@azibghadi vayi jb mohit gaur vayi live stream krte hai toh live chat me sb ajib ghadi ajib ghadi krte rehte hai esa kyu vayi 😢 tumhara kuch dabdaba hai kya!? Ya fir kya scene hai 😰😥
Great discussion and information....om namah shivay... Satya sanatan dharm ki jai...proud to be a hindu ...ese hi content ki bhot jrurt hai kalyug mai aaj k time mai hmare hindu samaaj ko jaagruk krne or dharm ki value smhjne k liye....great job
Yeh sampurn thik h ki Mahadev - Parshuram - Shree Ram ji ke baad Shresth Dhanurdhar Arjun hi the. 🏹 Aur Arjun sare vidya apne purusharth se swayam arjit kiye the. It's the best point ✋
The discussion went well, but the speaker should be given more chances by not interrupting in between.Addition Points to be added when the answer is completed.
Very correct why only Arjun, but one more reason is Shri Krishna and Arjun were of similar age, both were friends SAKHA. Bhim, Yudhistir were seniour to Krishna and Nakul, Sahadev were junior to Krishna.
हठधर्मी ना बनो देखो, सुनो और समझो! लोगों ने उस एक(ईश्वर)को छोड़कर ऐसे इष्ट-पूज्य बना लिए जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते, बल्कि वे स्वयं पैदा किए जाते हैं। जो स्वयं अपने लिए भी न किसी लाभ का और न हानि का अधिकार रखते हैं । जो न मृत्यु दे सकते हैं और न जीवन प्रदान कर सकते हैं और न मृत को दोबारा जीवित कर के उठा सकते हैं (25:3) सिर्फ धर्म का नाम ही सुना है धर्म क्या है मालूम ही नहीं भेड चल है. गोरों फ़िक्र किसी को नहीं.
@@RareSweety bo galat hai na oham ishwar tho nehi hai na manufacturing me agar ak sound creat hota hai tho kya bo sound malik hai .wese hi ishwar ka creation ka sound oham hai.
@@devdhanushnath6447Bro hame ishwar ke bare me kuch nahi pta manufacturer ke bare me kuch nahi pta, bas product dikh raha hai manufacturing ka or itna pta hai ohm sound aai fir product bana to obviously jise kuch nahi pta manufacturer ke bare me bas sound pta hai to log usi sound ko ishwar manenge... Or bro ishwar tatva hai koi person nahi hai, ishwar parbrahma hai ek tatwa hai wo jo sabme hai... To actually me manufacturer hi product bhi hai... 😅
Would like to know more about the swarg narak concept from Mohit. Also, ghost's concept is actual, although we actually know nothing about it. Just that another dimension exists within our world. There are many proofs of it just like punarjanam concepts.
@@dharmauvacha Wahi to, or bhot se gyani mahatma kehte hai ki swarg or narak temporary relm hai jaha har atma ko apne karmo ka fal prapt karne jana hi hota hai, fir waha se nikal kr dubara dharti pe aakar janam marn ka bandhan me bandhna hota hai...
Mohit is a very bright kid ..he talks so much sense in all his explanation. He is a brilliant kid . Sachin ji please aap beech me interrupt bahut jada kartey hai .. please aap thoda kam boliye ,let the guest speak .
Bhoot pret Hote hai. Maine dekha hai. 99% aatma vayu pradhan hoti hai jo dikhti nhi pr insaan ke dimag pr asar karti hai jise Pret kahete hai. Insaan ki chetna vasna jab bahut Prachand hoti hai tab wah kali insaan ki aakruti dikhai deti hai wahi bhoot hai.
He is just a Arjun Fan. If Karna was not great… then why Indra took his kavach and kundal? 2) Why Krishna made Karna to use his shakti against ghatolkach? 3) why Krishna had to press the chariot down to save Arjun’s head from Karna’s arrow? 4) Why did Krishna reveal to Karna just days before War that he is the brother of Pandavas to make him emotionally weak? 5) Why Kunti begged with Karna for Pandavas life? 6) why did Parashuram had to curse Karna so that he forgets his Vidya at a key juncture of war? 7) why the Brahmins curse to Karna got affected at the key juncture in war… the chariots wheel gets stuck in mud? 8) inspite of all these Arjuna had to kill Karna when he was not armed as if had taken Vijay dhanush in hand again it was difficult to kill him? 9) Vijay dhanush was bow of Shiva… no ordinary man can handle it… also he was the shishya of Lord Parashuram. This Covid kid is just a fan boy with no spiritual gyaan. In Virat yudh Arjun had defeated Guru dhrona and Bhishma as well.. that doesn’t mean… Arjun was better than them. Arjun could beat them as that time he had already collected many divya Astras from different lokas… and he was inform that day😂
8:54 भैया आपको ज्ञान नहीं है आपको पहले मृत्यु के बारे में जानना चाहिए जीव का शरीर 3 स्तर पर होता है। कारण शरीर, सूक्ष्म शरीर और भौतिक शरीर, जब भौतिक शरीर से सूक्ष्म शरीर अलग हो जाता है उसे मृत्यु कहते है। इसके अलावा जो सूक्ष्म शरीर की कभी मृत्यु नहीं होती। इसी सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर में स्थित चित्त में कर्मशय स्थित होते है जो दोनों शरीरों द्वारा किया जाता है। जब इसी चित्त में कर्मशय आती मलिन हो जाते है तब जीव को नर्क में जाकर मलीनता कम करने की आवश्यकता पड़ती है, यदि यह कर्मशय थोड़ी मात्रा में निकल जाए तब पशु पक्षी कीड़े मकोड़ों के योनि में जन्म लेने की योग्यता आती है। लेकिन मानव शरीर धारण करने के लिए इस अशुद्धता यानी चित्त की मलीनता को एक निश्चित अनुपात में लाना पड़ता है। और इसे ही पुनर्जन्म के नाम से जानते है,
