ब्रह्म पूर्ण शून्य की तरह है Brahma is like whole zero by Swami Paramanand Giri Ji Maharaj
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- Опубліковано 11 лис 2019
- Yugpurush Mahamandaleshwar Swami Paramanand Giri Ji Maharaj Akhand Param Dham Haridwar, Video recorded on Diwali 27 oct 2019 in Amritsar
Jai Guru Dev ji ki 🎉🎉🎉
Param punya sadguru dev ji ke charano me sader pranam
Pranam guruji
jai gurudev 🙏🙏
koti koti pranam 🙏🙏❤️❤️
DaduRam SatRam gurudev pranam
Sadguru bhagvan charno mein koti koti pranam nmo namah
जय सिया राम 🌺🙏🙏🌺
Gurudevar Charana pranam
Jai gurudev 🙏🙏❤️❤️
Naman Gurudev Fine unique Vaani 🌹 cleared Atma Brahm❤
Hariohm swamiji pranam
Jai gurudev
Srigurucharanmevandan
🙏जय गुरुदेव महाराज 🙏
God is one who is unborn recite God name with each breath gives peace and happiness
jai gurudev ji 🙏🙏❤️❤️
🌹🌹🌹🙇 प्रणाम महाराज जी 🙏
❤️🌹❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️🌹❤️
*Hare krishna* ❤️🙏❤️
Jayagurudeb
🙇
Jay gurudev
🙏🙏 jai jai sat sanatn Dharm ki 🙏 jai jai hind 🙏🌹🌹🇮🇳🇮🇳🇮🇳
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
🌺🌺🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
ॐ परम पूज्यनीय श्रीसद्गुरूदेव भगवानजी के पावन श्रीचरणों में सादर कोटि - कोटि नमन
Naman Naman koti koti🎉❤🎉
अद्वैत वेदांत दर्शन में इतना ज्ञान 🙏🙏
नमन है ऐसे विद्वान संत के चरणों में 🙏🙏
अद्वैत वेदांत दर्शन को सत्य कोटि नमन
इंसान असत्य है फिर इंसान जिस संसार को देखता है वह सत्य कैसे हो सकता है ?
Koti koti nemen Swami ji
स्वामीजी प्रणाम यज्ञान अनमोय है आपकी हमपर अशीस बाना रहे
P
JAI shri guru dev ki
Guru ji aapko sadar parnam
sat sat naman
जय हो गुरुदेव
Aapaki charanome triwar naman Bhagvan !!!
Jai Shiri Sadgurudev Bgagwan ji Maharajah Parnam 🙏🙏🌹🌹
VERY GRATEFUL WELLNESS OF THIS PRAVACHAN WICH IS PROVIDED BY SWAMI PARAMAND JI MAHARAJ JI'S VOICE EXPLAINED VERY CLEAR SIMPLIFIED EXPLAINED ABOUT DEEPLY BRAHMA GYAN THANKS AGAIN & AGAIN KOTI KOTI PRANAM GURUDEV JI MAHARAJ.
Jai Guru Dev
Jai guru Dev
Gurudev Koti Koti naman🌹🌻
Jay guru dev naman
आद्यांत मध्य रहितं.....
कृपया इस श्लोक को कोई भक्त पूर्ण करें...
आभार.
psychic energy of the cosmos for humanity
Pranam gurudev
Jai Gurudev pranam Jai shri ram
GURU Bhagban ki jai ho
🙏🙏🙏
Jay shri Radhe 💐💐💐💐👏
JI PRABHUJI BRHMA SHOONYA, HAI,
JAI SHRI SADGURUDEWAY 🙏🙏
OM NAMAH SHILOH🙏🙏
jya
shri ram
प़णाम गुरुदेव
श्रीगुरुदेव भगवान के श्रीचरणों में नमन
Mahraj ji ko dand parnam ap diva hai mene apka satsang orai mai suna tha
Vari good sppich.
Sat Sat naman param purush ji.. 🙏 we miss you Guruji
श्री हरि शरणं ।
happybirthday to you are preyamahraji
JAI GURUDEV, KOTI KOTI PRANAM
Teri raza me meri raza hai
"JAI GURUDEV "❤❤❤❤👐👐👐👐🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
Guru🙏🙏🙏🙏🙏
Jay guroo dev
Jai Shree ram
Hari om
परमानंद जी महाराज की जय हो
One of the definitions of zero is a stage where duality ends
Parampujya gurudev bhagwan ki jai.....
Pujya gurudev bhagwan ko koti-koti naman.
Guruji pranam thanks for imp.vdo.
