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VK Poetry
India
Приєднався 21 чер 2020
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कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत||संत कबीर दास जी के दोहे-72|Sant Kabir ke Dohe
Welcome to VK Poetry
कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत।
लोभी बंदा ना तरे, कहैं कबीर सिद्धांत॥
कबीरदासजी इस दोहे में तीन प्रमुख गुणों - काम, क्रोध, और लोभ - के माध्यम से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं। उनके अनुसार:
1. **काम (वासनाएं) से प्रभावित व्यक्ति**:
- कबीर कहते हैं कि काम का प्रभाव रखने वाले व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकते हैं। हालांकि यह आसान नहीं है, लेकिन कई लोग इस स्थिति से मुक्ति की राह पर आगे बढ़ सकते हैं।
- उदाहरण: एक साधारण व्यक्ति, जो सांसारिक वासनाओं में उलझा हुआ है, आत्म-अनुशासन और संतोष के अभ्यास से धीरे-धीरे अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकता है। ऐसे व्यक्ति विभिन्न योग और ध्यान की विधियों से अपनी इच्छाओं को संतुलित करके आध्यात्मिक उन्नति पा सकते हैं।
2. **क्रोधी व्यक्ति**:
- क्रोधी व्यक्ति भी, चाहे वह कितनी बार क्रोधित हो, अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने का प्रयास कर सकता है और मुक्ति पा सकता है। कबीरजी का मानना है कि क्रोध का प्रभाव कुछ समय के लिए होता है और नियंत्रित किया जा सकता है।
- उदाहरण: महाभारत के समय अर्जुन भी कई बार क्रोधित हुए, लेकिन अपनी ध्यान साधना और धैर्य के कारण उन्होंने अपने क्रोध पर नियंत्रण पाया। उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति हुई क्योंकि उन्होंने अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाया।
3. **लोभी व्यक्ति**:
- कबीर के अनुसार, लोभ सबसे नकारात्मक और गहरी आदत है। एक लोभी व्यक्ति अपनी इच्छाओं को छोड़ नहीं पाता, क्योंकि उसकी लालच कभी खत्म नहीं होती। उसका मन हमेशा भौतिक सुखों की चाह में लगा रहता है और उसे मुक्ति के मार्ग से दूर ले जाता है।
- उदाहरण: रावण का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसने अत्यधिक लोभ के कारण कई गलतियाँ कीं। उसका लोभ उसे अंततः नाश की ओर ले गया, जबकि उसके पास ज्ञानी और शक्तिशाली होने के बावजूद मोक्ष की संभावना नहीं रही।
आध्यात्मिक परिपेक्ष्य (Spiritual Perspective):
इस दोहे में कबीरदासजी ने यह संदेश दिया है कि काम और क्रोध पर नियंत्रण पाकर व्यक्ति उन्नति कर सकता है, लेकिन लोभ से ग्रसित व्यक्ति के लिए मुक्ति अत्यंत कठिन हो जाती है। लोभ व्यक्ति के मन को इतना जकड़ लेता है कि वह किसी और भावना को महत्व नहीं देता।
जीवन में शिक्षा (Life Lesson):
इस दोहे के माध्यम से कबीरजी हमें यह शिक्षा दे रहे हैं कि हमें लोभ से बचना चाहिए और काम तथा क्रोध जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाने का प्रयास करना चाहिए। यदि हम लोभ से दूर रहते हैं, तो हम सरलता से आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
कबीरदासजी का यह दोहा हमें एक गहरी सच्चाई से अवगत कराता है कि यदि हम मुक्ति या जीवन में सच्चे सुख की खोज में हैं, तो हमें अपने लोभ को छोड़कर काम और क्रोध को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।
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Video Name-
कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत||संत कबीर दास जी के दोहे-72|Sant Kabir ke Dohe|
#कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत
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कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत।
लोभी बंदा ना तरे, कहैं कबीर सिद्धांत॥