Shiv ke bare me kaun likhe ga..jab wahi sab se pahle the sabse ant me the ...jab wo hi kisi ko bataye getabhi jaan sakte hai inke bare me...har har mahadev ❤
bhaiya Aapne har topic per baat kiya but sabhi kuch juda huwa hai sab kuch hota hai but karma har chad ham per lagu hota hai karma se ham bach nahi sakte unless hame moksh ki prapti na ho so hamare bhagya likha huwa hai kiu ki hamare pichle janma k hisab abhi hamko bhogna hai but hame bhakti or good karma ki madat se ham sab kuch thik kar sakte hain. jai shree ram🙏
यह कहना कि स्वर्ग नरक नहीं है सही नहीं होगा। हमारे शास्त्रों में भूलोक, पितृलोक,गौलोक, स्वर्ण,नरक, ब्रह्मलोक, शिवलोक, बैकुंठ आदि अनेक लोकों का वर्णन है। और यह भी कहा गया है कि जीव अपने अपने कर्मों के अनुसार इन लोकों में वास करता है।असल में आत्मा के तीन शरीर बताए गए हैं। नीचे के लोकों में आत्मा का स्थूल शरीर होता है और जैसे जैसे आत्मा ऊंचे यानी अधिक पवित्र स्थानों में गमन करतीं हैं शरीर सूक्ष्म यानी उन लोकों के अनुरूप और पवित्र होता जाता है। सूक्ष्म शरीर से आत्मा कारण शरीर में आती तो और भी अधिक पवित्र लोकों में गमन करती है। परमात्मा की रचना अपरंपार कही गई है। इसकी कोई सीमा नहीं है। अनंत रचना में जाने के लिए आत्मा अपने तीनों शरीर त्याग देती है तब आत्मा अपने असली रूप में होती है।
10:36 क्या मै कहूं यार भैया आपको 😢, सृष्टि की जब उत्पत्ति होती है तब परा प्रकृति के अंदर अपरा प्रकृति का निर्माण होता है महाकरण जगत में महाकरण जगत से यह कारण जगत में बहिर्मुखी होता है कारण जगत से सूक्ष्म जगत में फिर भौतिक जगत में, इसी तरह 14 लोक, 1 भौतिक और 13 सूक्ष्म, और 3 धाम total 17 लोक का निर्माण होता है इस अपरा प्रकृति में। सबको लिखने का समय नहीं है मेरे पास अभी मृत्यु में भौतिक शरीर से सुक्ष्म शरीर अलग होने पर कर्मानुसार नरक, पितृलोक या पृथ्वी पर दोबारा जन्म ग्रहण करने को मिलता है। आत्मा, परमात्मा का अंश होता है, गीता में एकदम सही कहा गया है लेकिन मृत्यु में भौतिक शरीर से आत्मा नहीं सुक्ष्म शरीर बाहर निकलता है, आत्मा तो एक अनंत ऊर्जा का श्रोत है जो इन शरीरों को ऊर्जा प्रदान करता रहता है। अब ये मत कह देना तो हमें भूख क्यों लगती है, मैने तुम्हे गाली दे देंना है, भाई सबकुछ लिखने का यह समय नहीं है, परमज्ञान तत्वज्ञान के बारे मे पढ़ो
Atma aur Jeevatma ka fark samajh kar baat kehni chahiye, agar aisa hota to Bhagwaan Sri Krishna Kurukshetra me veergati ko prapt hue yodhaaon ka Tarpan hi nahi karvate lekin unhone karvaya na.
भाई यह आप सच बोल रहे हो की आत्मा को मारा नहीं जा सकता लेकिन यातना नहीं दी जा सकती हैं, जैसे अब तुम छोटा सा उदाहरण सुनो जैसे की कोई मनुष्य में कोई भूतिया विसाच प्रवेश करता है जैसे उसके बाद कोई भी भक्त या कोई ज्ञानी जन उसकी प्रारताडना देता है देवदूत के द्वारा आदेश देता है जिस देवता का वह भगत है उसे देवता के दूत उसको मारपीट करके समझते हैं अगर वह प्यार से नहीं मानता,
ram ji ne apne pita dasrath ji ko pitra paksh mei jal trpan kiya tha vanvas k time. Ek pret ne hi Tulsidas ji ko bataya tha ki unki shri ram katha mei hanuman ji ate hai aur unhe kaise pahchan sakte hain
मेरा ये पार्थिव शरीर अच्छे से तृप्त होकर बंद कमरे में कंबल ओढ़कर सोया, फिर कुछ देर में नींद में मैं चेतना बंधन से मुक्त हो चुका था लेकिन तभी मैं एक स्वप्न मे किसी अन्य चेतन शरीर में किसी अन्य अनुभव का भोग कर रहा हूँ. जबकि वास्तव चेतन शरीर अचेतन में हैं. क्या इस पार्थिव शरीर और उस स्वप्नगत भाव शरीर का कोई प्रयोजन है... इस विषय आप विद्वत जनों का क्या मत है...
Bhoot pret Hote hai. Maine dekha hai. 99% aatma vayu pradhan hoti hai jo dikhti nhi pr insaan ke dimag pr asar karti hai jise Pret kahete hai. Insaan ki chetna vasna jab bahut Prachand hoti hai tab wah kali insaan ki aakruti dikhai deti hai wahi bhoot hai.
जिस आत्मा का शरीर के नष्ट हो जाने पर कुछ नहीं मालूम पड़ता कि कहां है वो आत्मा???उसी को आधार बनाकर पुनर्जन्म,स्वर्ग नरक,मोक्ष कोन कौन से सिद्धांत बना दिए??
Ab samay aa gaya school,college me medical science, physics aur technology ki padhai bandh kar Dharm shashtro ki padhai chalu kar deni chahiye fir Bhatat ko vishvguru banne se koi nahi rok sakta.
कोई आग मे हाथ आज देगा तो उसको हाथ जलने का एहसास कल होगा ?? इस जन्म का पाप पुण्य का फल इस जन्म मे मिलना चाहिए ताकि लोगों को अपने कर्मो का फल देख कर सीख मिले और समाज पाप करने से पहले हज़ार बार सोचे.. अगला जन्म कौन देखा है रे भाई .. किसको पता इस जन्म का पापी अगले जन्म मे सुख मे है या दुःख मे है.. क्या कोरी बकवास है
भाई आप चिंता मत करो आप के लिए पागल खाने का खर्च मै उठा लूंगा 😂 ये बता कोई खून खराबा आज करता है तो उसको सजा सालों बाद क्यों मिलती है ? क्योंकि तेरे हिसाब से तो उसी वक्त मिल जानी चाहिए 😂 ध्यान से बात सुनो गवार आदमी, कुछ कर्मों का फल उसी वक्त मिलता है और कुछ कर्मों का फल बाद मे मिलता है ।
@Bigetron506 अले मेला सोना बाबू तु भी बोलेगा अब .. देख मेरे जवाब का तेरे पास कोई पुख्ता जवाब तो है नही तो तु फिर ऐसे ही दाएं बाएं की ही बात करेगा लॉजिक को लॉजिक से काटा जाता है बच्चा ना की उलूल जुलूल बात से .. मै फैसला कहाँ कर रहा हु मै तो पूछ रहा हूँ कोई जवाब है तो दे .. हवा हवाई बात से काम नही चलेगा राजा बेटा ..
