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Kabhi bhi kisi jaati ka purn Roop se vinash nahin Hota Hai Kalyug dwapar mein bhi tha Treta Mein Bhi Tha aur Kalyug Mein To Hai hi lekin iska Astitva Kalyug mein jyada hoga to aap Aaj satyug atireta Mein iska Astitva shunya tha isiliye teenon Kalon Mein Paap utna nahin tha lekin Kalyug mein Apna purn Roop dikhaega is Yug Mein log apna Dharm Karm purn Roop se Bhul Jaenge is Kalyug mein log Dan purn Puja paath ko dhong mein manenge Yahi Satya hai aur Ho bhi raha hai Log Ek dusre ko niche dikhayenge aur Sara log Dhan Ke Piche bhagenge Rishte Naate ka koi ahmiyat nahin rahega Vishwas naam ka koi Shabd Nahin rahega ISI Tarah Jab Ram Ji Ne pure raksh jaati ka vinash kiye the usmein se Kuchh raksh Bach gaye the Jo Dua prayog mein Bechain lekin Unka purn Roop se vinash nahin hua tha Vahi raksh ka pad jaati Kalyug mein Apna Roop dikhaega Jo Mulla Banke Aaya Hai Jise ham log Musalman ya Islam Dharm Jo Kaho yah log use Samay bolata kam Karte The aur Aaj Bhi Sanatan Dharm ke viprit Hi Kam Karte Hain
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम हरे जय जय राम राम हरे जय जय राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤❤❤❤
असुरों का विनाश होने या कराने में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी आसुरी महिलाओं का हाथ रहा है क्योंकि उन्हें उकसाने वाली महिला ही है और इसके पीछे भी बहुत बड़ा कारण यह रहा है कि राक्षस जाति ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर शादियां की है
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ जाने आखिर क्यों किया था भगवान शिव ने अपने ही भक्त रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र का वध? अपने भाई लंकापति रावण के समान ही कुम्भकर्ण की भी शिव के प्रति अगाध श्रद्धा थी , ऋषि विश्रवा व कैकसी के दूसरे पुत्र के रूप में कुम्भकर्ण का जन्म हुआ था।राक्षस कुल में जन्म लेने के बावजूद भी कुम्भकर्ण में कोई अप्रवर्ति नहीं थी वह सदैव धर्म के मार्ग में चलने वाला व्यक्ति था उसकी यही विशेषता उसे राक्षस कुल के अन्य राक्षसों से अलग करती थी. कुम्भकर्ण के इस प्रताप को देखकर देवता भी उनसे जलते थे। रावण जब भगवान शिव की तपस्या करने बैठता था तो कुम्भकर्ण भी भाई विभीषण को साथ में लेकर शिव की तपस्या में लीन हो जाता था। रावण के हर धार्मिक कार्यो में कुम्भकर्ण उसके साथ होता था। राक्षस कुल में रावण के बाद भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त होने के बावजूद भी आखिर क्यों भगवान शिव कुम्भकर्ण के पुत्र का वध किया आइये विस्तार से जानते है इस कथा को :- जब कुम्भकर्ण अपने भाई रावण के लिए राम के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ उस समय कुम्भकर्ण के पत्नी गर्भवती थी। कुम्भकर्ण की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी कामरूप प्रदेश में रहने लगी तथा वहां उसने कुम्भकर्ण के भीम नामक महाप्रतापी पुत्र को जन्म दिया। भीम अपने पिता कुम्भकरण के समान ही अत्यन्त बलशाली था जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो एक दिन उसने अपनी माँ से उसके पिता के बारे में पूछा। भीम की माँ ने उसे बताया की कैसे भगवान श्री राम के साथ युद्ध के दौरान उसके पिता कुम्भकर्ण वीरगति को प्राप्त हुए। भगवान विष्णु के अवतार श्री राम द्वारा अपने पिता के वध की खबर सुनकर वह महाबली राक्षस अत्यन्त क्रोधित हो गया। अपने पिता के वध का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए भीम हिमालय की उच्ची चोटियों पर गया तथा वहां उसने एक हजार वर्ष तक कठिन तपस्या की।उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्र्ह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए तथा उसे लोक विजयी होने का वरदान दिया। ब्र्ह्मा जी से वरदान पाकर वह राक्षस और भी अधिक बलशाली हो गया तथा अब वह निर्दोष प्राणियों पर अत्याचार करने लगा व उन्हें प्रताड़ित करने लगा। उसने देवलोक पर भी अपने अपने वरदान के प्रभाव से विजयी हासिल की तथा देवताओ को मजबूर होकर स्वर्ग से अपने प्राण बचाकर भागना पड़ा। इस प्रकार भीम का पुरे स्वर्गलोक में अधिकार हो गया। इसके बाद उसने भगवान श्री इंद्र से भी युद्ध कर उन्हें युद्ध में परास्त कर दिया। श्रीहरि को पराजित करने के पश्चात उसने कामरूप के परम शिवभक्त राजा सुदक्षिण पर आक्रमण करके उन्हें मंत्रियों-अनुचरों सहित बंदी बना लिया।इस प्रकार धीरे-धीरे उसने सारे लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया। उसके अत्याचार से वेदों, पुराणों, शास्त्रों और स्मृतियों का सर्वत्र एकदम लोप हो गया। उसने धरती सभी धार्मिक कार्यो को बंद करवा दिया जिस कारण ऋषि मुनि भी उससे दुखी होकर भगवान शिव के शरण में गए और उन्होंने भगवान शिव से भीम के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्राथना करी। भगवान शिव उन सभी की प्राथना सुनी और उन्हें जल्द ही भीम के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। उधर भगवान शिव के भक्त सुदक्षिण राक्षस भीम के बंदी गृह में भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग को रखकर उनका ध्यान कर रहे थे। भीम ने जब राजा सुदक्षिण को भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते देखा तो वह गुस्से से आग-बबूला हो गया।उसने क्रोध में अपनी तलवार निकालकर जैसे ही शिव के पार्थिव शिवलिंग प्रहार करना चाहा उसी समय उस शिवलिंग से साक्षात शिव प्रकट हुए। उन्होंने अपने हुंकार मात्र से ही राक्षस भीम को अग्नि में भष्म कर दिया।भगवान शिवके इस अद्भुत कृत्य को देखकर सभी ऋषि मुनि और देवता वहां प्रकट हुए व भगवान शिव की स्तुति करने लगे। उन्होंने भगवान शिव से प्राथना करी की आप लोक-कल्याण के लिए सदा यही निवास करें। यह क्षेत्र शास्त्रों के अनुसार अपवित्र बताया गया है परन्तु आपके निवास से यह परम पवित्र और पूण्य क्षेत्र बन जाएगा। भगवान शिव ने उन सभी की प्राथना सुन ली तथा वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए स्थापित हो गए। उनका यह ज्योतिर्लिंग भीमेश्वर के नाम से विख्यात हुआ तथा इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा अमोघ है।इसके दर्शन का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता। भक्तों की सभी मनोकामनाएं यहां आकर पूर्ण हो जाती हैं। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼
@@j.k.yyadav5597,,, ga** pr thokr padegi , suar ke pille,,,tere bhim ki mata , roj tulsi mata ko diya jalati aur buddha ji ka pitaji shuddhodhan ji bhagwan shivji ki pooja krta,,,,,,buddh khud mata tara ki pooja krta tha,,,, Buddha ji ke sabhi purvaj hindu the, sabhi bholenath ke sevak the,,,,,, Buddha ke vansajo ne buddha ko nastik bana diya,,, 😠,,, ab Tu yaha gyan pel rah h 🐷