श्री राधाकृष्णाभ्याम नमः
परम् पूज्य महाराज श्री की जय जय जय
मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी को बहुत पसंद करता हूं, इसी के आधार पर मैं परम् पूज्य श्री महाराज जी के मूसानगर कानपुर देहात में रहते हुए दर्शन करने गया था किन्तु मुझे श्री महाराज जी के दर्शन नहीं कराये गये क्योंकि शाय़द मैं मंत्री, विधायक,सांसद, आईएएस, पीसीएस इत्यादि जैसे किसी पद पर नहीं था परंतु मुझे परम् पूज्य श्री महाराज जी के परिकरों से ऐसी आशा नहीं थी।
मैं बहुत दुःखी हुआ था।
😑😑😑😑😑😑😑
दुख हुआ। सभी को दर्शन मिले ये व्यवस्थापकों को देखना चाहिये
मुझे भी इन्तजार है कि गुरुदेव कानपुर आयें तो दर्शन प्राप्त हों
कृपया अपना नं दें
@@Vedantdarshan12
7355671954-सौरभ तिवारी पुखरायां कानपुर देहात
सौरभ भैयाजी, गुरुदेव बहुत सहज स्वभाव के संत हैं। वे तो किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करते। हम पिछले तीस वर्षों से उनके सरल व्यवहार को देखकर आह्लादित हो रहे हैं। गुरुदेव भगवान द्वारा ब्रह्मज्ञान की व्याख्या और उनका स्वभाव तथा व्यवहार,सब कुछ अति सरल है भैयाजी 🙏🕉️
जयश्रीराम 🙏 जयगुरुदेव
PRONAM
जब तक न देखु अपने नयना
तब तक न मानु गुरु का कहना ll - कबीर
सिर्फ गुरुका कहना मानना काफी नही होता .
Dada bhagwan
Om
जय जय श्री गुरू देवाये न्म
Jaise meine likhte samay dhyan nahi DI
HR hr
🙏🙏🙏🌺🌺🌺
Dadabhagwan 2
🌴🙏👍🙏🌴
Another level of reaching the zero level is reaching the stage where u will reach the level of total “thoughtlessness”
Thoughtlessness is also a thought which is experienced and zero is also a subject/object of experience, you can be jeevanmukt/infinite/Brahmin/Parmatman but you can't define/explain the same.
@@pravahadhruva4910 right sir
.
मांडुक्य उपनिषद का ताल मेल दुसरे अनेक उपनिषदोसे नही बैठता है l
बहुतसे गुरुओमेभी तालमेल नही बैठता है l
0
Hard Hindi
You
2:00 ye kyu.
Jai hi buruji
Mei spake pravachan sumit huu but beech beech mei recording mei kar Farah ki disturbance niti hai apple shandy clear nahi hotel kabhi birthday ko awaj ye think nahi hai
ABOUT ZERO [shunia or shunyata]…@ my veer , Rameshvaram…you are correct. Zero* is where duality ends …also it is ONENESS or UNITY where duality of things ends …Synthesizing the both , we can say *shunyata is oneness , abstact oneness . It is something in NOTHINGNESS that contains everything in miniature …which is not perceivable.…In Religion *shunyata is cosidered non-dual and singular…JagtarSinghAujla USA
Yae tooh nastikta h naa
बोले ब्रह्मज्ञान सदा बना नही रहता l
मेहतरीन झाडु लगाने आयी थी की हम बिस्तर बनने आयी थी l सफाई करने आयी थी , सफाई करके चली गयी l
शुण्य की कोही अवस्था नही है इसलिए शुण्य को शुण्य कैसा कह सकते है। शुण्य का अंत कीसिको पता नही तो शुण्य को शुण्य कैसा सिद्ध कर सकते है शुण्य के भीतर अंनंत शुण्य है। तो शुण्य एक कैसा हो सकता है। शुण्य का अंतिम एक ही है यह आज कोही सिद्ध नहीं कर पाया क्योंकि सभी कुछ अनंत है एक की कोही अवस्था नही जब तुम एक खोजने जावोगे वहाँ पर अनंत दिखाई देगा। अंत का कोही पता नहीं इसलिए एक नहीं अनेक है।
वैज्ञानिक परमानुओ से इलेक्ट्रॉन तक पहुँच गये इलेक्ट्रॉन को उन्होंने देखा वहाँ पर भी एक की कोही अवस्था नहीं दिखाई दी।