@anything_everything4735 chakka nhi hu teri tarah 10 nastiko ko akele pel deta hu telegram pr aja debate krni ho to 😂 ye typing warrior ko roj pelta hu tere jaise
Sabki apni apni kahani hain 😂😂😂 mujhe nhi lagta iske saare doodh ke daant toote honge Gyan ki isne apni alag duniya bana li. Shiv hi Satya hain har har mahadev 🙏
शर्मा जी कृपा करे... आप सिर्फ प्रश्न पुछीये.. बस... और सुनो.. हमे भी सुनने दो... बीच मे आपका ग्यान मत बता करे.. जो सामने वाला कुछ बोल रहा है... उसकी लिंक चली जाती है...सामने वाले को आपने बुलाया है.. कुछ बताने के लिये ना..? ॐ श्रीराम समर्थ 🙏
याद रहे भाई की "महाभारत" एक काव्य है (कहानी है) जिसे किसी व्यक्ति ने ही अपने हिसाब से लिखी है जीवन बहुत ही "मनमौजी" होती है, वह आपके इच्छाओं पर कभी नहीं चलती
@@deadster125 आत्मा के कई स्तर होते हैं, और हर स्तर पर एक अलग शरीर होता है। सबसे पहला शरीर, जिसमें हम अभी मौजूद हैं, उसे "स्थूल शरीर" कहा जाता है। यह हमारा भौतिक शरीर है, जो इस दुनिया के भौतिक पदार्थों से बना होता है। इसके बाद आता है "सूक्ष्म शरीर", जिसे आमतौर पर भूत-प्रेत कहा जाता है। यह शरीर स्थूल शरीर के साथ मौजूद रहता है। जब कोई व्यक्ति अपनी प्राकृतिक उम्र पूरी करता है और मरता है, तो उसका सूक्ष्म शरीर भी समाप्त हो जाता है और वह भूत-प्रेत नहीं बनता। लेकिन सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के बीच एक और अवस्था होती है जिसे "पितृ शरीर" कहते हैं। यह तब होता है जब सूक्ष्म शरीर खत्म होने वाला होता है और आत्मा "कारण शरीर" में प्रवेश करने के करीब होती है। इस अवस्था में आत्मा जिस रूप में होती है, उसे पितृ शरीर कहते हैं। हर आत्मा पितृ शरीर में नहीं जाती, केवल कुछ खास सूक्ष्म शरीर ही पितृ शरीर में प्रवेश करते हैं। वे सूक्ष्म शरीर जो अपने ही परिवार या वंश में पुनर्जन्म लेना चाहते हैं, पितृ शरीर में आते हैं। यह अवस्था आत्मा को अपने पूर्वजों के साथ जोड़ती है और उसे पुनर्जन्म के लिए तैयार करती है। पितृ शरीर एक ऐसा मिलाजुला रूप है जो सूक्ष्म और कारण शरीर दोनों से प्रभावित होता है। अगर कोई आत्मा पितृ शरीर से पुनर्जन्म लेती है, तो उसके पिछले जन्म की कुछ स्मृतियाँ भी बनी रह सकती हैं। पितृ शरीर आत्मा की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहां वह सूक्ष्म शरीर से आगे बढ़कर पुनर्जन्म की प्रक्रिया में प्रवेश करती है। अधिकांश सूक्ष्म शरीर का अंत हो जाता है और आत्मा कारण शरीर में प्रवेश करती है। यदि कोई व्यक्ति अचानक किसी दुर्घटना या अकाल मृत्यु का शिकार होता है, तो उसका सूक्ष्म शरीर भटकता रहता है और वह भूत-प्रेत बन जाता है। सूक्ष्म शरीर का पूरी तरह नष्ट न होने की वजह से यह भटकता रहता है। अगर कोई तपस्वी व्यक्ति होता है और उसकी अकाल मृत्यु होती है, तो वह अपनी तप की शक्ति से अपने सूक्ष्म शरीर को नष्ट कर सकता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता, तो उसे अपनी आयु पूरी होने तक भटकना पड़ता है। दूसरी तरफ, कोई तांत्रिक या तपस्वी भी उसकी मदद करके उसके सूक्ष्म शरीर को समाप्त कर सकता है और उसे कारण शरीर की ओर बढ़ा सकता है। सूक्ष्म शरीर के नष्ट होने के बाद जो शरीर आता है, उसे "कारण शरीर" कहा जाता है। यही शरीर पुनर्जन्म लेता है और इसके साथ नए स्थूल और सूक्ष्म शरीर भी बनते हैं। कारण शरीर के भीतर "चेतन शरीर" होता है, जो हमेशा आनंदित रहता है और अपनी इच्छा से जन्म और मृत्यु को नियंत्रित कर सकता है। यह शरीर पवित्र होता है और इसे किसी पाप का भार नहीं सहना पड़ता। इसके बाद आता है "ब्रह्म शरीर", जो वह अवस्था है जब पहली बार आत्मा परमात्मा से अलग होती है। यह शरीर कभी ईश्वर में मिलकर अनुभव करता है और कभी ईश्वर से अलग होकर। इसे ही "आत्मा" कहा जाता है। अंतिम स्थिति में आत्मा परमात्मा के साथ एक हो जाती है, जहाँ कोई शरीर नहीं होता। इस स्थिति को "परमात्मा" कहा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को समझने से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि आत्मा की यात्रा केवल एक जन्म-मृत्यु का चक्र नहीं है, बल्कि कई स्तरों से गुजरते हुए आत्मा अंततः परमात्मा में विलीन हो जाती है।
Marne ke baad preat yoni bhi he 🌹 Agar jite Ji Nahut galt karm kiye he... tab preat banke bhi banke bhatakna padta he 🌹 Gita me shri krishna... Pitr preat devtao ka jikr karte he 🌷 matlab ye sab hote he
#झूठ जो अध्यात्म में समझा जाता है गीता के साथ उपनिषद को समझो #acharyprashnt जी से सीखिए #आत्मा अलग अलग नहीं होती जहा आत्माये बोला जाए निकल लो वहां से #आत्मा शरीर में नहीं होती #भूत प्रेत नहीं होते #हम ही आत्मा है #एक सच्चिदानंद प्रभु के सिवा यहां कोई नहीं है #आप भी नहीं हो #मूर्तिपूजा एक माध्यम उन तक पहुंचने का #गीता के लोगो बहुत सारे अर्थ निकले पर योग्य वही है जो उपनिषद से मिलते हो लोग पुराणों की कहानी में उलझे रहते है
@@आदमसबकाबाप सागर एक ही होता है परंतु सागर में तरंगे कई होती है ये तरंगे ही जीवात्माए होती है जिनका आत्मा तत्व एक ही रहता है प्रशांत का ज्ञान भी अधूरा और अनुभवहीन है वह अन्य अभौतिक जगत को केवल कवि कल्पना मानता है यद्यपि हर शास्त्र में अने लोकालोकों की बातें है जो जीव को प्राप्त होती है और जीव जब अपने एक आत्म तत्व का साक्षात्कार करता है तो वह माया के प्रभाव से मुक्त हो जाता है
Bhut pret hote hai, jab sharir sampurn roop se nast nehin hota tab tak atma dusre sharir me pravesh nehin kar pata, kiyun ki wo us moh maya se apni yaadon se asaani se nakal nehin pata, wo bhatakta hai, isiliye humare sanatan sanskriti me marne ke baad sharir ko jalake bhasm kiya jata hai. Christian aur islam jese dharm me jab tak sharir coffin ⚰️ me sampurn roop se nast nehin hota tab tak atma bhatkta hai, iska matlab bhut pret hote hai... Jo hum purvajon ke naam pe pasu pakshi ko khana dete wo multiverse me humare astitwa ko darshata hai...