*जानिये आत्मा नए शरीर में कैसे जाती है? 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न किया मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं? भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण) मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर जाता है आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से (1) ज्ञानियों का आत्मा मस्तिस्क के उपरी सिरे से बाहर जाता है (2) पापियों का आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं) यह आत्मा को शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं | शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर घर के अंदर कई दिनों तक रहता है १.अग्नि में ३ तीन दिनों तक २. घर में स्थित जल में ३ दिनों तक जब मृत व्यक्ति का पुत्र १० दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वेदिक अनुष्ठान करता है तब मृत व्यक्ति की आत्मा को दसवे दिन एक अल्पकालिक शरीर दिया जाता है जो अंगूठे के आकार का होता है| इस अल्पकालिक शरीर के रूप में वह आत्मा दसवे दिन यम लोक के लिए प्रस्थान करता है | तीन दिनों बाद अर्थात तेरहवे दिन वह यमलोक पहुंचता है| यमलोक में चित्रगुप्त जीव के सभी कर्मो का लेखा यमराज को प्रस्तुत करते हैं| उसके आधार पर यमराज जीव के लिए स्वर्ग लोक या नरक लोक जाता तय करते हैं| जीव अपने कर्मो के अनुसार स्वर्ग या नरक लोक में रहता है और फिर उसके बाद वह पृथ्वी पर पुनः एक नए शरीर के रूप में जन्म लेता है| प्रेत योनि में कौन जन्म लेता है? कुछ मनुष्य जो कुछ विशेष प्रकार का कर्म करते हैं वे यमराज द्वारा वापस पृथ्वी पर प्रेत योनि में भेजे जाते हैं जिसमे वे एक निश्चित समय तक रहते हैं | निम्न प्रकार के कर्म करने वाले लोग प्रेत योनि प्राप्त करते हैं (1) विवाह के बाहर किसी से शारीरिक सम्बन्ध बनाना (2) धोखाधडी या किसी की संपत्ति हड़प करना ( 3) आत्म हत्या करना ( 4) अकाल मृत्यु: जैसे किसी जानवर द्वारा या किसी दुर्घटना में मारा जाना आदि (अकाल मृत्यु स्वयं मनुष्य के कुछ विशेष कर्मो के कारण प्राप्त होते हैं) व्याख्या प्रेत योनि प्राप्त करने के पीछे के कारण की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है| जब कोई जीव मनुष्य शरीर धारण करता है तो उसके कर्मो आदि के अनुसार उसका एक समय तक पृथ्वी पर रहना अपेक्षित होता है| यमराज जब मनुष्य के सभी कर्मो की समीक्षा करते हैं और उसमे यह पाते हैं कि जीव उस अपेक्षित समय से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गया तब उस जीव को बाकि समय के लिए प्रेत योनि में व्यतीत करना पडता है| मान लें कि किसी मनुष्य का जीवन ८० वर्षों का बनता था, लेकिन उसने ७०वे साल में आत्म हत्या कर ली, वैसी स्थिति में उसे १० सालों तक प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ेगा| प्रेत योनि एक सूक्ष्म शरीर होता है| प्रेत योनि में निवास करते समय मनुष्य की सभी इक्षाएं वैसी ही होती है जैसा उसका मनुष्य शरीर में था | यहाँ तक की भोजन आदि की इक्षाए भी वही होती है| प्रेत योनि में वह सभी कुछ करना चाहता है लेकिन कर नहीं पाता क्योंकि उसके पास भौतिक शरीर नहीं होता| इसलिए अगर मनुष्य के रूप में उसकी कई इक्षाएं अपूर्ण रह गई हों तो प्रेत योनि में उस मनुष्य को अपनी इक्षाएं पूरी नहीं होने की पीड़ा झेलनी पड़ती है| जब प्रेत योनि में उसका समय समाप्त हो जाता है जितना कि मनुष्य के रूप में उसे पृथ्वी पर रहना था तब उस आत्मा को नया शरीर प्राप्त होता है| इसलिए मनुष्यों को कभी आत्म हत्या जैसा कर्म नहीं करना चाहिए| यह तो आत्म हत्या के सन्दर्भ में था| लेकिन कुछ दूसरे पाप करने वाले भी प्रेत योनि में जाते हैं| उनका प्रेत योनि में रहने का समय उनके पाप के अनुसार होता है,जो ज्यादा पाप करते हैं वह लंबे समय तक प्रेत योनि में रहते हैं जहाँ वे अपनी इक्षाओं को पूरा करने के लिए तडपते हैं| भगवान के भक्तो का क्या होता है? भगवान के भक्तों को मृत्यु के बाद किसी प्रकार की यातना नहीं झेलनी पड़ती| भगवान के भक्त को यमराज के दूत नहीं बल्कि भगवान के अपने दूत लेने आते हैं| भगवान के दूत उस जीवात्मा की घर के बाहर प्रतीक्षा करते हैं और बहुत आदर के साथ भगवान के धाम लेकर जाते हैं| जहाँ वह जन्म और बंधनों से मुक्त अलौकिक जीवन जीता है| भगवान ने श्रीमद भगवद गीता में यह वचन दिया है कौन्तेय प्रतिजानीहि न में भक्तः प्रणश्यति। अर्जुन! मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸
Kekin bhole baba ka sinhasan hila dena bahut badi bat hai qk o universe ka kendra hai .. aur bali se kahi balwan tha rawan ... Bali keval adhi bal khinchne se vijayi hua tha
Isiliye Kahate Hain bhai Ramayan padha karo Geeta padho Keval dusre ke Munh se baat sunkar ya serial Dekhkar comment box box Mein mat likho Bheema suit Kumbhkaran ka beta tha Jab Kumbhkaran bhagwan Shri Ram Se Ladai Lad raha tha to Kumbhkaran ki patni vah Apne mayke Mein Hi the Jab Ravan ka mrutyu ho gaya To Apne Dasi ke sath Jungle Mein Chale Gaye aur bhi masur Naam Ka Ek asur Ko Janm Diya Kumbhkaran Jab Ladai per tha use Samay bheemasur apni Man ke pet Mein Pal raha tha is Naate bhi mashhur vibhishan ka Bhatija hua bad Mein Lanka per chadhai kiya tha aur Lanka ko Jeet bhi liya tha lekin bhagwan Shri Ram a kar FIR use vahan se Bhaga diye the uska Paap badh Jaane Ke Karan Bhagwan Shankar Ne uska Vadh kar den
ओम नमः शिवाय हर हर महादेव जी
❤ हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव ❤
😊
जब मेघनाद रावण और कुम्भकरण कुछ नहीं उखाड पाया तो भीमासुर झांठ उखाड़ लेगा
जय जय श्री राम जी
क्या आप अपनी मर्यादा भूल गए हैं
@@MithleshKumar-ve5lz याद रखिए जैसी करनी वैसी ही भरनी होगी आज नहीं तो कल जरूर होगी
Jay shree Krishna radhe radhe
Om namah Shivay kamaye namah har har Mahadev Sita Ram Lakshman Bharat Shatrughan Bajrangbali ki Jay
❤❤ हरहरहर हरहरहर महादेव ❤❤
Har har Mahadev ki ja ho❤
Omnamahshivayomnamahshivayomnamahshivayomnamahshivayomnamahshivay❤❤❤❤❤❤❤
जो नारायण की लीला न पचने वाह सबसे बड़ा मुरख है जय श्री राम
Yehe matherchod kya kya dekhate hai jabke ramayan main jab kom karn ke sahadi nahi hoi yehe kaha se aa gaya ladka uska
चलत महाधुनि गर्जही भारी।
गर्भ स्श्रवही सुन निशिचर नारी।।
फिर कहा से पैदा हो गये ये 🙏🙏
Q
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Tv se. Peda hote hai ye
Om namah shivay om namah shivay 🌹🌹🌹🌹 har har Mahadev
Om.namah.shivay.🌹🌹🌹🌺🌺.......................om.namah.shivay.🌺🌺🌺🌺
Jay shree ram 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
OmjaishevayomhatharhRmahadev❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम हरे जय जय राम राम हरे जय जय राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ❤❤❤❤
नारी तेरे रूप अनेक हैं।
Jay shree Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ Jay mataji
Har Har mhadev 🙏
Om namah shivay har har mahadev jai shiv shankar jai mata di
असुरों का विनाश होने या कराने में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी आसुरी महिलाओं का हाथ रहा है क्योंकि उन्हें उकसाने वाली महिला ही है और इसके पीछे भी बहुत बड़ा कारण यह रहा है कि राक्षस जाति ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर शादियां की है
हर हर हर महादेब
Hamare Prabhu Shri Ram ke barabar koi nahin
Joy Shree Ram,Hara hara Mahadev.