कबीरदासजी इस दोहे में तीन प्रमुख गुणों - काम, क्रोध, और लोभ - के माध्यम से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं। उनके अनुसार:
1. **काम (वासनाएं) से प्रभावित व्यक्ति**:
- कबीर कहते हैं कि काम का प्रभाव रखने वाले व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकते हैं। हालांकि यह आसान नहीं है, लेकिन कई लोग इस स्थिति से मुक्ति की राह पर आगे बढ़ सकते हैं।
- उदाहरण: एक साधारण व्यक्ति, जो सांसारिक वासनाओं में उलझा हुआ है, आत्म-अनुशासन और संतोष के अभ्यास से धीरे-धीरे अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकता है। ऐसे व्यक्ति विभिन्न योग और ध्यान की विधियों से अपनी इच्छाओं को संतुलित करके आध्यात्मिक उन्नति पा सकते हैं।
2. **क्रोधी व्यक्ति**:
- क्रोधी व्यक्ति भी, चाहे वह कितनी बार क्रोधित हो, अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने का प्रयास कर सकता है और मुक्ति पा सकता है। कबीरजी का मानना है कि क्रोध का प्रभाव कुछ समय के लिए होता है और नियंत्रित किया जा सकता है।
- उदाहरण: महाभारत के समय अर्जुन भी कई बार क्रोधित हुए, लेकिन अपनी ध्यान साधना और धैर्य के कारण उन्होंने अपने क्रोध पर नियंत्रण पाया। उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति हुई क्योंकि उन्होंने अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाया।
3. **लोभी व्यक्ति**:
- कबीर के अनुसार, लोभ सबसे नकारात्मक और गहरी आदत है। एक लोभी व्यक्ति अपनी इच्छाओं को छोड़ नहीं पाता, क्योंकि उसकी लालच कभी खत्म नहीं होती। उसका मन हमेशा भौतिक सुखों की चाह में लगा रहता है और उसे मुक्ति के मार्ग से दूर ले जाता है।
- उदाहरण: रावण का उदाहरण लिया जा सकता है, जिसने अत्यधिक लोभ के कारण कई गलतियाँ कीं। उसका लोभ उसे अंततः नाश की ओर ले गया, जबकि उसके पास ज्ञानी और शक्तिशाली होने के बावजूद मोक्ष की संभावना नहीं रही।
आध्यात्मिक परिपेक्ष्य (Spiritual Perspective):
इस दोहे में कबीरदासजी ने यह संदेश दिया है कि काम और क्रोध पर नियंत्रण पाकर व्यक्ति उन्नति कर सकता है, लेकिन लोभ से ग्रसित व्यक्ति के लिए मुक्ति अत्यंत कठिन हो जाती है। लोभ व्यक्ति के मन को इतना जकड़ लेता है कि वह किसी और भावना को महत्व नहीं देता।
जीवन में शिक्षा (Life Lesson):
इस दोहे के माध्यम से कबीरजी हमें यह शिक्षा दे रहे हैं कि हमें लोभ से बचना चाहिए और काम तथा क्रोध जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाने का प्रयास करना चाहिए। यदि हम लोभ से दूर रहते हैं, तो हम सरलता से आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
कबीरदासजी का यह दोहा हमें एक गहरी सच्चाई से अवगत कराता है कि यदि हम मुक्ति या जीवन में सच्चे सुख की खोज में हैं, तो हमें अपने लोभ को छोड़कर काम और क्रोध को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।
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कामी नर बहुते तरे, क्रोधी तरे अनंत||संत कबीर दास जी के दोहे-72|Sant Kabir ke Dohe|
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Відео
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ||संत कबीर दास जी के दोहे-71|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 2 тис.21 годину тому
Welcome to VK Poetry इस दोहे में संत कबीर हमें यह सिखा रहे हैं कि साधु-संतों की संगति ही असली स्वर्ग है। यह जीवन का वह अनुभव है जो मनुष्य को सच्ची शांति और संतोष प्रदान करता है। जब व्यक्ति साधु-संगति में होता है, तो वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है और उसे आत्मिक शांति प्राप्त होती है। इस प्रकार, कबीर की यह वाणी हमें यह प्रेरणा देती है कि हमें साधु-संगति का आदर करना चाहिए और इसे अपने जीवन ...