@deadster125 जी हां जीवात्मा जो कि आत्मा का एक वैकारिक अवस्था है जो अहंकार और प्रकृति (मूल पदार्थ जिससे अहंकार बुद्धि,मन,इंद्रीया और समस्त महाभूत उत्पन्न उत्पन्न होते है) आदि के संपर्क का परिणाम है
With us official को मोहित जी को पुनः मंच पे लाने के लिए बहुत आभार 🙏
Ajib Ghadi 😰
@djsupermacy ??
@azibghadi vayi jb mohit gaur vayi live stream krte hai toh live chat me sb ajib ghadi ajib ghadi krte rehte hai esa kyu vayi 😢 tumhara kuch dabdaba hai kya!? Ya fir kya scene hai 😰😥
बढ़ा ही दिलचस्प वार्तालाप और अति स्पष्ट और तार्किक उत्तर।
Great discussion and information....om namah shivay... Satya sanatan dharm ki jai...proud to be a hindu ...ese hi content ki bhot jrurt hai kalyug mai aaj k time mai hmare hindu samaaj ko jaagruk krne or dharm ki value smhjne k liye....great job
Exilant knowledge
आप बड़े विद्वान् उत्तम वक्ता है आपके चरणों को सादर स्पर्श कर नमस्कार करता हूँ 🙏🙏
Om Namah Shivay ❤️❤️❤️ Sri Shivay namstubhayam ❤❤❤Har Har Mahadev ❤❤❤
आप ने सर बहुत सच्ची बात कही है ❤❤❤❤🙏🌹🌹🌹🌹
Bahut hi tarkik uttar diye mohit ji ne, yadyapi bahut se log apni murkhata ke karan aapka uphaas kar rahe he.
Mohit Gaur Bhai thanku for Spreading Right knowledge of our Dharma
Dhanyawad ❤
THIS YOUNG MEN IS SO PRACTICAL. . I AGREE WHAT HE SAID..TRUE & REAL MAN ❤
Yeh sampurn thik h ki Mahadev - Parshuram - Shree Ram ji ke baad Shresth Dhanurdhar Arjun hi the. 🏹
Aur Arjun sare vidya apne purusharth se swayam arjit kiye the. It's the best point ✋
Pahle me Manta tha ki karn jyada yodhha he lekin Mahabharat padhane ke baad pata chala ki Arjun jyada shresth the ...❤
Anu ji Sachin ji bhut he acha program present kiya hai
He is just a badbola kid, still a long way to go for him, we can forgive him for lack of knowledge and experience. 😊
Think so too. He seems to have read the scriptures but at times speaks superficially
Chup lambde
Achhe guru ka talash sirf wahi kar sakta jiske paas achhe gyan aur us level ka gyan ko samajhne ki samarth ho...
The discussion went well, but the speaker should be given more chances by not interrupting in between.Addition Points to be added when the answer is completed.
Super gyan
Arjun 😎
Very correct why only Arjun, but one more reason is Shri Krishna and Arjun were of similar age, both were friends SAKHA.
Bhim, Yudhistir were seniour to Krishna and Nakul, Sahadev were junior to Krishna.
I respect him❤
Mohit bhaii ka knowledge kamal ka h🙏
हठधर्मी ना बनो देखो, सुनो और समझो!
लोगों ने उस एक(ईश्वर)को छोड़कर ऐसे इष्ट-पूज्य बना लिए जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते, बल्कि वे स्वयं पैदा किए जाते हैं। जो स्वयं अपने लिए भी न किसी लाभ का और न हानि का अधिकार रखते हैं । जो न मृत्यु दे सकते हैं और न जीवन प्रदान कर सकते हैं और न मृत को दोबारा जीवित कर के उठा सकते हैं (25:3)
सिर्फ धर्म का नाम ही सुना है धर्म क्या है मालूम ही नहीं भेड चल है. गोरों फ़िक्र किसी को नहीं.
Sir,punya kya hei ? according to Ved,,iss pe video banaye please
Tyag & daan ko punya kaha hai
Mohit bhai asli sanatani yuva h
Shandar
भाई आत्मा को सूक्ष्म शरीर दिया जाता है मैं इसकी बातों से पूरी तरह असहमत हूं।
Jai shree ram bhai 🙏
Bohut acha gyaan h bhai ...good knowledge bro❤...mere bhi ese hi vichar h
भगवान शिव तो स्वयंभू हैं। जन्म मरण से ऊपर हैं आदि है अनंत हैं।
ओंम ही सबकुछ है
@@prabhatrajput2827oham iswar ki creation ki sound hai na ki oham ishwar hai.
@@devdhanushnath6447 ishwar ko janne ka ek hi madhyam hai ohm ko janna isliye log ohm ko hi ishwar mante hai...
@@RareSweety bo galat hai na oham ishwar tho nehi hai na manufacturing me agar ak sound creat hota hai tho kya bo sound malik hai .wese hi ishwar ka creation ka sound oham hai.