🙏🏻 Har Har Mahadev 🙏🏻
जय❤माहाकाल
Jay Shree ram 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Shri ram 🙏🙏🙏
P
Om namah shivaay har har Mahadev jay shivgouriparvari mata Di jay baba amaranth Mahadev ki Jay shri Radhe krishna
शट पपछठपट जगगचघ
L
Ram Ram
Om Namah Shivay
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा।
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जाने आखिर क्यों किया था भगवान शिव ने अपने ही भक्त रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र का वध?
अपने भाई लंकापति रावण के समान ही कुम्भकर्ण की भी शिव के प्रति अगाध श्रद्धा थी , ऋषि विश्रवा व कैकसी के दूसरे पुत्र के रूप में कुम्भकर्ण का जन्म हुआ था।राक्षस कुल में जन्म लेने के बावजूद भी कुम्भकर्ण में कोई अप्रवर्ति नहीं थी वह सदैव धर्म के मार्ग में चलने वाला व्यक्ति था उसकी यही विशेषता उसे राक्षस कुल के अन्य राक्षसों से अलग करती थी. कुम्भकर्ण के इस प्रताप को देखकर देवता भी उनसे जलते थे।
रावण जब भगवान शिव की तपस्या करने बैठता था तो कुम्भकर्ण भी भाई विभीषण को साथ में लेकर शिव की तपस्या में लीन हो जाता था। रावण के हर धार्मिक कार्यो में कुम्भकर्ण उसके साथ होता था। राक्षस कुल में रावण के बाद भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त होने के बावजूद भी आखिर क्यों भगवान शिव कुम्भकर्ण के पुत्र का वध किया आइये विस्तार से जानते है इस कथा को :-
जब कुम्भकर्ण अपने भाई रावण के लिए राम के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ उस समय कुम्भकर्ण के पत्नी गर्भवती थी।
कुम्भकर्ण की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी कामरूप प्रदेश में रहने लगी तथा वहां उसने कुम्भकर्ण के भीम नामक महाप्रतापी पुत्र को जन्म दिया। भीम अपने पिता कुम्भकरण के समान ही अत्यन्त बलशाली था जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो एक दिन उसने अपनी माँ से उसके पिता के बारे में पूछा।
भीम की माँ ने उसे बताया की कैसे भगवान श्री राम के साथ युद्ध के दौरान उसके पिता कुम्भकर्ण वीरगति को प्राप्त हुए। भगवान विष्णु के अवतार श्री राम द्वारा अपने पिता के वध की खबर सुनकर वह महाबली राक्षस अत्यन्त क्रोधित हो गया।
अपने पिता के वध का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए भीम हिमालय की उच्ची चोटियों पर गया तथा वहां उसने एक हजार वर्ष तक कठिन तपस्या की।उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्र्ह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए तथा उसे लोक विजयी होने का वरदान दिया। ब्र्ह्मा जी से वरदान पाकर वह राक्षस और भी अधिक बलशाली हो गया तथा अब वह निर्दोष प्राणियों पर अत्याचार करने लगा व उन्हें प्रताड़ित करने लगा।
उसने देवलोक पर भी अपने अपने वरदान के प्रभाव से विजयी हासिल की तथा देवताओ को मजबूर होकर स्वर्ग से अपने प्राण बचाकर भागना पड़ा। इस प्रकार भीम का पुरे स्वर्गलोक में अधिकार हो गया। इसके बाद उसने भगवान श्री इंद्र से भी युद्ध कर उन्हें युद्ध में परास्त कर दिया।
श्रीहरि को पराजित करने के पश्चात उसने कामरूप के परम शिवभक्त राजा सुदक्षिण पर आक्रमण करके उन्हें मंत्रियों-अनुचरों सहित बंदी बना लिया।इस प्रकार धीरे-धीरे उसने सारे लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया।
उसके अत्याचार से वेदों, पुराणों, शास्त्रों और स्मृतियों का सर्वत्र एकदम लोप हो गया। उसने धरती सभी धार्मिक कार्यो को बंद करवा दिया जिस कारण ऋषि मुनि भी उससे दुखी होकर भगवान शिव के शरण में गए और उन्होंने भगवान शिव से भीम के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्राथना करी।
