KULDHARA GHOST 👻 VILLAGE | Welcome 2 ਭੂਤਾਂ ਵਾਲਾ ਪਿੰਡ ਕੁੱਲਧਾਰਾ ਜੇਸਲਮੇਰ | Jaisalmer Rajasthan India |

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  • Опубліковано 15 вер 2024
  • Kuldhara Jaisalmer 🐫 Rajasthan India Tour
    Kuldhara is an abandoned village in the Jaisalmer district of Rajasthan, India. Established around the 13th century, it was once a prosperous village inhabited by Paliwal Brahmins. It was abandoned by the early 19th century for unknown reasons, possibly because of dwindling water supply, an earthquake, or as a local legend claims, because of the atrocities by the Jaisalmer State's minister Salim Singh.
    The former village site is located about 18 km south-west of the Jaisalmer city. The village was located on an 861 m x 261 m rectangular site aligned in the north-south direction. The township was centred around a temple of the mother goddess. It had three longitudinal roads, which were cut through by a number of latitudinal narrow lanes.[1]
    The remains of a city wall can be seen on the north and the south sides of the site. The eastern side of the town faces the dry-river bed of the small Kakni river. The western side was protected by the back-walls of man-made structures
    Ghost towns and villages hold a charm very different from the ruins of castles and fortresses, mostly because they give us a chance to peep right into the lives of the people who once inhabited them. Being a desert region, Rajasthan has no dearth of ghost villages but few of them have got as much attention as Bhangarh and Kuldhara, perhaps due to the legends associated with them. While we were in Jaisalmer, it was quite natural for us to desire a visit to Kuldhara, and so we did.
    राजस्थान का एक ऐसा रहस्यमयी गांव, जहां से एक ही रात में गायब हो गए थे 5 हजार लोग
    राजस्थान का कुलधरा गांव न केवल भारत का बल्कि दुनिया के भी सबसे भूतिया गांवों में से एक है। 200 साल के बाद भी ये गांव आजतक फिर से बस नहीं पाया है। इस लेख के जरिए उस कहानी के बारे में जहां 5000 लोगों ने गांव को रातों रात में खाली कर दिया था।
    भारत ही नहीं, अगर हम बात करें दुनिया की सबसे भूतिया जगह की तो कुलधरा का नाम सबसे ऊपर आता है। राजस्थान के जैसलमेर से 14 किमी दूर मौजूद कुलधरा गांव, जो पिछले 200 सालों से वीरान पड़ा हुआ है, भूतिया जगहों में आता है। ऐसा माना जाता है कि इस गांव को साल 1300 में पालीवाल ब्राह्मण समाज ने सरस्वती नदी के किनारे इस गांव को बसाया था। किसी समय इस गांव में काफी चहल-पहल रहा करती थी। लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि यहां कोई इंसान भटकने से भी डरता है और 200 सालों से इस जगह पर फिर से बसावट नहीं हुई है। चलिए आपको इस गांव की कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
    कुलधरा गांव मूल रूप से ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था, जो पाली क्षेत्र से जैसलमेर चले गए थे और कुलधरा गांव में बस गए थे। इस गांव की पुस्तकों और साहित्यिक वृत्तांतों में कहा जाता है कि पाली के एक ब्राह्मण कधान ने सबसे पहले इस जगह पर अपना घर बनाया था और साथ में एक तालाब भी खोदा था, जिसका नाम उसने उधनसर रखा था। पाली ब्राह्मणों को पालीवाल कहा जाता था।
    लोकप्रिय मिथक के अनुसार, 1800 के दशक में, गांव मंत्री सलीम सिंह के अधीन एक जागीर या राज्य हुआ करता था, जो कर इख्ठा करके लोगों के साथ विश्वासघात किया करता था। ग्रामीणों पर लगाया जाने वाले कर की वजह से यहां के लोग बेहद परेशान रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि सलीम सिंह को ग्राम प्रधान की बेटी पसंद आ गई और गांव वालों को इसपर धमकी दे डाली कि अगर उन्होंने इस बात की विरोध करने की कोशिश की या रस्ते में आए, तो वह और कर वसूल करने लगेगा। अपने गांव वालों की जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया समेत पूरा गांव रातों-रात फरार हो गया। गांव वाले गांव को वीरान छोड़कर किसी दूसरी जगह पर चले गए। ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने जाते समय गांव को ये श्राप दिया था कि यहां आने वाले दिनों में कोई नहीं रह पाएगा।
    कुलधरा गांव अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित तरीके से रखा जाने वाला एक ऐतिहासिक स्थल है। पर्यटक यहां घूम सकते हैं और उस समय के दौरान ऐसा क्या हुआ था, जैसी झलकियां आपको यहां देखने को मिल जाएंगी। कुलधरा क्षेत्र एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें लगभग 85 छोटी बस्तियाँ शामिल हैं। गांवों की सभी झोपड़ियां टूट चुकी हैं और खंडहर हो चुकी हैं। यहां एक देवी मंदिर भी है, जो अब वो भी खंडहर हो चुका है। मंदिर के अंदर शिलालेख है जिसकी वजह से पुरातत्वविदों को गांव और इसके प्राचीन निवासियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिली है।गांव में आप रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक घूमना-फिरना कर सकते हैं। चूंकि ये जगह भूतिया मानी जाती है, इसलिए स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद द्वार बंद कर देते हैं। यदि आप कार से जा रहे हैं तो कुलधरा गांव के लिए एंट्री फीस 10 रुपए प्रति व्यक्ति है और अगर आप अंदर गाड़ी से जा रहे हैं तो 50 रुपए फीस है।ये जगह, राजस्थान में होने की वजह से अत्यधिक गर्म रहती है। इसलिए यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जहां गर्मी थोड़ी गर्म हो जाती है। आप धूप से परेशान हुए बिना रेगिस्तान में घूमने का आनंद ले सकते हैं।कुलधरा गांव जैसलमेर के मुख्य शहर से करीब 18-20 किलोमीटर की दूरी पर है। इसलिए राजस्थान में यात्रा करते समय, जब आप जैसलमेर पहुंचते हैं, तो आप शहर से कैब ले सकते हैं। ये कैब आपको कुलधरा गांव ले जाएंगी।
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