@@devdhanushnath6447Bro hame ishwar ke bare me kuch nahi pta manufacturer ke bare me kuch nahi pta, bas product dikh raha hai manufacturing ka or itna pta hai ohm sound aai fir product bana to obviously jise kuch nahi pta manufacturer ke bare me bas sound pta hai to log usi sound ko ishwar manenge...
Or bro ishwar tatva hai koi person nahi hai, ishwar parbrahma hai ek tatwa hai wo jo sabme hai... To actually me manufacturer hi product bhi hai... 😅
Mohit bhai ko respect 🙏 jyada milna chahiye
Would like to know more about the swarg narak concept from Mohit.
Also, ghost's concept is actual, although we actually know nothing about it. Just that another dimension exists within our world. There are many proofs of it just like punarjanam concepts.
agar sawarg narak nehi hai toh arjun konse swarg ki apswara ko mata kaha rahe the ?
@@dharmauvacha Wahi to, or bhot se gyani mahatma kehte hai ki swarg or narak temporary relm hai jaha har atma ko apne karmo ka fal prapt karne jana hi hota hai, fir waha se nikal kr dubara dharti pe aakar janam marn ka bandhan me bandhna hota hai...
Mohit is a very bright kid ..he talks so much sense in all his explanation. He is a brilliant kid .
Sachin ji please aap beech me interrupt bahut jada kartey hai .. please aap thoda kam boliye ,let the guest speak .
Jivatama bhi hoti hai jinhe swarg aur nark me bheja jata hai...
स्वर्ग और नर्क के लिए आत्मा को शरीर मे जन्म दिया जाता है उसको भुगतने के लिए ताकि हमे स्वर्ग या नर्क का अनुभव हों एसा हमने एक प्रवचन में सुना है
You are right 👍
Premanand ji maharaj ne bhi bataya hai is ke bare me
Konse puran m likha h bhai. Kisi ne bi keh diya toh vo Sach ho jaega
@@sachinsaini2687 वो बात सच है या जूठ एसा मेने नहीं कहा मेने सुनाहै बस एसा कहा, अब ये कहा लिखा है वो मुझे नहीं पता
@@OMaihuna m bi Yeh ni bol ra ki kya Sach h or kya jhuth. Bhai pdhke dekho khud apne aap pta lg jaega. Kisi ki mat suno
Swastika is a clock of Saptarshis. It is a clock of the universe.
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Bhut pret toh hote hain. Ye bilkul sach hai.
Right
Ek pret ne hi Tulsidas ji ko bataya tha ki unki shri ram katha mei hanuman ji ate hai aur unhe kaise pahchan sakte hain
Nhi hote
Bhoot pret Hote hai. Maine dekha hai.
99% aatma vayu pradhan hoti hai jo dikhti nhi pr insaan ke dimag pr asar karti hai jise Pret kahete hai.
Insaan ki chetna vasna jab bahut Prachand hoti hai tab wah kali insaan ki aakruti dikhai deti hai wahi bhoot hai.
Swastik chinhe to sir ek aisa code hai jisme samasta prakar ka vigyan choopa hua hai. Yahi to sanatan ka asali chinhe hai.
Thanks bhai for this knowledge 🙏
💛🙏
Bhoot and pret are different yonis just like humans and atma can reside in any body.
He is just a Arjun Fan. If Karna was not great… then why Indra took his kavach and kundal? 2) Why Krishna made Karna to use his shakti against ghatolkach? 3) why Krishna had to press the chariot down to save Arjun’s head from Karna’s arrow? 4) Why did Krishna reveal to Karna just days before War that he is the brother of Pandavas to make him emotionally weak? 5) Why Kunti begged with Karna for Pandavas life? 6) why did Parashuram had to curse Karna so that he forgets his Vidya at a key juncture of war? 7) why the Brahmins curse to Karna got affected at the key juncture in war… the chariots wheel gets stuck in mud? 8) inspite of all these Arjuna had to kill Karna when he was not armed as if had taken Vijay dhanush in hand again it was difficult to kill him? 9) Vijay dhanush was bow of Shiva… no ordinary man can handle it… also he was the shishya of Lord Parashuram. This Covid kid is just a fan boy with no spiritual gyaan. In Virat yudh Arjun had defeated Guru dhrona and Bhishma as well.. that doesn’t mean… Arjun was better than them. Arjun could beat them as that time he had already collected many divya Astras from different lokas… and he was inform that day😂
Great debate । सभी आर्य भाई बहनों को सादर प्रणाम ❤
Ek baar or bulaye mohit ji ko is baar yog ko lekar podcast kijiye
🎉🎉❤❤
Swami Sachchidanand Maharaj ji ko bulaye debate ke liye
बहुत badiya❤❤❤
Excellent
8:54 भैया आपको ज्ञान नहीं है आपको पहले मृत्यु के बारे में जानना चाहिए जीव का शरीर 3 स्तर पर होता है। कारण शरीर, सूक्ष्म शरीर और भौतिक शरीर, जब भौतिक शरीर से सूक्ष्म शरीर अलग हो जाता है उसे मृत्यु कहते है। इसके अलावा जो सूक्ष्म शरीर की कभी मृत्यु नहीं होती। इसी सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर में स्थित चित्त में कर्मशय स्थित होते है जो दोनों शरीरों द्वारा किया जाता है। जब इसी चित्त में कर्मशय आती मलिन हो जाते है तब जीव को नर्क में जाकर मलीनता कम करने की आवश्यकता पड़ती है, यदि यह कर्मशय थोड़ी मात्रा में निकल जाए तब पशु पक्षी कीड़े मकोड़ों के योनि में जन्म लेने की योग्यता आती है। लेकिन मानव शरीर धारण करने के लिए इस अशुद्धता यानी चित्त की मलीनता को एक निश्चित अनुपात में लाना पड़ता है। और इसे ही पुनर्जन्म के नाम से जानते है,