भगवान शिव उन सभी की प्राथना सुनी और उन्हें जल्द ही भीम के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया।
उधर भगवान शिव के भक्त सुदक्षिण राक्षस भीम के बंदी गृह में भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग को रखकर उनका ध्यान कर रहे थे।
भीम ने जब राजा सुदक्षिण को भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते देखा तो वह गुस्से से आग-बबूला हो गया।उसने क्रोध में अपनी तलवार निकालकर जैसे ही शिव के पार्थिव शिवलिंग प्रहार करना चाहा उसी समय उस शिवलिंग से साक्षात शिव प्रकट हुए।
उन्होंने अपने हुंकार मात्र से ही राक्षस भीम को अग्नि में भष्म कर दिया।भगवान शिवके इस अद्भुत कृत्य को देखकर सभी ऋषि मुनि और देवता वहां प्रकट हुए व भगवान शिव की स्तुति करने लगे।
उन्होंने भगवान शिव से प्राथना करी की आप लोक-कल्याण के लिए सदा यही निवास करें। यह क्षेत्र शास्त्रों के अनुसार अपवित्र बताया गया है परन्तु आपके निवास से यह परम पवित्र और पूण्य क्षेत्र बन जाएगा।
भगवान शिव ने उन सभी की प्राथना सुन ली तथा वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए स्थापित हो गए। उनका यह ज्योतिर्लिंग भीमेश्वर के नाम से विख्यात हुआ तथा इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है।
इस ज्योतिर्लिंग की महिमा अमोघ है।इसके दर्शन का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता। भक्तों की सभी मनोकामनाएं यहां आकर पूर्ण हो जाती हैं।
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@ss 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हरीओम का नाम सहसार मे सबसे ताकतर है भगवान हरी के भगतो कि जय हो
यह एक काल्पनिक कहानी है जय भीम जय भारत जय संविधान नमो बुद्धाय
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
Law and order totally fail of india, only next date , next date
सच को छिपाने काफी प्रयत्न किया गया है फिर भी सच सामने है जय भीम नमो बुद्धाय
@@surajmishra1159 क्यों लगी आग
@@j.k.yyadav5597,,, ga** pr thokr padegi , suar ke pille,,,tere bhim ki mata , roj tulsi mata ko diya jalati aur buddha ji ka pitaji shuddhodhan ji bhagwan shivji ki pooja krta,,,,,,buddh khud mata tara ki pooja krta tha,,,,
Buddha ji ke sabhi purvaj hindu the, sabhi bholenath ke sevak the,,,,,,
Buddha ke vansajo ne buddha ko nastik bana diya,,, 😠,,, ab Tu yaha gyan pel rah h 🐷
Jai ma parwati
Kitni aag hain isme pratishodh ki. 😢😢
जय श्री राम
🌺 Om 🔱 shree 🙏 ganeshay 🚩 namah 🌺🔱🙏🚩🚩
Har Har Mahadev.
Shree Mahadev Sambhu.
Jay ho
हर हर महादेव
Jai Sri shiv Shambhu 🙏🙏 Jai Sri Ram 🙏
Jay shree Ram ji
Jay Jagannath Jay odisha 🎉🎉🎉🎉🎉
Jay Shree Ram ❤❤
Har har mahadev baba ji
Har har Mahadev ji
Jai bajrang bali
હર હર મહાદેવ જય બ્રહ્મ દેવ
हर हर महादेव❤❤❤❤
Har har mahadev
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Jay પુરુષોત્તમ રાય કી
पापी हरुको यो पृथिबिमा बासछैन
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मुझे ये कनकटी दे दो😂😂😂
Jai Shri Ram
જય શ્રી રામ
Om namha shevagye
Om namah sivay 🙏🙏🙏🙏🙏🌺🥀🌻🌸💐🏵🌹🌼
SiV. Sakati Jay. Ho
ॐ हर हर महादेवाय नम:🌹🙏🙏💥
V.Good
Om Namay Shivaay Shivaay Shivaay Krishna
Ong nama shivaay
Jay Shri Ram har har Mahadev
*जानिये आत्मा नए शरीर में कैसे जाती है?