संत कबीर दास जी का प्रिय भजन-चदरीया झीनी रे झीनी
Переглядів 3,4 тис.День тому
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये।चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरीया झीनी रे झीनी ॥ अष्ट कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पूनी, नौ दस मास बुनन को लागे, मूर मैली किनी, चदरीया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरीया झीनी रे झीनी ॥ जब मोरी चादर बन घर आई, रंगरेज को दिनी, ऐसा रंग रंगा रंगरे ने, के लालो लाल कर दिनी, चदरीया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चद...
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन ||रहीम के दोहे-3
Переглядів 1 тис.Місяць тому
Welcome to VK Poetry कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है, उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है। पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन। अब दादुर बक्ता भए, हमको पूछत कौन॥ video Name- पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन ||रहीम के दोहे-3 #रहीम #पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन #vkpoetry
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब||संत कबीर दास जी के दोहे-70|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 1,1 тис.Місяць тому
Welcome to VK Poetry कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो आज करो, और जो आज करना है वो अभी करो, क्यूंकि पलभर में प्रलय जो जाएगी फिर आप अपने काम कब करेंगे। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब। Please listen complete video twice for more deep understanding. Please like snd share the video. Video Name- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब||स...
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार ||रहीम के दोहे-2
Переглядів 586Місяць тому
Welcome to VK Poetry रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार । रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार ।। इस दोहे में रहीम जी हमे यह समझाना चाहते है , यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठ जाता है तो हमें अपने प्रिय को मनाना चाहिए| जिस प्रकार मोतियों की माला टूट जाती पर हम बार-बार इन मोतियों को धागों में पिरो देते है| हमें अपने प्रिय रिश्तों को नहीं खोना चाहिए | रिश्तों के टूटने पर भी उन्हें जोड़ने का प्रयास करना ...
तुलसी इस संसार में, भाँति-भाँति के लोग|| संत तुलसी दास जी के दोहे-1
Переглядів 1,1 тис.Місяць тому
Welcome to VK Poetry तुलसी इस संसार में, भाँति-भाँति के लोग। सबसे हँस-मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥" अर्थात : तुलसीदास जी कहते हैं, इस संसार में तरह-तरह के लोग रहते हैं. आप सबसे हँस कर बोलो और मिल-जुल कर रहो तो जैसे नाव नदी से संयोग कर के पार लगती है वैसे ही आप भी इस भव सागर को पार कर लोगे. Please share and like the video Please Subscribe 'VK Poetry' Video Name-तुलसी इस संसार में, भाँति-भाँति के लो...
मूँड़ मुड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय||संत कबीर दास जी के दोहे-69|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 845Місяць тому
welcome to VK Poetry मूँड़ मुड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय | बार-बार के मुड़ते, भेड़ न बैकुण्ठ जाय || इस दोहे में कबीर साहेब ने धर्म के नाम पर पाखण्ड और दिखावे पर चोट की है। लोग तरह तरह के भेष बना लेते हैं, कठोर तपस्या करके देह को दुः देते हैं। कबीर साहेब ने स्पष्ट किया की आडम्बर, ढोंग और दिखावे की भक्ति से कोई लाभ नहीं होगा। इश्वर की प्राप्ति के लिए मन का पवित्र होना, आचरण की शुद्धता और मा...