Ha bhai ya तो मोहित भाई sahil bol rhe hai nhi तो गरुड़ पुराण
Lol, karna lovers will get offended again 😂😂
Acharya Yogesh Bhardwaj ji ko bulaye debate ke liye
अद्भुत ज्ञान का स्वामी 🙏
Very nice...🙏🙏🙏
Next podcast on vaastu and astrology with him
Shiv ke bare me kaun likhe ga..jab wahi sab se pahle the sabse ant me the ...jab wo hi kisi ko bataye getabhi jaan sakte hai inke bare me...har har mahadev ❤
Good job👍
bhaiya Aapne har topic per baat kiya but sabhi kuch juda huwa hai sab kuch hota hai but karma har chad ham per lagu hota hai karma se ham bach nahi sakte unless hame moksh ki prapti na ho so hamare bhagya likha huwa hai kiu ki hamare pichle janma k hisab abhi hamko bhogna hai but hame bhakti or good karma ki madat se ham sab kuch thik kar sakte hain. jai shree ram🙏
भिषम पहले से ही बहुत ज्यादा ज्ञानी थे कुषाण ने स्वयं पांडवों को उपदेश के लिए भिषम के पास भेजा था (शांति पर्व)
Adura gyaan
Grand trailer तुझे पूरा हैक्या😂
@प्रताड़क he isliye bola
@@grandtrailers6961 फिर तू भी एक पॉडकास्ट करके बता, 😂
आपके प्रश्न बड़े उत्तम प्रकार के है 🙏
अति सुंदर
यह कहना कि स्वर्ग नरक नहीं है सही नहीं होगा। हमारे शास्त्रों में भूलोक, पितृलोक,गौलोक, स्वर्ण,नरक, ब्रह्मलोक, शिवलोक, बैकुंठ आदि अनेक लोकों का वर्णन है। और यह भी कहा गया है कि जीव अपने अपने कर्मों के अनुसार इन लोकों में वास करता है।असल में आत्मा के तीन शरीर बताए गए हैं। नीचे के लोकों में आत्मा का स्थूल शरीर होता है और जैसे जैसे आत्मा ऊंचे यानी अधिक पवित्र स्थानों में गमन करतीं हैं शरीर सूक्ष्म यानी उन लोकों के अनुरूप और पवित्र होता जाता है। सूक्ष्म शरीर से आत्मा कारण शरीर में आती तो और भी अधिक पवित्र लोकों में गमन करती है। परमात्मा की रचना अपरंपार कही गई है। इसकी कोई सीमा नहीं है। अनंत रचना में जाने के लिए आत्मा अपने तीनों शरीर त्याग देती है तब आत्मा अपने असली रूप में होती है।
10:36 क्या मै कहूं यार भैया आपको 😢,
सृष्टि की जब उत्पत्ति होती है तब परा प्रकृति के अंदर अपरा प्रकृति का निर्माण होता है महाकरण जगत में महाकरण जगत से यह कारण जगत में बहिर्मुखी होता है कारण जगत से सूक्ष्म जगत में फिर भौतिक जगत में,
इसी तरह 14 लोक, 1 भौतिक और 13 सूक्ष्म, और 3 धाम total 17 लोक का निर्माण होता है इस अपरा प्रकृति में।
सबको लिखने का समय नहीं है मेरे पास अभी
मृत्यु में भौतिक शरीर से सुक्ष्म शरीर अलग होने पर कर्मानुसार नरक, पितृलोक या पृथ्वी पर दोबारा जन्म ग्रहण करने को मिलता है। आत्मा, परमात्मा का अंश होता है, गीता में एकदम सही कहा गया है लेकिन मृत्यु में भौतिक शरीर से आत्मा नहीं सुक्ष्म शरीर बाहर निकलता है, आत्मा तो एक अनंत ऊर्जा का श्रोत है जो इन शरीरों को ऊर्जा प्रदान करता रहता है। अब ये मत कह देना तो हमें भूख क्यों लगती है, मैने तुम्हे गाली दे देंना है,
भाई सबकुछ लिखने का यह समय नहीं है, परमज्ञान तत्वज्ञान के बारे मे पढ़ो
Please proof b sath men hona chaiyeh
Jis ke paas maya hai wo bhagwan hai bhagyawan
Atma aur Jeevatma ka fark samajh kar baat kehni chahiye, agar aisa hota to Bhagwaan Sri Krishna Kurukshetra me veergati ko prapt hue yodhaaon ka Tarpan hi nahi karvate lekin unhone karvaya na.
भगवान विष्णु या शिव इनमें से किसी को गुरु मान सकते हो
शेष। संत विशुद्ध मिले पारी तेहि।
चितवहि राम कृपा कारी जेहि।।
किए तिलक गुण गण बस करनी। गुणों को वश में करने के लिए तिलक लगाते हैं
Bahut achha podcasts
भाई यह आप सच बोल रहे हो की आत्मा को मारा नहीं जा सकता लेकिन यातना नहीं दी जा सकती हैं, जैसे अब तुम छोटा सा उदाहरण सुनो जैसे की कोई मनुष्य में कोई भूतिया विसाच प्रवेश करता है जैसे उसके बाद कोई भी भक्त या कोई ज्ञानी जन उसकी प्रारताडना देता है देवदूत के द्वारा आदेश देता है जिस देवता का वह भगत है उसे देवता के दूत उसको मारपीट करके समझते हैं अगर वह प्यार से नहीं मानता,
ram ji ne apne pita dasrath ji ko pitra paksh mei jal trpan kiya tha vanvas k time.
Ek pret ne hi Tulsidas ji ko bataya tha ki unki shri ram katha mei hanuman ji ate hai aur unhe kaise pahchan sakte hain
मेरा ये पार्थिव शरीर अच्छे से तृप्त होकर बंद कमरे में कंबल ओढ़कर सोया, फिर कुछ देर में नींद में मैं चेतना बंधन से मुक्त हो चुका था लेकिन तभी मैं एक स्वप्न मे किसी अन्य चेतन शरीर में किसी अन्य अनुभव का भोग कर रहा हूँ.
जबकि वास्तव चेतन शरीर अचेतन में हैं.
क्या इस पार्थिव शरीर और उस स्वप्नगत भाव शरीर का कोई प्रयोजन है...
इस विषय आप विद्वत जनों का क्या मत है...
अर्जुन नही माहात्मा अर्जुन बोलिये जय श्री कृष्ण
Correct me if wrong..only yudhishthir went to svarga log out of Pandavas...not arjuna ?
Bhoot pret Hote hai. Maine dekha hai.
99% aatma vayu pradhan hoti hai jo dikhti nhi pr insaan ke dimag pr asar karti hai jise Pret kahete hai.
Insaan ki chetna vasna jab bahut Prachand hoti hai tab wah kali insaan ki aakruti dikhai deti hai wahi bhoot hai.
जिस आत्मा का शरीर के नष्ट हो जाने पर कुछ नहीं मालूम पड़ता कि कहां है वो आत्मा???उसी को आधार बनाकर पुनर्जन्म,स्वर्ग नरक,मोक्ष कोन कौन से सिद्धांत बना दिए??