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गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न किया
मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं?
भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण)
मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर जाता है
आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से
(1) ज्ञानियों का आत्मा मस्तिस्क के उपरी सिरे से बाहर जाता है
(2) पापियों का आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं)
यह आत्मा को शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं |
शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर घर के अंदर कई दिनों तक रहता है
१.अग्नि में ३ तीन दिनों तक
२. घर में स्थित जल में ३ दिनों तक
जब मृत व्यक्ति का पुत्र १० दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वेदिक अनुष्ठान करता है तब मृत व्यक्ति की आत्मा को दसवे दिन एक अल्पकालिक शरीर दिया जाता है जो अंगूठे के आकार का होता है| इस अल्पकालिक शरीर के रूप में वह आत्मा दसवे दिन यम लोक के लिए प्रस्थान करता है | तीन दिनों बाद अर्थात तेरहवे दिन वह यमलोक पहुंचता है|
यमलोक में चित्रगुप्त जीव के सभी कर्मो का लेखा यमराज को प्रस्तुत करते हैं| उसके आधार पर यमराज जीव के लिए स्वर्ग लोक या नरक लोक जाता तय करते हैं| जीव अपने कर्मो के अनुसार स्वर्ग या नरक लोक में रहता है और फिर उसके बाद वह पृथ्वी पर पुनः एक नए शरीर के रूप में जन्म लेता है|
प्रेत योनि में कौन जन्म लेता है?
कुछ मनुष्य जो कुछ विशेष प्रकार का कर्म करते हैं वे यमराज द्वारा वापस पृथ्वी पर प्रेत योनि में भेजे जाते हैं जिसमे वे एक निश्चित समय तक रहते हैं |
निम्न प्रकार के कर्म करने वाले लोग प्रेत योनि प्राप्त करते हैं
(1) विवाह के बाहर किसी से शारीरिक सम्बन्ध बनाना
(2) धोखाधडी या किसी की संपत्ति हड़प करना
( 3) आत्म हत्या करना
( 4) अकाल मृत्यु: जैसे किसी जानवर द्वारा या किसी दुर्घटना में मारा जाना आदि (अकाल मृत्यु स्वयं मनुष्य के कुछ विशेष कर्मो के कारण प्राप्त होते हैं)
व्याख्या
प्रेत योनि प्राप्त करने के पीछे के कारण की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है|
जब कोई जीव मनुष्य शरीर धारण करता है तो उसके कर्मो आदि के अनुसार उसका एक समय तक पृथ्वी पर रहना अपेक्षित होता है| यमराज जब मनुष्य के सभी कर्मो की समीक्षा करते हैं और उसमे यह पाते हैं कि जीव उस अपेक्षित समय से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गया तब उस जीव को बाकि समय के लिए प्रेत योनि में व्यतीत करना पडता है| मान लें कि किसी मनुष्य का जीवन ८० वर्षों का बनता था, लेकिन उसने ७०वे साल में आत्म हत्या कर ली, वैसी स्थिति में उसे १० सालों तक प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ेगा|
प्रेत योनि एक सूक्ष्म शरीर होता है| प्रेत योनि में निवास करते समय मनुष्य की सभी इक्षाएं वैसी ही होती है जैसा उसका मनुष्य शरीर में था | यहाँ तक की भोजन आदि की इक्षाए भी वही होती है| प्रेत योनि में वह सभी कुछ करना चाहता है लेकिन कर नहीं पाता क्योंकि उसके पास भौतिक शरीर नहीं होता| इसलिए अगर मनुष्य के रूप में उसकी कई इक्षाएं अपूर्ण रह गई हों तो प्रेत योनि में उस मनुष्य को अपनी इक्षाएं पूरी नहीं होने की पीड़ा झेलनी पड़ती है| जब प्रेत योनि में उसका समय समाप्त हो जाता है जितना कि मनुष्य के रूप में उसे पृथ्वी पर रहना था तब उस आत्मा को नया शरीर प्राप्त होता है|
इसलिए मनुष्यों को कभी आत्म हत्या जैसा कर्म नहीं करना चाहिए|
यह तो आत्म हत्या के सन्दर्भ में था| लेकिन कुछ दूसरे पाप करने वाले भी प्रेत योनि में जाते हैं| उनका प्रेत योनि में रहने का समय उनके पाप के अनुसार होता है,जो ज्यादा पाप करते हैं वह लंबे समय तक प्रेत योनि में रहते हैं जहाँ वे अपनी इक्षाओं को पूरा करने के लिए तडपते हैं|
भगवान के भक्तो का क्या होता है?