इसलिए शुण्य नहीं अनंत कहो।
Pradeep Kumar Ramtawankal singh आत्मा को छोड़कर परमात्मा को जाननाही जड़ बुद्धी है।
Pradeep Kumar Ramtawankal singh आप परमात्मा को अनंत भी कहते है और एक भी कहते है। अर्थात कोही एक निश्चित सिद्ध नही है।
ज्ञानस्वरूप का स्वरूप या स्वभाव तो ये भी है कि अनन्त है । फिर जान भी रहा है अनन्त भी है और यह भी जान रहा है कि अनन्त है ।अन्यथा जान रहा है यही अविद्या है ।
@जय सच्चिदानन्द JAI SACHCHIDANAND अनंत आकाश, अनंत जीव, अनंत द्रव्य, जिसका कोही अंत नाही उसे शून्य कैसे सिद्ध कर सकता है। अनंत का कोही आकृती सिद्ध नहीं उसे शुन्य कैसे कह सकते है। शुन्य का अर्थ कोही और बाहर है। इसलिए शुन्य सिद्ध नहीं होता है। ना आत्मा के अंत का पता है ना इश्वर का कहीं पता है ना द्रव्य का अंत सिद्ध है। अंत को सिद्ध करना कल्पना मात्र है।
Bhai pahle practical karo Jab samajh mein aaega
(1) भगवान भगवान हैं , ईश्वर ईश्वर है।
(2) भगवान 33 करोड़ हैं, ईश्वर एक है।
(3) भगवान पैदा होता है और मरता भी है, ईश्वर किसी से नहीं पैदा हुआ और कभी नहीं मरेगा। ईश्वर हमेशा से है और हमेशा रहेगा।
(4) भगवान और इंसान के जिस्म की बनावट समान है, ईश्वर का कोई आकर या प्रतिमा नहीं है।
(5) भगवान एक समय में एक ही जगह मौजूद होता है, ईश्वर एक समय में हर जगह मौजूद होता है।
(6) भगवान को भी ईश्वर ने ही create किया है, ईश्वर स्वम् से है।
(7) ईश्वर की ओर से जो कुछ आता है वह बेजान और अवतरित होता है। जानदार अवतरित नहीं होता वह जन्म लेता और मरता है।
(8) सारे भगवान आदरणीय हैं, एक ईश्वर ही पूजनीय है।
(9) ईश्वर के अनेकों अनेक गुण है। कुछ हमें पता हैं और उनके नाम हमने बना लिए हैं लेकिन बहुत से गुण हमें अभी तक पता ही नहीं हैं। उन्हीं में से ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी हैं जिनको एक शब्द ओह्म से जानते हैं।
(10) जिसके अंदर ब्रह्मा का गुण है वही सृस्टि का रचने वाला है, जिसके अंदर विष्णु का गुण है वही सृस्टि का पालनहार है तथा जिसके अंदर महेश का गुण है वही सृस्टि को एक दिन नष्ट करके समाप्त कर देगा।
(11) ईश्वर अगर किसी इंसान को विष्णु का अभिव्यक्ति बनाना चाहता है तो उसमें अपने इसी गुण का कुछ अंश समावेशित कर देता है।
(12) श्री राम विष्णु के अभिव्यक्ति तो हो सकते हैं औतार नहीं। औतार तो ईश्वर की तरफ से अवतरित (descend) होता है और वह जीवित रूप में नहीं होता और जन्म नहीं लेता है।
(13) मनुष्य भक्त भी होता है और पुजारी भी। मनुष्य भक्त अर्थात प्रशंसक किसी इंसान, किसी भगवान और ईश्वर का हो सकता है लेकिन उसे पुजारी और प्रशंसक केवल ईश्वर का ही होना चाहिए।
(14) मनुष्य ईश्वर और भगवान दोनों का भक्त हो सकता है लेकिन पूजा केवल ईश्वर की ही होना चाहिए, अगाध समर्पण केवल ईश्वर के प्रति ही होना चाहिए।
@Pradeep Kumar Ramtawankal singh -- धन्यवाद !!! आत्म दर्शन .... मैं तो अभी भी एक कीड़े से अधिक कुछ नहीं। अभी तक कोई ऐसा मिला ही नहीं जो मुझे अपने में समा ले या जिसमें मैं विलुप्त हो जाऊँ।
दोनों उच्च कोटी के विवेकी महात्माओ को प्रणाम ...नमन
@Pradeep kumar Ramtawankal singh yatharth geeta ka adhyayan aap ne kiya hai?shabdo se prateet hota hai aap bajnanandi hai
Sabd se Preet kare so pave Om..
DaduRam SatRam gurudev pranam
Jai gurudew bhagwan
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