मन मैला तन ऊजला, बगुला कपटी अंग|संत कबीर दास जी के दोहे-68|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 7 тис.2 місяці тому
welcome to VK Poetry मन मैला तन ऊजला, बगुला कपटी अंग । तासों तो कौआ भला, तन मन एकही रंग ॥ भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, बगुले का शरीर तो उज्जवल होता है, पर मन से वह काला (कपट से भरा हुआ मन) होता है| इससे तो भला कौआ होता है जिसका तन मन एक जैसा है और वह किसी को छलता भी नहीं है | Please listen complete video twice for more deep understanding. Please like snd share the video. Video Name- मन मैला त...
मृत्यु अटल है, न तू इससे डर #vkpoetry
Переглядів 352 місяці тому
मृत्यु अटल है | A Poetry Dedicated to life Lyrics and Voice-By Vijay Kumar #मृत्यु अटल है #A Poetry Dedicated to life #vkpoetry #hindipoetry
संसद में घमासान|A poetry dedicated to democracy|
Переглядів 2352 місяці тому
वेलकम to VK Poetry A poetry on Current situation of our Sansad by Vijay Kumar संसद में घमासान|A poetry dedicated to democracy| #संसद में घमासान #नेताजी #vkpoetry
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ||रहीम के दोहे-1
Переглядів 3892 місяці тому
Welcome to VK Poetry रहीम कहते हैं कि प्रेम का रिश्ता बहुत नाज़ुक होता है। इसे झटका देकर तोड़ना यानी ख़त्म करना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा (बंधन) एक बार टूट जाता है तो फिर इसे जोड़ना कठिन होता है और यदि जुड़ भी जाए तो टूटे हुए धागों (संबंधों) के बीच में गाँठ पड़ जाती है। रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥ video Name- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड...
||कल तक थे हम पूरे क़ाबिल| A poetry on undesirable disqualification in Olympic|
Переглядів 1,1 тис.2 місяці тому
||कल तक थे हम पूरे क़ाबिल| A poetry on undesirable disqualification in Olympic|
सुकून मेरा तुम हो तुझे चाहता रहूंगा|A Poetry of deep love||By Vijay Kumar|
Переглядів 382 місяці тому
सुकून मेरा तुम हो तुझे चाहता रहूंगा|A Poetry of deep love||By Vijay Kumar|
सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।|संत कबीर दास जी के दोहे-67|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 6382 місяці тому
सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।|संत कबीर दास जी के दोहे-67|Sant Kabir ke Dohe|
जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई।|संत कबीर दास जी के दोहे-66|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 9952 місяці тому
जब गुण को गाहक मिले, तब गुण ला बिकाई।|संत कबीर दास जी के दोहे-66|Sant Kabir ke Dohe|
ज्ञानी को ज्ञानी मिलै, रस की लूटम लूट |संत कबीर दास जी के दोहे-65|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 7113 місяці тому
ज्ञानी को ज्ञानी मिलै, रस की लूटम लूट |संत कबीर दास जी के दोहे-65|Sant Kabir ke Dohe|
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ||संत कबीर दास जी के दोहे-64|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 4783 місяці тому
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ||संत कबीर दास जी के दोहे-64|Sant Kabir ke Dohe|
माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर|संत कबीर दास जी के दोहे-63|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 5783 місяці тому
माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर|संत कबीर दास जी के दोहे-63|Sant Kabir ke Dohe|