भगवान के भक्तों को मृत्यु के बाद किसी प्रकार की यातना नहीं झेलनी पड़ती| भगवान के भक्त को यमराज के दूत नहीं बल्कि भगवान के अपने दूत लेने आते हैं| भगवान के दूत उस जीवात्मा की घर के बाहर प्रतीक्षा करते हैं और बहुत आदर के साथ भगवान के धाम लेकर जाते हैं| जहाँ वह जन्म और बंधनों से मुक्त अलौकिक जीवन जीता है|
भगवान ने श्रीमद भगवद गीता में यह वचन दिया है
कौन्तेय प्रतिजानीहि न में भक्तः प्रणश्यति।
अर्जुन!
मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता
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Ram❤❤❤❤❤
Jaibholenath
Jay Shree RAM
Super video shemaroo bhakati darsan full episode HD all ways hits and superior
Kekin bhole baba ka sinhasan hila dena bahut badi bat hai qk o universe ka kendra hai .. aur bali se kahi balwan tha rawan ... Bali keval adhi bal khinchne se vijayi hua tha
जय श्री महाकाल
Rryyu9pkiûrreqwry65 rtyyyyy to get the edffrddedr th6 up to we
We
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Om nomoha mahadevnomonomo
Jai jai shri ram 🙏🙏🙏🙏🙏 her her mahadev 🙏🙏🙏🙏🙏
हर हर महादेव जय श्री राम
रावण कुम्भकर्ण मेघनाथ कुछ नही कर पाए तो ए क्या पर पायेगा।
Jai shree bholenath
Omnamshibay
बहुत सुंदर
Good video 👍🏼❤️
💕👋💕
Har har mahadev 🌺🌺🙏
Hi
🙏 Jai Shri Ram 🙏
Jai ho Bhole nath maharaj ji ki
पं़ अवधेश शुक्ला
Thakrudeevad
गरिप जनताको परोउपाकार श्रीमहाबिर हनुमान हिनुहुन्छ
ये कौन सा धारावाहिक है जी
Moummmm
माँ महादेव
Isme galat dikhaya gaya hai
Pray
Jay shree Ram ,. ,Aum namah shivaya
Jai shree ram har har mahadev Jai bjarang bli 🙏🕉🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Rabon ko marne ke Baad to Lanka ka Bivision Raja Tha Phir kon Vima Aa Geya....🤣🤣🤣😆
Isiliye Kahate Hain bhai Ramayan padha karo Geeta padho Keval dusre ke Munh se baat sunkar ya serial Dekhkar comment box box Mein mat likho Bheema suit Kumbhkaran ka beta tha Jab Kumbhkaran bhagwan Shri Ram Se Ladai Lad raha tha to Kumbhkaran ki patni vah Apne mayke Mein Hi the Jab Ravan ka mrutyu ho gaya To Apne Dasi ke sath Jungle Mein Chale Gaye aur bhi masur Naam Ka Ek asur Ko Janm Diya Kumbhkaran Jab Ladai per tha use Samay bheemasur apni Man ke pet Mein Pal raha tha is Naate bhi mashhur vibhishan ka Bhatija hua bad Mein Lanka per chadhai kiya tha aur Lanka ko Jeet bhi liya tha lekin bhagwan Shri Ram a kar FIR use vahan se Bhaga diye the uska Paap badh Jaane Ke Karan Bhagwan Shankar Ne uska Vadh kar den
@@avinashsharma3714,, धन्यबाद, 🤠❤🚩🚩🚩
Har har mahadev ki Jay mata parvati ke Jay ganesh bhagwan ki Jay kartikeya bhagwan ki Jay
Om namah shivay
Om namah shivaya 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