष प्रकट हुए।
शिव जी जो ये सभी बातें पहले से जानते थे, उन्होंने इस बात को रिषि गौतम को बताई कि ये सब उनके अन्य रिषियों की चाल थी लेकिन इस सत्य को जानने के बाद भी रिषि गौतम क्रोधित होने के बजाय खुश हो गए कि उनके अन्य रिषियों के इस चाल के कारण आज उन्हें भगवान शिव का दर्शन प्राप्त हुआ।
उसके बाद उन्होंने शिव जी से देवी गंगा को धरती पर प्रकट करने की इच्छा जताई जिसके बाद गंगा देवी प्रकट होकर रिषि गौतम को उनके सभी पापों से मुक्ति दिलाई लेकिन देवी गंगा ने धरती पर ही रहना अस्वीकृत करते हुए कहा कि वे वहीं वास करती हैं जहाँ शिव जी वास करते हैं।
इसके बाद गौतम रिषि ने शिव जी से प्रार्थना की कि वे गंगा जी के साथ उसी स्थान पर वास करें जिसे भगवान शिव ने स्वीकार किया और इस प्रकार त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना हुई।
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