महाराज जी,सवामी जी कोटि कोटि बार,आपजी को हमारी तरफ से,दंडवत, वंदना,और नमसकार जी,विनती है जी आपसे,कि जिसको आप दरिशटा कह रहे है,आंख,कान, नाक आदि सारी ईंदरिओं को देख रहा है,महसूस कर रहा है,यह तो एक बात में ही बात खतम हो जाती है, कि यह सब,बस दिमाग की ही किरिआ है,हम सबको बस इन गिनती मिनतिओं ने ही तो उलझा रखा है, यही तो विडम्बना है,इसी लिए तो अगर हम परिणाम को देखें तो,इतनें धरम और इतने पंथ होते हूए भी,आज का पराणी धारमिक नहीं हो रहा है,किओंकि, आप एक परयोग करके देखिए,मानलो कि एक पागल आदमी का दिमाग काम नही करता,उसको अगर कोई पूछे कि बता तेरा मन कहां है,और बता तेरा दरिशटा कहां है,वह कया बताएगा,यह सब कुछ इस तरह से कंटरौल नही होगा,सबसे पहले जिस आदमी ने अपने आप को खोजना है,अधयतमिक के रासते पर चलना है, सबसे पहले दिन चरिआ सही सही होनी चाहिए, भोजन सातविक होना जरुरी है,ऊसके बाद अधयातमिक होने के लिए,आदमी को कोई भी नशा नही होना चाहिए,इन दोनों कारओं को करने से, बिगडा हुआ दिमाग,में से कुछ ना कुछ संसारिक कचरा निकले और एक अछा विवेक बन सके,अब यह आदमी जो भी काम करे,सबसे पहले परमातमा जी का धयान धर कर,यह निरनय करे कि हे भगवान मेरे दिमाग में इस कारय को करने से पहले, जो भी विचार,फुरना आएगा,मैं उसको तेरा ही हुकम समझ कर इस कारय को पूरा करूंगा जी,उस फैंसले में मेरा कुछ भी नहीं होगा,और सब आनंद ही आनंद रहेगा,आनंद धयान करने से कभी नहीं बनेगा,जब हम परतेक कारय को,विवेकशील हो करके,मरयआदा में रह करके करेंगे,लोभ लालच से बाहर हो करके करेंगे,उसके बाद उसका जो रिजलट होगा,धयान करना नहीं, धयान,आनंद अपने आप बनने लगेगा,जब आनंद अपने आप बनने लग जावेगा,अब चाहे किसी भी किरिआ को देखो या नां देखो कोई भी फरक नहीं पडेगा जी,चाहे मन को देखें,या ना देखें,अगर किसी भी चीज को चूलहे के ऊपर रख कर नीचे से आग जलाए जाएं जलाएं जाएं,कया रखि हुई चीज, या तो बाहर आएगी,या फिर जलेगी,या फिर सडेगी,शांती कैसे आएगी भला,धयान कैसै बनेगा, विकार ही उठेंगे,इसलिए आपकी कथा बहुत बहुत बहुत ही अछी और सराहनीय है,परंतु,जितना जोर आप,बार बार धयान करने पर कहते है,विनती है, कि इससे कहीं जियादा जरुरत,सातविक भोजन,और नशे नां करने पर भी,कथा में बारमबार परेरित किआ जावे, तो आपकी अति किरपा होगी जी,नमसकार जी,
वाह वाह बहुत ही बढ़िया स्पष्ट किया है ❤️🙏🙌❤️🙏🙌यह तीन चार पाँच का सूत्र सदा याद रखना चाहिए 🙏❤️👌बस हो गया ✅ ध्यान और मैं से मिलन हो गया मज़ा ही आ गया 👏✅🙌👌🙏🙌❤️बहुत बहुत धन्यवाद नमन नमन साष्टांग नमन
Pujya Gurudev bhagwan ko naman
DaduRam Sat Ram
🎉❤ nevar dandvat always Nitya mukt pranam😢
ओम शान्ति: 🙏
Jai Guru Dev ji ki 🎉🎉🎉
❤आत्म निवेदन भगवन 🙏🕉🙏
Ram
🙏
गुरु जी प्रणाम। 🙏
महाराज जी,सवामी जी कोटि कोटि बार,आपजी को हमारी तरफ से,दंडवत, वंदना,और नमसकार जी,विनती है जी आपसे,कि जिसको आप दरिशटा कह रहे है,आंख,कान, नाक आदि सारी ईंदरिओं को देख रहा है,महसूस कर रहा है,यह तो एक बात में ही बात खतम हो जाती है, कि यह सब,बस दिमाग की ही किरिआ है,हम सबको बस इन गिनती मिनतिओं ने ही तो उलझा रखा है, यही तो विडम्बना है,इसी लिए तो अगर हम परिणाम को देखें तो,इतनें धरम और इतने पंथ होते हूए भी,आज का पराणी धारमिक नहीं हो रहा है,किओंकि, आप एक परयोग करके देखिए,मानलो कि एक पागल आदमी का दिमाग