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय |संत कबीर दास जी के दोहे-62|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 1,6 тис.3 місяці тому
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय |संत कबीर दास जी के दोहे-62|Sant Kabir ke Dohe|
जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय|संत कबीर दास जी के दोहे-61|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 1,2 тис.3 місяці тому
जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय|संत कबीर दास जी के दोहे-61|Sant Kabir ke Dohe|
बात बहुत मा'मूली सी थी|Heart touching Poetry|
Переглядів 153 місяці тому
बात बहुत मा'मूली सी थी|Heart touching Poetry|
कबीरा खड़ा बाज़ार में, सबकी मांगे खैर।|संत कबीर दास जी के दोहे-60|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 9203 місяці тому
कबीरा खड़ा बाज़ार में, सबकी मांगे खैर।|संत कबीर दास जी के दोहे-60|Sant Kabir ke Dohe|
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।|संत कबीर दास जी के दोहे-59|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 1,7 тис.4 місяці тому
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।|संत कबीर दास जी के दोहे-59|Sant Kabir ke Dohe|
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि|संत कबीर दास जी के दोहे-58|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 2,8 тис.4 місяці тому
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि|संत कबीर दास जी के दोहे-58|Sant Kabir ke Dohe|
परेशाँ हो तुम भी परेशान हैं हम भी ||Bashir Bhadra|
Переглядів 244 місяці тому
परेशाँ हो तुम भी परेशान हैं हम भी ||Bashir Bhadra|
कबीर हरि के रूठते, गुरु के शरण जाय|संत कबीर दास जी के दोहे-57|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 6084 місяці тому
कबीर हरि के रूठते, गुरु के शरण जाय|संत कबीर दास जी के दोहे-57|Sant Kabir ke Dohe|
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई|संत कबीर दास जी के दोहे-56|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 2514 місяці тому
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई|संत कबीर दास जी के दोहे-56|Sant Kabir ke Dohe|
भक्ति महल बहु ऊँच है, दूरहि ते दरशाय।|संत कबीर दास जी के दोहे-55|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 2,3 тис.5 місяців тому
भक्ति महल बहु ऊँच है, दूरहि ते दरशाय।|संत कबीर दास जी के दोहे-55|Sant Kabir ke Dohe|
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।|संत कबीर दास जी के दोहे-54|Sant Kabir ke Dohe|
Переглядів 7575 місяців тому
दुः में सुमिरन सब करे सु में करै न कोय।|संत कबीर दास जी के दोहे-54|Sant Kabir ke Dohe|
यही तो बुध्द ने इनसे पहले कहाँ था बुध्द को भी पढना, बुध्द से प्रेरित हो कर सारे सन्त उन्ही की प्रेरणा चल रहे हैं सारे सन्तो की वाणि बुध्द की वाणि नहीं है यह बुध्द का अनुभव है जो सारे सन्तो ने अपनाया है पर बुध्द पुजा पाठ, पाखण्ड, अन्धविश्वास को नकारते थे इस लिऐ भारत ने बुध्द को न मानकर विभिन्न सन्तो द्वारा कही जाने वाली वाणि को स्वीकार किया यह सब बाते बुध्द ने अपने ज्ञान से दुनिया को बता दिया था पर भारत पाखण्डीयो का देश है हर मज़हब ने अपने अपने पूजनीय तैयार कर लिये है इस लिऐ पुरा विश्व आगे बढ रहा है यह भारतीय अपने हिसाब से अपने भगवान, महापुरुष तैयार कर उनमे उलझे पडे है, सब की वाणि मानवता के लिए है पर भगवान, महापुरुष सब के अलग है बीर कहते भारत एक है धण्टा एक है कोई किसी को पुज रहा है कोई किसी को यह एकता की निशानी है क्या कोई मानव बताऐगा?