स्वस्तिक चिन्ह एक नक्षत्र को दर्शाता है। पता कर के उत्तर दूंगा।
11:19 तो आपके हिसाब से धरती स्वर्ग है या नर्क
भाई पढ लिया के मृत्यु के बाद कारण, सूक्ष्म शरीर और एक इस जन्म के जेसा हूबहू शरीर मिलता है जिसको दर्द सब महसूस होता है
Ab samay aa gaya school,college me medical science, physics aur technology ki padhai bandh kar Dharm shashtro ki padhai chalu kar deni chahiye fir Bhatat ko vishvguru banne se koi nahi rok sakta.
Chori karna galat nahin hai par pakadna crime hai.
कोई आग मे हाथ आज देगा तो उसको हाथ जलने का एहसास कल होगा ??
इस जन्म का पाप पुण्य का फल इस जन्म मे मिलना चाहिए ताकि
लोगों को अपने कर्मो का फल देख कर सीख मिले और समाज पाप करने से पहले हज़ार बार सोचे.. अगला जन्म कौन देखा है रे भाई .. किसको पता इस जन्म का पापी अगले जन्म मे सुख मे है या दुःख मे है.. क्या कोरी बकवास है
भाई आप चिंता मत करो आप के लिए पागल खाने का खर्च मै उठा लूंगा 😂
ये बता कोई खून खराबा आज करता है तो उसको सजा सालों बाद क्यों मिलती है ? क्योंकि तेरे हिसाब से तो उसी वक्त मिल जानी चाहिए 😂
ध्यान से बात सुनो गवार आदमी, कुछ कर्मों का फल उसी वक्त मिलता है और कुछ कर्मों का फल बाद मे मिलता है ।
Hn bhai tu bhgwan hai tu decide krega kab milega punya 😂😂 pdhai krle bchhe thoda bada hoja fir typing warrior banna
@Bigetron506 अले मेला सोना बाबू तु भी बोलेगा अब .. देख मेरे जवाब का तेरे पास कोई पुख्ता जवाब तो है नही तो तु फिर ऐसे ही दाएं बाएं की ही बात करेगा
लॉजिक को लॉजिक से काटा जाता है बच्चा ना की उलूल जुलूल बात से .. मै फैसला कहाँ कर रहा हु मै तो पूछ रहा हूँ कोई जवाब है तो दे .. हवा हवाई बात से काम नही चलेगा राजा बेटा ..
@anything_everything4735 chakka nhi hu teri tarah 10 nastiko ko akele pel deta hu telegram pr aja debate krni ho to 😂 ye typing warrior ko roj pelta hu tere jaise
@@anything_everything4735 अरे मेरे ज़ाहिल बच्चे 😇 आज भी कोई ग़लत काम करता है तो उसको उसका फल कई साल बाद मिलता है 😂
Sabki apni apni kahani hain 😂😂😂 mujhe nhi lagta iske saare doodh ke daant toote honge Gyan ki isne apni alag duniya bana li.
Shiv hi Satya hain har har mahadev 🙏
मोहित को बार बार नमस्कार🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
“Nightmare of rented atheist😂”. The vigyan darshan and the sanatan reveals🗿🗿🗿
Sir karn ki jo harne wali baat apne ki hai uska reference dijiye mahabharat ya geeta se
शर्मा जी कृपा करे...
आप सिर्फ प्रश्न पुछीये.. बस... और सुनो.. हमे भी सुनने दो... बीच मे आपका ग्यान मत बता करे.. जो सामने वाला कुछ बोल रहा है... उसकी लिंक चली जाती है...सामने वाले को आपने बुलाया है.. कुछ बताने के लिये ना..?
ॐ श्रीराम समर्थ 🙏
Bhai garud puran naam ka bhi koi chij h PTA h na padho ek bar
Tuition ki jarurat kamzor bacho ko jyda hti h na ki hoshiyar bacho ko. Islie Gita ke gyaan ki jarurat toh sbko hi ti, adharm krne wlo ko jyda ti.
लेकिन महाभारत में सहदेव को तो भविष्य पता था इसका मतलब सबकुच पहले से ही तय है
याद रहे भाई की "महाभारत" एक काव्य है (कहानी है) जिसे किसी व्यक्ति ने ही अपने हिसाब से लिखी है
जीवन बहुत ही "मनमौजी" होती है, वह आपके इच्छाओं पर कभी नहीं चलती
इसका मतलब महाभारत जूठ है ऐसा कहना चाहते हो एक माइथोलॉजी काव्य है और ऐसा भी होसकता है कि गौरव जो बाते कर रहा हो वो जूठ है और इसके प्रमाण मिलावटी हो
फिर तो गरुड़ पुराण में लिखा गलत है सब???
Swastik ka knowledge adhura hai
Swastik jo hai wo taro aur naxatro ka ek samhuh jo ki 12 months k hisab se shift hote hai.
About karna they are wrong
Prove that why arjun best from karna?
Jab ek atma ek sarir se dusre sarir janemain. Jo bakt ek atma sukma sarir main raheta hain. Ohi bakt atma ko , bhut pret pitro kaha jata hain.