काम नही करता,उसको अगर कोई पूछे कि बता तेरा मन कहां है,और बता तेरा दरिशटा कहां है,वह कया बताएगा,यह सब कुछ इस तरह से कंटरौल नही होगा,सबसे पहले जिस आदमी ने अपने आप को खोजना है,अधयतमिक के रासते पर चलना है, सबसे पहले दिन चरिआ सही सही होनी चाहिए, भोजन सातविक होना जरुरी है,ऊसके बाद अधयातमिक होने के लिए,आदमी को कोई भी नशा नही होना चाहिए,इन दोनों कारओं को करने से, बिगडा हुआ दिमाग,में से कुछ ना कुछ संसारिक कचरा निकले और एक अछा विवेक बन सके,अब यह आदमी जो भी काम करे,सबसे पहले परमातमा जी का धयान धर कर,यह निरनय करे कि हे भगवान मेरे दिमाग में इस कारय को करने से पहले, जो भी विचार,फुरना आएगा,मैं उसको तेरा ही हुकम समझ कर इस कारय को पूरा करूंगा जी,उस फैंसले में मेरा कुछ भी नहीं होगा,और सब आनंद ही आनंद रहेगा,आनंद धयान करने से कभी नहीं बनेगा,जब हम परतेक कारय को,विवेकशील हो करके,मरयआदा में रह करके करेंगे,लोभ लालच से बाहर हो करके करेंगे,उसके बाद उसका जो रिजलट होगा,धयान करना नहीं, धयान,आनंद अपने आप बनने लगेगा,जब आनंद अपने आप बनने लग जावेगा,अब चाहे किसी भी किरिआ को देखो या नां देखो कोई भी फरक नहीं पडेगा जी,चाहे मन को देखें,या ना देखें,अगर किसी भी चीज को चूलहे के ऊपर रख कर नीचे से आग जलाए जाएं जलाएं जाएं,कया रखि हुई चीज, या तो बाहर आएगी,या फिर जलेगी,या फिर सडेगी,शांती कैसे आएगी भला,धयान कैसै बनेगा, विकार ही उठेंगे,इसलिए आपकी कथा बहुत बहुत बहुत ही अछी और सराहनीय है,परंतु,जितना जोर आप,बार बार धयान करने पर कहते है,विनती है, कि इससे कहीं जियादा जरुरत,सातविक भोजन,और नशे नां करने पर भी,कथा में बारमबार परेरित किआ जावे, तो आपकी अति किरपा होगी जी,नमसकार जी,
Shri Shri 1008 Swami Parmanand Giri Ji Maharaj ji ke Pavan charanon mein koti pranam ❤❤❤🎉🎉🎉🎉
ॐ श्री गुरुवे नमः।🙏🌷🌷❤️🙏
अनंत श्री विभूषित आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री सदगुरु देव भगवान को सादर दण्डवत प्रणाम। ॐ
Gurudev Bhagwan key charano may koti koti naman
ॐ परम पूज्यनीय श्रद्धेय श्री सदगुरु देव भगवान जी के पावन श्री चरणों में सादर कोटि - कोटि नमन
Guruji 🙏 om namo narayana 🙏🌹🙏
❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️
सदगुरुदेव भगवान की जय गुरुदेव भगवान के चरणों में सतत सतत नमन 🌹🌹🎂🎂🎆👏🌻🌻🌸🌺🎇👋
वाह वाह बहुत ही बढ़िया स्पष्ट किया है ❤️🙏🙌❤️🙏🙌यह तीन चार पाँच का सूत्र सदा याद रखना चाहिए 🙏❤️👌बस हो गया ✅ ध्यान और मैं से मिलन हो गया मज़ा ही आ गया 👏✅🙌👌🙏🙌❤️बहुत बहुत धन्यवाद नमन नमन साष्टांग नमन
Jai sachidanand ji ❤❤❤❤❤❤❤🎉
"जय जय श्री गुरुदेव"🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️
वाह वाह गुरू देव जी 👍 मज़ा ही आ गया ❤️🙏🙌❤️🙏🙌बस आनन्द ही आनन्द बरसा दिया है धन्य है आप और धन्य हम हो गये 👏❤️🙌🙏❤️🙌कोटि कोटि प्रणाम साष्टांग नमन ❤️🙏🙌🌷💄
Jai gurudev ji
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
🌺🌺🙏🙏🌺🌺
❤jaigiru
, ,.
Ati sunder
🙏🙏
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जय जय श्री गुरुदेव दत्ता कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव
🙏
ओम शांति:🙏🙏🙏
Param pujniya Shri Gurubabaji Bhagwan ji ke shree charno me koti koti pranam Charan sparsh Jay gurubabaji Bhagwan ji 🙏🙏🙏🙏🙏