Satnam waheguru ji
JAI BABAJI 💚❤️🌷🪔💐🙇♀️🌸🌺🌹🌻🦚🪷🦚🪷🦚🪷🙏JAI MAA 💚❤️🌷🪔💐🙇♀️🌸🌺🌹🌻🦚🪷🦚🪷🦚🪷🦚🪷🙏
Pintu Sharma
Radhey Radhey
Radhey Radhey 🙏❤
❤❤
❤❤
Sat
❤❤❤❤❤
Thanks aap shi bta rhe h
Abhi ka samy me gidr ser ka nkab kre bkri kha rha hai oysa hi sadu ka bhes me aap sovat log dhudh rhai hai tika lga kar abhi ka bhi samy me tika lga rha hai to chutiya kitno uriyan akas kriyan bhrm ka hi aas ahiyan prithvi ke hi pas duniy bur ho gya lekin sud budhi na krne paya na sud chlne paya na bal gopal ko sud gyan dene paya is liy balk ke sat matari and bap ko bhi pap ka bhgdari mna jata o man ko prbhu ka gar me dad milta hai is prithvi par man ko btane ke karn man and tan ko bhi bhoktan krna par jata hai is liy man bhut kuchh magta hai man ka bas me na chle man ko apna aap me prk kar sud chle nhi to bhtk jaiy ga to bhut pchhtaiy ga karm ka roti ko sud kar khaiy and prbhu bhole nath ji ka gun gaiy nhi to pchhtaiy jite ji marne ke bad bhi sud kam kaj kijiy ga to sakt mochn hluman ji ka dya bna rhega nhi to tadv kijiy ga kal bniy ga to mhkal sani ko bhej bra dad dege ❤❤❤😅
Anmol prem
Satnaam. Sat aam. Sat aam. Saheb. Bandgi. Jai. Kabir. Ji. Maha Naman
Itna dookh mujhe aaj tak kabhi nahi hua jitna vinesh faugat ke is trah dusqalify hine se hua hai Agar isme kisi ki sajis hui to mai bhagwan se yahi dua karonga ke unhe aisi saja de k we dobara is kabil n rahe 🙏
True
जय कबीर साहेब
X. x🎉 x6XR
Sir is isme konsa ras h
Atmajyan Ras aap man sakte hai
ua-cam.com/users/shortsBYZK483BIac?si=X4Opn05g9j8AJQVa
ua-cam.com/users/shortsBYZK483BIac?si=X4Opn05g9j8AJQVa
Sat saheb g
❤
JAI BABAJI 💃🕺🌹💐🌷❤️🌺🌸🪷🦚🪷🦚🙏JAI MAA 🌹💐🌷🌷❤️💃🕺🌺🌸🙏🦚🪷🦚🙏
❤❤
भक्ति के माध्यम से सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों सफलता मिलती है---सत्य है ❤
जीवन में हमें हर परिस्थिति मे भगवान को याद करना चाहिये
Jai siyaram
Jai
विषय को दिल से देखने पर उसका त्याग बिल्कुल भी नहीं हो सकता है दिमाग से देखने पर उसका त्याग पूरी तरह से ही हो सकता है
In😅
itna Vistrit vivran sunkar baut hi achha laga. Kabirdas ji ki jai ho
Atisundar
Karma hi puja hai
Satya vachan
Right Bhai bahut khoob
Bahut sundar prastuti🎉
धन्यवाद
Aaj ke yug me kon karta h yeh dharm ki baate lekin aap bade sobhagyashil h ki aap par Ishwar ki kripa h kyuki unhi ki kripa se bhakti bhav aata h😊
Bahut hi meetha swar
Kya bat hai sir
Jai shree ram
Jai shree Ram
ua-cam.com/video/MhZ8ty69ETM/v-deo.htmlsi=5Y-viiejpbrZytMI
कबीर दास जी महाराज जी जय हो ❤️🙏🙏
Thanks you so much.
Welcome!
O mere bhai, aaj inhi dohon pe amal karne ki jaroorat hai inki to saari baten mn ko marne k liye hain aaj to aadmi ka mn aise faila hai ki aaye din naye naye rang
❤❤❤❤pooja
DHAN DHAN SHI GURU NANAK DEV MAHARAJ Ji 🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻❤️💐🙏🏻💕
अति सुन्दर जानकारी सूचना प्रेरणादायक वीडियो ❤🎉😊🕉️☪️✝️🔯☸️🔊💻🔥🤳🫦🚩👏✍️✅🙏
धन्यवाद !
DHAN DHAN SHI GURU NANAK DEV MAHARAJ Ji 🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐🙏❤️💐💕
Bahut sundar
Very beautiful
True