भूत ? भूत का अर्थ होता है जो बीत गया हो ।
Atma or jeev alag hota hai
Aap jiski baat kar rahe ho wo atma hai
@@deadster125 आत्मा के कई स्तर होते हैं, और हर स्तर पर एक अलग शरीर होता है। सबसे पहला शरीर, जिसमें हम अभी मौजूद हैं, उसे "स्थूल शरीर" कहा जाता है। यह हमारा भौतिक शरीर है, जो इस दुनिया के भौतिक पदार्थों से बना होता है। इसके बाद आता है "सूक्ष्म शरीर", जिसे आमतौर पर भूत-प्रेत कहा जाता है। यह शरीर स्थूल शरीर के साथ मौजूद रहता है। जब कोई व्यक्ति अपनी प्राकृतिक उम्र पूरी करता है और मरता है, तो उसका सूक्ष्म शरीर भी समाप्त हो जाता है और वह भूत-प्रेत नहीं बनता।
लेकिन सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के बीच एक और अवस्था होती है जिसे "पितृ शरीर" कहते हैं। यह तब होता है जब सूक्ष्म शरीर खत्म होने वाला होता है और आत्मा "कारण शरीर" में प्रवेश करने के करीब होती है। इस अवस्था में आत्मा जिस रूप में होती है, उसे पितृ शरीर कहते हैं।
हर आत्मा पितृ शरीर में नहीं जाती, केवल कुछ खास सूक्ष्म शरीर ही पितृ शरीर में प्रवेश करते हैं। वे सूक्ष्म शरीर जो अपने ही परिवार या वंश में पुनर्जन्म लेना चाहते हैं, पितृ शरीर में आते हैं। यह अवस्था आत्मा को अपने पूर्वजों के साथ जोड़ती है और उसे पुनर्जन्म के लिए तैयार करती है। पितृ शरीर एक ऐसा मिलाजुला रूप है जो सूक्ष्म और कारण शरीर दोनों से प्रभावित होता है। अगर कोई आत्मा पितृ शरीर से पुनर्जन्म लेती है, तो उसके पिछले जन्म की कुछ स्मृतियाँ भी बनी रह सकती हैं।
पितृ शरीर आत्मा की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहां वह सूक्ष्म शरीर से आगे बढ़कर पुनर्जन्म की प्रक्रिया में प्रवेश करती है। अधिकांश सूक्ष्म शरीर का अंत हो जाता है और आत्मा कारण शरीर में प्रवेश करती है।
यदि कोई व्यक्ति अचानक किसी दुर्घटना या अकाल मृत्यु का शिकार होता है, तो उसका सूक्ष्म शरीर भटकता रहता है और वह भूत-प्रेत बन जाता है। सूक्ष्म शरीर का पूरी तरह नष्ट न होने की वजह से यह भटकता रहता है। अगर कोई तपस्वी व्यक्ति होता है और उसकी अकाल मृत्यु होती है, तो वह अपनी तप की शक्ति से अपने सूक्ष्म शरीर को नष्ट कर सकता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता, तो उसे अपनी आयु पूरी होने तक भटकना पड़ता है। दूसरी तरफ, कोई तांत्रिक या तपस्वी भी उसकी मदद करके उसके सूक्ष्म शरीर को समाप्त कर सकता है और उसे कारण शरीर की ओर बढ़ा सकता है।
सूक्ष्म शरीर के नष्ट होने के बाद जो शरीर आता है, उसे "कारण शरीर" कहा जाता है। यही शरीर पुनर्जन्म लेता है और इसके साथ नए स्थूल और सूक्ष्म शरीर भी बनते हैं। कारण शरीर के भीतर "चेतन शरीर" होता है, जो हमेशा आनंदित रहता है और अपनी इच्छा से जन्म और मृत्यु को नियंत्रित कर सकता है। यह शरीर पवित्र होता है और इसे किसी पाप का भार नहीं सहना पड़ता।
इसके बाद आता है "ब्रह्म शरीर", जो वह अवस्था है जब पहली बार आत्मा परमात्मा से अलग होती है। यह शरीर कभी ईश्वर में मिलकर अनुभव करता है और कभी ईश्वर से अलग होकर। इसे ही "आत्मा" कहा जाता है। अंतिम स्थिति में आत्मा परमात्मा के साथ एक हो जाती है, जहाँ कोई शरीर नहीं होता। इस स्थिति को "परमात्मा" कहा जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया को समझने से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि आत्मा की यात्रा केवल एक जन्म-मृत्यु का चक्र नहीं है, बल्कि कई स्तरों से गुजरते हुए आत्मा अंततः परमात्मा में विलीन हो जाती है।
Bro jab swarg nark nahi hain to Arjun kahan gaye the?
Marne ke baad preat yoni bhi he 🌹 Agar jite Ji Nahut galt karm kiye he... tab preat banke bhi banke bhatakna padta he 🌹 Gita me shri krishna... Pitr preat devtao ka jikr karte he 🌷 matlab ye sab hote he
#झूठ जो अध्यात्म में समझा जाता है गीता के साथ उपनिषद को समझो #acharyprashnt जी से सीखिए
#आत्मा अलग अलग नहीं होती जहा आत्माये बोला जाए निकल लो वहां से
#आत्मा शरीर में नहीं होती
#भूत प्रेत नहीं होते
#हम ही आत्मा है
#एक सच्चिदानंद प्रभु के सिवा यहां कोई नहीं है
#आप भी नहीं हो
#मूर्तिपूजा एक माध्यम उन तक पहुंचने का
#गीता के लोगो बहुत सारे अर्थ निकले पर योग्य वही है जो उपनिषद से मिलते हो लोग पुराणों की कहानी में उलझे रहते है
@@आदमसबकाबाप सागर एक ही होता है परंतु सागर में तरंगे कई होती है
ये तरंगे ही जीवात्माए होती है जिनका आत्मा तत्व एक ही रहता है
प्रशांत का ज्ञान भी अधूरा और अनुभवहीन है वह अन्य अभौतिक जगत को केवल कवि कल्पना मानता है यद्यपि हर शास्त्र में अने लोकालोकों की बातें है जो जीव को प्राप्त होती है
और जीव जब अपने एक आत्म तत्व का साक्षात्कार करता है तो वह माया के प्रभाव से मुक्त हो जाता है
Betu garud puran me kya likha hai!😮
Bhut pret hote hai, jab sharir sampurn roop se nast nehin hota tab tak atma dusre sharir me pravesh nehin kar pata, kiyun ki wo us moh maya se apni yaadon se asaani se nakal nehin pata, wo bhatakta hai, isiliye humare sanatan sanskriti me marne ke baad sharir ko jalake bhasm kiya jata hai. Christian aur islam jese dharm me jab tak sharir coffin ⚰️ me sampurn roop se nast nehin hota tab tak atma bhatkta hai, iska matlab bhut pret hote hai...
Jo hum purvajon ke naam pe pasu pakshi ko khana dete wo multiverse me humare astitwa ko darshata hai...
Kshma kijiye ga pr hamare sanatan dharm me tilak lagane ke piche bhi scientific reason h
मोहित भाई भूल गए कि आत्मा को डायरेक्ट भुना तला नहीं जाता उसे उसी लोक के अनुसार एक शरीर प्राप्त होता है जो उसी लोक तक रहता है
Atma nahi jeevatma
@deadster125 जी हां जीवात्मा जो कि आत्मा का एक वैकारिक अवस्था है जो अहंकार और प्रकृति (मूल पदार्थ जिससे अहंकार बुद्धि,मन,इंद्रीया और समस्त महाभूत उत्पन्न उत्पन्न होते है) आदि के संपर्क का परिणाम है
Usi lok tak nhi rehta..... Agla janm kisi or grah par bhi ho sakta h
आप दोबारा सुनिए