राधेश्याम भारती जी ! हास्य के नाम पर समाज को किस श्रेणी का पथ प्रदर्शन करना चाहते हो ? सरस्वती के आंशिक कृपापात्र बनने के बाद भी, शिक्षक एवं शिक्षण, की मर्यादा ही भूल गए। ******* बच्चन के साहित्य की सार है मधुशाला। उसके लक्ष्यार्थ को समझने के लिए पठन कौशल विकसित कीजिए। तभी अन्तस् में युगबोध, सौंदर्यबोध, समझ आने लगेगा। और उसके बाद ही स्वामी रामदेव के कृतित्व एवं व्यक्तित्व का आंशिक मूल्यांकन करने की क्षमता विकसित हो सकेगी। आपके सिर के बाल सफेद हो गए हैं, कुछ भी शर्म हो तो पहले पढ़ना एवं अवधारणा स्पष्ट करना सीखो,उसके बाद ही विशिष्ट विषयों पर कुछ बोलना शुरू करो। साहस है तो प्रबुद्ध वर्ग में बैठकर सम्वाद करो
जय,हो,भारती,जी,की।शराब,पर, बहुत ही सुन्दर रचना,पढ़ी,है। बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut khub R. S bhartya ji Badhai hai Aapko
Bahut achhe RadheySyam Bhai
Chachaji atisundar aap ki kavita hai bahut acchi lagi
बहुत सुंदर कविता बहुत सुंदर
Chacha ji ko chachaji ji belan sawagt kr rahi. Hongi..
Bahut achchha Kavita hai
Bahut Sundar
अति सुन्दर कविता है मगर सबके समझ से बाहर आप की भाषा शैली अत्यंत सुन्दर है चचा 😃😃😃😃👌👌👌👌👌👌👌
Very good sir aap ki Kavita ne mantra mugdh kar diya ye aap ne bahut achhi seekh di hai jamane ko thank you.
शम्भु शिखर जी गजब
Radheshyam bharti ji ko namaskar
V❤ nice ❤❤ great
अति सुन्दर
Vah vah kya baat hai 🙏🙏🙏👍😂😂
Very nice kavita.
बहुत-बहुत अच्छी कविता
Very nice
Best#deewanagupta
Good
Bahut hi achcha
बहुत सुन्दर रचना है आपकी श्रीमान चाचा जी
वाह, बहुत खूब
वाह भारती जी!
सुंदर व्यंग्य और शानदार हास्य कविता!
Jay bhim sir g
Kya baat hai chacha ji
Sundar
Bahut achha chachaji
Bahut sunder ek kavi ke sath app sunder kalakar bhi hain
Jai bheem sir
Jay hind only jai hind
nice
Gajag
Vah vah Bahut Khoob🤣🤣🤣🤣🤣
very nice sir Jai Bhim
Thanku so much sir ye age me inteligent
मस्त मस्त श्रीमान
Aap. Ka. Jwab. Ni
Super poem
Nice
Bahut marmik
sda.
बगल में आपके बाएं लगता है मिथुन चक्रवर्ती द बैठे हैं।
हार
excellent sir
⁶
Very nice uncal
😙😀😃👍👍👍
राधेश्याम भारती जी ! हास्य के नाम पर समाज को किस श्रेणी का पथ प्रदर्शन करना चाहते हो ? सरस्वती के आंशिक कृपापात्र बनने के बाद भी, शिक्षक एवं शिक्षण, की मर्यादा ही भूल गए। ******* बच्चन के साहित्य की सार है मधुशाला। उसके लक्ष्यार्थ को समझने के लिए पठन कौशल विकसित कीजिए। तभी अन्तस् में युगबोध, सौंदर्यबोध, समझ आने लगेगा। और उसके बाद ही स्वामी रामदेव के कृतित्व एवं व्यक्तित्व का आंशिक मूल्यांकन करने की क्षमता विकसित हो सकेगी। आपके सिर के बाल सफेद हो गए हैं, कुछ भी शर्म हो तो पहले पढ़ना एवं अवधारणा स्पष्ट करना सीखो,उसके बाद ही विशिष्ट विषयों पर कुछ बोलना शुरू करो। साहस है तो प्रबुद्ध वर्ग में बैठकर सम्वाद करो
sir kavita ko kavita ki trah suniye gyaan mat leejiye
उमेश जी आप जैसे पूर्वाग्रही और संकुचित विचारों वाले बाबा भक्तों के लिए साहित्य और कविता नहीं है।
हास्य के साथ व्यग के माध्यम से जो जन हित को संदेश दिया ये प्रबुद्धता को दरसाता है
जो रामदेव की दवा से ठीक है संत नही दला है नेताओ का।।।
Very nice
Best#deewanagupta
Very nice